Tuesday, April 6, 2010

'गिल फार्मूला' बना पक्ष-विपक्ष का ढाल, सुर बदले


(sansadji.com)

महिला आरक्षण बिल पर सोमवार की सर्वदलीय बैठक बेनतीजा भले ही कही जाए, लगता है, 'गिल फार्मूला' पटरी बैठाने का आधार बन चुका है। सपा और भाजपा दोनों ने आज अपने ताजा पैंतरे से ये संकेत दे दिया है। यद्यपि अभी राह आसान नहीं दिखती है। यानी अब कोटे में कोटा की बात नहीं, 'गिल फार्मूला' जैसा कुछ मिल जाए तो लोकसभा में बिल पारित हो जाएगा। इससे लगता है कि सर्वदलीय बैठक बेनतीजा नहीं रही। लोकसभा में इस मसले पर कांग्रेस की नैया पार हो सकती है। पक्ष-विपक्ष चाहते होंगे कि बात फंस गई है तो कोई ऐसा रास्ता जल्दी से अख्तियार कर लिया जाए, जिससे सांप भी मर जाए, लाठी भी सलामत रहे।
लोकसभा में विपक्ष की नेता भाजपा सांसद सुषमा स्वराज और सपा सुप्रीमो एवं मैनपुरी से पार्टी सांसद मुलायम सिंह यादव की महिला आरक्षण बिल को लेकर सोमवार को की गई टिप्पणियों पर गौर करें तो लगता है कि राजद सांसद एवं पार्टी प्रमुख लालू यादव समेत सभी बिल मामले पर ऐसी तिर्यक हालत में फंस गए हैं कि कोई स्थायी समाधान नहीं सूझ रहा है। मौजूदा बिहार, उत्तर प्रदेश के राजनीतिक हालात पर नजर दौड़ाएं तो समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल केंद्र में सत्तासीन कांग्रेस से कोई साफ-साफ खुला विरोध लेने की स्थिति में नहीं हैं। महिला आरक्षण बिल पर उनकी अब तक की भूमिका ने अब उन्हें ऐसे मोकाम पर पहुंचा दिया है, जहां से वह चाह कर भी पीछे नहीं लौट पा रहे हैं। दोनों की पार्टियों के दूरगामी फायदे की दृष्टि से तो बिल पर संसद में मोरचेबंदी सही दिशा में हुई थी और आगामी विधानसभा चुनावों में उन्हें इस गैरकांग्रेसी प्रदर्शन का लाभ भी मिल सकता था, लेकिन कांग्रेस के बिल पर टस से मस न होने और भाजपा की सतर्क भूमिका से उनकी रणनीति लड़खाती दिख रही है। लालू ने तो पिछला सत्र खत्म होते-होते ही बीच रास्ता का पकड़ लिया था और कांग्रेस की नाराजी सेच बचने के लिए बहुअर्थी बयान जारी करने लगे थे लेकिन वही रुख आज सपा सुप्रीमो का दिखा। यानी दोनों बिल मामले पर लचीलेपन के तलबगार तो दिखते हैं, लेकिन पार्टी रणनीति क्या करें, अभी इसका उन्हें कोई ठोस जवाब नहीं मिल पा रहा है। बिल का समर्थन करते हैं तो अब तक इस मामले पर राजनीतिक जमा-जोड़ भी खिसक जाने का अंदेशा है, नहीं करते हैं तो कांग्रेस की भृकुटियां तन सकती हैं, जो उनके लिए वांछित नहीं। महिला आरक्षण बिल के वर्तमान स्वरूप के बारे में अपने रूख को ताजा मोड़ देते हुए मुलायम सिंह कहते हैं कि सरकार को अच्छे रोजगार उपलब्ध कराने के लिए शैक्षिक संस्थानों में पहले महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देना चाहिए। उनकी पार्टी आज भी अपने रूख पर बनी हुई है कि राजनीतिक दलों से कहा जाये कि वे चुनावों में टिकट वितरण में महिलाओं को आरक्षण दें और पिछडे वर्गो में मुस्लिम और दलित महिलाओं को भी प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। सभी राजनीतिक दलों