Saturday, March 27, 2010

राहुल को ललचा गए अमेठी के समोसे



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कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने अमेठी दौरे के दूसरे दिनशनिवार को एक समोसे की दुकान के सामने अपनाकाफिला रुकवाकर गरमा-गरम समोसे खरीदे। एक आमआदमी की तरह राहुल गांधी को समोसे खरीदते देखस्थानीय लोगों की भीड़ जुट गई। दो दिवसीय दौरे केआखिरी दिन शनिवार को राहुल गांधी गौरीगंज में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक में हिस्सा लेकर लौट रहे रहे थे।रास्ते में पड़ने वाले जायस बाजार में उन्होंने एक छोटे से होटल में गरम समोसे बनते देख तुरंत अपना काफिलारुकवाकर समोसा लेने होटल पहुंच गए। गरम समोसे निकलने में कुछ समय लगने के कारण वह वहीं खड़े होकरदुकानदार से बातचीत करने लगे। अपने सांसद को एक मामूली होटल पर खड़ा देख लोगों की भीड़ जमा हो गई।राहुल लोगों की तरफ देखकर मुस्करा रहे थे। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने संवाददाताओं को बतायाकि पांच मिनट बाद गरम समोसे निकलने पर राहुल ने उन्हें पैक करवाया और आगे लिए रवाना हो गए।

सांसद हेमा ने रैंप पर लूटी वाहवाही



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भाजपा सांसद एवं प्रसिद्ध अभिनेत्री (ड्रीम गर्ल) हेमामालिनी ने रैंप पर दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी। उनकीपुत्री एवं बालीवुड अभिनेत्री ईशा देओल ने विल्स फैशनवीक में पारंपरिकलहंगापहनकर वधू के परिधान केसाथ प्रवेश किया, लेकिन हेमा मालिनी ने बी श्रेणी के शहरोंमें लोकप्रिय डिजाइनर राकी एस के लिए मां और बेटी दोनों शो स्टापर थीं। 28 वर्षीय अभिनेत्री ईशा कुछ समय केलिए फिल्मों से दूर चल रही हैं। ईशा ने मैरून और हरे रंग का लहंगा चुन्नी पहन रखा था। हेमा मालिनी नारंगी रंगका साड़ी ब्लाउज पहने हुए थीं।ड्रीमगर्लनाम से विख्यात रही वरिष्ठ अभिनेत्री के आते ही पहली पंक्ति में बैठेदर्शकों ने खड़े होकर तालियां बजायीं। ईशा ने कहा कि वह वधू के परिधान में रैंप पर चलकर बेहद खुश हैं औरनिकट भविष्य में उनका शादी का इरादा नहीं है।

राहुल के खिलाफ माया के हाथ लगा नया दांव































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राहुल अमेठी में, कोर्ट ने दिया इस क्षेत्र को छत्रपति 'शाहूजी महाराज नगर' नाम से जिला बनाने का आदेश

पूर्व में विफल रहीं बसपा सुप्रीमो मायावती शायद ही चूक करें लेकिन इस समय तो यहां मतगणना हो रही


कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी का लोकसभा क्षेत्र अमेठी उत्तर प्रदेश की सियासत में एक नए तरह की अखाड़ेबाजी का सबब बनने जा रहा है। हाईकोर्ट द्वारा जिले के रूप में छत्रपति शाहूजी महाराज नगर(अमेठी) की बहाली का जो आदेश दिया है, उससे कांग्रेस बनाम बसपा की राजनीति परस्पर और प्रखर होने के अंदेशे बढ़ चले हैं। इससे दोनों पार्टियों के बीच अदावत का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। वैसे भी कल से राहुल गांधी दो दिन के लिए सुल्तानपुर में ही डेरा डाले हुए हैं। उनकी कल की मीटिंग में कांग्रेस और बसपा विधायकों के बीच आस्तीनें भी खिंच चुकी हैं। मुद्दा बना नरेगा का भ्रष्टाचार। राहुल का कहना था कि केंद्र से मिल रहे नरेगा के पैसे को राज्य सरकार सही इस्तेमाल नहीं कर रही है। करोड़ों रुपया पात्र लोगों तक पहुंचने की बजाय भ्रष्टाचारियों की जेब में जा रहा है। कल उन्होंने माया सरकार को चेतावनी भी दे डाली कि स्थिति दुरुस्त न हुई तो केंद्र सरकार राज्य सरकार के इस मामले में सीधा हस्तक्षेप करने से नहीं चूकेगा। राहुल की इस यात्रा के साथ कुछ-एक और अप्रिय बातें रहीं। प्रशासन के साथ जहां उनकी मीटिंग होनी थी, पहले से मधुमक्खियों के छत्ते जमे हुए थे। उड़ाने के बावजूद मधुमक्खियां वहां से जाने का नाम नहीं ले रही थीं। अंत तक एसपीजी की भृकुटियां तनी रहीं। खैर, हंगामेदार बैठक तो हुई। उधर, प्लेन से उतरने के बाद अमेठी कूच करते समय राहुल के रास्ते में कोई अजनबी आ गया, जिसे पुलिस को झपटकर दबोचना पड़ा। अब नया मरोड़ अमेठी को जिले का दर्जा देने को लेकर उठ रहा है। बसपा सरकार में अमेठी संसदीय क्षेत्र की पाँचों विधानसभा सीटों को मिलाकर छत्रपतिशाहूजी महाराज नगर बनाने का फैसला हुआ था। उन दिनों कांग्रेस-बसपा में सियासी मुकाबला इस विंदु तक पहुंच गया था कि मायावती ने अमेठी में बड़ी रैली कर इस संसदीय क्षेत्र के पाँचों विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर छत्रपति शाहूजी महाराज नगर नाम से एक नए जिला बनाने की घोषणा कर दी थी। कांग्रेस इसका विरोध करने लगी थी। नया जिला गठित करने की औपचारिकताएँ पूरी होतीं, उससे पहले ही बसपा ने भाजपा से गठबंधन खत्म कर देने का फैसला ले लिया और अपनी सरकार गिरा दी थी। बाद में प्रदेश में सपा की सरकार बनी और उसने मायावती सरकार में बने सभी नए नौ जिले और चार मण्डल खत्म कर दिए थे। मामला अदालत गया और वहाँ से बहाली हो गई, लेकिन चूँकि अमेठी जिला गठित ही नहीं हो सका था इसलिए उसकी बहाली नहीं हो सकी। अब जब अदालत ने सरकार से विचार करने के लिए कहा है तो बसपा को बैठे बिठाए मनमुताबिक सियासी मुद्दा मिल गया है। ताजा पेंच ये भी है कि इस समय जनगणना चल रही है और इस दौरान कोई नया जिला, तहसील आदि नहीं बन सकती। इसलिए कोर्ट के आदेश के बावजूद तीन माह तक इस दिशा में कुछ होना मुमकिन नहीं लगता। उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ ने छत्रपति शाहू जी महाराज जिले को बहाल किए जाने के मामले में राज्य सरकार को निर्णय लेने का आदेश दिया है। पीठ ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह जिले को बहाल किए जाने के मामले में याची के अनुरोध पर तीन माह में विचार कर अपना निर्णय ले सकती है। सुल्तानपुर जिले की तीन तहसील अमेठी, गौरीगंज, मुसाफिरखाना व रायबरेली जिले की सलोन व तिलोई कुल पांच तहसीलों को जोड़कर 21 मई 2003 को तत्कालीन बसपा सरकार ने एक नया जिला छत्रपति शाहू जी महाराज बनाना चाहा था। ऊपर बताया जा चुका है कि 13 नवंबर 2003 को दूसरी सरकार आने पर इस जिले को बनाये जाने सम्बंधी आदेश खारिज कर इसी के साथ नवनिर्मित नौ जिलों व चार मण्डलों को बनाये जाने सम्बंधी आदेश भी खारिज कर दिया था। पूर्व में निरस्त किए गये नौ जिलों व चार मण्डलों को याची राकेश कुमार शर्मा की ओर से चुनौती दी गयी जिनको बहाल किए जाने के आदेश पीठ ने 21 मई 2004 को दिए थे। केवल छत्रपति शाहू जी महाराज जिले को बहाल नहीं किया गया था। याची उमाशंकर पाण्डेय ने अधिवक्ता अशोक पाण्डेय की ओर से याचिका प्रस्तुत कर मांग की गई थी कि अन्य जिलों की तरह छत्रपति शाहू जी महाराज को भी बहाल किया जाये। अब कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति अमिताव लाला व न्यायमूर्ति शमीहुल हसनैन की खण्डपीठ ने इस प्रकरण में सरकार से तीन माह में निर्णय लेने को कह दिया है। सूबे में सरकार फिर बसपा की है। उसकी कांग्रेस से खूब ठनी भी हुई है। अभी इस पर अन्य पार्टियों का रुख सामने नहीं आया है, लेकिन इतना साफ माना जा रहा है कि चाहे जैसे भी, इस मर्तबा शायद ही मामला अपने चंगुल से जाने दे, यानी अमेठी के जिला 'छत्रपति शाहू जी महाराज' बनने से शायद ही कोई रोक सके। आदेश अदालत का है। मौका भी है, दस्तूर भी। जिला बना तो इसका कांग्रेस की क्षेत्रीय सियासत पर असर पड़ने से भी इनकार नहीं किया जाना चाहिए। वैसे केंद्र में सत्ता कांग्रेस की है, इसलिए तू डाल-डाल, मैं पात-पात जैसी कोई नई बात सामने आ जाए तो उस पर भी कोई अचरज नहीं किया जा सकता है।

