Saturday, February 20, 2010

पूर्व रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडिज लापता, फैली सनसनी!




अपने जमाने के जुझारू मजदूर नेता, प्रखर और लोकप्रिय वक्ता तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉर्ज फर्नांडीज को लेकर आज राजनीतिक हल्कों में सनसनी का दिन रहा। जितने मुंह उतनी बातें। तरह-तरह की अटकलों का बाजार गर्म रहा। कोई कुछ कहे, तो कोई कुछ। सबसे ज्यादा बेचैनी उनके प्रियजनों, मित्रों-सुपरिचितों में देखी गई। लाख कोशिशों के बावजूद पता नहीं चल सका कि आखिर जॉर्ज फर्नांडीज हैं कहां! खबर विस्तार से....sansadji.com... सांसदजी डॉट कॉम पर.

सांसद ओमप्रकाश ने मांगा बिहार के लिए आर्थिक पैकेज

सोनिया गांधी, प्रणब मुखर्जी, गुलाम नबी आजाद, ममता बनर्जी से मिले। आम बजट लोकसभा में पेश होने वाला है। इसके साथ ही, देश भर की जनता के अलावा समस्त सांसदों की भी इस परनिगाहें लगी हैं। अपने क्षेत्र एवं बिहार राज्य की जनता के लिए सीवान के सांसद ओमप्रकाश यादवने समय से पहले सरकार तक अपनी चारसूत्री अर्जी पहुंचा दी है। कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी, केंद्रीय वित्त मंत्रीप्रणब मुखर्जी, स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद और रेलमंत्री ममता बनर्जी से उन्होंने अपने क्षेत्र एवं प्रदेश कीजनता की खातिर कई जरूरी मांगों की ओर ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने मांग की है कि टैक्स से परेशान उनकेक्षेत्र एवं प्रदेश की जनता को बजट में ठोस राहत का प्रावधान होना चाहिए। बिहार जैसे बीमार राज्य को विशेषआर्थिक पैकेज मिलना चाहिए, क्योंकि कभी बाढ़ कभी कभी सूखा जूझते-जूझते इस राज्य के लोगों की मालीखस्ता हो चली है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि सीवान स्थित मैरवा में राजेंद्र बाबू कुष्ठ सेवा आश्रम को सनसे लंबित आर्थिक मदद बहाल होनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि पूर्व में सन 92 तक इस कुष्ठ आश्रम को केंद्रसरकार से सालाना 13-14 लाख रुपये मिलते थे। इससे अनेक लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी हुई थी और दूर-दूर से यहांइलाज कराने आने वाले लोगों का कल्याण हो रहा था। सबसे बड़ी बात ये है कि इस आश्रम से राजेंद्र बाबू कीपहचान जुड़ी हुई है। एक दशक से राज्य सरकार इस ओर से पूरी तरह उदासीन है। केंद्र सरकार आश्रम के लिएफिर से सालाना आर्थिक पैकेज बहाल कर इस स्वास्थ्य ठिकाने की हालात सुधारे। सांसद ओमप्रकाश यादव ने रेलमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात कर अपने क्षेत्र एवं बिहार के लिए विशेष रेल व्यवस्थाएं मुहैया कराने की मांग कीहै। पिछले दिनों वह आगामी रेल बजट में वांछित रेल सेवाएं उपलब्ध कराने की मांग करते हुए रेलमंत्री को लिखितरूप में आगाह करा चुके हैं कि सीवान से बनारस के लिए ट्रेन सेवा शुरू की जाए। सीवान स्टेशन का नामकरणराजेंद्र बाबू के नाम पर किया जाए। साथ ही माझी से सिसवन, रघुनाथपुर, दरौली, गुठनी होते हुए यूपी के लारस्टेशन तक रेलवे लाइन का निर्माण करा दिया जाए ताकि आजादी के तिरसठ साल बाद भी रेल सुविधा से वंचितदियारा क्षेत्र के लोगों के लिए रेल-परिवहन सेवा हासिल हो सके। रेलमंत्री ने उन्हें इसके लिए आश्वस्त भी किया है।जहां तक सीवान क्षेत्र की आर्थिक स्थितियों की बात है, उन्होंने केंद्र सरकार को बताया है कि यह प्रदेश का अतिपिछड़ा जिला है। यहां की तीन चीनी मिलें दशकों से बंद पड़ी हैं। एक स्पिनिंग मिल भी थी, जो आज तक नहीं खुलीहै। इन मिलों को फिर से चालू कराया जाए, ताकि लोगों को रोजी-रोजगार मिल सके। क्षेत्र में और कोई उद्योग धंधानहीं है। यहां के किसान, मजदूर, नौजवान सभी परेशानहाल हैं। सांसद निर्वाचित होने के बाद उन्होंने पिछले सालजून में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात कर उनसे अपनी मांगें दुहराई थीं। वह कहते हैं कि लोकसभामें एक बार फिर मौका आने पर अपनी मांगें उठाएंगे। वह चाहते हैं कि राज्य सरकार उपेक्षित सिवान क्षेत्र में केंद्रसरकार अपना पूंजी निवेश करे। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद से मिलकर बिहार में एम्स में चिकित्सासेवा शुरू कराने की मांग की है। वह बताते हैं कि अपने प्रधानमंत्रित्व काल में अटल बिहारी वाजपेयी ने इसअस्पताल का शिलान्यास किया था। उसका निर्माण आज तक लटका पड़ा है। उसे तत्काल पूरा कराकर चिकित्सासेवा उपलब्ध कराई जाए। इससे बिहार के अलावा झारखंड, पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा राज्यों के मरीज भी लाभान्वितहो सकेंगे। ओमप्रकाश कहते हैं कि जिस दिन मैंने लोकसभा में पद की शपथ ली थी, उसी दिन तय कर लिया थाकि हम राजेंद्र बाबू की धरती के हैं, उनकी एक अच्छाई का हमेशा अनुकरण करेंगे। हर माह अपने वेतन की आधीराशि पीड़ितों, जरूरतमंदों पर खर्च करते रहेंगे। वह बताते हैं कि प्रतिमाह मिलने वाले 41 1992 हजार रुपये में से आधावेतन वह गरीबों पर खर्च कर देते हैं। उनके पास एक-एक पैसे का हिसाब है। डायरी में वह नोट करते जा रहे हैं।समय आने पर जनता के सामने भी वह इसका खुलासा करेंगे। सांसद श्री यादव ने उपरोक्त मांगों के अलावा सरकारसे यह भी दरख्वास्त की है कि भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। बिहार को विशेष आर्थिकपैकेज दिया जाए। हर गांव में डाक, दूर संचार व्यवस्था उपलब्ध कराई जाए और बुनियादी शिक्षा को अनिवार्यबनाया जाए।