की बैठक के दौरान उन्होंने कहा था कि जब तक महिलाएं शिक्षित नहीं हो जाती हैं, तब तक आगे नहीं बढ सकती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए आईआईएम, आईआईटी, इंजनियरिंग कालेजों, एम्स, एवं मेडिकल कालेजों तथा सभी सरकारी-गैर सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था हो। महिलाएं जब तक शिक्षित नहीं हो जाती हैं, तब तक विधायक और सांसद बनने में अधिक प्रगति नहीं कर सकती है। यह पूछे जाने पर कि क्या सपा ने महिला आरक्षण के मुद्दे पर अपने रूख में कुछ परिवर्तन किया है, यादव कहते हैं कि सपा की मांग आज भी वही है कि राजनीतिक दलों को चुनावों के समय टिकट वितरण में महिलाओं को आरक्षण देना चाहिए। राजनीतिक दलों को महिलाओं के लिए सीट आरक्षित करनी चाहिए। जो ऐसा नहीं कर सकते हैं उनको अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही मुलायम सिंह चुनाव आयोग के गिल फार्मूले का संदर्भ देते हैं, जिसमें सुझाव दिया गया था कि सभी राजनीतिक दलों को महिलाओं को आरक्षण देना अनिवार्य बनाया जाना चाहिए। महिलाओं के आरक्षण के लिए गठित संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि समिति को मिले अधिकांश ज्ञापन पत्रों में गिल फार्मूले को यह आधार मान कर अस्वीकार कर दिया गया था कि ऐसा करने से राजनीतिक दलों को महिलाओं को ऐसी सीटें भी देनी पड़ सकती थीं, जिसमें वे नहीं जीत सकती हैं। इसी सुर में सुर मिलाते हुए भाजपा ने महिला आरक्षण विधेयक को उसके वर्तमान स्वरूप में पारित करने के अपने रूख में परिवर्तन करते हुए आज कहा कि वह चुनाव आयोग के उस प्रस्ताव का समर्थन करने को तैयार है जिसमें महिलाओं को 33 प्रतिशत पार्टी टिकट देने की बाध्यता राजनीतिक दलों की होगी। लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी विधेयक पर आम राय बनाने के लिए सरकार द्वारा आज यहां बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भाजपा की ओर से भाग लेने के बाद विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि हम महिला आरक्षण विधेयक में ‘कोटा के भीतर कोटा’ को पूरी तरह अस्वीकार करते हैं। हम पूर्व में मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में सुझाए गए एम एस गिल के उस फार्मूले को समर्थन देंगे जिसमें चुनाव में महिलाओं को 33 प्रतिशत टिकट देना राजनीतिक दलों के लिए अनिवार्य होगा। कई दशक के इंतज़ार के बाद संसद का एक सदन, राज्यसभा महिला आरक्षण विधेयक को उसके मूल रूप में मंजूरी दे चुका है जिसमें भाजपा ने भी पूरा सहयोग किया था। राज्यसभा में विधेयक पारित होने से पहले उसपर हुई चर्चा में भाग लेते हुए सदन में विपक्ष के नेता अरूण जेटली गिल फार्मूले के विरोध में बोले थे। अपने तर्क में उन्होंने कहा था कि ब्रिटेन में यह फार्मूला सफल नहीं हुआ, क्योंकि पार्टियां महिलाओं को उन निर्वाचन क्षेत्रों से टिकट देती हैं जहां से उनके जीतनी की संभावना नहीं होती। उन्होंने कहा, इसीलिए ब्रिटेन के हाउस आफ कामन्स में महिलाओं का प्रतिनिधित्व नहीं बढ़ पाया।