सांसद अमर सिंह के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका



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राज्य सभा सांसद एवं समाजवादी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव अमर सिंह के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की विवेचना केंद्र के प्रवर्तन निदेशालय विभाग द्वारा जाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गयी है। कानपुर के शिवाकांत त्रिपाठी द्वारा दाखिल इस याचिका में यह भी मांग की गयी है कि आर्थिक अपराध अनुसंधान व प्रवर्तन विभाग की विवेचना की प्रगति रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की जाये। इस मामले में शासकीय अधिवक्ता कार्यालय को नोटिस मिल चुका है। सुनवाई मंगलवार को हो सकती है। उल्लेखनीय है कि अमर सिंह के विरुद्ध कानपुर जिले के बाबू पुरवा थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 471, 120बी व धारा 7,8,9,10,13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम व मनीलांड्रिंग एक्ट की धारा 3/4 के तहत रिपोर्ट दर्ज है। कानपुर के सामाजिक कार्यकर्ता शिवाकांत त्रिपाठी ने रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि उत्तर प्रदेश विकास परिषद के अध्यक्ष पद पर तैनाती के दौरान अमर सिंह ने कूट रचित दस्तावेजों को गलत तरीके से प्रयोग कर स्वयं के हित में करोड़ों रुपये का धनार्जन किया है। उल्लेखनीय है कि अमर सिंह की याचिका पर पूर्व में ही न्यायालय दो अप्रैल तक के लिए गिरफ्तारी पर रोक लगा चुका है। इस प्रकरण की विवेचना आर्थिक अपराध अनुसंधान द्वारा की जा रही है। एक ओर जहां सांसद अमर सिंह कानूनी तनावों से गुजर रहे हैं, दूसरी तरफ सपा के खिलाफ उनकी लामबंदी थमने का नाम नहीं ले रही है। अब तो उनका आत्मविश्वास यहां तक बढ़ चुका है कि वह कहने लगे हैं, सन 2012 के चुनावों तक वह सपा को मिटाकर ही सांस लेंगे। अभी कुछ-एक दिन पूर्व जौनपुर के गांव जमालपुर में पूर्वांचल स्वाभिमान सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि वह आगामी 2012 के चुनाव में सपा का मटियामेट करने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे। राष्ट्रीय पार्टी होने के बावजूद यह परिवार की ही पार्टी बनकर रह गई है। उन्होंने अपने ऊपर लगाए छह करोड़ रूपए के गबन के आरोपों के बारे में कहा कि सपा प्रमुख को वे सब बता देंगे। उन्होंने कभी भी एक पैसे का गबन नहीं किया है। चौदह वर्ष के दौरान उन्होंने सपा प्रमुख को साइकिल से हवाई जहाज की यात्राएं कराई हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल का जितना विकास होना चाहिए था, उतना नहीं हुआ। वे अलग पूर्वांचल राज्य बनाने के लिए अंतिम सांस तक लड़ते रहेंगे। उन्होंने बुंदेलखण्ड, हरितप्रदेश एवं तेलंगाना को अलग राज्य बनाने का समर्थन किया और कहा कि छोटे राज्यों के बनने से वहां का विकास तेजी से होता है।

सांसद राव हो सकते हैं हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष



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हरियाणा में इन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद की रस्साकसी चल रही है। कई दिग्गज नेताओं कीप्रतिष्ठा संगठन के भीतर दांव पर लगी है। दिल्ली दरबार तक जोरदार पैरवियां चल रही हैं। इसबात ज्यादा संभावना इस बात की जताई जा रही है कि गुड़गांव सीट से सांसद राव इंद्रजीत सिंहपार्टी के अगले प्रदेश अध्यक्ष हो सकते हैं। दिल्ली दरबार तक अहीरवाल पैरोकारी चल रही है।राव समर्थकों को उम्मीद है कि उनको ही इस बार सोनिया गांधी हरियाणा की जिम्मेदारीसौंपने जा रही हैं। राव इस बार लोकसभा चुनावों में अच्छी जीत दर्ज कराने के बावजूद केंद्र मेंकिसी ओहदे से नहीं नवाजे गए हैं। वह पुश्तैनी राजनेता है। उनके पिता हरियाणा के मुख्यमंत्रीथे। निकट अतीत में राव की हुड्डा घराने से अंदरूनी तौर पर अनुकूल पटरी नहीं थी। अबबताते हैं कि जोड़ीदारी पटरी पर चुकी है। हुड्डा कैप्टन अजय सिंह की बढ़ती ताकत केसमानांतर राव को स्थापित करने में रुचि ले रहे हैं। और भी कई समीकरण राव के पक्ष में जाते दिख रहे हैं, जिससेलगता है कि उन्हें सूबे की कांग्रेस का अगला सदर बनाया जा सकता है।

सांसद यशवंत चाहते हैं साझा पहल



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हजारीबाग में भाजपा सांसद यशवंत सिह्ना ने कहा कि महिला विधेयक पर केन्द्र सरकार का नजरिया इमानदार नहीं है। इस मुद्दे पर वह राजनीति कर रही है। वैसे तो इस तरह के मुद्दों पर राजनीति करना उसका पुराना शगल है, लेकिन महिला विधेयक को वह शुद्ध रूप से राजनीतिक हथकंडा बनाना चाहती है। पूर्व विदेश मंत्री एवं हजारीबाग सांसद ने कहा कि इसका स्पष्ट प्रमाण यह है कि महिला विधेयक को लेकर केन्द्र सरकार ने आज तक कोई ईमानदार पहल की ही नहीं। जहां तक राज्य सभा में भाजपा द्वारा विधेयक को समर्थन देने का सवाल है तो यह भाजपा का वादा था, जिसे उसने पूरा किया। केन्द्र सरकार कई देश व समाज हित के मुद्दों का राजनीतिक इस्तेमाल करना चाहती है। महिला विधेयक भी उसी का एक हिस्सा है। अगर उसका नजरिया ईमानदार होता तो विधेयक लाने के पहले ही सर्वदलीय बैठक या फिर जिन दलों ने महिला विधेयक का पहले भी समर्थन किया है, उनकी बैठक जरूर बुलाई होती। उसने जब देखा कि लोकसभा में उसकी गाड़ी फंस जाएगी तो अंत में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने सदन में यह घोषणा कर दी कि अब इस मुद्दे पर सभी दलों से बातचीत की जाएगी। इसके बाद ही महिला विधेयक लोकसभा में लाया जाएगा। लोकसभा में भाजपा विधेयक वादे से बंधी है, लेकिन जब इस मुद्दे को लेकर केन्द्र कोई बैठक बुलाता है तो उसमें पुन: एक बार विस्तृत बातचीत होगी। भाजपा का यह स्पष्ट नजरिया शुरू से रहा है कि सार्वजनिक हित के मुद्दों पर सभी दलों की राय ली जानी चाहिए, क्योंकि सहमति ही प्रजातंत्र की आत्मा है।