बजट के मौसम में सांसद निधि पर सवालिया निशान!!

सांसदजी को खर्च-बर्च में आखिर इतनी कंजूसी क्यों? ........एक तरफ रोना है कि जनता परेशान है और सरकार केपास पैसे नहीं हैं। आम बजट हर साल आता-जाता और हो जाता है यूं ही। दूसरी तरफ लगातार ऐसी सूचनाएं रही हैं कि माननीयों की सांसद-निधि विकास कार्यों पर खर्च नहीं हो पा रही है। हर सांसद को अपने लोकसभा क्षेत्रके विकास के लिए सालाना दो करोड़ रुपए सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास निधि के दिए जाते हैं। इस पैसे से सांसदविकास के कामों के लिए अनुशंसाएं करते हैं। पहले इस तरह की सूचना आई हरियाणा से। फिर राजस्थान से।फिर पता चला कि ऐसा तो देश के लगभग हर राज्य की कहानी है। यह कहानी जितनी चौंकाने वाली है, उतनी हीअफसोसनाक भी। विस्तृत खबर sansadji.com...सांसदजी डॉट कॉम पर

तो ऐसा होता है सांसदजी का बजट! संसद में 22 फरवरी से देश के आम आदमी के बजट की बात होगी। इस बजटको आकार देने में हमारे समस्त सांसदजी शिरकत करेंगे। आम बजट रहा है तो बात सांसदजी पर खर्च-बर्चहोने वाले सरकारी धन की भी होनी चाहिए।.....कि सांसद बनने के बाद सांसदजी कितने तरह की जरूरतों औरसुख-सुविधाओं के हकदार हो जाते हैं। वह इसलिए कि वे संसद सदस्य के रूप में अपने कार्यों को प्रभावी ढंग सेनिपटा सकें। संसद सदस्यों को मिलने वाली सुख-सुविधाओं में होता है वेतन तथा भत्ते, यात्रा सुविधा, चकित्सासुविधाएं, आवास, टेलीफोन। और क्या-क्या मिलता है सांसदजी को.....विस्तृत खबर sansadji.com...सांसदजीडॉट कॉम पर

