Monday, April 5, 2010
देश में गूंजा भाजपा सांसदों का हिंदू (मंदिर) राग
(sansadji.com)
भाजपा, मंदिर और मुसलमान। देश के तीन सिरे से दो दिन के भीतर भाजपा सांसदों और अध्यक्ष के मुह से ये ताजा स्वर मुखर होते हैं। इससे पहले की गतिविधि पर नजर दौड़ाएं तो उमा भारती के पार्टी में लौटने की सूचना सुर्खियां बनती है। अयोध्या में सांसद कलराज मिश्र राम लला की शरण में पहुंचते हैं। उत्तराखंड में सांसद लालकृष्ण आडवाणी गंगा पूजन करते हैं। सांसद नजमा हेप्तुल्ला सोनिया गांधी की चुटकी लेती हैं।
अगले दिन उसी शहर से विहिप प्रमुखों का मंदिर-स्वर गूंजता है और आडवाणी देहरादून पहुंचकर 'हिन्दुइज्म विश्वकोष', राष्ट्रीय सेवक संघ, कश्मीर आदि की बातें करते हैं, उसी प्रोग्राम में सांसद नजमा हेपतुल्ला संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी की चुटकी लेती हैं। उधर, दो दिनों के भीतर जलगांव(महाराष्ट्र) और गोहाटी (आसाम) में पार्टी अध्यक्ष नितन गडकरी कांग्रेस पर मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोप लगाते हुए यहां तक कह जाते हैं कि इसी कारण देश को आतंकी खतरा पैदा हो गया है। इन सबके मिश्रित उल्लेख से पार्टी लाइन संकेत देती लगती है कि वह पुरानी पटरी पर तेजी से लौट रही है। वक्त की उसे प्रतीक्षा है। साथ ये भी अंदेशा गहरा जाता है कि राजग से धड़ेबंद अन्य दलों के लिए यह निरुत्तरित कर देने वाली बात हो सकती है। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने सांसद कलराज मिश्र सोमवार को अयोध्या में रामलला के दर्शन करते हैं। यद्यपि टिप्पणीकार कहते हैं- 'यह दूर की कौड़ी लगती है कि भाजपा के इस शीर्ष नेता की अयोध्या यात्रा भगवा सियासत के प्याले में कोई सरगर्मी पैदा करेगी। परमहंस के प्रतिनिधि रहे कलराज के करीबी साकेत महाविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष निशेन्द्र मोहन मिश्र साफ कहते हैं कि इस यात्रा को भगवा सियासत ही नहीं, आस्था प्रतिपादित करती राजनीति की भाषा में इसे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का सन्देश भी कह सकते हैं।' देहरादून में सोमवार को पार्टी के शीर्ष नेता, पूर्व उपप्रधानमंत्री एवं सांसद लालकृष्ण आडवाणी कहते हैं कि भाजपा का उद्देश्य मात्र चुनावी सफलता हासिल करना नहीं। अब हमारा लक्ष्य पूरी दुनिया में भारत को 21वीं शताब्दी के दौरान ऊँचाई के सर्वोच्च शिखर पर ले जाना है। तत्कालीन जनसंघ के रूप में जब इस पार्टी का पहला सम्मेलन हुआ था तो उस समय कशमीर के मुद्दे को लेकर पार्टी ने आंदोलन किया था और दो विधान, दो निशान तथा दो प्रधान का विरोध किया था जिसके परिणामस्वरूप कश्मीर को भारत के अभिन्न अंग के रूप में स्वीकार करते हुए यह व्यवस्था समाप्त की गई। उत्तराखंड सरकार ने हरिद्वार में सदी के सबसे बड़े मेले कुंभ का सफलतापूर्वक आयोजन कर सिद्ध कर दिया है कि भाजपा राष्ट्रीय संस्कृति की बखूबी रक्षा करती है। इस कुंभ को अविस्मरणीय बनाने के लिए 'हिन्दुइज्म विश्वकोष' का 12 खंडों में प्रकाशन किया गया है, जो एक अद्भुत कार्य है। आडवाणी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को एक राष्ट्रीय आंदोलन बताते हुए कहते हैं कि अंग्रेजों के शासनकाल में भारतवासियों के भीतर योजनाबद्ध तरीके से पैदा की गई हीन भावना को खत्म करने के लिए प्रमुख रूप से तीन आंदोलन हुए थे जिनमें दयानन्द सरस्वती, विवेकानन्द और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का आंदोलन शामिल था। इसी कार्यक्रम में राज्यसभा की पूर्व उपसभापति तथा भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व सांसद नजमा हेपतुल्ला कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने पर चुटकी लेते हुए कहती हैं कि भाजपा ही पूरे देश में एकमात्र ऐसी पार्टी है, जहाँ लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव होता है। उधर हरिद्वार में सोमवार को विश्व हिन्दू परिषद कहती है कि राम मंदिर का निर्माण न्यायालय के फैसले से नहीं होगा बल्कि न्यायालय का फैसला देश में एक भयंकर संघर्ष को जन्म देगा।
राम मंदिर के निर्माण के लिए विहिप अब कोई आंदोलन नहीं करेगी बल्कि इसके लिए हनुमान चालीसा के पाठ के जरिए जनजागरण अभियान चलाएगी। 16 अगस्त से 17 दिसंबर तक पूरे देश में यह जनजागरण अभियान चलाया जाएगा। संत समाज राजनीतिक दलों से आग्रह करता है कि वे राम जन्मभूमि मंदिर के मसले पर राजनीतिक स्वार्थों से उपर उठकर इसका समर्थन करें। बैठक में संतों ने यह भी घोषणा की कि अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा में किसी भी मस्जिद का निर्माण नहीं होने दिया जाएगा।
उधर, सोमवार को ही भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी गुवाहाटी में कहते हैं कि कांग्रेस की ‘अल्पसंख्यक तुष्टीकरण’ की नीति से देश को खतरा पैदा हो गया है। अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की नीति ने देश के ढांचे, इसकी एकता और अखंडता के टूटने का खतरा पैदा कर दिया है। अल्पसंख्यक समुदाय को तुष्ट करने और तथाकथित बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक के बीच एक विभाजन पैदा करने की क्या जरूरत है। कांग्रेस आतंकवादियों की तुष्टीकरण की एक अन्य नीति भी अपना रही है। अमेरिका में 9:11 हमले के बाद एक भी हमला नहीं हुआ, लेकिन हमारे देश में यह दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से रोजमर्रा की बात हो गई है..सत्तारूढ़ पार्टी की नीति का शुक्रिया। इससे एक दिन पहले जलगाँव में वह कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कह चुके होते हैं कि कांग्रेस में क्या प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह या वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी कभी सपने में भी कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बारे में सोच सकते हैं? कांग्रेस में कोई लोकतंत्र नहीं है। बिग बी के प्रति कांग्रेसजन का रुख देखकर ऐसा लगता है सोनिया गाँधी इसको पसंद नहीं करती हैं। क्या अमिताभ दाऊद इब्राहीम हैं? फिर वह कहते हैं कि यह भाजपा की ही वजह से हो पाया कि डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम देश के राष्ट्रपति बने।
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