Saturday, May 1, 2010

तृणमूल कांग्रेस दोहरी चुनौती में फंसी


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तृणमूल कांग्रेस को भीतर से उसके अपने असंतुष्ट ललकार रहे हैं, बाहर से कांग्रेस का करार खतरे में पड़ गया है। वेस्ट बंगाल में आगामी विधानसभा चुनावों में वामदलों को पछाड़कर सूबे की सरकार हथियाने का सपना देख रही पार्टी दोहरे द्वंद्व से जूझ रही है। ताजा हालात से वामदलों की राह आसान होती दिख रही है।
तृणमूल कांग्रेस नेता सोमेन मित्रा ने कहा है कि कांग्रेस ने गठजोड़ तोड़ दिया है, जबकि तृणमूल कांग्रेस ने इसे बनाए रखने के लिए कठिन प्रयास किया। कांग्रेस से पाला बदलकर तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने वाले पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन ने दावा किया कि कांग्रेस 25 से अधिक सीट जीत नहीं सकती है। उन्होंने कांग्रेस की आलोचना की कि उसने कुछ और समय तक इंतजार किय बगैर 88 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी। उधर, पालिका चुनावों में यादवपुर संसदीय क्षेत्र (पश्चिमी बंगाल) के तृणमूल सांसद कबीर सुमन के करीबियों को टिकट नहीं दिए जाने और असंतुष्ट धड़े के अन्य वरिष्ठ नेताओं द्वारा ममता के सिपहसालारों पर टिकट के बदले मोटी कमाई करने के सार्वजनिक आरोपों से पार्टी का अंतरविरोध गहराता नजर आ रहा है। निकट अतीत में कबीर द्वारा लालगढ़ में चल रहे पुलिस संयुक्त पुलिस अभियान के विरोध में कबीर के बयान से नाराज तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी अब उन्हें तवज्जो देने के पक्ष में नहीं हैं। दूसरी सूचना ये मिल रही है कि पूरी पार्टी ही परिवारवादी सियासत की राह पर चल पड़ी है। कोलकाता नगर निगम व 81 पालिका चुनावों में पार्टी नेताओं के सगे-संबंधियों को टिकट दिए जाने से नाराज नेता ममता पर उंगली उठाने लगे हैं। यहां तक कि इन नेताओं ने 'तृणमूल कांग्रेस बचाओ कमेटी' का गठन भी कर लिया है। असंतुष्ट पार्टी नेता प्रहलाद चक्रवर्ती, रमेश मंडल, राजू दास ने आरोप लगाया है कि ममता कुछ करीबियों के सहारे पार्टी चला रही हैं। ममता के करीब जितने भी नेता हैं, सभी टिकट बांटने में मोटी कमाई कर रहे हैं जिससे पार्टी की छवि धूमिल हो रही है। पार्षदों की पत्‍‌नी, भाई व अन्य रिश्तेदारों को प्रत्याशी बनाए जाने के विरोध में पिछले चार दिन के अंदर दो बार नाराज कार्यकर्ताओं ने पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी के कालीघाट निवास के समक्ष प्रदर्शन किया है और परिवार व वार्ड के बाहर के लोगों को टिकट नहीं देने का अनुरोध किया। कल नाराज कार्यकर्ताओं ने विरोधी दल के नेता पार्थ चटर्जी के बेहला स्थित निवास के समक्ष भी प्रदर्शन किया। पार्टी के भीतर इस बात को लेकर भी दो मत गर्म हो रहे हैं कि ममता एक ओर तो माकपा और कांग्रेस के समानांतर जनता को लामबंद करने की बात करती हैं, दूसरे गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की 150वीं जयंती पर बनाई गई राष्ट्रीय कमेटी में भी शामिल हैं, जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हैं और जिसमें मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य, राज्यसभा सांसद सीताराम येचुरी, केंद्रीय मंत्री प्रणब मुखर्जी, एसएम कृष्णा, कपिल सिब्बल व अंबिका सोनी, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज आदि भी शामिल हैं।

वाल्मीकि बस्ती फूंकने पर सोनिया, राहुल हुड्डा से नाराज


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हिसार (हरियाणा) में पुलिस की मौजूदगी में दंबगों द्वारा वाल्मीकि बस्ती फूंक दिए जाने और दलित पिता-पुत्री को जिंदा जलाकर मार डालने पर कांग्रेस के शीर्ष सांसदों की हुड्डा सरकार पर भृकुटियां टेढ़ी हो चली हैं। पहले बूटा सिंह, इसके बाद सांसद राहुल गांधी का इस घटना को लेकर हरियाणाया जाना और अब कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद सोनिया गांधी द्वारा मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को कड़ी फटकार लगाना यह संकेत कर रहा है कि पार्टी में उस घटना को लेकर हलचल मची हुई है। सोनिया ने घटना को शर्मनाक बताते हुए हुड्डा को व्यक्तिगत पत्र लिखा है कि दोषियों के खिलाफ जल्द से जल्द कड़ी कार्रवाई करें वरना ठीक नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि हिसार (हरियाणा) के गांव मिर्चपुर में जाट समुदाय के कुछ लोगों द्वारा वाल्मीकि बस्ती फूंक दिए जाने तथा पिता-पुत्री को जिंदा जलाकर मार डालने के बाद नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित ऑर्गेनाइजेशन्स (नैक्डोर) के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष संजीव कपिल तथा महामंत्री सुरेश टांक, फूलसिंह टांक आदि के नेतृत्व में एक दल ने 22 अप्रैल को पीड़ित गांव का दौरा कर मामले की गहराई से छानबीन की। नैक्डोर टीम को मिर्चपुर के पीड़ित वाल्मीकि जनों से पता चला कि जाट समुदाय के राजेंद्र, धर्मवीर, पवन, कुलविंदर, विकास, मोनू, अजित सोनू और टिंकू ने गांव पर पूरी तैयारी के साथ हिंसक धावा बोला। इस बर्बर हमले में स्थानीय थाना पुलिस की भी पूरी मिलीभगत रही। इस बर्बर जातीय अत्याचार के खिलाफ नैक्डोर ने राजधानी दिल्ली में मंडी हाउस से हरियाणा भवन तक पैदल मार्च निकाला एवं केंद्र व हरियाणा सरकार से पूरे मामले पर त्वरित कदम उठाने की मांग की। पैदल मार्च, सभा एवं प्रदर्शन का नेतृत्व नैक्डोर के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक भारती, निदेशक राजेश उपाध्याय, हरियाणा इकाई के अध्यक्ष संजीव कपिल, महामंत्री सुरेश टांक, फूलसिंह टांक आदि ने किया।
नैक्डोर टीम को मिर्चपुर के पीड़ितों ने बताया कि 19 अप्रैल को जाट समुदाय के राजेंद्र, धर्मवीर, पवन, कुलविंदर, विकास, मोनू, अजित सोनू और टिंकू जब गांव से गुजर रहे थे, वीरभान नामक दलित वाल्मीकि के रस्सियों से बंधे कुत्ते ने उन्हें देखकर भौंका। इस पर राममेहर के रिश्तेदार टिंकू ने कुत्ते पर पत्थर फेंक दिया। दलित वाल्मीकियों को जाटों के रुतबे का एहसास था, इसलिए उन्होंने कुत्ते की हरकत पर माफी मांगी, लेकिन जाटों ने उल्टे उन पर जाति सूचक गालियों की बौछार की और कहा कि 'चूड़ों तुम्हें पता नहीं कि हम जाट हैं?' वीरभान और उसके पड़ोसी करन सिंह ने जब जाति सूचक गालियों का विरोध किया तो जाट युवकों ने उनकी पिटाई कर दी।
पीड़ित ग्रामीणों ने नैक्डोर जांच टीम को बताया कि 20 अप्रैल को जाटों ने गांव में पंचायत की और उसमें ये कहकर वाल्मीकियों को बुलवा लिया कि वे घटना के संबंध में अपना पक्ष रखें। पंचायत में इन दलितों को फिर से जाति सूचक गालियां दीं गईं तथा भरी पंचायत में मारा-पीटा गया। इस तरह लगातार अपमान और जातीय हिंसा से पीड़ित वाल्मीकियों ने तत्काल पूरे मामले से पुलिस स्टेशन को अवगत कराया। 21 अप्रैल को थाना पुलिस गांव में पहुंची और इसी दिन जाटों ने एक और बैठक कर वाल्मीकियों को पुलिस में रिपोर्ट करने पर सबक सिखाने का फैसला किया। पुलिस की उपस्थिति में जाटों ने गांव में अपने चार अलग-अलग हमलावर समूह बनाए और वाल्मीकि बस्ती को चारों ओर से घर कर धावा बोल दिया। लाठियों, ईंटों व अन्य हथियारों से लैस जाटों ने वाल्मीकि बस्ती पर किरासन तेल छिड़क कर सारे घरों में आग लगा दी। इस सामूहिक जातीय हमले में पचास से अधिक वाल्मीकि लहूलुहान हो गए। कई लोगों के पैर, हाथ और सिर टूट गए। इस आगजनी और हमले के दौरान विकलांग और पोलियो की शिकार 14 साल की सुमन और उसके पिता की मौत हो गई। हमलावरों ने घरों में जमकर तोड़फोड़ और लूटपाट की। 20 से ज्यादा घर पूरी तरह जल कर राख हो गए।
मौके पर पीड़ितों ने नैक्डोर टीम को बताया कि हमला एवं आगजनी करने वालों में राजेंद्र पुत्र पालीराम, रामफल पुत्र पृथी सिंह, नन्हा पुत्र मयचंद, बोबला पुत्र टेकचंद, कुलविंदर और पवन पुत्र राममेहर तथा राममेहर के रिश्तेदार मुकेश व टिंकू की मुख्य भूमिका रही। पीड़ित दलितों ने मांग की कि सभी हमलावरों को अनुसूचित जाति और जनजाति अत्याचार निवारण कानून 1989 के तहत गिरफ्तार किया जाए। इसी कानून के तहत संबंधित पुलिस अधिकारियों को भी मामले में आरोपी बनाकर उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जाए, क्योंकि पहले से जाटों के मंसूबों से पूरी तरह वाकिफ होने के बावजूद थाना पुलिस ने गांव के दलितों को समय से सुरक्षा प्रदान करने में जानबूझकर लापरवाही की। मृतकों के आश्रितों को तत्काल 25 लाख मुआवजा तथा सरकारी नौकरी दी जाए और इस जातीय हिंसा में घायल दलितों को पांच लाख रुपये की तत्काल सहायता दी जाए। आगजनी व तोड़फोड़ से जिसके घर तबाह हुए, उन्हें सरकार नए मकान बनाकर दे और पूरे नुकसान की अविलंब भरपाई करे। गांव के सभी दलित परिवारों को एक साल का राशन दिया जाए। सुरक्षित आजीविका मुहैया कराने के लिए गांव के दलितों को रोजगार गारंटी कार्यक्रम के तहत तुरंत सौ दिनों का रोजगार दिया जाए। हरियाणा पुलिस का लोकतांत्रीकरण किया जाए और उसमें जाटों की भर्ती पर तत्काल प्रभाव से तब तक रोक लगा दी जाए, जब तक कि हरियाणा पुलिस में अन्य समुदायों की आनुपातिक भर्ती नहीं हो जाती।
छानबीन में नैक्डोर जांच दल को पता चला कि पूर्वनियोजित तरीके से ये हमला हरियाणा के दलितों को सबक सिखाने के मंसूबे से किया गया। ये साफतौर पर जातीय हिंसा और अत्याचार का मामला है। हमले में पूरी तरह से स्थानीय पुलिस की सांठ-गांठ रही। पूर्व सूचना के बावजूद पुलिस ने बड़े पैमाने पर होने वाले इस सामूहिक हमले से पहले आरोपियों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया और इस बर्बर घटना को रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की। यह भी पता चला है कि स्थानीय प्रशासन साफ तौर पर इस मामले में हमलावरों का जातीय पक्षधर बना रहा। नैक्डोर की मांग हैं कि अनुसूचित जाति, जनजाति निवारण कानून 1989 के तहत अपने आधिकारिक कर्तव्य में जानबूझकर कोताही बरतने के लिए दोषी पुलिस कर्मियों को दंडित किया जाए। जातीय हिंसा के शिकार लोगों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए। दलितों के पुनर्वास के लिए उनके घर बनाए जाएं। पक्की आजीविका की सुविधा प्रदान की जाए और उपलब्ध सरकारी जमीन को उनके बीच बांटा जाए। भविष्य में अन्य स्थानों पर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए यह जरूरी है कि हरियाणा पुलिस का लोकतांत्रीकरण किया जाए (जाट पुलिस के रूप में उसका स्वरूप खत्म किया जाए) और उसमें गैरजाट समुदायों, खास तौर से दलितों को भर्ती किया जाए। फास्ट ट्रैक कोर्ट से इस मामले की त्वरित सुनवाई कराई जाए। समस्त हरियाणा को जातीय हिंसा संभावित राज्य घोषित किया जाए और हरियाणा सरकार को विवश किया जाए कि वह ऐसे मामलों के तीव्र निपटारे के लिए विशेष अदालतों और जिला प्रशासन में अनुसूचित जाति के अधिकारियों की नियुक्त करे।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष बूटा सिंह ने भी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिर्चपुर गांव का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया और गांव के दलितों को उचित सुरक्षा का आश्वासन दिया। उन्होंने पीड़ितों को आश्वस्त किया कि वह इस मामले की रिपोर्ट राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के साथ ही हरियाणा के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को भी सौंपेगे। राज्य की हुड्डा सरकार ने मृतकों के परिजनों को पांच लाख और जिनके घर जलाए गए हैं, उन्हें एक लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की। घटना के दिन लापरवाही बरतने वाले एसएचओ को निलंबित कर दिया गया है।