ये हुई मजे की बात। एमपी के फंड पर एमएलए की नजर! ये और नया राग है देश के सबसे खुशहाल माने जानेवाले राज्य की लोकशाही का। किसी के पैसे पर किसी की नजर। जायज भी है, नाजायज भी। सवाल उठता है किकितनी जायज, कितनी नाजायज! सवाल ऐसे उठाए जा रहे हैं कि नामालूम, सांसदजी अपनी ही निधि का पैसाखर्च कर पाएंगे भी या नहीं? विस्तृत खबर sansadji.com...सांसदजी डॉट कॉम पर


इंदौर में भाजपा का तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन तो शोर-शराबे के साथ गुजर गया। अब भी उस परनिशानेबाजी जारी है। कांग्रेस कार्यसमिति सदस्य एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री अनिल शात्री की नजर में भाजपा काअधिवेशन शर्मनाक रहा! वह कहते हैं कि मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को प्रदेश में राष्ट्रीय अधिवेशन करनेके बजाए कानूनी और प्रशासनिक व्यवस्थाओं को बहाल करने में ध्यान देना चाहिए। और क्या-क्या कहते हैंशास्त्री जी......? साथ ही भोपाल में विधानसभा सत्र के दौरान सुरक्षा के इतने पुख्ता इंतजाम क्यों?... दोनों खबरेंसविस्तार sansadji.com...सांसदजी डॉट कॉम पर

शिवसेना के ताजा बोलः भाजपा ने सत्ता के लिए प्रभु राम का सौदा कर डाला

शिवसेना ने भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के उस बयान की कड़ी निंदा की है जिसमें उन्होंने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर बनवाने में मुस्लिम सहयोग करे। शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखे गए संपादकीय में कहा गया है कि भाजपा ने सत्ता के लिए प्रभु राम का ही सौदा कर डाला है। संपादकीय में लिखा गया है कि सत्ता से दूर बैठी भाजपा अब कुछ भी करने को उतारू हो गई है। उल्लेखनीय है कि इंदौर में चल रही पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अपने भाषण में कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर बनवाने में मुस्लिम समुदाय को सहयोग करना चाहिए।
उधर, अयोध्या में राममंदिर व मस्जिद मसले पर भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के बयान से साधु-संत नाराज हो गए हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत ज्ञानदास ने सवाल उठाया, ‘गडकरी कौन होते हैं मंदिर मामले में बोलने वाले? किसने इन्हें फैसला करने का हक दे दिया है? वे एक राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष हैं न कि राम भक्तों व हिंदू समाज के। उन्हें सीमा में रहकर बयानबाजी करनी चाहिए।’ ज्ञानदास ने हरिद्वार से ‘भास्कर’ से फोन पर चर्चा में ये विचार जताए। उन्होंने कहा कि 5-6 अप्रैल को प्रस्तावित धर्म संसद की बैठक में गडकरी के बयान की निंदा करते हुए ऐसी बयानबाजी पर रोक लगाने पर विचार होगा। उधर, मंदिर आंदोलन के पुरोधा रहे महंत रामचंद्र परमहंस के शिष्य और दिगंबर अखाड़े के महंत सुरेशदास ने मंदिर के बगल में मस्जिद बनाने संबंधी गडकरी के बयान पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, यहां की चौदह कोसी परिक्रमा परिधि के भीतर बाबरी मस्जिद का निर्माण किसी कीमत पर मंजूर नहीं किया जाएगा। गडकरी ऐसी बयानबाजी जारी रखेंगे तो उन्हें अयोध्या की सीमा में कभी घुसने नहीं देंगे। भाजपा के साथ बरसों से गठबंधन की राजनीति कर रही शिवसेना ने अब राममंदिर के मसले में उसकी भूमिका को गलत ठहराने की कोशिश की है। राममंदिर के लिए मुसलमानों से जमीन देने की भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी की अपील पर शिवसेना नेता और सांसद संजय राऊत ने कहा, राममंदिर के लिए हमें किसी से भीख मांगने की जरूरत नहीं। शिवसैनिकों ने अपनी ताकत से बाबरी मस्जिद ढहाई थी और उसी ताकत से हम राममंदिर बनाएंगे। गडकरी के विचार विहिप के उस बयान के खिलाफ हैं कि अयोध्या की सीमा में कोई मस्जिद नहीं बनाई जाए। भाजपा अध्यक्ष को यह साफ करना चाहिए कि वास्तव में मंदिर और मस्जिद का निर्माण कहां होगा?’
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Friday, February 19, 2010