सीवान में सांसद की प्रतिष्ठा दांव पर



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सीवान के निर्दल सांसद ओमप्रकाश यादव की प्रतिष्ठा इन दिनों दांव पर लगी हुई है। मुद्दा है जिला परिषद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव। रस्साकशी काफी तगड़ी है। पता चला है कि एक वोट से मामला इधर-उधर होना है। सांसद यादव अपने पक्ष के जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त बताए गए हैं। सिवान जिला परिषद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पर विशेष बैठक शनिवार को बुलाई गई है। इसी दिन अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के भाग्य का फैसला होना है। किसके सिर पर होगा ताज और कौन कहलाएगा जिला परिषद का सरताज, इसको लेकर जिले में चर्चा का बाजार गर्म है। दोनों गुट पार्षदों को अपने-अपने पाले में करने के लिए सभी जतन ठाने हुए हैं, और अपने-अपने जीत के दावे ठोक रहे हैं। जहां नंदप्रसाद चौहान के पक्ष में सांसद ओमप्रकाश यादव मोर्चा संभाले हैं तो वहीं दूसरे गुट की कमान जेपी पांडेय, जितेश सिंह, लालबाबू साह आदि पार्षदों ने संभाल रखी है। ऐसे में अध्यक्ष की कुर्सी अगर खिसकती है तो सांसद के राजनीतिक कद पर प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि सूत्रों की मानें तो दूसरे गुट की कमान एक ऐसे शख्स के हाथ में है जो जिला परिषद के अभिन्न अंग माने जाते हैं। इस बार भी परदे के पीछे रहकर अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को हटाने की मुहिम में नायक की भूमिका निभा रहे हैं। दोनों गुट बहुमत हासिल कर लेने के दावे ठोक रहे हैं लेकिन अभी तक स्थिति से यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि ऊंट किस करवट बैठेगा। फैसले की घड़ी आज है। अब देखना यह है कि नंद के घर आनंद होता है या सांसद की प्रतिष्ठा पर सवालिया निशान लगता है। ज्यादा उम्मीद जताई जा रही है कि सांसद की करवट ही ऊंट बैठ सकता है।

सांसद प्रभात झा हो सकते हैं म.प्र. भाजपाध्यक्ष



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भाजपा के 21 अप्रेल के राष्ट्रव्यापी आंदोलन के लिए मध्य प्रदेश प्रभारी सांसद नरेंद्र सिंह तोमर होंगे। लोकसभा में प्रतिपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने भोपाल पार्टी मुख्यालय में हुई एक बैठक में कहा कि भले ही प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर उस समय निवृत्तमान हो जाएं, लेकिन आंदोलन के प्रभारी वही रहेंगे। वर्तमान जिलाध्यक्षों को भी दिल्ली से लौटने तक पूरी जिम्मेदारी संभालनी होगी। अप्रेल के प्रथम सप्ताह तक प्रदेश के जिलों के चुनाव हो जाएंगे। नए जिलाध्यक्ष जिम्मेदारी संभालेंगे, लेकिन निवृत्तमान मुखिया नए पदाधिकारियों को पूरा सहयोग देंगे। यह आंदोलन पार्टी का अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन होगा। बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष व राष्ट्रीय महासचिव नरेन्द्र सिंह तोमर और राष्ट्रीय महासचिव थावरचंद गेहलोत समेत पदाधिकारी व जिलों के नेता शामिल रहे। सांसद तोमर ने कहा कि तीन वर्ष के कार्यकाल में सभी ने सहयोग दिया। इस ऊर्जा को आगे भी संगठन में लगाते रहें। जनता की सेवा में सदैव जुटे रहें। भाजपा के नवनियुक्त राष्ट्रीय महामंत्री, प्रदेशाध्यक्ष और सांसद तोमर ने कहा कि पार्टी का अगला प्रदेशाध्यक्ष आगामी एक पखवाड़े के भीतर तय हो जाएगा। नया प्रदेशाध्यक्ष कौन होगा। जिसके नाम पर सर्वसम्मति बनेगी, उसे ही ये पद सौंपा जाएगा। प्रदेश में संगठन चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। निर्वाचन की समीक्षा हो चुकी है। मंडलों के चुनाव सर्वसम्मति से हो गये हैं और अब जिलों में निर्वाचन की प्रक्रिया चल रही है। जिलाध्यक्षों के चुनाव पांच अप्रैल तक पूरे हो जायेंगे। इसके एक हफ्ते के भीतर प्रदेशाध्यक्ष का चुनाव भी कर लिया जाएगा। नये प्रदेशाध्यक्ष के बारे में पार्टी को निर्णय लेना है। भाजपा में आने के लिए उमा भारती को खुद निर्णय लेना है। पार्टी के पास उनके भाजपा में आने संबंधी कोई प्रस्ताव नहीं है और न ही किसी भी स्तर पर अभी इस मामले में विचार हो रहा है। नए अध्यक्ष को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा सांसद प्रभात झा की चल रही है। मुख्यमंत्री से सांसद सुमित्रा महाजन का मिलना भी पदाधिकारियों की जुबां पर है। पार्टी में नये अध्यक्ष को लेकर जोड़-तोड़ जारी है। प्रभात झा के साथ अनिल माधव दबे और भूपेन्द्र सिंह का नाम चर्चाओं में है। इनमें भूपेन्द्र सिंह को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की पसंद माना जा रहा है। इस बीच सुमित्रा महाजन ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान,संगठन महामंत्री माखन सिंह समेत अन्य पदाधिकारियों से भेंट कर राजनीतिक माहौल गर्मा दिया है। सूत्र बताते हैं कि सुमित्रा ने सुझाव दिया है कि पार्टी की कमान किसी महिला के हाथ में दी जाए। उन्होंने अपनी राय से पार्टी के शीर्ष नेताओं को भी अवगत कराया है। इसके बाद से महिला दावेदारों के नाम भी सामने आने लगे हैं। इनमें खुद ताई के अलावा सांसद माया सिंह का नाम प्रमुख है। दोनों नेत्रियां वरिष्ठ होने के साथ राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख जिम्मेदारियां संभाल चुकी हैं। प्रदेश के नेता हालांकि इस बात से ज्यादा इत्तेफाक नहीं रखते कि प्रदेश की कमान किसी महिला के हाथ में जायेगी। सूत्रों की मानें तो अध्यक्ष पद उसी को मिलेगा जो नागपुर से अपने नाम पर मुहर लगवा लेगा। लोकसभा चुनाव में मिली पराजय के बाद पार्टी में संघ का दखल बढ़ा है और नितिन गडकरी संघ के आर्शीवाद से ही नये मुखिया बने हैं। प्रदेश में पार्टी का संगठन देश में सबसे मजबूत है। लिहाजा यहां के प्रदेशाध्यक्ष पद पर राष्ट्रीय नेताओं की भी निगाहें लगी हैं। प्रभात झा के साथ संघ का आर्शीवाद होने के कारण ही उनका दावा ज्यादा मजबूत माना जा रहा है।

