Monday, April 12, 2010

कटौती प्रस्ताव पर भाजपा का भी ऐलान


(sansadji.com)

लगभग एक दर्जन गैर-राजग और गैर-संप्रग दल तो संसद में कटौती प्रस्ताव लाने पर एका बना ही रहे हैं, भाजपा ने भी आज ऐलान कर दिया। कुल मिलाकर तस्वीर फरवरी में आम बजट संसद पटल पर रखे जाने जैसी बनती जा रही है। भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने आज दिल्ली में कहा कि पार्टी संसद में सरकार के आम बजट पर कटौती प्रस्ताव लाने पर दृढ़ है।
उन्होंने कहा कि पार्टी इस संबंध में वह अन्य दलों के साथ सदन में सामंजस्य स्थापित करेगी। इस विषय पर अन्य दल भी कटौती प्रस्ताव रख सकते हैं और यह एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। वाम दलों की ओर से भी कटौती प्रस्ताव पेश किये जाने के बारे में पूछे गए प्रश्न पर उन्होंने कहा कि अगर एक ही विषय पर अलग अलग दल कटौती प्रस्ताव पेश करते हैं तो भाजपा इस विषय पर सदन में अन्य पार्टियों से सामंजस्य स्थापित करेगी और अन्य दलों का भी समर्थन करेगी। हम कटौती प्रस्ताव की सफलता के लिए हर कदम उठायेंगे। हम इस विषय पर सरकार को कटघरे में खड़ा करेंगे। परमाणु दायित्व विधेयक पर एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि हम परमाणु दायित्व विधेयक के वर्तमान प्रावधानों से सहमत नहीं हैं। हम परमाणु आपदा का भार आम जनता पर डालने के पूरी तरह से खिलाफ हैं और इसलिए 500 करोड़ रूपये की आपदा जोखिम राशि की बाध्यता से सहमत नहीं हैं। हम चाहते हैं कि सरकार इस विषय पर अपना रुख स्पष्ट करे। उधर विपक्षी दल आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी को रोकने में सरकार की ‘विफलता’ के खिलाफ अप्रैल के अंतिम सप्ताह में राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ने यानी भारत बंद पर विचार कर सकते हैं। कटौती प्रस्ताव सरकार के लिए लोकसभा में शक्ति परीक्षण हो सकता है। यदि प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया तो यह वित्त मुद्दे पर सरकार की हार होगी और उसे इस्तीफा देना पड़ेगा। बजट सत्र का दूसरा चरण दंतेवाड़ा नरसंहार की छाया के बीच 15 अप्रैल से शुरू हो रहा है, जिसने माओवादी समस्या को लेकर अभूतपूर्व स्थिति पैदा कर दी और गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने इस्तीफे की पेशकश तक कर डाली। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे वाम दल ऐसी नीति पर काम कर रहे हैं, जिससे भाजपा सहित समूचा विपक्ष एकल कटौती प्रस्ताव पर मतदान कर सके। भाकपा महासचिव ए.बी. बर्धन कहते हैं कि हालांकि प्रत्येक दल वित्त विधेयक पर कटौती प्रस्ताव लाने की सोच रहा है, लेकिन हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि पूरे विपक्ष के सभी सांसद एकजुट होकर एकल कटौती प्रस्ताव पर मतदान करें। भारतीय जनता पार्टी कह चुकी है कि वह 2010-11 के बजट प्रस्तावों में महंगाई से त्रस्त आम आदमी के हितों से जुडे मुद्दों पर कई कटौती प्रस्ताव लाएगी और उसे भरोसा है कि अन्य राजनीतिक दल उसका समर्थन करेंगे। राज्य सभा में भाजपा के उपनेता एस एस अहलुवालिया कहते हैं कि डीजल के शुल्क में वृद्धि. उर्वरक के दाम में बढोतरी और किस्तों पर मकान खरीदनेवालों को सर्विस टैक्स के दायरे में लाने जैसे कई मुद्दों पर कटौती प्रस्ताव लाए जाएंगे। अगर कोई सरकारी प्रावधान जनविरोधी होगा और किसी भी दल के कटौती प्रस्ताव पर सहमति बनती है तो सरकार हारेगी। यह तो सरकार को तय करना है कि वह क्या चाहती है। राजनीतिक दल के संसदीय दल में चर्चा के बाद ही किसी कटौती प्रस्ताव पर सहमति बनती है। अब तक हर दल इस परंपरा का पालन करता रहा हैं और हम कोई नई परंपरा नही डालने जा रहे हैं। बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद से ही विपक्ष महंगाई के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरने की ताक में है। विपक्ष पहले लोकसभा में विपक्ष कामरोको प्रस्ताव के तहत ही चर्चा करना चाहता था, लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई। फिर लोकसभा में हंगामा, बहिष्कार का दौर चलता रहा था। राज्यसभा में विपक्ष की मांग पर प्रश्नकाल स्थगित करके महंगाई पर चर्चा कराने की बात तय हुई थी। महंगाई पर विपक्ष के तीखे तेवरों को देखते हुए संसद परिसर में पत्रकारों के एक सवाल के जबाव में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि विपक्ष दल सदन की कार्यवाही चलने दें, संसदीय प्रक्रिया में बाधा न पहुंचाएं।

1 comment:

Jandunia said...

सराहनीय पोस्ट