बजट के बाद सड़क से संसद तक की जंग की तैयारी में भाजपा

ध्यान से सुनना भैया, बजेगा बजट का बाजा। सवाल लहराने लगे हैं कि आगे कितने फीसदी हो सकती है विकास दर? संभावनाः प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद ने चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक विकास दर (जीडीपी) 7.2 फ़ीसदी रहने की उम्मीद जताई है.परिषद के चेयरमैन सी रंगराजन ने कहा है अगले साल तक विकास दर आठ फ़ीसदी का आँकड़ा भी पार कर सकती है.ये चेतावनी इसलिए अहम है कि अगले सप्ताह वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी बजट पेश करने वाले हैं.....उधर, जलवायु परिवर्तन के मामले में प्रधानमंत्री के विशेष दूत श्याम सरन का इस्तीफा आज मंजूर कर लिया गया है। ........दोनों खबरें सविस्तार- sansadji.com ..सांसदजी डॉट कॉम पर.

अधिवेशन के आखिरी दिन कई बड़े एलान। भाजपा करेगी सड़क से संसद तक सरकार का विरोध। 21 अप्रैल को संसद घेरेगी। अधिवेशन में महंगाई पर तीखे तेवरः आर्थिक पैकेज यूपीए का राजनीतिक स्वार्थः आडवाणी ने परिवारवाद और मीडिया पर निशाना साधाः मजहब के आधार पर आरक्षण देने का कड़ा विरोधः दिन में अधिवेशन की माथा पच्ची, रात में गाना-बजानाः रंगनाथ मिश्र आयोग की रिपोर्ट में की गई सिफारिशों को सिरे से खारिज करते हुए मजहब के आधार पर आरक्षण देने का कड़ा विरोध किया गया है। पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एम वेंकैया नायडू ने रंगनाथ मिश्र आयोग की मुसलमानों और धर्म परिवर्तन कर मुसलमान व इसाई बने लोगों को अन्य पिछड़ा वर्ग के 27 प्रतिशत आरक्षण में 15 प्रतिशत देने की सिफारिश को देश के लिए खतरनाक और आत्मघाती बताया। अधिवेशन में बॉलीवुड और टीवी कलाकारों का जलवा रहा। सभी खबरें सविस्तार....sansadji.com ..सांसदजी डॉट कॉम पर.

भाजपा की आलोचना से दिग्विजय सिंह गौरवान्वित हैं। उधर कांग्रेस ने आडवाणी को कहा- सदाबहार पीएम इन वेटिंग। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा है कि भाजपा द्वारा उनकी इस महीने के पहले सप्ताह में की गई आजमगढ़ यात्रा की आलोचना से उन को कोई फर्क नहीं पड़ता है। जब भी भाजपा मेरी आलोचना करती है तो वे एक किस्म का गौरव महसूस करते हैं। उधर, कांग्रेस ने भी आज भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी पर उनकी उस टिप्पणी के लिए निशाना साधा। पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा ‘’आडवाणी जी फिर से सपनों की दुनिया में जी रहे हैं । खबर सविस्तार....sansadji.com ..सांसदजी डॉट कॉम पर.

एसपी महासचिव ने कहाः अमर सिंह जयचंद हैं। एसपी के महासचिव राम आसरे कुशवाहा ने गुरुवार को किसी जमाने में पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह के अभिन्न मित्र रहे अमर सिंह पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि अमर सिंह तो जयचंद की तरह गद्दार हैं। उधर, राष्ट्रीय ध्वज को घर - घर पहुंचाने वाले सांसद नवीन जिंदल के प्रयासों से तिरंगे के इतिहास में एक और अध्याय जुड़ गया है. अब संसद भवन में भी सभी सांसद तिरंगा पिन को अपने सीने पर लगाकर गौरवान्वित महसूस करेंगे. ........दोनों खबरें सविस्तार- sansadji.com ..सांसदजी डॉट कॉम पर.



सुरक्षा संसद की और वरुण गांधी की भी!

