Monday, April 5, 2010
महिला आरक्षण बिलः आज भी बेनतीजा हो सकती है सर्वदलीय बैठक!
(sansadji.com)
दिल्ली में आज महिला आरक्षण बिल पर वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा बुलाई सर्वदलीय सांसदों की बैठक में भी शायद ही कोई नतीजा निकले। विधेयक के मौजूदा स्वरूप को लेकर जदयू प्रमुख शरद यादव, सपाध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, तीनों ही अपने पूर्व के रुख पर रविवार को भी कायम रहे। सरकार गतिरोध का जल्द कोई समाधान चाहती है, लेकिन आसार अनुकूल नहीं दिख रहे क्योंकि पिछले दिनों में सदन से अवकाश के दौरान तीनो नेताओं सार्वजनिक तौर पर इसे अपना राजनीतिक मुद्दा घोषित कर दिया है। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश और बिहार में लगभग अब विपक्षी अपनी हर रणनीति आने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर बना रहे हैं। कांग्रेस लिए बिल एक गतिरोध का विषय हो सकता है, लेकिन विपक्ष के लिए एक बड़ा मुद्दा, क्योंकि इस मसले पर पिछड़े, दलित और मुस्लिम तीनों वर्गों के मतदाताओं को अपने पाले में खींचने की रणनीति कारगर होने की उम्मीद की जा रही है। विधेयक को राज्यसभा पहले ही पारित कर चुकी है और अब इसे 15 अप्रैल से बजट सत्र का दूसरा चरण शुरु होने पर लोकसभा में पेश किए जाने की संभावना है। सरकार इस मामले में आगे बढ़ने की इच्छुक है लेकिन बताया जाता है कि विरोध कर रहे नेताओं के कद को देखते हुए वह बल प्रयोग करने की इच्छुक नहीं है। राज्यसभा में विधेयक का विरोध करने वाले सदस्यों को बाहर निकालने के लिए मार्शलों को बुलाया गया था, लेकिन इस फैसले की बाद में कड़ी आलोचना हुई। कानून मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने पिछले सप्ताह कहा था कि सरकार बजट सत्र के दूसरे चरण में विधेयक को मौजूदा स्वरूप में ही आगे बढ़ाएगी। उन्होंने विधेयक में किसी प्रकार का बदलाव किए जाने से इनकार किया था। उधर, विधेयक का विरोध करने वालों ने साफ कर दिया है कि मौजूदा स्वरूप में विधेयक का पुरजोर विरोध किया जाएगा और अगर सरकार आरक्षण का प्रतिशत घटाती है या आरक्षण के फैसले को पार्टियों पर छोड़ती है तो वे चर्चा के लिए तैयार हो सकते हैं। साथ ही ऐसा भी देखा जा रहा है कि संसद में बजट सत्र के पहले चरण में विपक्ष की एकता ने सरकार को बेचैन तो कर दिया था, लेकिन आगामी 15 अप्रैल से शुरू हो रहे दूसरे चरण के सत्र में संभवतः सरकार कुछ राहत मिले। भाजपा के अलावा अन्य विपक्षी दल संसद के बाहर अपना नफा-नुकसान सोच कर चल रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि श्रेय भाजपा के खाते में जा रहा है और उनकी राजनीति संदिग्ध होती जा रही है। बाकी बचे आगामी बजट सत्र में सरकार की प्राथमिकता वित्त विधेयक को पारित कराना है। भाजपा, माकपा व सपा के साथ कुछ अन्य दल पेट्रोल व डीजल की कीमतों पर कटौती प्रस्ताव लाने की घोषणा कर चुके हैं। सरकार बढ़ी हुई कीमतें वापस नहीं करने की घोषणा कर चुकी है। सरकार को राष्ट्रीय जनता दल से इस मामले में सहयोग की उम्मीद है। परमाणु क्षतिपूर्ति विधेयक के मामले में भी यही स्थिति दिखती है। इस पर सपा नरमी बरतती नजर आ रही है। खैर ये तो हफ्ते-दस दिन बाद की बातें हैं, सोमवार को बैठक हो रही है महिला आरक्षण बिल पर। बजट सत्र के दूसरे चरण में इसे लोकसभा में पेश किया जाना है। सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता मोहन सिंह का कहना है कि उनकी पार्टी विधेयक का मौजूदा स्वरूप में विरोध करती रहेगी। आज भी सरकार के रवैए में कोई ठोस बदलाव नहीं है। उनकी पार्टी ने पहले सुझाव दिया था कि सभी दलों को महिला उम्मीदवारों को अधिकतम 20 फीसदी टिकट देना चाहिए और ऐसा करने में विफल रहने वाले दलों की मान्यता रद्द कर देनी चाहिए। सरकार ने शुरुआत में हमारे सुझाव को स्वीकार कर लिया लेकिन बाद में नकार दिया। उन्होंने कहा है कि सोमवार की बैठक से भी कोई नतीजा शायद ही निकल पाए। सपा दलित और मुस्लिम महिलाओं के लिए भी आरक्षण की मांग कर रही है लेकिन सरकार ने इस मांग पर कभी ध्यान नहीं दिया है। सोमवार की सर्वदलीय बैठक में मुलायम सिंह यादव के साथ उनकी पार्टी के अन्य सांसद भी भाग लेंगे। लालू यादव ने भी रविवार को अपने पुराने रवैये की ही मीडिया के सामने पुनरावृत्ति की।
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