Saturday, January 16, 2010

वाकई दुनिया कितनी रंगीन है, उफ् कितनी बदरंग भी!!

सुर्खियां भी कैसे-कैसे रंग बदलती हैं....थोड़ा शशि थरूर तो थोड़ा शिवराज पाटिल, थोड़ा ममता बनर्जी तो थोड़ा मायावती। और इन्हीं रंगों में झलकते हैं अमर सिंह के रंग, तबादलों और नियुक्तियों के निकष पर कसे जा रहे मौजूदा-भावी राज्यपालों के रंग...जाने कितने रंग राजनीति के, देश के, दुनिया के....इन्हीं रंगों के साथ रंग महंगाई के, मुखमरी के, बोरोजगारी के, पुलिस तंत्र और अपराधियों के, गरीब-गुरबा और धनी-मानी के...वाकई दुनिया कितनी रंगीन है, उफ् कितनी बदरंग भी!! इन सब तरह के रंगों का एक रंग sansadji.com...सांसदजी डॉट कॉम.

Friday, January 15, 2010

भोजपुरी और सांसदः मिले सुर मेरा तुम्हारा तो सुर बने हमारा


दिल्ली में पूर्वांचल एकता मंच से जो आवाज उठी है, जो सुर गूंजा है, कल के विश्व भाषा समुदाय में वह एक बड़ी ताकत बनने जा रहा है। भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग निकट भविष्य में संसद में गूंज सकती है। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, मशहूर अभिनेता एवं भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिंहा, उतर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस सांसद जगदिम्बका पाल, वरिष्ठ भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद, सिवान के सांसद ओमप्रकाश, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद रघुवंश प्रसाद सिंह, सांसद प्रभुनाथ सिंह, राजीव प्रताप रूढ़ी, महाबल मिश्रा, मीना सिंह, सुशील कुमार सिंह आदि क्या सोचते हैं, क्या कहते हैं भोजपुरी भाषा के बारे में....
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दो टूकः बिहार कांग्रेस का नारा...जात पर न पांत पर!

बिहार की ताजा सियासी जाति-जंग दक्षिण भारत के उसी वाकये का ध्यान दिलाती है, जिसमें एक दलित युवक को ऐसी असहनीय अमानवीय यातना से गुजरना पड़ा कि उसने आत्महत्या तक की ठान ली। ऊंची जातिवालों ने उसके मुंह में मानव मल ठूंसने के बाद बुरी तरह पीटा भी। सदायंदी नामक उस दलित युवक का गुनाह सिर्फ इतना भर था कि वह चप्पल पहन कर ऊंची जातिवालों के मोहल्ले से गुजर रहा था। उस मोहल्ले से गुजरने वाले दलित बुजर्ग आज भी इस सामंती उसूल पर सख्ती से अमल करते हैं, लेकिन युवक ने चप्पल पहन कर गुनाह कर दिया। कोई इसलिए महान हो जाता है, बच्चा ऊंची जाति के घर जन्मता है, नीची जाति के घर जन्मने वाले बच्चे का गुनाह होता है, किसी सवर्ण कुल में पैदा न होना। पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, जगजीवन राम जिन जात-पांत विरोधी मूल्यों के खिलाफ जूझते रहे, आज भारत की पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के नाम के साथ जाति का उल्लेख कर बिहार कांग्रेस ने पूरी पार्टी परंपरा के मुंह पर कालिख पोत दिया है। बिहार में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के 562 पदाधिकारियों की लंबी सूची में जाति का उल्लेख करने और लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को विवाद में खींचने को लेकर आलोचना का सामना कर रही कांग्रेस अब इस पूरे मामले की जांच करा रही है। पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी कहते हैं कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति और लोकसभा अध्यक्ष की छवि खराब करने का कोई इरादा नहीं है। यह दस्तावेज सार्वजनिक कैसे हुआ, इसकी जांच करायी जाएगी। जांच की प्रक्रिया चल रही है। इस पूरे मामले पर क्या कहती हैं सोनिया गांधी, क्या कहते हैं बिहार कांग्रेस प्रभारी जगदीश टायटलर, क्या कहती हैं मीरा कुमार...........सविस्तार पढ़िए sansadji.com...सांसदजी डॉट कॉम पर