ममता की कार्यशैली से तृणमूल में अंतरविरोध गहराया, सिपहसालारों पर मोटी कमाई के आरोप


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नगर पालिका चुनावों में यादवपुर संसदीय क्षेत्र (पश्चिमी बंगाल) के तृणमूल सांसद कबीर सुमन के करीबियों को टिकट नहीं दिए जाने और असंतुष्ट धड़े के अन्य वरिष्ठ नेताओं द्वारा ममता के सिपहसालारों पर टिकट के बदले मोटी कमाई करने के सार्वजनिक आरोपों से पार्टी का अंतरविरोध गहराता नजर आ रहा है। निकट अतीत में कबीर द्वारा लालगढ़ में चल रहे पुलिस संयुक्त पुलिस अभियान के विरोध में कबीर के बयान से नाराज तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी अब उन्हें तवज्जो देने के पक्ष में नहीं हैं। दूसरी सूचना ये मिल रही है कि पूरी पार्टी ही परिवारवादी सियासत की राह पर चल पड़ी है। कोलकाता नगर निगम व 81 पालिका चुनावों में पार्टी नेताओं के सगे-संबंधियों को टिकट दिए जाने से नाराज नेता ममता पर उंगली उठाने लगे हैं। यहां तक कि इन नेताओं ने 'तृणमूल कांग्रेस बचाओ कमेटी' का गठन भी कर लिया है। असंतुष्ट पार्टी नेता प्रहलाद चक्रवर्ती, रमेश मंडल, राजू दास ने आरोप लगाया है कि ममता कुछ करीबियों के सहारे पार्टी चला रही हैं। ममता के करीब जितने भी नेता हैं, सभी टिकट बांटने में मोटी कमाई कर रहे हैं जिससे पार्टी की छवि धूमिल हो रही है। पार्षदों की पत्‍‌नी, भाई व अन्य रिश्तेदारों को प्रत्याशी बनाए जाने के विरोध में पिछले चार दिन के अंदर दो बार नाराज कार्यकर्ताओं ने पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी के कालीघाट निवास के समक्ष प्रदर्शन किया है और परिवार व वार्ड के बाहर के लोगों को टिकट नहीं देने का अनुरोध किया। कल नाराज कार्यकर्ताओं ने विरोधी दल के नेता पार्थ चटर्जी के बेहला स्थित निवास के समक्ष भी प्रदर्शन किया। पार्टी के भीतर इस बात को लेकर भी दो मत गर्म हो रहे हैं कि ममता एक ओर तो माकपा और कांग्रेस के समानांतर जनता को लामबंद करने की बात करती हैं, दूसरे गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की 150वीं जयंती पर बनाई गई राष्ट्रीय कमेटी में भी शामिल हैं, जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हैं और जिसमें मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य, राज्यसभा सांसद सीताराम येचुरी, केंद्रीय मंत्री प्रणब मुखर्जी, एसएम कृष्णा, कपिल सिब्बल व अंबिका सोनी, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज आदि भी शामिल हैं।

Friday, April 30, 2010

संसद में सनसनीखेज खुलासा!


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लोक उपक्रम पर संसदीय समिति ने अपनी एक रिपोर्ट में विदेश से नोट छपवाने के रिजर्व बैंक (आरबीआई) के फैसले की निंदा की है। समिति का कहना है कि इस फैसले से देश की आर्थिक संप्रुभता को खतरे में डाला गया था। समिति ने उन वजहों को पूरी तरह खारिज कर दिया है, जिनके कारण आरबीआई ने यह फैसला किया था।
सरकरी उपक्रमों संबंधी संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष वी. किशोर चंद्र देव ने संसद भवन परिसर में शुक्रवार को ये सनसनीखेज खुलासा किया कि 1997-98 में तत्कालीन सरकार ने अमरीका, ब्रिटेन और जर्मनी की अलग-अलग कंपनियों से सौ और पांच सौ रुपए के नोटों की एक लाख करोड़ रुपए मूल्य की भारतीय मुद्रा का मुद्रण कराने का आदेश देकर भारत की आर्थिक संप्रभुता को खतरे में डाला था। उन्होंने इस बात से इन्कार नहीं किया कि आतंकवादी या राष्ट्रविरोधी तत्वों की उन विदेशी मुद्रण कंपनियों में पहुंच हो अथवा उन कंपनियों से एक ही नंबर के अनेक नोट छाप कर कहीं भारत विरोधी शक्तियों के हाथों धीरे-धीरे देश में प्रचलित कर दिए गए हों, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचे। श्री देव ने संसद के दोनों सदनों के पटल पर भारत प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण निगम लिमिटेड के कामकाज की समीक्षा कर छठवां प्रतिवेदन आज पेश किया जिसमें उन्होंने साफ किया कि सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक के मुद्रा निर्माण की आउटसोर्सिग के प्रस्ताव को मंत्निमंडल को अनुमोदन हेतु सूचित कर दिया था। यह फैसला 1996-97 में किया गया था और मुद्रा की छपाई 1997-98 के दौरान हुई थी। उस समय श्री इंद्र कुमार गुजराल प्रधानमंत्नी और वर्तमान गृहमंत्नी पी. चिदम्बरम वित्त मंत्नी थे। प्रतिवेदन में कहा गया है कि समिति से पूछताछ में भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारियों ने बताया कि नोटों के बड़ी संख्या में मैले-कुचैले और कटे-फटे होने के कारण तथा भारतीय नोट मुद्रण मशीनों की दशा ठीक नहीं होने के कारण विदेशी मुद्रण एजेंसियों से नोट मुद्रण कराने का फैसला किया गया था, ताकि नोटों की मांग और आपूर्ति में संतुलन बनाए रखा जा सके। स्थायी समिति ने रिवर्ज बैंक के इन तर्को को सिरे से खारिज कर दिया जिन्हें इस असाधारण निर्णय का आधार बताया गया है। समिति ने इसे अप्रत्याशित बताया है। आरबीआई ने यूएस की अमेरिकन नोट कंपनी, ब्रिटेन की थामस डी ला रू और जर्मनी की जीसेक एंड डेवरिएंट कंसोर्टियम से क्रमश: सौ रुपये, सौ रुपये और 500 रुपये के नोट छपवाए थे। इनसे कुल एक लाख करोड़ रुपये की करेंसी छपवाई गई थी। इसके पहले या बाद में कभी भी भारतीय मुद्रा का मुद्रण देश से बाहर से करवाने का फैसला नहीं किया गया था। समिति ने साफ तौर पर कहा है कि इतनी बड़ी मात्रा में विदेश से नोट छपवाने से इस बात का जोखिम हमेशा बना रहता है कि कहीं निर्धारित संख्या से ज्यादा की राशि का मुद्रण न किया गया हो। समिति के मुताबिक देश से बाहर नोट छपवाने का फैसला करने पर विचार करना भी चिंता का विषय है। समिति के मुताबिक आरबीआई ने एक तरह से राष्ट्रीय संप्रुभता को खतरे में रख कर यह फैसला किया था। इस फैसले के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। नोटों के मानक आसानी से आतंकवादी, उग्रवादी या अन्य आर्थिक अपराधियों के हाथ जा सकते थे। यही कारण है कि समिति ने नोटों या सिक्कों की छपाई बाहर से करवाने की गतिविधियों को पूरी तरह से रोक लगाने की सिफारिश करते हुए भारत प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण निगम लिमिटेड (एसपीएमसीआईएल) को सुदृढ़ बनाने की बात कही है। समिति ने जाली नोटों के प्रचलन को रोकने में रिजर्व बैंक की अभी तक की भूमिका को पर्याप्त नहीं माना है। समिति ने कहा है कि उसे करेंसी नोटों की सुरक्षा संबंधी विशेषताओं को सुधारने पर और ध्यान देना होगा।

चाय बागान श्रमिक संशोधन विधेयक राज्यसभा में पारित


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चाय बागान श्रमिक संशोधन विधेयक आज राज्यसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया. विधेयक पर हुई चर्चा का जबाव देते हुए श्रम मंत्री हरीश रावत ने स्वीकार किया कि पुराने कानून में संशोधन लाने में देरी हो गयी लेकिन उन्होंने कहा कि यह विलम्ब इरादतन नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि 1985 से लगातार इस कानून में संशोधन के प्रयास किए जाते रहे थे लेकिन संयोग से ऐसा हो नहीं पाया. विधेयक पर आठ सदस्यों ने चर्चा लिया जिनमें मार्क्सवादी तपन कुमार सेन, समाजवादी पार्टी के नंद किशोर यादव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के आर सी सिंह, बीजू जनता दल के मंगला किशन और भाजपा के श्रीगोपाल व्याव शामिल थे. सभी सदस्यों ने संशोधनों का स्वागत किया.

जिन चिट्ठाकारों से सांसदजी डॉट कॉम (संसदनामा) को प्रोत्साहन मिला


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संसदनामा कहें या सांसदजी डॉट कॉम, एक ही बात है। इस ब्लॉग और वेबसाइट के शुरू करने के मकसद क्या रहे हैं, प्रारंभ में सभी साथियों को इससे अवगत कराया जा चुका है। कोशिश रही है कि इस मंच के बहाने के लगातार लोगों को रचनाओं की इस सम्मोहक बगिया में, जहां रोज हजारों फूल खिलते हैं, शब्दशः 'सिर्फ संसदीय सूचनाओं' का एक मंच भी विकसित होता चले। इस दिशा में और भी कई ब्लॉगर साथी प्रयासरत हैं। बहुत अच्छा, सुपठनीय, सूचनापरक सामग्री हर दिन प्रस्तुत कर रहे हैं। इस बीच कुछ-एक मौखिक सवाल आए कि यह तो स्वांतः सुखाय दुनिया है, इसमें अखबारी सूचनाओं की क्या जरूरत। जवाब भी कुछ साथियों ने ही दिए कि जरूरत क्यों है? सवाल-जवाब में मैं तटस्थ रहा। क्योंकि सूचनाओं की ये थाती मेरी नहीं, उन समस्त पाठकों और ब्लॉगर साथियों की है, जिनके सहयोग से ये मंच लगातार कोशिश कर रहा है कि सूचनाएं समय से यहां मिल सकें। कम-से-कम संसद के बारे में किसी जानकारी के लिए अन्यत्र परेशान न होना पड़े। प्रयास कितने सार्थक रहे हैं, ब्लॉगवाणी या चिट्ठा जगत के लोग ही बता सकते हैं। जो भी साथी-बंधु ब्लॉग-रचना जगत में अपनी कलम का जादू दिखा रहे हैं, उनमें कई-एक समूहवाची हैं, ज्यादातर अलग-थलग। अभी तक ऐसा कोई प्रयास आकार नहीं ले सका है, जो शब्दों की इस मनोहर दुनिया को एक-दूसरे से साकार जोड़ सके। संभव भी नहीं लगता, लेकिन मन तो हरेक का करता है कि काश, ऐसा संभव हो पाता।
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राष्ट्रीय 'हरित अधिकरण विधेयक' लोकसभा में मंजूर


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पर्यावरण संबंधी मुद्दों के जल्द समाधान के प्रावधान वाले ‘राष्ट्रीय हरित अधिकरण विधेयक' को लोकसभा ने आज अपनी मंजूरी दे दी। विधेयक में अधिकरण के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील की व्यवस्था की गयी है और यह अधिकरण भोपाल में स्थित होगा। पर्यावरण और वन मंत्री जयराम रमेश ने विधेयक में कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन करते हुए आज कुछ संशोधन भी पेश किए जिन्हें सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी। रमेश ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सरकार इस महत्वपूर्ण मसले पर पूरे खुले दिमाग के साथ काम कर रही है और इसके कानून बनने के बाद रास्ते में आने वाली दिक्कतों के समाधान के लिए जरूरत हुई तो वह साल भर के भीतर पुन: नए संशोधनों के साथ सदन में आने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के पारित होने के साथ ही भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा जहां पर्यावरण अदालतों की स्थापना की गयी है। उन्होंने बताया कि शुरूआत में इसकी चार पीठें होंगी लेकिन मामलों की संख्या के आधार पर पीठों की संख्या बढ़ाने के लिए विधि मंत्रालय से अपील की जाएगी। रमेश ने बताया कि भोपाल गैस त्रासदी के मद्देनजर इस दिशा में संवेदनशीलता का परिचय देते हुए केन्द्र सरकार ने अधिकरण को भोपाल में स्थापित करने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि लोगों को अधिकरण के पास आने की जरूरत नहीं पड़ेगी बल्कि अधिकरण उनके दरवाजे तक जाएगा। उधर, दैनिक जागरण ग्रुप के चेयरमैन एवं सपा सांसद महेंद्र मोहन के प्रश्न के लिखित उत्तर में कृषि, उपभोक्ता मामले और खाद्य तथा सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री प्रो के वी थॉमस ने आज राज्यसभा में जानकारी दी कि सरकार ने शुल्क मुक्त पर दालों के आयात की अनुमति दे दी है। उन्होंने बताया कि दलहन के उत्पादन और मांग के अंतर को खत्म करने के लिए देशी उत्पादन में वृद्धि के साथ साथ दलहन का आयात करने का निर्णय किया गया। थॉमस के अनुसार, पिछले तीन साल में दालों का सालाना घरेलू उत्पादन करीब एक करोड़ 40 लाख टन से एक करोड़ 48 लाख टन के बीच रहा जबकि इस अवधि में दालों की अनुमानित मांग एक करोड़ 70 लाख टन से एक करोड़ 80 लाख टन रही। मांग और आपूर्ति के इस अंतर को दूर करने के लिए ही दालों का आयात किया जा रहा है। उन्होंने भाजपा की माया सिंह के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि देश में दालों का उत्पादन वर्ष 2008. 09 के दौरान एक करोड़ 45 लाख टन से बढ़ कर 2009. 10 के दौरान एक करोड़ 47 लाख टन हो गया।

