Monday, April 5, 2010
माया की चिट्ठी पर सांसदों का प्रहार
(sansadji.com)
उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर शिक्षा के अधिकार अधिनियम को लागू करने पर आने वाला खर्च केन्द्र सरकार से मांग लिया, प्रतिप्रश्नों की झड़ी लग गई।
केंद्रीय कपिल सिब्बल और भाजपा प्रवक्ता तथा सांसद रविशंकर प्रसाद ने पलटवार कर दिया। मायावती ने पत्र में लिखा है कि यदि केन्द्र शिक्षा के अधिकार अधिनियम के प्रति वाकई गंभीर है तो वह राज्य में इस कानून को लागू कराने पर आने वाला पूरा खर्च स्वंय वहन करे। इस अधिनियम को लागू कराने में 18,000 करोड रूपए की आवश्यकता होगी। इसमें 8,000 करोड रूपए की व्यवस्था राज्य को सौंपी गई है। राज्य इस अधिनियम को लागू कराने में आने वाला खर्च वहन नहीं कर सकता। उनकी सरकार के पास इस अधिकार को लागू करने के लिए जरूरी पैसा नहीं है। केन्द्र सरकार इस अधिनियम से जुडे व्यावहारिक पहलुओं को नजरअंदाज कर रही है। लगता है कि केंद्र सरकार इस अधिनियम के प्रति गंभीर नहीं है। मायावती के इस पत्राचार पर सांसद-मंत्री सिब्बल और प्रसाद ने कहा है कि मायावती के पास अपनी मूर्तियां बनाने के लिए पैसा है लेकिन बच्चों के लिए स्कूल खोलने के खर्च पर वो हाथ खड़े कर रही हैं। वो सिर्फ राजनीतिक फायदा उठाने के लिए शिक्षा के अधिकार का कानून लागू करने का विरोध कर रही हैं। मायावती के पास बस अपनी मूर्तियों के लिए ही पैसे हैं। जब आश्रम में हुए हादसे में ग़रीब लोगों की मौत हुई थी तब मुआवज़ा न देने के लिए भी उन्होंने ऐसी ही बातें कही थीं। उत्तर प्रदेश सरकार के पास धन का अंबार है जिसे वह स्मारकों पर खर्च कर रही है। यदि इस धन को उत्तर प्रदेश के बच्चों और भारत के बच्चों को सशक्त बनाने में खर्च किया जाता तो यह इसका बेहतर इस्तेमाल होता।
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