Tuesday, April 13, 2010

भाजपा तो चूक गईः आडवाणी की अपनी पार्टी पर तीखी टिप्पणी!


(sansadji.com)

काफी दिनों से अपनी पीड़ा को पी रहे पूर्व उपप्रधानमंत्री एवं भाजपा सांसद लालकृष्ण आडवाणी ने आखिर किसी रूप में खुलासा कर ही दिया। आडवाणी ने अपनी भावोत्तेजक टिप्पणी में कहा है कि मेरी इस बात से पार्टी के कई लोग नाखुश होंगे, लेकिन ये सच्चाई है कि भाजपा हिंदुत्व को सही अर्थों में समझने और समझाने में चूक गई है।

सांसद लालकृष्ण आडवाणी ने अपने ब्लॉग पर भाजपा की इस बड़ी भूल का जिक्र सीधे तौर पर नहीं किया है। बल्कि सीनियर लायर एवं राजनेता रामजेठमलानी के एक लेख के जिक्र के बहाने पार्टी का ऐसा कठोर आत्मालोचन किया है। उन्होंने कहा है कि भाजपा लोगों को यह समझाने में असफल रही है कि हिंदुत्व भारतीय धर्मनिरपेक्षता का पर्यायवाची है। हो सकता है कि मेरी इस टिप्पणी को पढ़ने के बाद भाजपा के कई लोग नाखुश हों, लेकिन सच्चाई तो यही है और इसे स्वीकारे जाने में कोई गलत बात नहीं होनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि आडवाणी इन दिनो लगातार अपने ब्लॉग पर लिख रहे हैं। कल उन्होंने हिंदुत्व की बाद पाकिस्तानी राइटर की एक किताब के बहाने शुरू की थी। आडवाणी ने लिखा कि हिंदू संस्कार भारत में लोकतंत्र की सफलता और धर्मनिरपेक्षता के लिए उत्तरदायी हैं। मानव के इतिहास में धर्म के क्षेत्र में विभिन्न मुद्दों पर सबसे अधिक असहिष्णुता देखी गई है। पश्चिमी देशों के विपरीत भारत में धार्मिक क्षेत्र में भी एक खुले दिमाग वाला और उदारवादी रवैया रहा है। हर परिवार ने हिंदू धर्म का अपना अलग संस्करण विकसित किया है। आप अपने विश्वास का सम्मान कर सकते हैं, किसी अन्य का नहीं। आप प्रार्थना करें या नहीं। आप शाकाहारी हो सकते हैं या मांस खा सकते हैं। इन सभी विकल्पों से यह तय नहीं होता कि आप हिंदू हैं या नहीं। हिंदू धर्म में कोई विधर्म या धर्म त्याग नहीं होता क्योंकि वहां आस्था की मूल मान्यताओं, सिद्धांतों या आज्ञाओं का कोई निर्धारित स्वरूप नहीं है। 1980 के दशक में जब वह भाजपा अध्यक्ष थे, तो कनाडा के एक चैनल ने उनसे ‘विश्व में लोकतंत्रों का उदय और पतन’ नामक श्रृंखला पर एक साक्षात्कार लिया था। वे जानना चाहते थे कि भारत में लोकतंत्र इतना सफल क्यों हुआ। लोकतंत्र की सफलता के लिए सबसे महत्वपूर्ण तत्व देश के लोगों का किसी भी मुद्दे पर विभिन्न दृष्टिकोणों का होना स्वीकार करना और विभिन्न रुखों के प्रति सहिष्णुता रखना है। और भारत में इसकी कभी कमी नहीं रही।

1 comment:

Jandunia said...

चलिए शुक्र है पीएम-इन-वेटिंग ने भाजपा की गलती मान ली।