झारखंड की रेस में सांसद मुंडा


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झारखंड के मुख्यमंत्री और सांसद शिबू सोरेने के हाशियेपर पहुंचने के बाद अब भाजपा के सांसद अर्जुन मुंडा सत्ताकी लगाम थामने के लिए समर्थन जुटाने की रेस शुरू करचुके हैं। इस ताजा रेस में उनका साथ दे रहे हैं उप मुख्यमंत्रीरघुवर दास। यद्यपि भाजपा का एक धड़ा सरकार गठन कीप्रक्रिया में आगे रहने को अनिच्छुक है और वह शिबू सोरेनको मुख्यमंत्री के पद पर कायम रहने देना चाहता है। इस वक्त नेतृत्व परिवर्तन का समर्थन नहीं करने वाले भाजपाके एक नेता ने कहा, हमें शिबू सोरेन को मुख्यमंत्री के पद कायम रहने देना चाहिए और इस संकट को खत्म करदेना चाहिए। मुंडा झारखंड में दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। ताजा हालात के मुताबिक झामुमो के विधायक दल केनेता हेमंत सोरेन का उप मुख्यमंत्री के पद पर दावा होगा। हेमंत ने भाजपा नेतृत्व को पत्र भेजकर मुख्यमंत्री पदकी पेशकश की है। उप मुख्यमंत्री सुदेश महतो ने भाजपा और झामुमो से अपनी समस्याओं का हल करने औरराज्य के हित में इस गठबंधन को जारी रखने का आग्रह किया है। माकपा केंद्रीय समिति के सदस्य और झारखंडइकाई सचिव जेएस मजूमदार ने यह अंदेशा जताया है कि यदि राज्य की आठवीं सरकार का गठन भाजपा केनेतृत्व में होता है, तो जल्द ही नौवीं सरकार भी देखने को मिल जाएगी। मजूमदार ने कहा कि हम यह कह रहे हैंकि भाजपा-झामुमो गठबंधन अप्राकृतिक है और यह उस वक्त सही साबित हो गया, जब भाजपा ने अपना समर्थनवापस लेने की घोषणा की। लेकिन फिर से यह दोनों पार्टियां अपने गठबंधन में आए दरार को भरने की कोशिश कररही है, जो अधिक सफर तय नहीं कर सकता और राज्य को आठवीं सरकार के गठन के बाद नौवीं सरकार के गठनके लिए तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।

सांसदों का कोटा खत्म करने पर सदन में फिर हंगामा


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संसद में एक बार फिर केन्द्रीय विद्यालयों में सांसदों का कोटा खत्म किए जाने का सत्तारूढ़ कांग्रेस, सपा और भाजपा के सदस्यों ने जोरदार विरोध किया। संसद में शुक्रवार को मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने प्रश्नकाल के दौरान सपा के रामनारायण साहू और शादीलाल बत्रा के पूरक सवालों के जवाब में कहा कि सरकार ने शिक्षा का अधिकार कानून लागू करने के बाद केन्द्रीय विद्यालयों में दाखिले का सांसदों का कोटा खत्म कर दिया है। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत केन्द्रीय विद्यालयों में 25 प्रतिशत सीटें स्कूल से तीन किलोमीटर के दायरे में रहने वाले विद्यार्थियों के लिए आरक्षित की गई हैं। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत केन्द्रीय विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक दाखिले के लिए कोई परीक्षा नहीं ली जाएगी और केन्द्रीय विद्यालयों में प्रवेश की प्रक्रिया नए नियमों के हिसाब से ढाली जा रही है। वर्ष 2008-09 के दौरान केंद्रीय विद्यालयों के लिए केंद्र ने प्रति विद्यार्थी 13242 रुपए और जवाहर नवोदय विद्यालयों के लिए 41763 रुपए प्रति व्यक्ति राशि खर्च की थी। केंद्रीय विद्यालय के प्रखंड (सैक्शन) और छात्रों की संख्या जरूरत के आधार पर बढ़ाई जाती है और अतिरिक्त अवसंरचना का प्रावधान भी किया जाता है। वर्ष 2010-11 के सत्र के लिए 720 नए प्रखंड खोले गए हैं। वर्ष 2010-11 के दौरान केंद्रीय विद्यालयों के लिए ‘योजनागत’ के तहत 350 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया गया है। केंद्रीय विद्यालयों में अपेक्षित अवसंरचना विकसित करने के लिए बजट प्रावधान के कुछ हिस्से का उपयोग किया जाएगा।

मनमोहन समेत कई राष्ट्राध्यक्ष 'टाइम' की सूची में


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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित पत्रिका 'टाइम' ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को 100 प्रभावशाली हस्तियों की सूची में शामिल किया है। सौ प्रभावशाली शख्सियतों की लिस्ट में नौ भारतीयों को जगह मिली है। इनमें लेखक चेतन भगत, उद्यमी किरण मजूमदार शॉ, नेत्र चिकित्सक पेरमलसामी नांपेरूमलसम, मानवाधिकार कार्यकर्ता संजीत बुकर रॉय, भारतीय अमरीकी व हॉवर्ड प्रोफेसर अतुल गवांदे, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन, टोरंटो के पैरामेडिक राहुल सिंह के नाम भी शुमार हैं। पत्रिका ने भारतीय अर्थव्यवस्था को उदार बनाने में मनमोहन सिंह के योगदान को महत्वपूर्ण बताया है। अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन तथा पॉप स्टार लेडी गागा को भी इस सूची में शामिल किया गया है लेकिन देश की मौजूदा विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन इस सूची से नदारद हैं। पत्रिका के ताजा अंक में जारी 100 सर्वाधिक प्रभावशाली शख्सियतों की सूची में उपराष्ट्रपति की रिपब्लिकन दावेदार सराह पालिन, दक्षिण कोरिया के स्केटिंग चैंपियन किम यू ना, साफ्टवेयर निर्माता कंपनी एप्पल के मुख्य कार्यकारी स्टीव जोव्स और ब्राजिल के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा शुमार हैं। सोशल नेटवìकग वेबसाइट टि्वटर पर लोकप्रियता के हिसाब से तैयार सूची में ओबामा शीर्ष पर हैं। इस सूची में दूसरे नंबर पर लेडी गागा और तीसरे स्थान पर एस्थन कुचर हैं। कंजर्वेटिव सांसद जान किल, कमेंटेटर ग्लेन बेक और अमरीकी संसद की स्पीकर नैंसी पिलोसी भी 100 प्रभावशाली हस्तियों में शामिल हैं। क्लिंटन की पत्नी और विदेश मंत्री हिलेरी उन 31 महिलाओं में भी शामिल नहीं हैं जिन्हें इस वर्ष सर्वाधिक प्रभावशली सूची में रखा गया है। इन 100 लोगों में अमरीका के अलावा 23 देशों की 47 हस्तियां हैं।

दहेज कानून में संशोधन करेगी सरकार


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दहेज हत्याओं संबंधी मामलों में बढ़ोतरी की बात स्वीकार करने के साथ ही केन्द्र सरकार ने आज बताया कि वह दहेज कानून में संशोधन करने की योजना पर काम कर रही है। महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने लोकसभा में शरद यादव के सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी देते हुए बताया कि सरकार का दहेज निषेध कानून तथा महिलाओं के अशोभनीय प्रस्तुतिकरण : निषेध : अधिनियम में संशोधन करने का विचार है ताकि इन कानूनों को अधिक मजबूत बनाया जा सके। उन्होंने बताया कि भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों में संशोधनों की पड़ताल करने के लिए सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है। तीरथ ने बताया कि वर्ष 2006 में दहेज हत्या के 7618 , वर्ष 2007 में 8093 तथा 2008 में 8172 मामले दर्ज किए गए।


मुद्रा निदेशालय स्थापित करेगी सरकार
लोकसभा में आज पोन्नम प्रभाकर के सवाल के लिखित जवाब में वित्त राज्य मंत्री नमो नारायण मीना ने जानकारी दी कि केन्द्र सरकार मुद्रा निदेशालय की स्थापना की दिशा में कदम उठाने पर विचार कर रही है। उन्होंने बताया कि मुद्रा निदेशालय के प्रयासों से भारतीय बैंक नोटों की जालसाजी को काफी हद तक रोके जाने की उम्मीद है।

628 और कोचों को शामिल करेगा मेट्रो

शहरी विकास मंत्री एस जयपाल रेड्डी ने आज लोकसभा में एस एस रामासुब्बू के सवाल के लिखित जवाब में जानकारी दी कि यात्रियों की भारी भीड़ को कम करने के मकसद से दिल्ली मेट्रो में 628 और कोचों को शामिल किया जाएगा। मंत्री ने बताया कि राष्ट्रमंडल खेलों की परिवहन योजना के अनुसार , खेलों के दौरान प्रतिदिन करीब 46 हजार लोग दिल्ली मेट्रो का लाभ उठाएंगे जो खेलों के दौरान कुल यातायात का 15 प्रतिशत होगा। उन्होंने साथ ही बताया कि मेट्रो की न्यू अशोक नगर. द्वारका. द्वारका उपनगर तथा नोएडा लाइन पर सर्वाधिक प्रतिदिन चार लाख , सात हजार पांच सौ सात यात्री यात्रा करते हैं। रेड्डी ने बताया कि दिलशाद गार्डन, शाहदरा, रिठाला लाइन और जहांगीरपुरी-विश्वविद्यालय-केन्द्रीय सचिवालय लाइन पर क्रमश: दो लाख, 25 हजार, चार सौ 56 तथा दो लाख, 46 हजार, एक सौ 60 यात्री प्रतिदिन मेट्रो रेल सेवा का लाभ उठाते हैं।

चीनी के दाम अगले साल और घटने की सम्भावना
मौजूदा साल में चीनी का अधिक उत्पादन होने की उम्मीद जाहिर करते हुए सरकार ने आज कहा कि अगले वर्ष खपत से ज्यादा उत्पादन होने की सम्भावना की वजह से चीनी के दामों में और गिरावट हो सकती है। कृषि मंत्री शरद पवार ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि पिछले साल देश में खपत के मुकाबले चीनी का काफी कम उत्पादन हुआ था लेकिन देश में इस साल गन्ने की काफी अच्छी पैदावार होने की सम्भावना सम्बन्धी सूचनाएं मिल रही हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल देश में 150 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था जबकि कुल खपत 220-230 टन के आसपास है। इस तरह मांग और उत्पादन में काफी अंतर रह गया था। पवार ने कहा कि इस साल अभी तक 180 लाख टन चीनी उत्पादन की सूचनाएं मिली हैं और अगले साल तक चीनी का उत्पादन उसकी खपत से ज्यादा होने की सम्भावना है लिहाजा उसकी कीमतें भी घटेंगी। डॉक्टर प्रभाकर कोरे के पूरक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि पिछले साल कम उत्पादन होने की वजह से चीनी आयात करने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। सरकार ने करमुक्त आयात की अनुमति दी थी। साथ ही गत वर्ष आयात-। तथा दो पर कोई लेवी भी नहीं ली गई थी। माकपा की वृंदा करात के पूरक प्रश्न के उत्तर में कृषि मंत्री ने कहा कि चीनी के दामों में कमी हो रही है। उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले तक चीनी की कीमत 50 रुपए प्रति किलोग्राम थी जो अब घटकर 35 रुपए प्रति किलो हो गए हैं। पवार ने कहा कि सरकार चीनी की उपलब्धता बढ़ाने के लिये उपाय कर रही है।

पोलियो टाइप एक और तीन पर नियंत्रण
देश में पोलियो टाइप.एक और पोलियो टाइप.तीन पर पूरी तरह नियंत्रण करने के लिए इस साल जनवरी से पोलियो की नई दवा े बाईवेलैंट ओरल पोलियो वैक्सीन देने के बाद से इस रोग के मामलों में भारी कमी आयी है । विशेष रूप से पोलियो के जोखिम वाले राज्यों उत्तर प्रदेश और बिहार में इसका प्रयोग सफल रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार इस साल पोलियो की नई दवा बाईवेलैंट ओरल पोलियो वैक्सीन देने के बाद से 7 अप्रैल तक उत्तर प्रदेश में केवल 9 मामले प्रकाश में आये जबकि बिहार में यह संख्या केवल 6 दर्ज की गयी है। उत्तर प्रदेश और बिहार में पिछले साल पोलियो के घातक वायरस पी.1 602 और वायरस पी.3 के 117 मामले सामने आये थे। महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मू कश्मीर और पश्चिम बंगाल में एक.एक मामला दर्ज किया गया जबकि दिल्ली और पंजाब से कोई भी मामला नहीं आया है । इस प्रकार देश में इस अवधि तक कुल 19 मामले आये हैं। देश में पोलियो टाइप.एक और पोलियो टाइप.तीन पर पूरी तरह नियंत्रण करने के लिए इस साल जनवरी से पोलियो की नई दवा ‘ बाईवेलैंट ओरल पोलियो वैक्सीन ’ शुरूआत राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने की थी। देश में पूर्ण रूप से पोलियो की समाप्ति के लिए सरकार ने यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर वर्ष 1997 में राष्ट्रीय पोलियो निगरानी परियोजना शुरू की थी।