अधिवेशन बीच में छोड़ क्यों लौट गए वरुण गांधी? यह सवाल इन दिनों सियासी हलकों में कई सिरे से खंगाला जा रहा है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी एवं उनके सांसद पुत्र वरूण गांधी भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन को बीच में ही छोड दिल्ली लौट गए। पार्टी सूत्रों ने हालांकि दोनों नेताओं के लौटने को उनके दिल्ली में पूर्वनिर्धारित कार्यक्रमों का होना बताया है पर बताया जाता है कि अधिवेशन स्थल को ग्रामीण परिवेश देने पर नेताओं एवं पदाधिकारियों को तम्बुओं में ठहराने आदि की व्यवस्था से नाराज होकर वे दिल्ली रवाना हो गए। उल्लेखनीय है कि सांसद वरुण गाँधी अपनी सुरक्षा बढ़ाने की माँग को लेकर पहली से ही काफी चिंतित चल रहे हैं। इस संबंध में वह और उनकी मां सांसद मेनका गांधी पूर्व में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और गृहमंत्री चिदंबरम से गुहार कर चुके हैं। वजह क्या है... सविस्तार खबर sansadji.com... सांसदजी डॉट कॉम पर.

क्या कहा, नितिन गडकरी ने अपनी पार्टी के युवा सांसदों की टीम से? पिछले दिनों भाजपा के युवा सांसदों ने स्वयंसेवी संगठनों के जरिए समाज में कुछ बेहतर करने के तरीके दिल्ली में सीखे। मध्यप्रदेश से भिंड के सांसद अशोक अर्गल तो इस खास बुलावे पर दिल्ली पहुंच गए, लेकिन बैतूल की सांसद ज्योति धुर्वे नहीं जा पाईं। सविस्तार खबर sansadji.com... सांसदजी डॉट कॉम पर.

क्या बजट सत्र के दौरान संसद को किसी तरह का खतरा है? बताया गया है कि बजट सत्र के दौरान कड़े पहरे में होगी संसद! शायद डर आतंकवाद का और चौकसी सुरक्षा एजेंसियों की। देश के सिर पर जिस तरह आतंकवाद का खतरा मंडरा ही रहा है। संसद की सुरक्षा को लेकर क्या हैं चिंताएं? सविस्तार खबर sansadji.com... सांसदजी डॉट कॉम पर.

Thursday, February 18, 2010

भाजपा के तंबू में लगी सांसदों को ठंड

भाजपा राष्ट्रीय अधिवेशन में प्रोफाइल नेता नितिन गडकरी के आदेश की परवाह न करते हुए पांच सितारा होटलों में रात काटने चले गए। पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह, नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज, सांसद और सिने अभिनेता शत्रुघ्न सिंहा, पार्टी महासचिव अरुण जेटली, नवजोत सिंह सिद्धू आदि ने ऐसा किया। राजनाथ को वायरल फीवर था जिसकी वजह से वे होटल चले गए। अध्यक्ष नितिन गडकरी को तंबू के अंदर जोरदार ठंड़ लग रही थी। उन्हें एक अतिरिक्त रजाई दी गई। भाजपा सांसद मेनका गांधी अपने सांसद पुत्र वरुण गांधी के साथ इंदौर छोड़कर दिल्ली रवाना हो गई हैं। क्यों ऐसा हुआ....अधिवेशन की बाकी रोमांचक कहानी..... सांसदजी डॉट काम.... sansadji.com पर.

राजस्थान में सोनिया की पसंद नई कांग्रेस अध्यक्ष विजय लक्ष्मी ही क्यों? ममता शर्मा की जगह विजयलक्ष्मी विश्नोई अब राजस्थान महिला कांग्रेस की नई अध्यक्ष होंगी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को राजस्थान समेत पांच राज्यों के लिए नए प्रदेश अध्यक्षों के नामों को हरी झण्डी दे दी। राजस्थान की महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ममता शर्मा का तीसरा कार्यकाल भी यूं तो 15 फरवरी को ही समाप्त हो गया था, लेकिन माना जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी के साथ नगर निकाय व पंचायत चुनाव में टिकट वितरण को लेकर हुई अनबन तथा हाल में बूंदी के जिला प्रमुख चुनाव में कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी के स्थान पर एक निर्दलीय को कथित समर्थन देने पर उन्हें हटाया गया। शेष खबर ..... सांसदजी डॉट काम.... sansadji.com पर.


