Wednesday, April 14, 2010
कटौती प्रस्ताव के अंदेशों के साथ संसद सत्र आज से, सोनिया-प्रणव मिले
(sansadji.com)
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुरुवार से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण की पूर्व संध्या पर बुधवार को यहां वरिष्ठ पार्टी नेता प्रणव मुखर्जी और ए के एंटनी के साथ बैठक की। इन नेताओं ने संसद में उठाए जाने वाले मुद्दों पर अपनाई जाने वाली रणनीति पर विचार विमर्श किया। इस सत्र के दौरान मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और वाम मोर्चा द्वारा मूल्य वृद्धि पर कटौती प्रस्ताव पेश किए जाने की पूरी संभावना है। सूत्रों के अनुसार श्रीमती गांधी ने वरिष्ठ पार्टी नेताओं के साथ विदेश राज्य मंत्री शशि थरुर के आईपीएल की कोच्चि टीम में अपनी कथित महिला मित्र सुनंदा पुष्कर को हिस्सेदारी दिलवाने पर उठे विवादों के बारे में भी चर्चा की। थरूर भाजपा और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की आलोचना का शिकार बने है क्योंकि कोच्चि की आईपीएल टीम में उनकी मित्र सुनंदा पुष्कर को करीब 70 करोड़ रुपये मुफ्त इक्विटी मिली है। कांग्रेस प्रवक्ता जर्नादन द्विवेदी ने कहा कि इस संबंध में सभी तथ्यों को देखने के बाद ही कोई राय अथवा रुख बनाया जाएगा। 15 अप्रैल से शुरू हो रहा आम बजट का शेष संसद-सत्र कई और दुश्वारियां लेकर आ रहा है। लगभग एक दर्जन गैर-राजग और गैर-संप्रग दल तो संसद में कटौती प्रस्ताव लाने पर एका बना ही चुके हैं, भाजपा ने भी ऐलान कर रखा है। कुल मिलाकर तस्वीर फरवरी में आम बजट संसद पटल पर रखे जाने जैसी पहले से तैयार है। भाजपा ने कहा है कि पार्टी संसद में सरकार के आम बजट पर कटौती प्रस्ताव लाने पर दृढ़ है। पार्टी इस संबंध में वह अन्य दलों के साथ सदन में सामंजस्य स्थापित करेगी। इस विषय पर अन्य दल भी कटौती प्रस्ताव रख सकते हैं और यह एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। वाम दलों की ओर से भी कटौती प्रस्ताव पेश किये जाने के बारे में पूछे गए प्रश्न पर कहा गया है कि अगर एक ही विषय पर अलग अलग दल कटौती प्रस्ताव पेश करते हैं तो भाजपा इस विषय पर सदन में अन्य पार्टियों से सामंजस्य स्थापित करेगी और अन्य दलों का भी समर्थन करेगी। हम इस विषय पर सरकार को कटघरे में खड़ा करेंगे। परमाणु दायित्व विधेयक पर एक प्रश्न के उत्तर में भाजपा कह चुकी है कि हम परमाणु दायित्व विधेयक के वर्तमान प्रावधानों से सहमत नहीं हैं। हम परमाणु आपदा का भार आम जनता पर डालने के पूरी तरह से खिलाफ हैं और इसलिए 500 करोड़ रूपये की आपदा जोखिम राशि की बाध्यता से सहमत नहीं हैं। हम चाहते हैं कि सरकार इस विषय पर अपना रुख स्पष्ट करे। उधर विपक्षी दल आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी को रोकने में सरकार की ‘विफलता’ के खिलाफ अप्रैल के अंतिम सप्ताह में राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ने यानी भारत बंद पर विचार कर चुके हैं। कटौती प्रस्ताव सरकार के लिए लोकसभा में शक्ति परीक्षण हो सकता है। यदि प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया तो यह वित्त मुद्दे पर सरकार की हार होगी और उसे इस्तीफा देना पड़ेगा। बजट सत्र का दूसरा चरण दंतेवाड़ा नरसंहार की छाया के बीच 15 अप्रैल से शुरू हो रहा है, जिसने माओवादी समस्या को लेकर अभूतपूर्व स्थिति पैदा कर दी और गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने इस्तीफे की पेशकश तक कर डाली। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे वाम दल ऐसी नीति पर काम कर रहे हैं, जिससे भाजपा सहित समूचा विपक्ष एकल कटौती प्रस्ताव पर मतदान कर सके। भाकपा महासचिव ए.बी. बर्धन कहते हैं कि हालांकि प्रत्येक दल वित्त विधेयक पर कटौती प्रस्ताव लाने की सोच रहा है, लेकिन हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि पूरे विपक्ष के सभी सांसद एकजुट होकर एकल कटौती प्रस्ताव पर मतदान करें। राज्य सभा में भाजपा के उपनेता एस एस अहलुवालिया कहते हैं कि डीजल के शुल्क में वृद्धि. उर्वरक के दाम में बढोतरी और किस्तों पर मकान खरीदनेवालों को सर्विस टैक्स के दायरे में लाने जैसे कई मुद्दों पर कटौती प्रस्ताव लाएंगे। अगर कोई सरकारी प्रावधान जनविरोधी होगा और किसी भी दल के कटौती प्रस्ताव पर सहमति बनती है तो सरकार हारेगी। यह तो सरकार को तय करना है कि वह क्या चाहती है। राजनीतिक दल के संसदीय दल में चर्चा के बाद ही किसी कटौती प्रस्ताव पर सहमति बनती है। अब तक हर दल इस परंपरा का पालन करता रहा हैं और हम कोई नई परंपरा नही डालने जा रहे हैं। बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद से ही विपक्ष महंगाई के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरने की ताक में है। विपक्ष पहले लोकसभा में विपक्ष कामरोको प्रस्ताव के तहत ही चर्चा करना चाहता था, लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई। फिर लोकसभा में हंगामा, बहिष्कार का दौर चलता रहा था। राज्यसभा में विपक्ष की मांग पर प्रश्नकाल स्थगित करके महंगाई पर चर्चा कराने की बात तय हुई थी। महंगाई पर विपक्ष के तीखे तेवरों को देखते हुए संसद परिसर में पत्रकारों के एक सवाल के जबाव में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि विपक्ष दल सदन की कार्यवाही चलने दें, संसदीय प्रक्रिया में बाधा न पहुंचाएं। अब फिर उन्हीं मुश्किलों के बीच गुरुवार से संसद शुरू हो रही है।
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