भारत करता है गोबर की खाद का आयात
पशुधन के मामले में धनी भारत कृषि उपयोग के लिए गोबर की खाद का आयात कर रहा है। कृषि और उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री के वी थामस ने आज रघुनंदन शर्मा के सवाल के लिखित जवाब में आज राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत जिन देशों से गोबर की खाद का आयात कर रहा है उनमें चीन, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, अमेरिका, जापान आदि प्रमुख हैं। सरदार तरलोचन सिंह के सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को उन्होंने बताया कि देश के विभिन्न हिस्सों में खेतीयोग्य भूमि के क्षेत्रफल में कमी आ रही है। पंजाब में कृषि भूमि का क्षेत्र 2007.08 में घटकर 42.4 लाख हेक्टेयर हो गया जो 2005.06 में 42.5 लाख हेक्टेयर था। इसी अवधि के दौरान हरियाणा में कृषि भूमि क्षेत्र 37.8 लाख हेक्टेयर से घटकर 37.5 लाख हेक्टेयर हो गया। दोनों राज्यों में कृषि के क्षेत्र में गिरावट आने का कारण भूमि का उपयोग गैर.कृषि कार्यो में किया जाना है।

लालू ने लोकसभा में कहाः जातीय आधार पर कराएं जनगणना


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राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने आज लोकसभा में जातीय आधार पर जनगणना कराने की मांग की। लालू ने शून्यकाल में यह मामला उठाते हुए आरोप लगाया कि ‘‘साजिश के तहत’’ जातीय आधार पर जनगणना नहीं करायी जा रही है जिससे कि पिछड़ी जातियों की सही स्थिति मालूम नहीं हो सके। उन्होंने दावा किया कि कानून मंत्री ने जातीय आधार पर जनगणना कराने की बात कही थी लेकिन ‘‘कहीं से दबाव के चलते इस आधार को हटा लिया गया।’’ विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि जनगणना से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण विषय उभर कर सामने आ रहे हैं, इसलिए सभी आयामों पर व्यापक विचार-विमर्श के लिए नियम 193 के तहत इस पर सदन में चर्चा करायी जाए। अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा कि चर्चा के बारे में नोटिस भेज दें, उस पर विचार किया जाएगा। उत्तराखण्ड में जनगणना का काम शनिवार को शुरू किया जायेगा। जनगणना 2011 का काम सबसे पहले राज्यपाल का नाम दर्ज किये जाने के साथ शुरू होगा। उसके बाद जनगणना प्रपत्र में मुख्यमंत्री का नाम शामिल किया जायेगा। जनगणना के काम के लिए विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को प्रशिक्षण पहले ही दिया जा चुका है।

दलितों की तुलना मंदबुद्धि बच्चों से करने पर संसद में मचा हंगामा


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राज्यसभा में आज कांग्रेस सांसदों ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दलितों की मंदबुद्धि के बच्चों से कथित तुलना करने के मुद्दे को सदन में उठाने की अनुमति को लेकर शोरशराबा और हंगामा किया। इस मुद्दे पर पहले 12.15 बजे सदन की कार्यवाही दस मिनट के लिए और फिर दो बजे तक स्थगित हो गई। कांग्रेस के प्रवीण राष्ट्रपाल ने सदन में शन्यूकाल के दौरान मोदी के वक्तव्य को लेकर मुद्दा उठाने की अनुमति मांगी जिसका अन्य सदस्यों ने समर्थन किया। सदन में जैसे ही भाजपा के ललित किशोर चतुर्वेदी के मुद्दा उठाने के बाद उपसभापति के. रहमान खान ने मार्क्सवादी पार्टी के सांसद पी. राजीव को अर्धसैनिक बलों के लिए बूलेटप्रुफ जैकेट की खरीद में कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाने की इजाजत दी, कांग्रेस के राष्ट्रपाल खडे होकर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दलितों के खिलाफ की गई कथित टिप्पणी का मामला उठाने की अनुमति मांगने लगे। तब खान ने उन्हें बताया कि सभापति मोहम्मद हामिद अंसारी ने यह मामला उठाने की अनुमति नहीं दी है। इसपर राष्ट्रपाल उत्तेजित होकर सदन में सभापति के आसन के समक्ष आ गए और कहा कि यह मामला तत्काल महत्व का है। अत: उन्हें यह मामला उठाने की अनुमति दी जानी चाहिए। कांग्रेसी सांसद जयंती नटराजन समेत कई अन्य कांग्रेसी सांसदों ने भी राष्ट्रपाल की मांग का समर्थन किया। खान यह मामला विचाराधीन होने की बात कहकर सदस्यों को शांत करने की कोशिश करने लगे। लेकिन उत्तेजित सदस्यों ने उनकी बातों को अनसुना कर दिया। सदन की कार्यवाही दस मिनट के लिए स्थगित कर दी। राज्यसभा जब 12.25 बजे फिर शुरू हुई तो खान ने राजीव से अपना मुद्दा समाप्त करने को कहा और फिर उसके बाद भाजपा की मायासिंह को अन्य विषय उठाने का निर्देश दिया, जो कह रही थी राष्ट्रपाल को मोदी का मुद्दा उठाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इस दौरान कांग्रेसी और भाजपा सदस्य बहुत उत्तेजित हो गए। कांग्रेसी सदस्य इस मुद्दे को उठाने की मांग कर रहे थे तो भाजपा सदस्य राष्ट्रपाल की मांग का पुरजोर से विरोध करने लगे। इसके बाद उपसभापति ने सदन की कार्यवाही दो बजे तक स्थगित करनी पड़ी।

Thursday, April 29, 2010

सोरेन के सुर में फिर मिले भाजपा के सुर


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झारखंड में भाजपा अचानक थम गई है। राज्यपाल से मिलने का इरादा बदल चुका है। शिबू सोरेन की मनुहार पर सरकार के बने रहने की रणनीति दो दिनों से जमी बर्फ पिघलाने लगी है। सांसद सुषमा स्वराज की बात शाम तक राजनाथ सिंह के सुर में ढलकर अपना अर्थ बदल गई। पार्टी विधायकों ने समर्थन वापसी के मुद्दे पर राज्यपाल से न मिलने का फैसला किया है।
आज शाम तक झारखंड में शिबू सोरेन सरकार से भारतीय जनता पार्टी के समर्थन वापस लेने पर अडिग रहने और कांग्रेस के ‘देखो और इंतजार करो’ रूख के कारण राजनीतिक स्थिति अस्थिर बनी हुई थी। लेकिन अब बादल छंटते दिख रहे हैं। कांग्रेस के एक नेता से जब झारखंड के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया, ‘‘फिलहाल हम अपने आप को राजनीतिक गतिविधियों में नहीं शामिल करने जा रहे हैं। किसी ने हमसे संपर्क भी नहीं किया है और न ही हम कोई पहल करने जा रहे हैं।’’ उधर संसद में कटौती प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने के लिए सोरेन के माफी मांगने के बाद भी भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने आज दोपहर को कहा था कि राज्य में पार्टी के विधायक राज्यपाल से मिलकर समर्थन वापसी का पत्र सौंपने वाले हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा :झामुमो: के वरिष्ठ नेता सोरेन ने भाजपा नेताओं को चिट्ठी भेजकर कहा था कि खराब स्वास्थ्य के कारण उनसे ऐसी गलती हुई। इस बीच कांग्रेस के शीर्ष नेता ने इस बात से इंकार किया कि कटौती प्रस्ताव के दौरान लोकसभा में सोरेन का सरकार के पक्ष में मतदान करना सुनियोजित था। यह पूछने पर कि क्या सोरेन ने गलती से मत डाल दिया या फिर कांग्रेस ने उनसे इस बारे में बात की थी, उन्होंने कहा, ‘‘ हमें खुद आश्चर्य है कि ऐसा कैसे हो गया। ’’ साथ ही कहा कि यह तो सोरेन ही बता सकते हैं कि यह सब कुछ कैसे हुआ। इस नेता ने राजनीतिक हलकों में चल रही इस बहस को भी खारिज कर दिया कि सोरेन को केन्द्र में मंत्री बनाने और झारखंड में कांग्रेस-झामुमो-जेवीएम की गठबंधन सरकार बनाने की कोई कोशिश हो रही थी। उन्होंने कहा, ‘‘ कोई सवाल नहीं उठता। यह निराधार है। कांग्रेस और झामुमो के बीच कोई समझौता नहीं हुआ।’’

सोरेन के लिखित माफी मांगने पर भी नहीं पसीजी भाजपा


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झारखंड में शिबू सोरेन सरकार से भारतीय जनता पार्टी के समर्थन वापस लेने पर अडिग रहने और कांग्रेस के ‘देखो और इंतजार करो’ रूख के कारण राजनीतिक स्थिति अस्थिर बनी हुई है। कांग्रेस के एक नेता से जब झारखंड के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया, ‘‘फिलहाल हम अपने आप को राजनीतिक गतिविधियों में नहीं शामिल करने जा रहे हैं। किसी ने हमसे संपर्क भी नहीं किया है और न ही हम कोई पहल करने जा रहे हैं।’’ उधर संसद में कटौती प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने के लिए सोरेन के माफी मांगने के बाद भी भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने आज कहा कि राज्य में पार्टी के विधायक राज्यपाल से मिलकर समर्थन वापसी का पत्र सौंपने वाले हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा :झामुमो: के वरिष्ठ नेता सोरेन ने भाजपा नेताओं को चिट्ठी भेजकर कहा है कि खराब स्वास्थ्य के कारण उनसे ऐसी गलती हुई है। इस बीच कांग्रेस के शीर्ष नेता ने इस बात से इंकार किया कि कटौती प्रस्ताव के दौरान लोकसभा में सोरेन का सरकार के पक्ष में मतदान करना सुनियोजित था। यह पूछने पर कि क्या सोरेन ने गलती से मत डाल दिया या फिर कांग्रेस ने उनसे इस बारे में बात की थी, उन्होंने कहा, ‘‘ हमें खुद आश्चर्य है कि ऐसा कैसे हो गया। ’’ साथ ही कहा कि यह तो सोरेन ही बता सकते हैं कि यह सब कुछ कैसे हुआ। इस नेता ने राजनीतिक हलकों में चल रही इस बहस को भी खारिज कर दिया कि सोरेन को केन्द्र में मंत्री बनाने और झारखंड में कांग्रेस-झामुमो-जेवीएम की गठबंधन सरकार बनाने की कोई कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा, ‘‘ कोई सवाल नहीं उठता। यह निराधार है। कांग्रेस और झामुमो के बीच कोई समझौता नहीं हुआ है।’’ कांग्रेस नेता ने कहा कि पार्टी इंतजार करो और देखो की नीति अपना रही है और वह फिलहाल जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहती। झामुमो विधायक दल के नेता व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन ने कहते हैं कि मुख्यमंत्री अपने ऊपर लगाये जा रहे आरोपों से व्यथित हैं. वह सभी आरोपों को खारिज करते हैं। अपना पद त्यागने को भी तैयार हैं। भाजपा को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए। भाजपा चाहे, तो नेतृत्व परिवर्तन कर ले. नये नेतृत्व के साथ सरकार गठन की पहल करे। झामुमो एनडीए के साथ हर भूमिका निभाने को तैयार है। तबीयत खराब होने के कारण मुख्यमंत्री ने गलतफहमी में कटौती प्रस्ताव के विरोध में मतदान कर दिया।