हरियाणा में सांसद की शादी में जुटेंगे दिग्गजः हरियाणा के मुख्यमंत्री के पुत्र एवं युवा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा की शादी के प्रीतिभोज में महामहिम राज्यपाल जगन्नाथ पहाड़िया के अलावा मंत्री, सांसद और विधायक सहित बीस हजार से अधिक मेहमानों के शामिल होने की संभावना है। शादी में और क्या-क्या हो रहा है? शेष खबर ..... सांसदजी डॉट काम.... sansadji.com पर.

भाजपा की लाख तोहमतों, घेराबंदियों के बावजूद विदेश मंत्री एस.एम.कृष्णा कहते हैं कि पाकिस्तान से वार्ता आतंकवाद पर ही केंद्रित रहेगी। 25 फरवरी की बातचीत में कोई विशेष मुद्दा तय नहीं होगा। पाकिस्तान जोर दे रहा है कि भारत समग्र बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने पर सहमत हो जाए जब कि भारत की ओर से कहा जा रहा है कि बातचीत में आतंकवाद हमेशा बाधक बनता है इसलिए पहले पाकिस्तान यह सुनिश्चित करे कि अपनी धरती से आतंकवाद को बढ़ावा नहीं देगा ....आगे इस मसले पर और क्या-क्या कहा जा रहा है? खबर सांसदजी डॉट काम.... sansadji.com पर.

Wednesday, February 17, 2010

पांच सवालों का एक जवाब

एक सौ दस सांसद क्यों नहीं दे रहे हैं अपनी सम्पत्ति
का ब्योरा, आखिर बात क्या है?
भाजपा के इंदौर सम्मेलन में नितिन गडकरी ने
पहले ही दिन साधा राहुल गांधी पर निशाना। क्या कहा?
भ्रष्टाचार साबित होने तक सांसद हटाए नहीं
जा सकते। इस बार में सुप्रीम कोर्ट ने आज क्या कहा?
आतंक के साये में आगामी खेल को लेकर
जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय गृहमंत्री क्या इशारा कर गए ?
लालकृष्ण आडवाणी को पीएम न बना पाने
का राजनाथ सिंह को इतना मलाल क्यों है?
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Tuesday, February 16, 2010

मुलायम और अमर दोनों गहरे अवसाद में!