मुलायम ने मांगा मुस्लिमों के लिए पूरे देश में आरक्षण



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सपा एक बार फिर मुस्लिम मोरचे पर कोई अवसर चूकने के लिए पूरी तरह सतर्क हो चुकी है। मुस्लिम कार्डखेलने के वह हर जतन कर रही है। हां, ये जरूर है कि अबआजम खां का सपा में लौटना मुश्किल है। मैनपुरी (.प्र.) से सांसद एवं सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह ने लखनऊ मेंकहा कि आन्ध्र प्रदेश में मुसलमानों को आरक्षण केसम्बन्ध में आए उच्चतम न्यायालय के आदेश का स्वागतहै। उन्होंने मांग की कि पिछडे वर्ग के मुसलमानों को पूरेदेश में आरक्षण मिलना चाहिए। आंध्र प्रदेश सरकार ने पिछडे़ वर्ग के मुस्लिमों को चार प्रतिशत आरक्षण देने कीपहल करके एक रास्ता खोला था। उच्चतम न्यायालय ने इस पर मुहर लगाते हुए सामाजिक और शैक्षणिक तौरपर पिछडे़ मुस्लिमों को आरक्षण का हक देकर एक प्रशंसनीय कार्य किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सवाल यहनहीं है कि वे हिन्दू हैं या मुस्लिम बल्कि सवाल सामाजिक और शैक्षणिक रुप से पिछडेपन का है। सिर्फ इसलिएकि वे मुस्लिम हैं उन्हें वंचित नहीं किया जा सकता है। केवल धर्म के आधार पर दलितों और पिछडों के साथनाइंसाफी का समाजवादी पार्टी हमेशा विरोध करती रही है। उनकी हमेशा मांग रही है कि मुस्लिमों को भी नौकरीतथा शिक्षा के क्षेत्र में पर्याप्त आरक्षण मिलना चाहिए। इसके लिए केन्द्र सरकार को उचित वैधानिक कदम उठाने मेंदेर नहीं करनी चाहिए। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि आजादी के बाद मुस्लिम समुदाय की हालत बद सेबदतर हुई है। उसका एक बडा वर्ग शिक्षा और नौकरी के साथ सत्ता प्रतिष्ठानों में नगण्य हो गया है। कांग्रेस जिसनेसाल से ज्यादा इस देश पर राज किया। मुस्लिमों के इस लगातार पिछडेपन और दुर्दशा के लिए जिम्मेवार है।
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असम से दोनों सांसद कांग्रेस के चुने गए



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असम में संयुक्त विपक्ष को पराजित करते हुए कांग्रेस ने राज्यसभा कीदोनों सीटें जीत ली हैं। तीन निर्दलीयों सहित 11 विपक्षी विधायकों नेसत्ताधारी पार्टी के द्वितीय वरीयता वाले उम्मीदवारों को वोट दिया। सुबहनौ बजे मतदान शुरू हुआ। मतदान के पहले एक घंटे के दौरान करीब 20 विधायकों ने अपने वोट डाले। असम विधानसभा में कुल 126 विधायकहैं। राज्य में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी ने दावा किया था कि दोनों सीटों परउसके उम्मीदवारों की जीत होगी। कांग्रेस ने अपने दो उम्मीदवार उतारेथे। उसने सिल्वियस कोंडपान द्वितीय वरीयता उम्मीदवार थे, जबकिनाजनीन फारुक प्रथम वरीयता वाली उम्मीदवार थीं। असम गणपरिषद, भारतीय जनता पार्टी और असम यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट ने जयंत बरुवा को उम्मीदवार बनाया था।बरुवा प्रमुख समाचार पत्र असोमिया प्रतिदिन के मालिक हैं। कांग्रेस ने आशा जताई थी कि उसके प्रथम वरीयताउम्मीदवार की जीत होगी। इस बीच विपक्षी धड़े को उस समय झटका लगा, जब उसके कम के कम 11 विधायकोंने बरुवा के खिलाफ मतदान की घोषणा की। अपने उम्मीदवार की जीत के लिए विपक्ष को 43 वोटों की जरूरत थी, जबकि बरुवा को 40 विधायकों का ही समर्थन मिला। कांग्रेस के प्रथम वरीयता वाले उम्मीदवार को 43 मत मिले, जबकि द्वितीय वरीयता वाले उम्मीदवार को 42 मत मिले। समाज कल्याण मंत्री अकोन बोरा का वोट तकनीकीकारणों से निरस्त हो गया। मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कहा, "कांग्रेस के लिए यह ऐतिहासिक जीत है, क्योंकिहमारे पास दूसरी सीट के लिए सदस्यों की जरूरी संख्या नहीं थी। लेकिन हम फिर भी विजयी रहे। मैं कांग्रेस केसभी विधायकों के साथ ही मदद करने वाले विपक्षी विधायकों का भी आभारी हूं।"

राज्यसभा चुनाव में 10 करोड़ बांटे



मध्यप्रदेश में सपा के पूर्व विधायक किशोर समरीते ने किया कोर्ट में भंडाफोड़

कांग्रेस उम्मीदवार को जिताने के लिए दस लाख रिश्वत देने का किया खुलासा


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समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक किशोर समरीते ने भोपाल में खुलासा किया कि राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार विवेक तन्खा के पक्ष में मतदान करने के लिए उन्हें पूर्व मंत्री व विधायक एनपी प्रजापति ने दस लाख रुपए की रिश्वत दी थी। जो नोट उन्हें दिए गए थे वह यूको बैंक और एसबीआई नोएडा से आए थे। श्री समरीते ने सीजेएम मोहन पी तिवारी की कोर्ट में यह बयान दर्ज कराए। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने इस मामले में उचित अनुसंधान नहीं किया। कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी, जमुना देवी, श्री प्रजापति और विवेक तन्खा से पूछताछ भी नहीं की गई। उन्होंने अदालत से मांग कि मामले की पुन: जांच हो। गौरतलब है कि 18 फरवरी को जहांगीराबाद पुलिस ने मामले में खात्मा अर्जी कोर्ट में पेश की थी। इस पर सीजेएम ने श्री समरीते और सीएसपी दिलीप सिंह तोमर के बयान दर्ज करने के लिए 26 मार्च को उपस्थित होने को कहा था। अब श्री तोमर के बयान दर्ज करने के लिए 20 अप्रैल की तारीख तय की गई है। श्री समरीते ने अपने बयान में कहा कि उन्हें श्री तन्खा ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी के निवास के सामने बुलाया था। अमरपाटन विधायक राजेंद्र सिंह ने उन्हें फोन कर श्री प्रजापति का नंबर दिया था। श्री सिंह ने कहा था कि एनपी आपको फोन करेंगे और एम्बेसेडर कार से दस लाख रुपए लेकर आएंगे। श्री समरीते ने कहा कि इसकी सूचना उन्होंने डीआईजी (सीबीआई) को दे दी थी। इसके बाद तत्कालीन एसपी जयदीप प्रसाद को सूचना दी गई और सवा सात बजे का समय भी बताया था। इसकी जानकारी पत्रकार अनुराग उपाध्याय और रवींद्र जैन को भी दी गई थी। समय पर कार आई और श्री प्रजापति ने दस लाख रुपए उन्हें दिए। श्री उपाध्याय ने इसकी रिकॉर्डिग की। श्री समरीते ने कहा कि उस गाड़ी में दस करोड़ रुपए विधायकों को देने के लिए रखे थे। 18 मार्च 2008 को विधायक किशोर समरीते ने जहांगीराबाद थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने के लिए उन्हें दस लाख रुपए की रिश्वत दी गई थी। पुलिस ने इस मामले में नौ लाख 98 हजार रुपए जब्त किए थे। इस मामले में गवाह अनुराग उपाध्याय, मोहम्मद सलीम, रवींद्र जैन, अंकित जैन, एमएम ताजवर के बयान भी पुलिस ने दर्ज किए थे।