अमर बोलेः धीरे-धीरे बोल कोई सुन ना ले


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सांसद अमर सिंह कहते हैं कि "आजकल फोन टैपिंग की बड़ी चर्चा है. मुझे एक बात की बड़ी प्रसन्नता है कि जो बात मै बोलता हूँ कुछ दिनों बाद वही बात और भाषा सभी बोलते है. जब बटला हाउस इनकाउन्टर के मुद्दे को मैने उठाया था तो सब चुप थे, यहाँ तक कि मेरे भूतपूर्व नेता श्री मुलायम सिंह जी ने भी मेरे बयान के विरोध में मुझसे कहा था कि उन्हें मुसलमानों की मानसिकता मेरे से ज्यादा पता है. और जब विधानसभा चुनावों में सपा जामिया सीट हार गई तो मुलायम सिंह जी ने मुझसे कहा, क्यों कहाँ गए आपके मुसलमान? सिर्फ सोनिया जी औपचारिक और अनौपचारिक बैठको में बटला हाउस काण्ड के न्यायिक जांच की मेरी मांग का समर्थन करती रही और अब तो मानवाधिकार आयोग से ले कर भाई दिग्विजय सिंह तक यकायक दो साल बाद जागे है.
निजी जीवन में, बातों में ताक-झाँक अनावश्यक दखलंदाजी अच्छी बात नहीं है. फोन टैपिंग को बहुत दिनों से सभी राजनैतिक दलों के नेता मुद्दा बना रहे है. लगभग सभी प्रमुख दल जो विपक्ष में जब भी होते है पक्ष पर ‘फोन टैपिंग’ का आरोप लगाते रहते है, सुश्री ममता बनर्जी और जयललिता जी तो लगभग हर क्षण अपने फोन को असुरक्षित मानती है. स्वतंत्र भारत में आज तक मेरे अलावा किसी भी नेता ने फोन टैपिंग के आरोप का प्रमाण नहीं दिया. मैने अपने फोन टैपिंग काण्ड में सर्विस प्रोवाईडर फोन कंपनी को सरकारी अधिकारिओं द्वारा मेरे फोन को टैप करने के लिखित आदेश की प्रतिलिपि पेश कर दी थी और उसी ठोस प्रमाण के आधार पर सुप्रीम कोर्ट से अपने पक्ष में राहत और केन्द्रीय सरकार को फोन टैपिंग के विरुद्ध “प्राइवेसी ला” बनाने को मजबूर किया था. मै चाहूँगा कि प्रकाश कारथ समेत सभी विपक्षी दिग्गज भी सरकार को मात्र एक पत्रिका की कहानी के आधार पर घेरने के बजाय मेरी तरह कोई ठोस प्रमाण सामने रख कर सरकार को घेरे, अन्यथा यह सारी बात “थोथा चना बाजे घना” की तरह हो जाएगी. निश्चित रूप से राजनेताओं अथवा किसी भी सभ्रांत नागरिक की बातों को सुनना उसकी स्वतन्त्रता के मौलिक अधिकारों के हनन का एक गंभीर मसला है, जिसे सार्वजनिक जीवन जीवन में उठाया जाना और रोके जाना नितांत आवश्यक है. लेकिन किसी ठोस आधार की बुनियाद बगैर विश्वसनियता का आभाव इस आरोप की गंभीरता को हल्का बना देता है.
हाल में ही टाटा और मुकेश अम्बानी की संयुक्त चहेती लाइज़न अफसर की कथित टैपिंग जो अधिकृत रूप से 2G स्पेक्ट्रम के सन्दर्भ में प्रकाश में आई, उससे मुझे लगता है कि मेरी फोन टैपिंग भी संभवतः उद्योग जगत के दो बड़े भाइयों में एक भाई ने दूसरे भाई से मेरी खुली निकटता के कारण कही नीरा राडिया जैसे निजी विशेषग्य प्राइवेट लाइजन अफसर के माध्यम से तो नहीं कराई? क्यूंकि सम्बद्ध टेलीफोन आपरेटर को गृहमंत्रालय द्वारा मेरे फोन टैपिंग के आदेश पर जिस अधिकारी के हस्ताक्षर है वह जाली पाए गए थे. अनुराग सिंह नाम का एक छोटा पप्पू मेरे इस मामले में पकड़ा गया था, जो छूट भी गया. मै आज तक हैरान-परेशान हूँ कि मुंबई में बैठे इस पप्पू के बड़े पापा तक पुलिस अब तक क्यूँ नहीं पहुँची, संभवतः क्यूंकि वह बहुत पैसे और पहुँच वाला व्यक्ति है. अमेरिका जैसे संपन्न देश में ‘वाटरगेट’ पर सरकार हिल जाती है. हमारे देश में प्रशासन पप्पू तक पहुँच कर पापाओं को छोड़ देता है. नीरा राडिया की जितनी भी टैपिंग सी.बी.आई. कर ले वह रतन टाटा और मुकेश अम्बानी से जुडी है, अतीत में सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय की एयरलाइन में जहाज संभालती थी. मै आज ही बता दूँ, विवाद नीरा राडिया जैसी महिलाओं का आभूषण है और ‘जाको राखे रतन टाटा/मुकेश अम्बानी ताको मार सके ना कोय’. ख़ैर दो वर्ष पहले फोन टैपिंग से मै व्यथित था, अब सारा देश है. फोन पीड़ित क्लब में आपका स्वागत करता हूँ.
“धीरे-धीरे बोल कोई सुन ना ले,
भेद जिया का कोई कह ना दे” .............."
(अमर सिंह के ब्लॉग से साभार)

विपक्ष ने लोकसभा में सरकार को घेरा


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गलत आर्थिक नीतियों के कारण महंगाई बढ़ने का आरोप लगाते हुए विपक्षी दलों ने आज लोकसभा में केन्द्र सरकार का घेराव करते हुए कहा कि सरकार की कराधान प्रणाली दुरूस्त नहीं है और इसी के चलते कर चोरी की घटनाओं में इजाफा हो रहा है। तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने वित्त विधेयक पर कल की अधूरी चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि वित्त विधेयक में संशोधन कर पर्वतीय, खनन और वन क्षेत्रों में रहने वाले अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के विकास की विशेष व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि इस वर्ग के लोगों के कल्याण पर विशेष ध्यान नहीं दिए जाने के कारण ही आज देश को नक्सलवादी समस्या से जूझना पड़ रहा है। उन्होंने सच्चर आयोग और रंगनाथ मिश्रा आयोग की रिपोर्ट के संबंध में भी कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय का विकास नहीं हुआ है और समुदाय की हालत यह है कि 70 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे रह रही है। बनर्जी ने पेट्रो उत्पादों पर करों को कम किए जाने की भी मांग की। शिवसेना के अनंत गीते ने कहा कि बजट में कर प्रणाली ऐसी होनी चाहिए, जिसमें हर करदाता स्वयं कर चुकाने का इच्छुक हो। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों का कर तो उनके वेतन में से कट जाता है लेकिन क्या वित्त मंत्री सदन को जानकारी देंगे कि कितने छोटे.बड़े व्यापारी हैं जो कर की चोरी करते हैं।
जबकि सरकार ने आज कहा कि आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में हुयी वृद्धि से आम लोगों को हो रही परेशानियों से वह चिंतित है और महंगाई पर काबू पाने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं जिनका सकारात्मक असर आने वाले महीनों में दिखने लगेगा। वित्त राज्य मंत्री नमो नारायण मीणा ने कहा कि सरकार एक साथ दो दिशाओं में काम कर रही है। एक ओर उसका प्रयास है कि आर्थिक विकास दर को कायम रखा जाए वहीं वित्तीय सुदृढ़ीकरण की दिशा में भी प्रयास जारी है। राज्यसभा में विनियोग (संख्याक दो) विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए मीणा ने कहा कि वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर में सरकार ने कई कदम उठाए जिनके अच्छे नतीजे निकले। इसके साथ ही राज्यसभा ने चालू वित्त वर्ष के लिए विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की अनुदान मांगों से संबद्ध विनियोग विधेयक को लोकसभा को ध्वनिमत से लौट दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने बजट में योजनागत और गैरयोजनागत व्यय दोनों में पर्याप्त वृद्धि की है ताकि आधारभूत ढांचे का विकास हो सके। उन्होंने कहा कि सामाजिक क्षेत्रों की ओर भी ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा कि वित्तीय सुदृढ़ीकरण के लिए एक रोडमैप की घोषणा की गई है। हम सरकारी खचो’ में कमी करने के प्रति गंभीर हैं और लेकिन हम ध्यान रखेंगे कि इससे मंदी से उबर रही अर्थव्यवस्था की प्रक्रिया प्रभावित नहीं हो।

लोकसेवा आयोग का पुनर्गठन नहीं
केंद्र ने आज कहा कि उसका संघ लोक सेवा आयोग :यूपीएससी: की पुनर्गठन की कोई योजना नहीं है। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने धीरज प्रसाद साहू के प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आयोग की मौजूदा संरचना इसकी आवश्यकताओं को पूरा करती है। चव्हाण ने शोभना भरतिया और एन के सिंह के सवाल के लिखित जवाब में बताया कि पिछले साल के अंत तक सीबीआई में 719 रिक्तियां थीं। उन्होंने कहा कि संस्था में स्वीकृत पदों की संख्या 5961 है जबकि वास्तविक पद संख्या 5242 है।

बीएसएनएल में 10 फीसद विनिवेश
सरकार ने आज कहा कि बीएसएनएल बोर्ड कंपनी में 10 प्रतिशत विनिवेश के प्रस्ताव से सहमत हो गया है। संचार राज्य मंत्री गुरूदास कामत ने ए इलावरासन के सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कंपनी के कार्य निष्पादन में सुधार के लिए सैम पित्रोदा की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गयी थी। समिति ने बीएसएनएल की इक्विटी शेयरधारिता के 30 प्रतिशत भाग के चरणबद्ध तरीके से विनिवेश के संबंध में सिफारिश की है। उन्होंने एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि पिछले वर्ष की अपेक्षा 2008.09 में कंपनी के निवल लाभ में 80.90 प्रतिशत की कमी आयी है। उन्होंने बताया कि 2007.08 में कंपनी को 3009.39 करोड़ रुपए का निवल लाभ हुआ था जो 2008.09 में घटकर 574.85 करोड़ रुपए रह गया।

राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का पुनर्गठन
सरकार ने आज कहा कि राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का पुनर्गठन किया गया है और सोनिया गांधी इसकी अध्यक्ष बनायी गयी हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय में राजयमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने नंदी येल्लैया के सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सरकार ने राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का गठन 03.06.2004 को किया था जिसका कार्यकाल 31.3.2008 को समाप्त हो गया। उसके बाद सरकार ने परिषद का दोबारा गठन 29. 03. 2010 को सोनिया गांधी की अध्यक्षता में किया। चव्हाण ने बताया कि राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के अध्यक्ष का पद कैबिनेट मंत्री के स्तर का है।

ओएनजीसी असम से हटने का कोई इरादा नहीं
सरकार ने कहा कि तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम :ओएनजीसी: का असम से हटने का कोई इरादा नहीं है। जोसेफ टोप्पो के प्रश्न के उत्तर में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री जितिन प्रासाद ने इन अफवाहों को सिरे से खारिज कर दिया जिसमें ओएनजीसी के असम से हटने की बात कही गई थी। उन्होंने कहा ‘‘ असम और पूर्वोत्तर क्षेत्र में ओएनजीसी और सर्वजनिक क्षेत्र की अन्य तेल कंपनियां क्षेत्र के लोगों के कल्याण, विकास और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण योगदान कर रही है। इसलिए ऐसी कोई बात नहीं है।’’ मंत्री ने कहा कि ये पेट्रोलियम कंपनियां द्वारा कम कीमत पर लोगों को गैस मुहैया कराने के साथ शिक्षा के प्रचार प्रचार और अस्पतालों की भी स्थापना की गई है। उन्होंने कहा ‘‘ नजीरा और गुवाहाटी में इन तेल कंपनियों के सहयोग से बच्चों के लिए कम्प्यूटर सेंटर खोला गया है।’’

एयर इंडिया पट्टे पर देगी विमान
एयर इंडिया अपने कुछ बोईग 777 को स्वयं प्रयोग में लाने के बजाए पट्टे पर देने का विचार कर रही है। नागर विमानन राज्यमंत्री प्रफुल पटेल ने लोकसभा में गोपीनाथ मुंडे के सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एअर इंडिया अपने बेड़े के छह बोईग 777 विमानों को पट्टे पर देने के विकल्प पर विचार कर रही है उन्होंने कहा कि निविदा की प्रक्रिया के पश्चात ही प्रस्तुत शर्तो का पता चल पाएगा। पटेल ने बताया कि बी 777. 200 एलआर तथा बी 777. 300 ईआर विमानों के अनुरक्षण की अनुमानित लागत प्रति वर्ष क्रमश: 8.61 करोड़ तथा 12. 66 करोड़ प्रति विमान है।

संसद में आज घपलों-घोटालों पर उठेंगे सवाल!