उत्तर प्रदेश की राजनीति में आगामी विधानसभा चुनाव कई नए समीकरण रचने जा रहा है। यद्यपि अभी चुनाव में देर है, लेकिन राजनीतिक महारथी अपनी-अपनी सियासी साधना में अस्त-व्यस्त होने लगे हैं। अब तक इस विशाल प्रदेश की राजनीति पिछले कई चुनावों (कांग्रेस के पैर उखड़ने के बाद) से मुख्यतः तीन ध्रुवों में बंटी हुई थी, सपा, बसपा और भाजपा। इनमें सपा और बसपा का प्रतिद्वंद्वी-ध्रुवीकरण सीधे तौर पर जातीय जुमलों के सहारे मजबूत हुआ। तय था कि जिसका जातीय गणित जितना जनसंख्या बहुल होगा, सत्ता उतनी उसके निकट होगी। शुरू से ही समाजवादी पार्टी की पहचान के साथ दो अकाट्य लांछन रहे हैं। यादववाद और परिवारवाद। अमर सिंह के सपा-प्रवेश के बाद और कुछ हुआ-न-हुआ हो, सपा के माथे से यह कलंक मिटने-सा लगा था, क्योंकि राजपूत वोटबैंक जोड़ने की अमर की कसरत कुछ नई कहानी कहने लगी थी। मुसलिम धुंध की चादर तनी हुई थी, साथ ही अनिल अंबानी जैसे कारपोरेट घराने और फिल्मी चकाचौंध ने भी पार्टी के लिए नए तरह के सियासी तड़क-भड़क का आगाज किया। ध्यान करें कि पिछले कुछ सालों में मुलायम के सत्ता-बल के पीछे ऐसी ताकतों का मजबूत हाथ था और उसी बूते पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर हुंकार भरने की हैसियत तक पहुंची थी। वरना उसका वजूद उत्तर प्रदेश से बाहर नगण्य-सा था। अमर की मलाई सरपोट लेने के बाद आज सपा के कुछ लोग चाहे खट्टी-मीठी जैसी भी डकारें लें, उनकी कोशिशें कई मोरचों पर रंग लाई थीं। पार्टी के हाथ दिल्ली-मुंबई होते हुए अमेरिका तक पहुंचने लगे थे। आज की राजनीति का जैसा चरित्र है, उसमें अमर सिंह सपा के एक मजबूत स्तंभ और जरूरत हो चले थे। इस बात को मुलायम सिंह यादव अच्छी तरह समझते ही नहीं थे, निभाने की अंतिम समय तक कोशिशें भी करते रहे, लेकिन पार्टी के भीतर परिवारवाद की जड़ें जितनी गहरे पैठ चुकी थीं, अब ऐसे करारे अंतरद्वंद्व में उसका कोई ठोस समाधान सपा सुप्रीमो के भी बूते का नहीं रह गया था। और इस परिवारवादी ठसक को हवा दे रहे थे, वे लोग, जो अमर सिंह के नाते अपना कद गंवा बैठे थे। यही मुलायम सिंह की सबसे बड़ी चूक थी कि उन्होंने परिवारवाद को पार्टी में इस हद तक सख्त हो जाने दिया कि आज उन्हें खुद लाचारी के दिन देखने पड़ रहे हैं। सूत्रों की मानें तो देश का मीडिया अमर प्रकरण पर चाहे जो कुछ कहे, मुलायम सिंह कत्तई इस वाकये को पार्टी के लिए बहुत बड़े राजनीतिक हादसे के रूप में ले रहे हैं। इतना तनाव में तो वह अयोध्या-प्रकरण के दौरान भी नहीं रहे। उस दौरान इटावा में सपा सुप्रीमो ने इस रिपोर्टर से कहा था कि अफसरों के कारण मुझे अयोध्या-प्रकरण में सही निष्कर्ष तक पहुंचने में मुश्किल हुई। वह सत्ताच्युत होने के बाद जब प्रायश्चित के ऐसे शब्द बोल रहे थे, तब भी उनके माथे पर इतना बल नहीं था, जितना आज है। अगर समाजवादी पार्टी से आजम खां की विदाई हुई, राज बब्बर किनारे किए गए तो उसमें सिर्फ अमर सिंह की गलती नहीं थी, बल्कि पार्टी के कोर कमेटी स्तर से ऐसे निर्णय लिये गये थे। अमर सिंह के नाते पार्टी के अंदरखाने इतनी मुश्किल जरूर आकार लेने लगी थी कि जातीय स्वाद चखने वालों की जुबान कसैली होती जा रही थी। वजह थे अमर सिंह। जब पिछले विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव में सपा का मुसलिम वोट बैंक दरकने लगा, सत्ता के पाए से हाथ फिसलते गए तो उसकी वजहें भी सिर्फ अमर सिंह पर थोपना एक बड़ी अदूरदर्शिता रही। सबूत के तौर पर हाल के विधान परिषद चुनाव को याद किया जा सकता है। यहां तथ्यतः उल्लेख करना जरूरी नहीं, फिर भी इतना कहा जा सकता है कि पार्टी के परिवारवादी ढांचे में जब से मुलायम सिंह के पुत्र अखिलेश यादव की स्थापना हुई है, चचाजात भाई रामगोपाल यादव और भाई शिवपाल यादव के एकाधिकार को झटके लगने लगे थे। मुलायम सिंह इस बात से भी पूरी तरह वाकिफ थे और इस मसले पर भी उन्हें लाचार होकर चुप्पी साधे रहना पड़ गया। अमर सिंह पर केंद्रित प्रकरण उसी पारिवारिक एकाधिकार की पीड़ा की छटपटाहट में रचा गया। वरना आज अमर सिंह पर