नालंदा विश्वविद्यालय विधेयक संसद में अगले महीने पेश होगा





विश्वविद्यालय को स्थापित करना उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रमुख कदमः डॉ.मनमोहन सिंह

अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा कि विधेयक कानून बन जाएगा, तब हम नियुक्तियां शुरू करेंगे


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भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने सिंगापुर में नालंदा श्रीविजया सेंटर में कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय की पुनर्स्थापना के लिए सरकार जमीन का अधिग्रहण कर चुकी है। अगले महीने संसद सत्र के दौरान नालंदा विश्वविद्यालय विधेयक पेश किया जाएगा। नालंदा विश्वविद्यालय बौद्ध दर्शन, गणित, चिकित्सा और अन्य विषयों के अध्ययन का महत्वपूर्ण केंद्र था। पूर्वी एशियाई शिखर सम्मेलन ने बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना का समर्थन किया था। नालंदा समर्थक समूह की कई महीनों की अथक मेहनत से यह संभव हो पाया। शिक्षा के क्षेत्र में यह अनूठे सहयोग का उदाहरण होगा। इसी साल जनवरी में तिरुअनंतपुरम् में केरल सरकार की उच्च शिक्षा छात्रवृत्ति योजना की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह ने भी कहा था कि केंद्र दुनिया के प्राचीनतम विश्व विद्यालयों में से एक नालंदा विश्वविद्यालय को पुनरुज्जीवित की योजना बना रहा है। नालंदा विश्वविद्यालय एक समय में एशिया के शिक्षा के केंद्र के रूप में विश्वविख्यात था। विश्वविद्यालय को स्थापित करना उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रमुख कदम होगा जो पूर्वी एशिया के साथ भारत के प्राचीन शैक्षिक और बौद्धिक संपर्क को पुनरुज्जीवित करेगा। उच्च शिक्षा प्रणाली के क्षेत्र में सरकार क्रांतिकारी बदलाव के लिए काम कर रही है ताकि भारत शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र बन सके जैसा कि यह अतीत में कभी था। ऑल इंडिया रेडियो से बातचीत में नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन का कहना है कि पांचवीं सदी के विश्व प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय के नाम पर इस विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है। प्रस्तावित विश्वविद्यालय के संरक्षक के रूप में नामित देश विदेश की प्रमुख हस्तियों की एक बैठक को संबोधित करते हुए सेन ने कहा था कि भारत सरकार और हम ईस्ट एशिया समिट को स्वीकार करने की तैयारी कर रहे हैं। इस पर आधारित एक विधेयक संसद में पेश होगा और जब विधेयक कानून बन जाएगा तब हम नियुक्तियां शुरू करेंगे और विभिन्न स्कूलों की स्थापना करेंगे। जब तक कानून नहीं बन जाता तब तक भवन का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सकता। बिहार सरकार ने पहले ही जमीन मुहैया करा दिया है। वह शुरुआती निवेश भी कर रही है। बिहार और केंद्र सरकार से कुछ शुरुआती कोष भी मिलने वाले हैं। ईस्ट एशिया समिट के 16 देश विश्वविद्यालय की स्थापना में आर्थिक सहायता दे रहे हैं। इस मुद्दे पर एक समिति के साथ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात कर चुके सेन ने कहा था कि यह संभवत: एक राष्ट्रीय के बजाय अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय होगा जो प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की जगह स्थापित होगा। नालंदा हमारी सभ्यता का प्रतीक है और नालंदा का पुनर्निर्माण एशिया के पुनर्जागरण के लिए महत्वपूर्ण है।

Friday, March 26, 2010

सांसद जया बच्चन की नजर में दिलीप कुमार आखिरी सुपर स्टार


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फिल्म उद्योग में बुजुर्ग कलाकारों के लिए आरक्षण की मांग

दुनिया जिसे महानायक कहती है खुद उन्हीं अमिताभ बच्चन की पत्नी जया बच्चन जानेमाने अभिनेता दिलीप कुमार को बॉलीवुड का आखिरी सुपरस्टार मानती हैं। खुद भी अपने समय की लोकप्रिय अभिनेत्री रहीं जया ने कहा है कि मैं सुपर स्टारों को नहीं मानती। फिर भी मेरा मानना है कि अब कोई सुपर स्टार नहीं है। दिलीप कुमार आखिरी सुपर स्टार रहे। दिल्ली में आज जया ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि यह युवा पीढ़ी द्वारा भारतीय फिल्म उद्योग को संभालने का समय है। आज की युवा पीढ़ी में भी सुपर स्टार हो सकते हैं जैसे कि शाहरुख खान, जिसके साथ उनके संबंध अच्छे हैं। शाहरुख के साथ मेरा विशेष नाता रहा है क्योंकि मैंने एक फिल्म में उनकी मां की भूमिका अदा की है। जब उनसे पूछा गया कि क्या शाहरुख अमिताभ से बेहतर हैं तो उन्होंने जवाब दिया- बिल्कुल नहीं। आप एक पत्नी से सवाल पूछ रहे हैं। जया ने यह भी कहा कि फिल्म उद्योग में भी महिलाओं के लिए और खासतौर पर बुजुर्ग कलाकारों के लिए आरक्षण होना चाहिए क्योंकि उन्हें बहुत कम किरदारों के प्रस्ताव मिलते हैं।

माया सरकार को राहुल की चेतावनी



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मनरेगा की गड़बड़ियों पर ठनी, हस्तक्षेप कर सकती है केंद्र सरकार कांग्रेस महासचिव की बैठक में बसपा-कांग्रेस विधायकों में झड़प