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संसद में आज गूंजने वाले सैकड़ों सवालों में एक महत्वपूर्ण प्रश्न सांसद राधामोहन सिंह का है। उन्होंने विधि एवं न्याय मंत्री से जानना चाहा है कि क्या सरकारी राजकोष के करोड़ों रुपये के घोटालों जैसे झारखंड राज्य की विभिन्न परियोजनाओं के विकास के लिए निर्धारित करोड़ों रुपये की हेकाफेरी तथा दिल्ली नगर निगम में उजागर हुई फर्जी नियुक्तियों, जैसा कि मीडिया में खबरें आई हैं, के संबंध में घोटालों से संबंधित वर्तमान कानून ऐसे मामलों से निपटने में पर्याप्त हैं? ऐसे घपलों से निपटने के लिए नए अधिक कठोर कानून बनाने तथा सरकारी राजकोष की भारी राशि के दुरुपयोग, हेराफेरी वाले मामलों में तेजी से कानूनी प्रक्रिया अपनाने के लिए देश भर में विशेष न्यायालयों की स्थापना के लिए सरकार द्वारा क्या कदम उठाए गए हैं?
सपा सांसद सुशीला सरोज वस्त्र मंत्री से जानना चाहती हैं कि गत तीन वर्षों में सरकार द्वारा हथकरघा, कालीनों तथा परिधानों के लघु तथा मध्यम निर्यातकों को प्रदान की गई सुविधाओं का ब्योरा क्या है? इसी पार्टी के सांसद नीरज शेखर ने रेल मंत्री ममता बनर्जी से जवाब मांगा है कि क्या रेलवे का रक्सौल-बीरगंज रेल मार्ग पर सेवाएं शुरू करने का कोई प्रस्ताव है? सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने पेट्रोलियम मंत्री से पूछा है कि क्या पिछले पांच वर्षों में देश के शोधन क्षमता में महत्वपूर्ण विस्तार होने के बावजूद कच्चे तेल और तेल शोधन उत्पादों के मूल्य के बारे में अनिश्चितता है? रालोद के संजय सिंह चौहान ने पूछा है कि क्या सरकार राष्ट्रीय वस्त्र नीतन तैयार करने की प्रक्रिया में है और इसके अंतर्गत किन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है?
इनके अलावा कुमारी सरोज पांडेय, श्रीमती मीना सिंह, राजकुमारी रत्ना सिंह, खिलाड़ी लाल बैरवा, कादिर राणा, घनश्याम अनुरागी, के.सी.सिंह बाबा, संजय सिंह चौहान हुक्मदेव नारायण यादव, देवजी एम.पटेल, पकौड़ी लाल, कमल किशोर कमांडो, डॉ.मुरली मनोहर जोशी, धनंजय सिंह, शैलेंद्र कुमार, जगदंबिका पाल, रविंद्र कुमार पांडेय, कैलाश जोशी, प्रो.रामशंकर कठेरिया, ओमप्रकाश यादव, वरुण गांधी, मनीष तिवारी, राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, नरहरि महतो, वैद्यनाथ प्रसाद महतो, डॉ.भोला सिंह, प्रदीप मांझी, अर्जुन मुंडा, श्रुति चौधरी, प्रेमचंद् गुड्डू, इज्यराज सिंह, गोरखप्रसाद जायसवाल आदि के सवालों के जवाब भी आज संबंधित विभागों के मंत्रियों को देने हैं।
लोकसभा में आज रसायन और उर्वरक, नागर विमानन, कॉरपोरेट कार्य, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, भारी उद्योग और लोक उद्यम, विधि और न्याय, अल्पसंख्यक मामले, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, रेल, इस्पात, वस्त्र मंत्रालय से संबंधित मंत्रीगण सांसदों के प्रश्नों के जवाब प्रस्तुत करेंगे। लंबे समय बाद सदन में परसों उपस्थित रहे एस.अलागिरी का प्रश्न भी पेट्रोलियम मंत्रालय की पाइप लाइन में है। उन्होंने जानना चाहा है कि क्या चीनी के उत्पादन में कमी, इसके मूल्य में वृद्धि तथा पर्याप्त मात्रा में शीरा उपलब्ध न होने के कारण इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम का कोई लाभ नहीं मिल सका है?

Wednesday, April 28, 2010

भ्रष्टाचार में एक और केंद्रीय मंत्री विपक्ष के निशाने पर


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कांग्रेस पर तो जैसे आफत आई हुई है। आफत क्या, संसद में एक-एक कर भ्रष्टाचार में मंत्रियों की संलिप्तता के मामले उछलते जा रहे हैं। पहले विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर को आईपीएल भ्रष्टाचार मामले में कुर्सी छोड़नी पड़ी। इसके बाद उसकी सरकार में प्रमुख सहयोगी एनपीसी मंत्री प्रफुल्ल पटेल और शरद पवार पर इसी कड़ी में आरोप उछले। आज संसद में एक और मंत्री ए.राजा को विपक्ष ने निशाने पर ले लिया।
देश में 2008 के दौरान 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन में हुए करोडों रूपये के कथित घोटाले में एक निगमित दबाव समूह के शामिल होने की खबर के परिप्रेक्ष्य में आज संसद में दूरसंचार मंत्री ए. राजा विपक्ष विशेषकर अन्नाद्रमुक के निशाने पर आये और उन्हें बर्खास्त करने की मांग उठी। एक दैनिक अखबार में छपी खबर के बाद अन्नाद्रमुक, भाजपा और वाम दलों ने लोकसभा और राज्यसभा में राजा को निशाना बनाया। ये लोग अखबार की प्रतियां दिखाते नजर आये, जिसमें लिखा गया था कि केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पास यह दर्शाने के लिए पक्के सबूत हैं कि एक हाईप्रोफाइल महिला जनसंपर्क हस्ती ने करोडों रूपये के 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले में मध्यस्थ की भूमिका निभायी है। हंगामे के दौरान राजा दोनों ही सदनों में मौजूद नहीं थे। द्रमुक नेता टी. आर. बालू और उनके सहयोगियों ने दूरसंचार मंत्री के खिलाफ लगाये गये आरोपों पर लोकसभा में कड़ी आपत्ति दर्ज करायी। अन्नाद्रमुक और वाम दलों के सदस्य लोकसभा में आसन के सामने आकर नारेबाजी करने लगे। कुछ सदस्य अखबार की प्रतियां लहराते भी नजर आये। वे इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री के स्पष्टीकरण की मांग कर रहे थे।
उल्लेखनीय है कि इस माह के प्रारंभ में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने आरोप लगाया था कि दूरसंचार मंत्री ए राजा ने देश को 26,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का चूना लगाया है। है। कैग ने बताया था कि तमाम विशेषज्ञों की सलाह दरकिनार करते हुए राजा ने नए दूरसंचार लाइसेंस जारी करने के लिए गलत और पुरानी पड़ चुकी नीति अपनाई, जिससे सरकारी खजाने को चपत लगी। कैग ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा कि पिछले कुछ महीनों में भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते पद से हटाए जाने की मांग के असर से बच निकलने वाले राजा ने उस नीति पर चलते रहने का निर्णय अकेले ही किया जिसके कारण सरकारी राजस्व को 26,685 करोड़ रुपए का झटका लगा। सीबीआई दूरसंचार विभाग में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही है। सीबीआई दूरसंचार लाइसेंस दिए जाने के तौर-तरीकों की जांच कर रही है। विभाग ने साल 2008 में 1,651 करोड़ रुपए में अखिल भारतीय लाइसेंस जारी किए थे जबकि यह भाव 2001 में तय किया गया था। कैग ने अपने निष्कर्षों पर दूरसंचार विभाग से जवाब तलब किया। कैग के आरोपों पर बार-बार प्रयास करने के बावजूद दूरसंचार मंत्री का जवाब हासिल नहीं किया जा सका। विपक्षी दलों ने पिछले साल तब राजा के इस्तीफे की मांग की थी, जब सीबीआई ने स्पेक्ट्रम आवंटन की जांच शुरू की। हालांकि, राजा तब बच गए क्योंकि यूपीए गठबंधन की अहम सहयोगी दमुक राजा का पुरजोर समर्थन करने लगी। कैग ने कहा कि दूरसंचार नीति में साफ कहा गया है कि उपलब्धता के आधार पर ही रेडियो स्पेक्ट्रम का आवंटन होगा और वायरेलस लाइसेंस जारी किया जाएगा। हालांकि अगर अनुपलब्धता के चलते लाइसेंसधारक को स्पेक्ट्रम का आवंटन न हो सके तो वह वायरलाइन तकनीक के जरिए सेवाएं देने का कदम उठा सकता है। इसका अर्थ यह हुआ कि लाइसेंस के आवेदन पर तब भी विचार किया जा सकता है, जब स्पेक्ट्रम उपलब्ध न हो। ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया कि लिहाजा स्पेक्ट्रम उपलब्ध न होने के कारण आवेदनों पर कदम न बढ़ाने का निर्णय लाइसेंस जारी करने के नीतिगत दिशानिर्देशों के उलट था और इसके चलते एंट्री फी के रूप में सरकार को 26,685 करोड़ रुपए से हाथ धोना पड़ा। कैग ने यूएएस लाइसेंस जारी करने में भी खामी पाई थी। उसका कहना था कि मौजूदा प्रावधानों में संशोधन किए बगैर ऐसा करना गलत था। यूएएस लाइसेंस दूरसंचार सेवाएं मुहैया कराने का समग्र लाइसेंस होता है। रिपोर्ट में कहा गया कि दूरसंचार सचिव सहित तमाम विशेषज्ञों ने सुझाव दिया था कि एंट्री फी में 2001 से कोई बदलाव नहीं किया गया है, लिहाजा नए लाइसेंस जारी करने पर दोबारा विचार करने की जरूरत है। सीबीआई ने पहले ही सरकार को 22,000 करोड़ रुपए का चूना लगाने के लिए दूरसंचार विभाग के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र का आरोप लगाया। सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा कि विभाग के तौर-तरीकों पर सवाल उठाने वाली कैग की यह रिपोर्ट सीबीआई का पक्ष और मजबूत करेगी। प्रवर्तन निदेशालय ने भी इस प्रक्रिया के तहत लाइसेंस पाने वाली दो दूरसंचार कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
साथ ही, पिछले महीने 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट द्वारा टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के निष्कर्ष पर किसी हस्तक्षेप से इंकार कर देने के बाद अन्नाद्रमुक सुप्रीमो जयाललिता ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए. राजा को बर्खास्त करने की मांग की थी। जयललिता ने एक विज्ञप्ति में कहा था कि न्याय के हितों की रक्षा तभी हो सकती है जब राजा को केंद्रीय मंत्री पद से बर्खास्त किया जाए। अब उनके पास राजा को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का समर्थन भी है, ऐसे में उन्हें राजा को बर्खास्त करने में झिझकना नहीं चाहिए। दूरसंचार कंपनी एसटेल की ओर से दायर मामले पर विस्तार से चर्चा करते हुए जयललिता ने कहा था कि कंपनी ने दूरसंचार मंत्रालय द्वारा टूजी आवंटन की तारीखों को मनमाने ढंग से आगे बढ़ाने के कारण अदालत का रूख किया। इस मामले में 12 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार मंत्रालय और राजा के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट के निष्कर्ष पर हस्तक्षेप करने से इनकार किया था।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के पिछले कार्यकाल में भी पक्षपात के ज्यादातर आरोप राजा के मंत्रालय पर ही लगे थे। इसीलिए शुरुआती दौर में राजा को दूरसंचार मंत्रालय देने से इनकार के बाद प्रधानमंत्री फिर तैयार हो गए थे, जबकि ज्यादातर लोगों को यकीन था कि राजा की दूसरी पारी सरकार के सामने और शर्मनाक स्थिति लेकर आएगी। पहली पारी में राजा ने अपनी पसंदीदा फर्मों को बाजार कीमत से काफी कम पर पर्याप्त मात्रा में स्पेक्ट्रम दिया बजाय इसके कि यह सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को दिया जाता। इससे सरकार को 10 अरब डॉलर का चूना लगा, लेकिन इस वजह से और भी नुकसान हुआ। उन्होंने स्पेक्ट्रम के साथ-साथ लाइसेंस ऐसी फर्मों को दिया जो इसका इस्तेमाल करने में फिलहाल सक्षम नहीं थे क्योंकि नेटवर्क स्थापित करने के लिए उनके पास अरबों डॉलर नहीं थे। किसी भी सूरत में ये कंपनियां बड़े पैमाने पर भारती एयरटेल जैसी कंपनियों से प्रतिद्वंदिता नहीं कर सकती थीं। जिन्हें स्पेक्ट्रम दिया गया, वे इसका इस्तेमाल नहीं कर सकती और भारती एयरटेल व वोडाफोन जैसी कंपनियां स्पेक्ट्रम के मामले में भूखी रही। तार्किक रूप से भारती व वोडाफोन ने स्पेक्ट्रम पाने वाली उन कंपनियों से ऊंचे प्रीमियम पर इसे खरीद लिया होता। लेकिन यह साबित करने के लिए कि प्रतिद्वंद्विता बढ़ाने की खातिर सक्षम बनाने के लिए लाइसेंस दिए गए थे, राजा ने विलय व अधिग्रहण के नियमों में फेरबदल कर दिया, जिसके तहत तीन साल तक इसे बेचना प्रतिबंधित कर दिया गया।

सांसद सुभाष यादव का भी निलंबन वापस


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राज्यसभा में नौ मार्च को महिला आरक्षण विधेयक के विरोध के दौरान सदन की कार्यवाही बाधित करने के कारण छह अन्य सदस्यों के साथ बजट सत्र के शेष हिस्से के लिए निलंबित किये गये राजद के सुभाष यादव का निलंबन आज वापस ले लिया गया। संसदीय कार्य राज्य मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने यादव के निलंबन को खत्म करने का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी। निलंबित किये गये कुल सात सदस्यों में अब तक छह का निलंबन वापस लिया जा चुका है। अभी असंबद्ध सदस्य एजाज अली का निलंबन वापस नहीं हुआ है। नौ मार्च को सपा के कमाल अख्तर, वीरपाल सिंह यादव, अमीर आलम खान और नंद किशोर यादव, लोजपा के साबिर अली, राजद के सुभाष यादव और असंबद्ध सदस्य एजाज अली को निलंबित किया गया था। सपा के चारों सदस्यों का 15 मार्च और लोजपा सदस्य का 23 अप्रैल को निलंबन वापस लिया गया था।

कृषि भूमि का हो रहा क्षरण
मोहम्मद असरारूल हक के सवाल के लिखित जवाब में जल संसाधन राज्य मंत्री वींसेंट एच पाला ने लोकसभा को बताया कि भूमि क्षरण के कारण कृषि योग्य भूमि समाप्त होती जा रही है। बाढ मैदानों में स्थित कृषि भूमि अथवा टेढी मेढी बहने वाली नदियों के मार्ग में आने वाली भूमि का बाढ के दौरान नदियों द्वारा क्षरण होता है। प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित राज्यों को आपदा राहत निधि और प्राकृतिक आपदा आकस्मिकता निधि के तहत सहायता प्रदान की जाती है। 11वीं योजना अवधि के दौरान सभी बाढ प्रभावित राज्यों को एक राज्य क्षेत्र स्कीम नामक ‘बाढ प्रबंधन कार्यक्रम’ के तहत बाढ प्रबंधन, बाढ नियंत्रण और कटाव रोधी कायो’ के लिए केन्द्रीय सहायता उपलब्ध करायी जा रही है।