जिस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं, आज की राजनीति में वे सब जायज हो चले हैं। हर पार्टी उन्हीं तरह के लटके-झटकों के भरोसे चल रही है। कौन-सा दल ऐसा है, जिसे चुनावों में फिल्मी सितारों की तलब नहीं होती? कौन-सी पार्टी ऐसी है, जिसे दम बटोरने के लिए कारपोरेट पूंजी की जरूरत नहीं? याद करिये कि जब संजय दत्त की लखनऊ में धमक हुई थी, पार्टी की बांछें खिल उठी थीं। ऐसा ही कुछ पूर्व में अमिताभ और राज बब्बर की पार्टी में हाजिरी के समय हुआ था। मोहन सिंह और रामगोपाल यादव आज अमर सिंह के बहाने जिस समाजवाद की बातें करते हैं, वह तो सपा में कभी रहा ही नहीं। सपा कत्तई समाजवादी पार्टी नहीं, वह सिर्फ नाम से ऐसी है। इस बात से भी मुलायम सिंह अच्छी तरह वाकिफ थे, हैं और सच्चाई के नाते भी आज की मुश्किल में उन्हें अपने परिजनों की अक्ल पर तरस आता है। सपा सुप्रीमो तो अपने अथक प्रयासों से पार्टी को तमाम तरह के राजनीतिक प्रयोगों (मुसलिम समीकरण, गठबंधन आदि) के सहारे इस शानदार मोकाम तक ले आए थे। अब जो पार्टी के भीतर आजम खां को लेकर सियापा पीटा जा रहा है, इसकी सच्चाई से भी कौन वाकिफ नहीं। मुलायम सिंह भी इससे खूब अच्छी तरह परिचित हैं। आजम खां प्रदेश या देश के मुस्लिमों के जिगर के नेता नहीं, बल्कि अयोध्या प्रकरण पर अपने बड़बोलेपन के नाते सुर्खियों में छाते चले गए। जहां तक राज बब्बर का सवाल है, वह भी सपा में शामिल होने से पहले कोई जमीनी नेता नहीं रहे। सपा के मंच से डॉयलॉग बोल-बोल कर ही उन्होंने भी अपनी जमीन पुख्ता की थी, हां आजम खां की अपेक्षा उनमें आज की सियासत को समझने की तमीज ज्यादा थी, इसलिए समय रहते कभी वीपी सिंह तो आज कांग्रेस का दामन थाम कर अपनी राजनीतिक इज्जत बचाए हुए हैं। हकीकत में वह जितने सशक्त अभिनेता हैं, उतने कामयाब राजनेता नहीं। वह राजनीतिक निष्ठा ताक पर रखकर कांग्रेस का दामन नहीं थामते तो फिल्मी दुनिया के बाहर उन्हें आज कोई जानता भी नहीं। इन सारी बातों से नेताजी यानी मुलायम सिंह बहुत अच्छी तरह से वाकिफ हैं। इसलिए अमर सिंह के खिलाफ आज तक उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा, जो मीडिया का मसाला बने। न ही अमर सिंह के खिलाफ सपा के कुछ बड़े ओहदेदारों द्वारा दिए जा रहे अमर विरोधी बयानों में उनकी कोई ऐसी इच्छा शामिल है। आज कोई नहीं जानता कि मुलायम सिंह किन मनस्थितियों से गुजर रहे हैं। जहां तक अमर सिंह की बात है, वह सपा के प्रति अपनी सारी राजनीतिक निष्ठा के बावजूद जिस तरह के मनोवेग और हड़बड़ी की चूक पहले करते रहे, आज भी लगातार कर रहे हैं। मुलायम सिंह को निशाने पर ले रहे हैं, जबकि यहां बताई गईं तमाम हकीकतों से वह भी अच्छी तरह वाकिफ हैं। कुल मिलाकर कहें तो आज मुलायम सिंह और अमर सिंह दोनों अपनी-अपनी गलतियों का खामियाजा भुगत रहे हैं। इसका फायदा अगले चुनावों में बसपा और कांग्रेस को होने जा रहा है। यदि सपा कांग्रेस से हाथ मिला ले, तो भी उसकी औकात नंबर तीन की ही रहनी है। बेहतर होगा कि ........अमर सिंह और मुलायम सिंह फिर से साथ हो लें वरना आने वाला समय पार्टी और दोनों धुरंधरों की हैसियत को और मटियामेट कर सकता है। ताली बजाएंगे विपक्षी! कुल मिलाकर आज मुलायम और अमर दोनों गहरे अवसाद में हैं। सपा का अंधेरा भविष्य दोनों को मथ रहा है। एक को भीतर, दूसरे को बाहर से! (रिपोर्टरः सांसदजी डॉट कॉम से साभार)

( सांसदजी डॉट कॉम sansadji.com ... परक्रमशः जारी...... आगे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का भविष्य)

Monday, February 15, 2010

देश के सूबेदारों के अजीबोगरीब हाल

राजपाट के भी कितने अजीब हाल हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री कहते हैं, मैं बेशर्म हूं। दिल्ली की मुख्यमंत्री कहती हैं, मैं मसाले बेंचूंगी। झारखंड के मुख्यमंत्री को है नक्सली प्रस्ताव का इंतजार। यूपी की मुख्यमंत्री कर रही हैं केंद्र सरकार को आगाह। और उधर, आडवाणी कहते हैं.......कश्मीर में आज कल जो हो रहा है, सब नेहरू की देन है........