दो दिन के दौरे पर अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी (सुल्तानपुर ) पहुंचे सांसद और कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के काफिले में अनजान व्यक्ति के घुस जाने से कुछ देर के लिए हड़कंप सा मच गया। वह अजनबी व्यक्ति ज्यों ही राहुल के काफिले में घुसा, पुलिस ने उसे दबोच लिया। राहुल गांधी ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ‘मनरेगा’ में हो रही अनियमितताओं की जांच करने का आग्रह आज राज्य सरकार से किया और कहा कि ऐसा नहीं होने पर इस बारे में केन्द्र सरकार हस्तक्षेप करेगी। केन्द्र की विकास योजनाओं की समीक्षा के लिये श्री गांधी ने यहां निगरानी और सतर्कता समिति की बैठक में कहा कि उत्तर प्रदेश में मनरेगा को लागू करने में काफी अनियमितता हो रही हैं, लिहाजा इसकी जांच राज्य सरकार को करनी चाहिये। यदि सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की तो केन्द्र सरकार हस्तक्षेप करेगी। समिति की बैठक में सांसद तथा जिले के बसपा और कांग्रेस के विधायक भी शामिल हुये। केन्द्र के हस्तक्षेप के सवाल पर बसपा और कांग्रेस सांसदों में झड़प भी हो गयी और मतदान तक की नौबत आ गयी। बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया और सर्वसम्मति बनी कि यदि राज्य सरकार आगामी 17 अप्रैल तक जांच का काम पूरा नहीं करती तो केन्द्र हस्तक्षेप के लिये बाध्य होगा। श्री गांधी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में मनरेगा का काम सबसे पहले सुलतानपुर में ही शुरू किया गया लेकिन यहां यह योजना असफल हो गयी। एक संस्था को एक करोड 77 लाख रूपये का काम दे दिया गया और उसे 88 लाख रूपये अग्रिम भुगतान भी किया गया जबकि संस्था अग्रिम के रूपये लेकर फरार हो गयी। बैठक में भाग लेने से पूर्व राहुल अमेठी हवाई अड्डे पर उतरने के बाद विकास भवन सुल्तानपुर के लिए रवाना हुए। बैठक के बाद उन्हें क्षेत्र के कई गांवों का दौरा कर विकास कार्यों का निरीक्षण करना तथा गौरीगंज और तिलाई के पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक करना है। अमेठी दौरे का ज्यादा समय राहुल राजीव गांधी महिला विकास परियोजना के लिए देंगे, जहां वे गौरीगंज के ठाकुर सिंह पुरवा सहित कई अन्य गांवों में जाकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों को देखेंगे और उसमें आ रही परेशानियों की जानकारी भी लेंगे। उनके यहां पहुंचने से पूर्व विकास भवन के चप्पे-चप्पे को एसपीजी अधिकारी खंगाल चुके थे। सुरक्षा की मद्देनजर खोजी कुत्तों से पूरे परिसर में निगरानी कराई गयी। विकास भवन के आसपास एसपीजी का सख्त पहरा लगा दिया गया है। आने जाने वालों की तलाशी चल रही है। पूरे क्षेत्र के स्थानीय पुलिस ने सील कर दिया है। सांसद राहुल के दौरे को लेकर सुबह से ही एसपीजी के जवानों ने विकास भवन का हर हिस्से की तलाश शुरू कर दी थी। भवन के तीनों तलों के कार्यालयों में जाकर एसपीजी के अधिकारी-कर्मचारी छानबीन करते रहे। भूतल में बम खोजी कुत्तों ने पुरातन स्थानों व निष्प्रयोज्य वाहनों की टोह ली। सभाकक्ष को सील कर दिया गया। भवन के आसपास की दुकानों को बंद करा दिया गया। तिकोनिया पार्क से लेकर गोपालदास पुल व सोलजर बोर्ड चौराहे से लेकर कलेक्ट्रेट गेट तक के सारे ठेले, गुमटियां या तो बंद करा दी गयीं। उधर, बहन जी की राजधानी में हुई रैली में प्रदेश के आला अफसरान को हैरान करने के बाद मधुमक्खियों ने एसपीजी को यहां भी खूब छकाया। बैठक को लेकर की जा रही तैयारियों के तहत विकास भवन की छत पर लगे छत्ते हटाये गये, पर मधुमक्खियां थीं कि जाने का नाम नहीं ले रही थीं। दिनभर प्रशासन व एसपीजी के अधिकारी इनसे निजात पाने की जुगत खोजते रहे। एसपीजी ने जिला प्रशासन के अधिकारियों को तत्काल तलब कर इस दिशा में शीघ्र कार्रवाई करने को कहा। अफसरों ने आनन-फानन में उद्यान विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क कर तत्काल इसे हटाने की व्यवस्था करने को कहा। उद्यान अधिकारियों ने पहले तो इस मसले से कन्नी काटी, लेकिन एसपीजी और प्रशासन के कड़े रुख के चलते उद्यान विभाग के अधिकारी हरकत में आये। एसपीजी के सामने दिक्कत ये थी कि छत्ता हटाये जाने के बाद भी मधुमक्खियां उन्हीं स्थलों पर बैठ रही थीं जहां से प्रशासन ने छत्ते हटवाये थे।

घर के 'शत्रुओं' को बख्शेंगे नहीं शत्रुघ्न



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पटना साहिब (बिहार) लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिह्नाका कहना है कि पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी के साथ उनके मतभेदचंद दिनों की बात है। पार्टी के अंदर ही कई लोग उनके विरोध में कामकर रहे हैं। राजनीति में दो तरह के विरोधी होते हैं। एक प्रत्यक्ष दिखनेवाला विपक्ष होता है और दूसरा पार्टी के अंदर के विरोधी होते हैं। वहअपनी पार्टी के अंदर के तानाशाहों से निपटने की इच्छा रखते हैं। मैंअपने विरोध में उठ रहे सभी स्वरों को दबाने के लिए तैयार हूं और मुझे यकीन है कि मैं इस काम में सफल रहूंगा।वह कहते हैं कि गडकरी अच्छे इंसान हैं। वह मेरे छोटे भाई की तरह हैं। हमारे बीच जो भी मतभेद हैं, वे जल्दसुलझा लिए जाएंगे। अगली बार जब मैं उनसे मिलूंगा, तब हमारे बीच सकारात्मक बातें होंगी। यह परिवार केअंदर का मतभेद है और ऐसे मतभेद आसानी से सुलझा लिए जाते हैं। उल्लेखनीय है कि भाजपा अध्यक्ष गडकरी नेजब से पार्टी की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन किया है, शॉटगन नाम से मशहूर अभिनेता एवं सांसद शत्रुघ्नलगातार कुछ कुछ मीडिया के सामने व्यक्त करने से नहीं चूक रहे हैं। वह टीम गडकरी पर उंगली उठाकर सुर्खियोंमें बने हुए हैं। पिछले दिनों जब पानी नाक से ऊपर होता दिखा तो अपने बेटे लव सिन्हा की पहली फिल्म सदियां केप्रचार के दौरान उन्होंने हल्की चुप्पी साध ली, फिर इतना बोल ही गए कि अपने आत्मविश्वास के चलते ही मैं इसमुकाम पर पहुंचा हूं और मुझे सफेद को सफेद और काले को काला कहने की आदत है। उससे पहले भाजपा अध्यक्षकी टीम पर उंगली उठाते हुए उन्होंने कहा था कि वह पार्टी में कोई पद पाने के लिए नहीं, बल्कि पार्टी की बेहतरी केलिए ऐसा कर रहे हैं। मैंने अपने लिए कभी किसी पद या ओहदे की मांग नहीं की। जहां तक किसने क्या पाया कासवाल है तो, मैं इतना ही कह सकता हूं कि मैंने कद पाया है। भाजपा की नई टीम पुरानी बोतल में नई शराब है औरइसमें में काबिल लोगों को नजरअंदाज किया गया है। मुझे नहीं लगता कि अपनी चिंताएं रख कर मैंने कोईलक्ष्मण रेखा पार की है। मैंने जो कुछ कहा पार्टी की भलाई के लिए कहा है। स्वास्थ्य कारणों के चलते पूर्वप्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सक्रिय राजनीति में नहीं रहने से पार्टी में शून्य पैदा हो गया है। उनके सक्रियनहीं रहने से पार्टी की प्रगति कमजोर हुई है। अटलजी हमारे देश के सबसे कद्दावर नेताओं में हैं। हमारा कहना हैकि नये लोग आने चाहिए लेकिन अनुभव का कोई विकल्प नहीं है। हमें वरिष्ठ नेताओं के दिशानिर्देश कीआवश्यकता है और इसी बात की कमी हममें है। हम अटल जी के खराब स्वास्थ्य और कुछ अन्य वजहों से उनकादिशानिर्देश नहीं हासिल कर पाये हैं।