सपेरा समुदाय के लिए पुनर्वास नीति नहीं
दानवे रावसाहेब पाटील के सवाल के लिखित जवाब में पर्यावरण एवं वन राज्य मंत्री जयराम रमेश ने लोकसभा को बताया कि सपेरा समुदाय के पुनर्वास हेतु सरकार की कोई नीति नहीं है। वन्यजीव सुरक्षा कानून 1972 सांपों की आठ प्रजातियों, 14 परिवारों, जो कानून की विभिन्न अनुसूचियों में सूचीबद्ध हैं, के संग्रहण एवं अधिग्रहण को प्रतिबंधित करता है। मंत्री ने कहा कि जीवनरक्षक दवाओं के लिए निर्माण के लिए हालांकि सर्प विष के संग्रहण या तैयारी हेतु सांपों को पकडने की अनुमति प्रदेशों के मुख्य वन्यजीव वार्डनों की ओर से दी जा सकती है। तथापि सांपों को अवैध रूप से पकडने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। ’’

महिला कर्मियों के दत्तक ग्रहण अवकाश
मंदा जगन्नाथ के सवाल के लिखित जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री एवं कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन राज्य मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने आज लोकसभा को बताया कि महिला सरकारी कर्मचारियों के लिए दत्तक ग्रहण अवकाश शुरू किया गया है। शिशु दत्तक ग्रहण अवकाश 31 मार्च 2006 के कार्यालय ज्ञापन के जरिए शुरू किया गया था। वर्तमान में 180 दिवस का शिशु दत्तक ग्रहण अवकाश ऐसी सरकारी महिला कर्मचारी को उपलब्ध है जिसके एक वर्ष से कम आयु के शिशु के वैध दत्तक ग्रहण पर दो जीवित बच्चों से कम बच्चे हों। मंत्री ने बताया कि शिशु दत्तक ग्रहण अवकाश अवधि के दौरान सरकारी कर्मचारी को अवकाश्या पर जाने से तुरंत पूर्व आहरित वेतन के समकक्ष अवकाश वेतन का भुगतान किया जाता है।

लोकसभा में भाजपा का भारी हंगामा



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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस सौंप चुकी भाजपा ने आज कहा कि वह आईपीएल मुद्दे पर संयुक्त संसदीय समिति :जेपीसी: से जांच कराने की मांग पर कायम रहेगी। लोकसभा में भाजपा के उपनेता गोपीनाथ मुंडे ने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी ने आज निचले सदन में आईपीएल विवाद की जेपीसी से जांच कराने की मांग दोहराने के साथ ही सदन के विशेषाधिकार का प्रधानमंत्री द्वारा हनन करने का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा कि आईपीएल पर जेपीसी और विपक्ष की इस मांग को प्रधानमंत्री द्वारा संसद के बाहर ठुकराकर विशेषाधिकार हनन करने के मुद्दे पर पार्टी अपने रुख से पीछे नहीं हटेगी। वह कल भी सदन में इन दोनों मुद्दों को उठाएगी। गौरतलब है कि भाजपा के 50 लोकसभा सदस्यों ने कल प्रधानमंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस लोकसभा महासचिव को सौंपा था। मुंडे ने कहा कि दोनों मुद्दों पर खुद प्रधानमंत्री और सरकार जवाबदेह है। स्पैक्ट्रम आवंटन मुद्दे पर कथित अनियमितताओं को लेकर अन्ना द्रमुक और द्रमुक सदस्यों के बीच हुई नोंकझोंक और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन के नोटिस को लेकर भाजपा सदस्यों द्वारा किए गए भारी हंगामे के कारण लोकसभा की बैठक लगभग दो घंटे तक स्थगित रही। शून्यकाल शुरू होते ही भाजपा के यशवंत सिन्हा और गोपीनाथ मुंडे सहित अनेक सदस्य प्रधानमंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन के नोटिस के संबंध में अपनी बात रखे जाने की अनुमति देने की मांग करने लगे। इस पर अध्यक्ष मीरा कुमार ने अपनी व्यवस्था देते हुए कहा कि उन्हें मुंडे के अलावा 44 अन्य सदस्यों के लोकसभा की कार्यवाही संबंधी नियम 222 के तहत प्रधानमंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस मिले हैं। भाजपा ने आरोप लगाया है कि फोन टैपिंग और आईपीएल मामले में संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की मांग संसद में की गई थी लेकिन प्रधानमंत्री ने सदन के बाहर इसके गठन से इनकार करके संसद की अवमानना की है और इसी संदर्भ में उन्होंने लोकसभा में प्रधानमंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है। अध्यक्ष ने कहा कि ये नोटिस उनके विचाराधीन हैं। लेकिन भाजपा सदस्य इस बारे में अपनी बात रखे जाने की अनुमति दिए जाने की मांग करते रहे जिसकी अध्यक्ष ने अनुमति नहीं दी। उन्होंने कहा कि सदस्य उनकी व्यवस्था का सम्मान करें और बाद में वह उन्हें बोलने का अवसर देंगी।
उधर वित्त विधेयक पर विपक्ष ने 2010. 11 के आम बजट को निम्न आयवर्ग, किसानों और आम आदमी के खिलाफ बताते हुये कहा कि सरकार ने बजट में केवल उच्च आयवर्ग की सुविधाओं का ही ध्यान रखा है। विपक्ष ने 1.60 लाख से तीन लाख रुपये के आयकर स्लैब को बढाने की मांग की। वित्त विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुये भारतीय जनता पार्टी के हरेन पाठक ने कहा कि बजट तैयार करते समय सरकार ने आम आदमी और किसानों को भुला दिया और केवल राजनीतिक सोच के साथ काम किया। पाठक ने कहा कि बजट में व्यक्तिगत आयकर में जो रियायत दी गई है उससे अधिक कमाई करने वालों को ज्यादा फायदा मिला है जबकि कम कमाई वाले तबके को कोई लाभ नहीं मिला। उन्होंने कहा कि एक लाख 60 हजार से लेकर तीन लाख की सालाना आय वर्ग के करदाताओं को बजट में कोई लाभ नहीं मिला है, इसे बढाया जाना चाहिये। उन्होंने मकान को किराये पर देने तथा प्रशिक्षण एवं कोचिंग कार्यों में लगे धर्मार्थ ट्रस्टों को कर के दायरे में लेने के बजट प्रावधानों की आलोचना की। सदन में उपस्थित वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की तरफ मुखातिब होते हुये पाठक ने कहा कि कोई भी कर पिछली तिथि से लागू नहीं होना चाहिये। मकान को किराये पर देने को अब सेवाकर के दायरे में ले लिया गया है। इस संबंध में कानून की परिभाषा में ही बदलाव कर दिया गया है। इसे पिछली तिथि से लागू किया गया है। इसी प्रकार प्रशिक्षण और कोचिंग देने वाले धमार्थ ट्रस्टों पर भी वर्ष 2003 से कर लगा दिया गया है।

मीरा, अंसारी प्रश्नकाल पर गंभीर!


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प्रश्नकाल बाधित होने से पहले बार-बार लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार अपनी चिंताएं सार्वजनिक कर चुकी हैं। अब राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी भी उन्हीं मनःस्थितियों से दो-चार हो रहे हैं। राज्यसभा में बुधवार को लगातार तीसरे दिन भी प्रश्नकाल के दौरान विपक्षी दलों के हंगामे से व्यथित अंसारी ने कहा कि अगर प्रश्नकाल इतना अप्रासंगिक हो गया है तो क्यों न सदन के नियम 38 को प्रभावी कर उसके समय में बदलाव किया जाए। राज्यसभा में बुधवार सुबह बैठक शुरू होते ही भाजपा, वाम दलों और अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने अपने स्थान पर खड़े होकर फोन टैपिंग के बारे में अखबार में छपी एक खबर पर सरकार से वक्तव्य मांगना शुरू कर दिया। हंगामे के बीच अंसारी ने कहा कि अगर प्रश्नकाल इतना अप्रासंगिक हो गया है तो सदन के नियम 38 को प्रभावी कर उसके समय को बदला जा सकता है और वह दिन में ही इस बारे में कोई फैसला करेंगे। उन्होंने कहा कि सदन में प्रश्नकाल के दौरान सदस्यों की ओर से लगातार व्यवधान डाला जा रहा है।
पिछले कई वर्षों से प्रश्नकाल में व्यवधान बढ़ते जाने से चिंतित लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने बताया कि वह इसे सुबह की बजाय शाम को करने के बारे जल्द ही सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से रजामंदी लेने के लिए उनसे सलाह-मशविरा करेंगी। इसी तरह पिछले दिनो 23 अप्रैल को मीरा ने कहा कि मैं राजनीतिक दलों के नेताओं को पत्र लिखूँगी। हम देखेंगे कि क्या प्रश्नकाल को सुबह के बजाय शाम के समय किया जा सकता है। अभी दोनों सदन शुरू होते ही प्रश्नकाल सुबह 11 से 12 बजे के बीच होता है। मीरा पहले भी प्रश्नकाल का समय बदलने के बारे में संकेत दे चुकी हैं। बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले दो दिन दंतेवाड़ा नक्सली हमले और शशि थरूर से जुड़े आईपीएल विवाद पर हंगामे के चलते प्रश्नकाल नहीं हो सका था। मीरा ने कहा कि मैं ऐसे उपायों के बारे में सोच रही हूँ, जिससे प्रश्नकाल बाधित न होने पाए। उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल बार-बार निशाना बनता है लेकिन यही वह व्यवस्था है जो संसद को सही मायनों में एक जन संस्था बनाती है, जहाँ जनता के प्रति विधायिका की जिम्मेदारी स्थापित होती है। उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल को बचाने के लिए जो भी सही उपाय होंगे, वे किए जाएँगे।
उधर, राज्यसभा में आज रक्षामंत्री ए के एंटनी ने डा जनार्दन वाघमरे के प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि सरकार पांच वर्ष की अवधि में राष्ट्रीय कैडेट कोर की कैडेटों की स्वीकृत संख्या को 13 लाख से बढ़ाकर 15 लाख तक करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। थलसेना नौसेना और वायुसेना विंग्स के 777 राष्ट्रीय कैडेट कोर यूनिट हैं जो पूरे देश में फैली हुई है। गृह राज्यमंत्री अजय माकन ने अलका क्षत्रिय के सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को बताया कि देश की विभिन्न राज्य सरकारों को मानव तस्करी पर रोक के लिये प्रभावी और विस्तृत नीति तैयार करने की सलाह दी गई है। मानव तस्करी गम्भीर चिंता का विषय है और सरकार ने पिछले साल देश की सभी राज्य सरकारों को ऐसी तस्करी से सम्बन्धित अपराधों को समग्र रूप से निपटाने तथा कानून का उल्लंघन करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की नीति बनाने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों से पीड़ित लोगों के बचाव, राहत और पुनर्वास के लिये भी प्रभावी और विस्तृत नीति तैयार करने को कहा गया है। लोकसभा में संजय भोई के प्रश्न के लिखित उत्तर में विदेश राज्य मंत्री प्रणीत कौर ने कहा कि भारत और ईरान के बीच वर्षों पुराना सहृदयतापूर्ण और ऐतिहासिक संबंध है। इन कारकों से व्यापार, निवेश, क्षेत्रीय सहयोग, सांस्कृति और शैक्षणिक आदान.प्रदान और एक दूसरे के यहां उच्चस्तरीय दौरे पर बल देते हुए बहुआयामी समकालीन संबंध का आधार मजबूत हुआ है। कौर ने बताया कि इस साल के बाद नयी दिल्ली में भारत के विदेश मंत्री और ईरान के वित्त एवं अर्थव्यवस्था मंत्री की मुलाकात दोनों देशों के संयुक्त आयोग की दूसरी बैठक के दौरान होने की संभावना है।
लोकसभा में आनंद प्रकाश परांजपे के प्रश्न के लिखित उत्तर में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने बताया कि दिसंबर 2004 में सुनामी आने की वजह से सिविल संरचनाओं को सहारा प्रदान करने वाला राफ्ट बुरी तरह प्रभावित हो गया था और उसे पुन: निर्मित करने की जरूरत थी। उन्होंने बताया कि इसके अलावा भारतीय उद्योगों ने कड़ी तकनीकी विशेषताओं को पूरा करने के लिए सिविल और मैकेनिकल दोनों कार्यों से संबधित कई अ5यास भी किये थे। चव्हाण ने कहा कि मार्च, 2012 तक इसके शुरू किये जाने की उम्मीद है।

