Thursday, April 8, 2010

दिल्ली से बिहार तक सड़कों पर उतरे वामपंथी सांसद


(sansadji.com)

वाम दलों के कार्यकर्ताओं ने सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ आज दिल्ली-पटना में जोरदार प्रदर्शन किया। पटना में नेतृत्व सांसद वृंदा करात और दिल्ली में प्रकाश करात, एबी बर्धन आदि ने संसद भवन के नजदीक विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया। 15 अप्रैल को संसद शुरू होने से पूर्व सपा, बसपा, तेदेपा, जदयू के साथ साझा रणनीति की कोशिशें भी चल रही हैं।
ऐसी संभावना है कि लगभग 25,0000 कार्यकर्ता आज देश के विभिन्न भागों में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए जेल भरो आंदोलन कर रहे हैं। पटना के गांधी मैदान में हजारों की संख्या में पहुंचे लेफ्ट के कार्यकर्ताओं ने सीपीआई महासचिव अतुल कुमार अंजान, माकपा सांसद और पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात, फारवर्ड ब्लाक के बंगाल के सांसद नरहरी महतों की अगुवाई में गिरफ्तारी दी। दिल्ली में सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए वाम दल कार्यकर्ता आज सुबह जंतर मंतर पर एकत्र हुए। प्रदर्शन चार वाम दलों द्वारा घोषित राष्ट्रव्यापी ‘जेल भरो’ आंदोलन का हिस्सा था। महंगाई के खिलाफ आंदोलन तेज करने के लिए माकपा की तेदेपा, जनता दल (यू), सपा, बसपा और राजद जैसे अन्य धर्मनिरपेक्ष दलों से बातचीत चल रही है। बातचीत के पूरा हो जाने पर राष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई का आह्वान किया जाएगा। पार्टी के शीर्ष नेताओं के अनुसार 15 अप्रैल को बजट सत्र शुरू होने से पहले वाम दलों और संगठनों की बैठक होने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि देश में खाद्य पदार्थो के दाम में और बढोत्तरी हो गई है। महंगाई दर बढ़कर 17.70 फीसदी तक पहुंच गई है जो कि पिछले सप्ताह 16.35 तक थी।बढ़ती महंगाई के लिए राज्य सरकारों का कहना है कि इसके लिए केंद्र सरकार की नीतियां जिम्मेदार है। इस मुद्दे पर राज्य सरकारों और केंद्र के बीच आपसी विवाद भी कई बार गहराया है। प्रधानमंत्री पहले भी कह चुके हैं कि अकेले केंद्र के प्रयासों से बढ़ती महंगाई पर काबू नहीं पाया जा सकता है। दोनों ओर से सम्मिलित प्रयासों से ही इसे काम किया जा सकता है। केंद्र सरकार बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने पर असफल रही है और इस मुद्दे पर सरकार को विपक्ष ने अभी तक पूरी तरह घेरने में सफलता प्राप्त की है। भाजपा, सपा, और बसपा पहले ही सरकार के खिलाफ रोड पर उतर चुंकी है। संसद में भी महंगाई के मुद्दे पर जिस तरह विपक्षी दलों में एकता देखनें को मिली थी वह भी केंद्र की मनमोहन सरकार के लिए शुभ सकेंत नहीं कहा जा सकता है।


No comments: