Saturday, April 10, 2010

नीतीश ने कहा-कम बोलें, चिदंबरम खूब बोले


(sansadji.com)

ऐसा कैसे हो सकता है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद तो खूब बोलें और उनके मुफ्त के सुझाव पर गृहमंत्री पी. चिदंबरम अपना मुंह बंद कर लें। नीतीश ने आज कहा कि चिदंबरम कम बोलें। असर उल्टा दिखा। चिदंबरम आज खूब बोले। पुडुचेरी में उन्होंने अपनी पीड़ा बयान करते हुए कहा कि दंतेवाड़ा में हमले से उनका गृहमंत्री का कार्यकाल दागदार हो गया।

उन्होंने बताया कि दंतेवाड़ा की घटना के बाद उन्होंने इस्तीफे की पेशकश इसलिए की थी, क्योंकि इसमें उनके मातहत आने वाले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान मारे गए थे, लेकिन अब यह अध्याय समाप्त हो चुका है। उनके इस्तीफे संबंधी सवाल उन्होंने कहा कि मैंने वास्तव में इस्तीफे की पेशकश की थी, लेकिन प्रधानमंत्री ने इसे ठुकरा दिया। यह अध्याय अब समाप्त हो चुका है। गृह मंत्रालय में आपका कार्यकाल बेदाग रहा है, क्या दंतेवाड़ा की घटना ने इसको दागदार नहीं कर दिया? इस सवाल के जवाब में गृहमंत्री ने कहा कि कोई भी हमला एक धब्बा है।
चिदंबरम ने कहा कि नक्सल समस्या से निपटने में हरेक राज्य सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण है। केन्द्र सरकार का मुख्य दायित्व नक्सल विरोधी गतिविधियों को संचालित करने के लिए राज्यों को अर्धसैनिक बल मुहैया कराना, नक्सलियों के कब्जे वाले इलाकों को मुक्त कराना और वहां पर प्रशासनिक ढांचे की पुनर्स्थापना करने तक सीमित है। इसके बाद कानून, व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की ही है। दंतेवाडा हमले को भयावह बताते हुए कहा, चूंकि सीआरपीएफ मेरे ही नियंत्रण में है और मेरे ही कार्यकाल में यह घटना हुई है इसलिए इसकी जिम्मेदारी तो मुझ पर ही आती है। छत्तीसगढ में हुआ हमला कुछ खामियों की वजह से ही अंजाम दिया जा सका। राज्य के पुलिस महानिरीक्षक पुलिस उप महानिरीक्षक और सीआरपीएफ के उपमहानिरीक्षक ने नक्सलियों के खिलाफ अभियान की योजना बनाई थी, जिसमें हुई किसी बडी चूक के कारण कई अनमोल जानें नाहक चली गईं।दंतेवाडा हमले की जांच का आदेश दिया जा चुका है और रिपोर्ट मिलने पर कार्रवाई की जाएगी। पुड्डचेरी में प्रस्तावित विशेष आर्थिक क्षेत्र 'सेज' के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने इसे खारिज कर, राज्य सरकार से जमीन वापस करने को कहा है। पुड्डचेरी सरकार द्वारा लिए गए कर्ज को माफ किए जाने की मांग पर कहा कि 2356 करोड रुपये की कर्ज माफी आसान काम नहीं है। हालांकि इसके कारण इस केंद्र शासित प्रदेश का सामान्य कामकाज प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली में आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि वह कम और संयत बोलें। नक्सलियों के खिलाफ बिहार सरकार को नरम बताने वाले केंद्रीय गृह सचिव के बयान पर भी उन्होंने आपत्ति जताई। कहा कि वह राजनीतिज्ञ की तरह न बोलें। सभी जानते थे कि इस्तीफे का क्या होगा। सरकार को काम के जरिए अपनी बात कहनी चाहिए, ज्यादा बोलना उचित नहीं होता है। वह उनकी बातों का कोई जवाब देना नहीं चाहते और न ही बिहार के किसी अधिकारी को इसका जवाब देने की जरूरत है। पिल्लई को भी राजनीतिज्ञ की तरह नहीं बोलना चाहिए और भारत के संघीय ढांचे को समझते हुए एक-दूसरे को आदर देने की आदत डालनी चाहिए।

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