समर्थऩ देने का प्रतिशोध समर्थन लेने से


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भाजपा ने लोकसभा में कल अनुदान मांगों पर पेश कटौती प्रस्तावों के खिलाफ मतदान करने के झारखंड के मुख्यमंत्री के कदम को ‘‘विश्वासघात’’ बताते हुए आज तुरंत प्रभाव से उनकी सरकार से समर्थन वापस ले लिया। संसद भवन परिसर में भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी की अध्यक्षता में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की आज हुई बैठक में यह निर्णय किया गया। लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज और यशवंत सिन्हा जैसे वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में हुई इस बैठक के बाद अनंत कुमार ने संवाददाताओं को बताया कि पार्टी ने शिबू सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड सरकार से समर्थन तुरंत प्रभाव से लेने का फैसला किया है।’’ उन्होंने यह भी बताया कि पार्टी ने झारखंड सरकार में शामिल भाजपा के मंत्रियों से भी इस्तीफा देने का निर्देश जारी कर दिया है। लगता है हर विपक्षी राजनीतिक दल बेसब्री से राजनीतिक प्रतिशोध के मौके का इंतजार करते रहता है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन और बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती की कल कटौती प्रस्ताव अपनी गई रणनीति से तो ऐसी ही आभास मिलता है। कांग्रेस को समर्थन देते समय मायावती ने निश्चित ही अपने सांसद सिपहसालारों के साथ इस सवाल पर गंभीर मंत्रणा की होगी कि हमे क्यों कांग्रेस के पक्ष में खड़े हो जाना चाहिए। मायावती ने समर्थन की घोषणा के लिए लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस कल की, लेकिन सदन में बैठे उनके लोग एक दिन पहले से ही नई रणनीति के रास्ते चल पड़े थे। यानी समर्थन का निर्णय चार-पांच दिन पहले लिया जा चुका था, जब भाजपा आदि ने कटौती प्रस्ताव पर मतदान यानी सरकार को शक्ति परीक्षण की मुश्किल में डालने के संकेत दे दिए थे। जहां तक बात इस सवाल की है कि बसपा ने ये रणनीति क्यों अपनाई, जबकि उत्तर प्रदेश में उसकी सबसे कड़ी प्रतिस्पर्धी कांग्रेस बनी हुई है और उसने विधानसभा चुनाव में उसे (बसपा को) पछाड़कर प्रदेश की सत्ता हथियाने का अभियान सा छेड़ रखा है। साथ ही, पिछले लोकसभा चुनाव नतीजों ने उसे पहले से चौंका रखा है,...तो इस पर सूबे के सियासी समझदार कहते हैं कि जिस तरह बसपा के सवाल पर सभी गैरबसपा पार्टियां हमलावर हो जाती हैं, उसी तरह बसपा ने भी उन्ही के बीच से सबसे ताकतवर सरपंच की सांकल छूकर उनके बीच एक दूसरे के प्रति अविश्वास का बीज बोने की समझदारी दिखाई है। अब दूसरी मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी सपा ये सपने में भी सोचने से रही कि सीबीआई के सिरे से कांग्रेस सिर्फ मुलायम सिंह को ही अभयदान दे सकती है अथवा उनके जोड़ीदार लालू यादव को। मायावती कहती हैं कि संसद में लाए जा रहे कटौती प्रस्ताव पर बीएसपी इसलिए केंद्र के साथ हुई क्योंकि वह नही चाहती की इस बात का फायदा उठाकर साप्रदायिक ताकते केंद्र सरकार को गिराकर वापस शक्तिशाली हो जाएं।साथ ही वह सफाई भी देती हैं कि सरकार को कटौती प्रस्ताव पर बीएसपी के द्वारा दिए जा रहे समर्थन को सीबीआई जांच से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। जहां तक सांप्रदायिक ताकतों के शक्तिशाली बन जाने का उनका तर्क है, तो इसे मात्र राजनीतिक बहाना कहा जा सकता है। उन्हीं राजनीतिक ताकतों के बीच से संसद में लखनऊ का प्रतिनिधित्व कर रहे लालजी टंडन को वह राखी बांधती हैं। अतीत में वह भाजपा की मदद से सरकार की साझीदार भी रह चुकी हैं। और भी कई बाते हैं। जहां तक बिना कहे-पूछे सीबीआई वाली बात पर सफाई देने की उनकी कोशिश है, तो ये मिथ्यालाप बसपा कार्यकर्ताओं के गले तो उतर सकता है, किसी अन्य दल या बौद्धिक विमर्श कर्ताओं के नहीं। जबकि असली वजह ही यही रही है। मायावती पर सीबीआई की तलवार लटकाई भी इसी उद्देश्य से गई है कि जांच अंजाम तक पहुंचा दी गई तो उनकी राजनीति का क्या होगा। इसी डर ने राजग-सपा मुखियाओं को भी खुल कर नहीं खेलने दिया है। आगे मायावती और राहुल गांधी दोनों की मुश्किल ये हो सकती है कि वे समर्थन से उठे भभके पर धूल डालने के लिए आगे कौन-से कुतर्क गढ़कर पब्लिक को मोटिवेट करने में कामयाब हो पाते हैं। वैसे जिस तरह से आज राजनीति की जा रही है, जनता को इस्तेमाल किए जाने के लिए कुछ भी कहकर काम चलाया जा सकता है। जात-बल, धन-बल, सत्ता-बल जैसे तमाम पैने हथियार धरे पड़े हैं। इन्हीं आश्वस्त किए रखने वाले उपायों ने लालू प्रसाद, मुलायम सिंह आदि को भी कांग्रेस के साये में बने रहने को विवश किया।
कल का दूसरा सबसे चौंकाने वाला कारनामा रहा झारखंड के मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का। संप्रग के पक्ष में उनका वोट पड़ जाने से भाजपा की भृकुटियां तन गई हैं। अंदरूनी सूत्रों की बात पर यकीन करें तो सोरेन के इस कदम को हवा राजग के कोटरे से मिली थी। समर्थन की बात पर यद्यपि सोरेन कहते हैं कि सरकार के पक्ष में मतदान गलती से हुआ और झारखंड में कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोई योजना नहीं है। झामुमो के सांसद और मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन भी कहते हैं कि पापा से यह गलती से हुआ। लेकिन सच्चाई ये है कि इतने बड़े राजनीतिक पद पर बैठे किसी व्यक्ति के कृत्य को मानवीय भूल मान लिया जाए। बात वही कि हजम नहीं हुई। जैसे कि मायावती का सांप्रदायिक ताकतों वाला तर्क। वे तो यहां तक कहते हैं कि मतदान के दौरान पैदा हुए भ्रम के बारे में उन्होंने भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी से स्थिति स्पष्ट कर दी है। सोरेन सत्ता के समीकरण में कांग्रेस को ज्यादा मुफीद पाते हुए भाजपा से प्रतिशोध का संदेश दे गए है। प्रतिशोध किस बात का, भाजपा और झामुमो दोनों को पता है। साफ तौर पर बात ये बात भी बताई जाती है कि कटौती प्रस्ताव पर मतदान के दौरान संप्रग सरकार के पक्ष में जाने पर मान लिया गया था कि झारखंड में सत्ता के नये समीकरण बनने वाले हैं। भाजपा कह भी चुकी है कि शिबू सोरेन ने विश्वासघात किया है। यशवंत सिह्ना कहते हैं कि सोरेन ने ऐसा जानबूझ कर किया है तो हमे तत्काल झारखंड में उनकी सरकार से हाथ खींच लेना चाहि। अब देखते जाइए, यूपी और झारखंड में आगे-आगे होता है क्या!










समर्थऩ में प्रतिशोध के स्वर [ संप्रग, सोरेन और मायावती ]



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लगता है हर विपक्षी राजनीतिक दल बेसब्री से राजनीतिक प्रतिशोध के मौके का इंतजार करते रहता है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन और बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती की कल कटौती प्रस्ताव अपनी गई रणनीति से तो ऐसी ही आभास मिलता है। कांग्रेस को समर्थन देते समय मायावती ने निश्चित ही अपने सांसद सिपहसालारों के साथ इस सवाल पर गंभीर मंत्रणा की होगी कि हमे क्यों कांग्रेस के पक्ष में खड़े हो जाना चाहिए। मायावती ने समर्थन की घोषणा के लिए लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस कल की, लेकिन सदन में बैठे उनके लोग एक दिन पहले से ही नई रणनीति के रास्ते चल पड़े थे। यानी समर्थन का निर्णय चार-पांच दिन पहले लिया जा चुका था, जब भाजपा आदि ने कटौती प्रस्ताव पर मतदान यानी सरकार को शक्ति परीक्षण की मुश्किल में डालने के संकेत दे दिए थे। जहां तक बात इस सवाल की है कि बसपा ने ये रणनीति क्यों अपनाई, जबकि उत्तर प्रदेश में उसकी सबसे कड़ी प्रतिस्पर्धी कांग्रेस बनी हुई है और उसने विधानसभा चुनाव में उसे (बसपा को) पछाड़कर प्रदेश की सत्ता हथियाने का अभियान सा छेड़ रखा है। साथ ही, पिछले लोकसभा चुनाव नतीजों ने उसे पहले से चौंका रखा है,...तो इस पर सूबे के सियासी समझदार कहते हैं कि जिस तरह बसपा के सवाल पर सभी गैरबसपा पार्टियां हमलावर हो जाती हैं, उसी तरह बसपा ने भी उन्ही के बीच से सबसे ताकतवर सरपंच की सांकल छूकर उनके बीच एक दूसरे के प्रति अविश्वास का बीज बोने की समझदारी दिखाई है। अब दूसरी मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी सपा ये सपने में भी सोचने से रही कि सीबीआई के सिरे से कांग्रेस सिर्फ मुलायम सिंह को ही अभयदान दे सकती है अथवा उनके जोड़ीदार लालू यादव को। मायावती कहती हैं कि संसद में लाए जा रहे कटौती प्रस्ताव पर बीएसपी इसलिए केंद्र के साथ हुई क्योंकि वह नही चाहती की इस बात का फायदा उठाकर साप्रदायिक ताकते केंद्र सरकार को गिराकर वापस शक्तिशाली हो जाएं।साथ ही वह सफाई भी देती हैं कि सरकार को कटौती प्रस्ताव पर बीएसपी के द्वारा दिए जा रहे समर्थन को सीबीआई जांच से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। जहां तक सांप्रदायिक ताकतों के शक्तिशाली बन जाने का उनका तर्क है, तो इसे मात्र राजनीतिक बहाना कहा जा सकता है। उन्हीं राजनीतिक ताकतों के बीच से संसद में लखनऊ का प्रतिनिधित्व कर रहे लालजी टंडन को वह राखी बांधती हैं। अतीत में वह भाजपा की मदद से सरकार की साझीदार भी रह चुकी हैं। और भी कई बाते हैं। जहां तक बिना कहे-पूछे सीबीआई वाली बात पर सफाई देने की उनकी कोशिश है, तो ये मिथ्यालाप बसपा कार्यकर्ताओं के गले तो उतर सकता है, किसी अन्य दल या बौद्धिक विमर्श कर्ताओं के नहीं। जबकि असली वजह ही यही रही है। मायावती पर सीबीआई की तलवार लटकाई भी इसी उद्देश्य से गई है कि जांच अंजाम तक पहुंचा दी गई तो उनकी राजनीति का क्या होगा। इसी डर ने राजग-सपा मुखियाओं को भी खुल कर नहीं खेलने दिया है। आगे मायावती और राहुल गांधी दोनों की मुश्किल ये हो सकती है कि वे समर्थन से उठे भभके पर धूल डालने के लिए आगे कौन-से कुतर्क गढ़कर पब्लिक को मोटिवेट करने में कामयाब हो पाते हैं। वैसे जिस तरह से आज राजनीति की जा रही है, जनता को इस्तेमाल किए जाने के लिए कुछ भी कहकर काम चलाया जा सकता है। जात-बल, धन-बल, सत्ता-बल जैसे तमाम पैने हथियार धरे पड़े हैं। इन्हीं आश्वस्त किए रखने वाले उपायों ने लालू प्रसाद, मुलायम सिंह आदि को भी कांग्रेस के साये में बने रहने को विवश किया।
कल का दूसरा सबसे चौंकाने वाला कारनामा रहा झारखंड के मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का। संप्रग के पक्ष में उनका वोट पड़ जाने से भाजपा की भृकुटियां तन गई हैं। अंदरूनी सूत्रों की बात पर यकीन करें तो सोरेन के इस कदम को हवा राजग के कोटरे से मिली थी। समर्थन की बात पर यद्यपि सोरेन कहते हैं कि सरकार के पक्ष में मतदान गलती से हुआ और झारखंड में कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोई योजना नहीं है। झामुमो के सांसद और मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन भी कहते हैं कि पापा से यह गलती से हुआ। लेकिन सच्चाई ये है कि इतने बड़े राजनीतिक पद पर बैठे किसी व्यक्ति के कृत्य को मानवीय भूल मान लिया जाए। बात वही कि हजम नहीं हुई। जैसे कि मायावती का सांप्रदायिक ताकतों वाला तर्क। वे तो यहां तक कहते हैं कि मतदान के दौरान पैदा हुए भ्रम के बारे में उन्होंने भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी से स्थिति स्पष्ट कर दी है। सोरेन सत्ता के समीकरण में कांग्रेस को ज्यादा मुफीद पाते हुए भाजपा से प्रतिशोध का संदेश दे गए है। प्रतिशोध किस बात का, भाजपा और झामुमो दोनों को पता है। साफ तौर पर बात ये बात भी बताई जाती है कि कटौती प्रस्ताव पर मतदान के दौरान संप्रग सरकार के पक्ष में जाने पर मान लिया गया था कि झारखंड में सत्ता के नये समीकरण बनने वाले हैं। भाजपा कह भी चुकी है कि शिबू सोरेन ने विश्वासघात किया है। यशवंत सिह्ना कहते हैं कि सोरेन ने ऐसा जानबूझ कर किया है तो हमे तत्काल झारखंड में उनकी सरकार से हाथ खींच लेना चाहि। अब देखते जाइए, यूपी और झारखंड में आगे-आगे होता है क्या!