आडवाणी अब राजनीति से संन्यास ले लें: कांग्रेस



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बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के मामले में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अंजू गुप्ता की गवाही के बाद वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी फिर एक बार राजनीतिक दलों और मुस्लिम संगठनों के निशाने पर आ गये हैं। कांग्रेस ने तो यहां तक कह डाला है कि उन्हें राजनीति से अवकाश ले लेना चाहिये। भाजपा ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। कांग्रेस नेता राशिद अल्वी का कहना है कि यह फैसला अदालत को करना है कि आडवाणी के खिलाफ कोई अपराध तय करे अथवा नहीं, लेकिन मेरी यह दृढ़ राय है कि उनके पूर्व सुरक्षा अधिकारी की गवाही के बाद आडवाणी जी को राजनीति से अवकाश ले लेना चाहिये। आडवाणी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और भारतीय राजनीति में ऐसे व्यक्ति के लिये कोई जगह नहीं है। अल्वी ने कहा कि अपने भड़काऊ भाषण से किसी समुदाय के धार्मिक स्थल को ढहाने में ‘सहायक’ रहा कोई राजनीतिक नेता भारतीय राजनीति के योग्य नहीं है। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी का कहना है कि यह न्याय के हक में है, खासकर भारतीय धर्मनिरपेक्षता के कि दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाय। उल्लेखनीय है कि आज वर्ष 1992 के बाबरी विध्वंस मामले में अहम गवाह वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अंजू गुप्ता रायबरेली कोर्ट में पेश हुई। आडवाणी की सुरक्षा में तैनात अंजू गुप्ता ने अपने पूर्व बयान पर अडिग रहते हुए कहा कि मस्जिद ढहाए जाने के दिन आडवाणी ने उकसाने वाला भाषण दिया था। अंजू गुप्ता 1992 में फैजाबाद की एएसपी थीं और उन्हें बाबरी मस्जिद के पास बने रामकथा कुंज मंच पर सुरक्षा व्यवस्था देखने के लिए तैनात किया गया था। रायबरेली की विशेष अदालत में सुनवाई के दौरान अंजू गुप्ता ने कहा कि आडवाणी समेत आठों आरोपी विध्वंस के दौरान वहीं मौजूद थे। गुप्ता ने बताया कि घटना के दौरान आडवाणी के अलावा अशोक सिंघल, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी रितंभरा, गिरराज किशोर और विष्णु हरी डालमिया सभी आरोपी बाबरी मस्जिद से मात्र 150 मीटर की दूरी पर रामकथा कुंज में मौजूद थे। इन सभी के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने, हिंसा को प्रेरित करने और मामले की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था। अंजू इस केस में नौंवी गवाह हैं, जिसे सीबीआई ने कोर्ट में पेश किया। वर्तमान समय में अंजू रॉ में कार्यरत हैं। सीबीआई की गवाह अंजू ने कोर्ट में कहा कि अयोध्या में कारसेवकों को मुख्य गुंबद तोड़ने के लिए उकसाया जा रहा था और गुंबद गिरने पर मंच के नेता खुश थे। इसके बाद आडवाणी और जोशी सभी ने गले मिलकर अपनी खुशी का इजहार किया और मिठाइयां भी बांटी गई। गुप्ता इससे पहले मामले की जांच कर रही सीबीआई के सामने भी पेश हो चुकी हैं। सीबीआई को दिए बयान में उन्होंने कहा था कि इन आठों आरोपियों ने कारसेवकों को रोकने की कोई कोशिश नहीं की थी। बल्कि वो कारसेवकों को उकसा रहे थे।

सांसद जया बच्चन ने कहाः अमिताभ माफी नहीं मांगेंगे



अनुपम खेर ने कहाः फिल्म इंडस्ट्री बिग बी के साथ


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मुंबई में बांद्रा.वरली सी लिंक के दूसरे चरण के उद्घाटन समारोह में अमिताभ बच्चन के शामिल होने के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में उठे विवाद पर राज्यसभा सदस्य एवं बिग बी की पत्नी जया बच्चन ने आज कहा कि इस मामले में उनके पति द्वारा माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है। मुंबई में इंडियान वुमेंस प्रेस कोर में संवाददाताओं से रूबरू होते हुए जया बच्चन ने कहा, ‘‘वह माफी क्यों मांगे।’’ समारोह पर उठे विवाद के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘यह लोकतंत्र है, सभी को बोलने का हक है। इसमें कोई अपमान नहीं है।’’ अमिताभ बच्चन के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दिखने के सवाल पर जया ने कहा कि देश में वर्तमान परिदृश्य में ‘प्रत्येक नेता का एक राज्य पर अधिकार है।’ उन्होंने कहा, ‘‘हम एक राष्ट्र हैं।’’ उन्होंने यह भी कहा कि अमिताभ खुद का बचाव करने और पक्ष रखने में सक्षम हैं। इधर, दिल्ली में आज अभिनेता अनुपम खेर ने महाराष्ट्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर पूरा फिल्म उद्योग एक साथ है और अमिताभ का समर्थन करेगा। पूरा विवाद घृणित है। राजनेता पांच साल तक सत्ता में रहते हैं और चले जाते हैं लेकिन अमिताभ बच्चन जैसे महानायक ने 40 साल से ज्यादा समय तक हमारे देशवासियों के दिल पर राज किया है। बच्चन को इस तरह के विवाद में खींचना शर्मनाक है। इस मामले में उन्हें फिल्म जगत का पूरा समर्थन है। अनुपम खेर राष्ट्रव्यापी शिक्षा अभियान ‘डिस्कवर इंडिया’ के प्रमोशन के सिलसिले में राजधानी आए हुए थे।

राहुल के काफिले में घुसा अजनबी!


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दो दिन के दौरे पर अमेठी पहुंचे सांसद और कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के काफिले में अनजान व्यक्ति के घुस जाने से कुछ देर के लिए हड़कंप सा मच गया। वह अजनबी व्यक्ति ज्यों ही राहुल के काफिले में घुसा, पुलिस ने उसे दबोच लिया। राहुल अमेठी हवाई अड्डे पर उतरने के बाद विकास भवन सुल्तानपुर के लिए रवाना हो गये, जहां उन्हें जिला सर्तकता निगरानी समिति की बैठक में हिस्सा लेना था। उसके बाद राहुल गांधी क्षेत्र के कई गांवों का दौरा कर विकास कार्यों का निरीक्षण करना तथा गौरीगंज और तिलाई के पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक करना है। अमेठी दौरे का ज्यादा समय राहुल राजीव गांधी महिला विकास परियोजना के लिए देंगे, जहां वे गौरीगंज के ठाकुर सिंह पुरवा सहित कई अन्य गांवों में जाकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों को देखेंगे और उसमें आ रही परेशानियों की जानकारी भी लेंगे। उनके यहां पहुंचने से पूर्व विकास भवन के चप्पे-चप्पे को एसपीजी अधिकारी खंगाल चुके थे। सुरक्षा की मद्देनजर खोजी कुत्तों से पूरे परिसर में निगरानी कराई गयी। विकास भवन के आसपास एसपीजी का सख्त पहरा लगा दिया गया है। आने जाने वालों की तलाशी चल रही है। पूरे क्षेत्र के स्थानीय पुलिस ने सील कर दिया है। सांसद राहुल के दौरे को लेकर सुबह से ही एसपीजी के जवानों ने विकास भवन का हर हिस्से की तलाश शुरू कर दी थी। भवन के तीनों तलों के कार्यालयों में जाकर एसपीजी के अधिकारी-कर्मचारी छानबीन करते रहे। भूतल में बम खोजी कुत्तों ने पुरातन स्थानों व निष्प्रयोज्य वाहनों की टोह ली। सभाकक्ष को सील कर दिया गया। भवन के आसपास की दुकानों को बंद करा दिया गया। तिकोनिया पार्क से लेकर गोपालदास पुल व सोलजर बोर्ड चौराहे से लेकर कलेक्ट्रेट गेट तक के सारे ठेले, गुमटियां या तो बंद करा दी गयीं। उधर, बहन जी की राजधानी में हुई रैली में प्रदेश के आला अफसरान को हैरान करने के बाद मधुमक्खियों ने एसपीजी को यहां भी खूब छकाया। बैठक को लेकर की जा रही तैयारियों के तहत विकास भवन की छत पर लगे छत्ते हटाये गये, पर मधुमक्खियां थीं कि जाने का नाम नहीं ले रही थीं। दिनभर प्रशासन व एसपीजी के अधिकारी इनसे निजात पाने की जुगत खोजते रहे। एसपीजी ने जिला प्रशासन के अधिकारियों को तत्काल तलब कर इस दिशा में शीघ्र कार्रवाई करने को कहा। अफसरों ने आनन-फानन में उद्यान विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क कर तत्काल इसे हटाने की व्यवस्था करने को कहा। उद्यान अधिकारियों ने पहले तो इस मसले से कन्नी काटी, लेकिन एसपीजी और प्रशासन के कड़े रुख के चलते उद्यान विभाग के अधिकारी हरकत में आये। एसपीजी के सामने दिक्कत ये थी कि छत्ता हटाये जाने के बाद भी मधुमक्खियां उन्हीं स्थलों पर बैठ रही थीं जहां से प्रशासन ने छत्ते हटवाये थे।

