Sunday, April 4, 2010

संसदीय बाल फोरम की सिफारिश


(sansadji.com)

लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार की अध्यक्षता वाले महत्वपूर्ण फोरम ने राष्ट्रीय स्तर पर स्कूलों में कुछ सीटें बालिकाओं के लिए आरक्षित किए जाने तथा जेंडर बजट की तर्ज पर ‘बाल बजट’ बनाए जाने की पुरजोर सिफारिश की है। उधर, महिला आरक्षण विधेयक पर कल 5 मार्च को सर्वदलीय बैठक हो रही है। ‘संसदीय बाल फोरम’ ने पिछले दिनों हुई अपनी महत्वपूर्ण बैठक में ये सिफारिशें कीं और अब फोरम की रिपोर्ट को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को सौंपकर इन सुझावों को कानून के जरिए अमली जामा पहनाए जाने के लिए केन्द्र सरकार से कहा जाएगा। बैठक से जुड़े सूत्रों ने बताया कि बैठक में मौजूद महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ तथा बीजू जनता दल के वरिष्ठ नेता भृतुहरि मेहताब ने जेंडर बजटिंग की तर्ज पर बाल शिक्षा और बाल मनोरंजन को बढ़ावा देने, बाल तस्करी को रोकने तथा बालकों के संपूर्ण विकास पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित करने के लिए ‘बाल बजट’ बनाए जाने की जरूरत पर बल दिया। बैठक में उनका सुझाव था कि आम बजट की तरह ‘बाल बजट’ भी अलग से तैयार किया जाना चाहिए। कृष्णा तीरथ ने बैठक में बताया कि बाल तस्करी रोकने के लिए मंत्रालय संबंधित कानूनों को प्रभावी तरीके से लागू करवाने में गृह मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहा है।
उधर, महिला आरक्षण विधेयक पर कल 5 मार्च को सर्वदलीय बैठक हो रही है। सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पर बने गतिरोध का कोई समाधान निकालने के लिए ये सर्वदलीय बैठक बुलाई है। विधेयक के मौजूदा स्वरूप को लेकर लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव और शरद यादव कड़ा विरोध कर रहे हैं। लोकसभा में सदन के नेता और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने इस मुद्दे को लेकर सभी दलों की यह बैठक बुलाई है क्योंकि सरकार गतिरोध का जल्द कोई समाधान निकालना चाहती है। विधेयक को राज्यसभा पहले ही पारित कर चुकी है और अब इसे 15 अप्रैल से बजट सत्र का दूसरा चरण शुरु होने पर लोकसभा में पेश किए जाने की संभावना है। सरकार इस मामले में आगे बढ़ने की इच्छुक है लेकिन बताया जाता है कि विरोध कर रहे नेताओं के कद को देखते हुए वह बल प्रयोग करने की इच्छुक नहीं है। राज्यसभा में विधेयक का विरोध करने वाले सदस्यों को बाहर निकालने के लिए मार्शलों को बुलाया गया था, लेकिन इस फैसले की बाद में कड़ी आलोचना हुई। कानून मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने पिछले सप्ताह कहा था कि सरकार बजट सत्र के दूसरे चरण में विधेयक को मौजूदा स्वरूप में ही आगे बढ़ाएगी। उन्होंने विधेयक में किसी प्रकार का बदलाव किए जाने से इनकार किया था। उधर, विधेयक का विरोध करने वालों ने साफ कर दिया है कि मौजूदा स्वरूप में विधेयक का पुरजोर विरोध किया जाएगा और अगर सरकार आरक्षण का प्रतिशत घटाती है या आरक्षण के फैसले को पार्टियों पर छोड़ती है तो वे चर्चा के लिए तैयार हो सकते हैं।

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