Sunday, April 11, 2010

एडीआर की रिपोर्ट ने सांसदों के भेद खोले


(sansadji.com)

एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफार्म(एडीआर) के राष्ट्रीय समन्वयक अनिल बैरवाल और नेशनल इलेक्शन वॉच के प्रदेश समन्वयक राकेश रंजन ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि मध्य प्रदेश में राजनीतिक दलों को सिर्फ करोड़पति उम्मीदवारों की दरकार रहती है। संपन्न लोगों को ही चुनावों में उतारते हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में इस प्रदेश के 29 संसदीय क्षेत्रों से कुल 429 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें से 43 उम्मीदवार करोड़पति थे। इस मामले में कांग्रेस सबसे आगे रही थी जिसने 28 में से 21 करोड़पतियों को चुनाव मैदान में उतारा था। भारतीय जनता पार्टी के 29 में से 6 उम्मीदवार करोड़पति थे। बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने चार-चार करोड़पतियों को मैदान में उतारा था। वैसे तो राजनीतिक दल राजनीति के अपराधीकरण पर चिंता जताते हैं लेकिन आरोपी लोगों को भी टिकट देने से नहीं चूकते हैं। कांग्रेस ने अपने 28 में से 8, भाजपा ने दो, बसपा ने आधा दर्जन आपराधिक रिकार्ड वाले उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव जीतकर पहुंचे 29 में से चार सांसद ऐसे हैं जिन पर आपराधिक मामले लंबित हैं। इनमें से दो भाजपा और दो कांग्रेस के सांसद हैं। राजनीतिक दल साफ सुथरी राजनीति की बात करते हैं, लेकिन उसके लिए पहल नहीं करते। दोनों प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस के तमाम नेता राजनीति का अपराधीकरण रोकने की बात करते हैं परंतु उम्मीदवार बनाने की बारी आती है तो उन्हीं को चुनते हैं।

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