Wednesday, January 13, 2010

दो टूकः मीडिया ने लगाई मुलायम के घर आग

आज समाजवादी पार्टी के ठीये पर जो ऊंची लपटें उठ रही हैं, उसमें रामगोपाल यादव और अमर सिंह की जो चित्कारें सुनाई दे रही हैं, वह आग किसी और की नहीं, मीडिया की लगाई हुई है। मीडिया यानी चैनल और अखबार। पहली चिंगारी फेंकने में किंचित पहल अमर सिंह की भी मानी जा सकती है, जो पार्टी की अंदरूनी कलह को उस माध्यम (ब्लॉग) से सरेआम करने लगे, जिसे जो चाहे पढ़ सकता है। अमर सिंह ऐसा करते समय यह अच्छी तरह जानते थे कि ब्लॉग पर लिखी बातें सार्वजनिक होंगी ही। इस भूमिका को घर के भेदी वाली बात भी कही जा सकती है। बल्कि यह भी कहा जा सकता है कि अमर सिंह ने ऐसा जानबूझ कर किया। अपने प्रति रामगोपाल यादव और उनके बंधु-बांधवों के रवैये पर वह शायद मुलायम सिंह से भी निराश और निरुत्तरित हो चुके थे। उन्हें लगा होगा कि अब चुप रहने से उनकी आज तक की सारी राजनीतिक कमाई मिट्टी मिल जाएगी। इसलिए उन्होंने खुल्लमखुल्ला ब्लॉग के सहारे तेजी से अपना पार्टी विरोधी रुख उजागर कर दिया। उधर, रामगोपाल यादव भी अमर सिंह की वजह से पार्टी में नंबर-दो की हैसियत वाली लड़ाई में खुद को कमजोर पाते हुए ऐसे ही मौके की तलाश और प्रतीक्षा में थे। उनके साथ ऐसे कई बड़े नेता गुटबंद थे, जिन्हें अमर सिंह के चलते मुश्किलें हो रही थीं। आजम खां, राज बब्बर जैसे लोग, जो सपा से बाहर भले ही थे, सपा के भीतर जो उनके दोस्त-मित्र बचे रह गए, उनके माध्यम से छिपे तौर पर इस प्रयास में थे ही कि अमर सिंह को पछाड़ दिया जाए। रामगोपाल का मामला उछलने के बाद वे सभी सक्रिय हो चुके थे। इसी मौके को ताड़ते हुए मीडिया ने सपा की कमजोर नब्ज को ऐंठना शूरू किया। मुलायम सिंह, अमर सिंह, रामगोपाल यादव, या सपा के खिलाफ उनके विरोधियों के मुंह में उंगली डाल-डाल कर बातें उगलवाई जाने लगीं।
मसलन, चैनलों के सवालों की बानगी देखिए -
....हां तो आजम खां जी, आप अमर सिंह के बारे में क्या कह रहे थे?......जी, राज बब्बर जी, आगे आपको सपा का भविष्य कैसा दिखता है? .....बेनीप्रसाद जी का मुलायम सिंह के बारे में क्या कहना है, आइए खुद उनके मुंह से सुन लीजिए.....अमित जी (अमिताभ बच्चन) क्या जया बच्चन भी संजय दत्त की तरह अमर सिंह के पक्ष में खड़ी होने जा रही हैं? ......लगता है, जया प्रदा और अनिल अंबानी भी अमर सिंह के साथ होंगे। और भी कई तरह की बकवाद...चासनी...खबरफरोशियां!!
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Monday, January 11, 2010

बेबाक टिप्पणीः मुलायम और अमर की पीड़ा का रंग एक है!

सपा के राज्यसभा सदस्य अमर सिंह के इस्तीफे को लेकर देश का मीडिया जगत कोहराम मचाए हुए है लेकिन सभी चैनल और अखबार मसले को ऊपरी तौर पर परोसते हुए वास्तविकता से लोगों को वाकिफ कराने से परहेज कर रहे हैं। दरअसल, ये पूरी धींगामुश्ती जातिवादी सियासत में परिवारवाद बनाम वर्चस्व की जंग है...... कैसे? पूरी सच्चाई जानिए... sansadji.com... सांसदजी डॉट कॉम पर