राहुल पहुंचे अपने लोकसभा क्षेत्र में



(सांसदजी डॉट कॉम sansadji.com)

कांग्रेस महासचिव एवं सांसद राहुल गांधी अपने संसदीय क्षेत्र के दो दिवसीय दौरे पर शुक्रवार को अमेठी पहुंचे। अमेठी हवाई अड्डे पर उतरने के बाद वह विकास भवन सुल्तानपुर के लिए रवाना हो गये, जहां उन्हें जिला सर्तकता निगरानी समिति की बैठक में हिस्सा लेना था। उसके बाद राहुल गांधी क्षेत्र के कई गांवों का दौरा कर विकास कार्यों का निरीक्षण करना तथा गौरीगंज और तिलाई के पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक करना है। अमेठी दौरे का ज्यादा समय राहुल राजीव गांधी महिला विकास परियोजना के लिए देंगे, जहां वे गौरीगंज के ठाकुर सिंह पुरवा सहित कई अन्य गांवों में जाकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों को देखेंगे और उसमें आ रही परेशानियों की जानकारी भी लेंगे। उनके यहां पहुंचने से पूर्व विकास भवन के चप्पे-चप्पे को एसपीजी अधिकारी खंगाल चुके थे। सुरक्षा की मद्देनजर खोजी कुत्तों से पूरे परिसर में निगरानी कराई गयी। विकास भवन के आसपास एसपीजी का सख्त पहरा लगा दिया गया है। आने जाने वालों की तलाशी चल रही है। पूरे क्षेत्र के स्थानीय पुलिस ने सील कर दिया है। सांसद राहुल के दौरे को लेकर सुबह से ही एसपीजी के जवानों ने विकास भवन का हर हिस्से की तलाश शुरू कर दी थी। भवन के तीनों तलों के कार्यालयों में जाकर एसपीजी के अधिकारी-कर्मचारी छानबीन करते रहे। भूतल में बम खोजी कुत्तों ने पुरातन स्थानों व निष्प्रयोज्य वाहनों की टोह ली। सभाकक्ष को सील कर दिया गया। भवन के आसपास की दुकानों को बंद करा दिया गया। तिकोनिया पार्क से लेकर गोपालदास पुल व सोलजर बोर्ड चौराहे से लेकर कलेक्ट्रेट गेट तक के सारे ठेले, गुमटियां या तो बंद करा दी गयीं। उधर, बहन जी की राजधानी में हुई रैली में प्रदेश के आला अफसरान को हैरान करने के बाद मधुमक्खियों ने एसपीजी को यहां भी खूब छकाया। बैठक को लेकर की जा रही तैयारियों के तहत विकास भवन की छत पर लगे छत्ते हटाये गये, पर मधुमक्खियां थीं कि जाने का नाम नहीं ले रही थीं। दिनभर प्रशासन व एसपीजी के अधिकारी इनसे निजात पाने की जुगत खोजते रहे। एसपीजी ने जिला प्रशासन के अधिकारियों को तत्काल तलब कर इस दिशा में शीघ्र कार्रवाई करने को कहा। अफसरों ने आनन-फानन में उद्यान विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क कर तत्काल इसे हटाने की व्यवस्था करने को कहा। उद्यान अधिकारियों ने पहले तो इस मसले से कन्नी काटी, लेकिन एसपीजी और प्रशासन के कड़े रुख के चलते उद्यान विभाग के अधिकारी हरकत में आये। एसपीजी के सामने दिक्कत ये थी कि छत्ता हटाये जाने के बाद भी मधुमक्खियां उन्हीं स्थलों पर बैठ रही थीं जहां से प्रशासन ने छत्ते हटवाये थे।

दाऊजी की प्रतिमा को भूलीं सांसद

(पूरी खबर durgnews.blogspot.com से साभार)

करीब ढाई वर्ष पूर्व स्व. वासुदेव चंद्राकर की प्रतिमा लगाने की की गई घोषणा को लगता है तत्कालीन महापौर व वर्तमान सांसद सरोज पाण्डेय भूल गई हैं। श्री चंद्राकर के निधन के बाद सुश्री पाण्डेय ने उनकी स्मृतियों को अक्षुण्य बनाए रखने शहर के प्रमुख चौंक पर उनकी प्रतिमा लगाने की घोषणा की थी। लेकिन आज तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। युवा नेता राजेन्द्र साहू ने नगर निगम की आगामी बजट बैठक में उक्त प्रस्ताव शामिल करने की मांग की है और ऐसा नहीं करने की स्थिति में सांसद निवास का घेराव करने की चेतावनी दी है। स्व. चंद्राकर के आज जन्मदिवस के अवसर पर युवा नेता राजेन्द्र साहू ने कहा कि स्व. दाऊजी के निधन के पश्चात तत्कालीन महापौर सरोज पाण्डेय ने शहर के प्रमुख चौंक पर दाऊजी की प्रतिमा लगाने की बात कही थी। लेकिन उनकी यह बातें अब तक महज चुनावी फायदा लेने का हथकंडा ही साबित हुई हैं। नगर निगम ने न तो प्रतिमा स्थापना के लिए किसी जगह का चयन किया है और न ही प्रतिमा के लिए बजट ही तय किया गया है। सुश्री पाण्डेय द्वारा की गई घोषणा के बाद वे वैशाली नगर की विधायक और उसके बाद सांसद निर्वाचित हो चुकीं हैं। नगर निगम के चुनाव भी सम्पन्न हो गए, लेकिन दाऊजी की प्रतिमा स्थापना को लेकर की गई घोषणा का क्रियान्वयन अब तक नहीं हो पाया है। श्री साहू ने कहा कि यदि नगर निगम ने इस बाबत कोई निर्णय लिया है तो यह बताया जाना चाहिए कि मूर्ति की स्थापना किस शिल्पी से करवाई जा रही है और किस स्थान का चयन मूर्ति स्थापित करने के लिए किया गया है? उन्होंने कहा कि यदि अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है तो नगर निगम की आगामी बजट बैठक में इस प्रस्ताव को शामिल किया जाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो स्व. चंद्राकर के समर्थक सांसद निवास का घेराव करेंगे और नगर निगम कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन करेंगे।

बसपा सांसद के खिलाफ सुनवाई टली


(sansadji.com)

उत्तर प्रदेश में लोकसभा के 2004 में हुए चुनाव के दौरान बसपा प्रत्याशी की गिरफ्तारी को लेकर प्रदर्शन के दौरान हिंसा में आगजनी तथा संपत्ति को हानि पहुंचाने के मामले में मुजफ्फर नगर में बसपा सांसद कादिर राना सहित 20 आरोपियों के विरूद्ध अदालत में सुनवाई 29 मार्च तक स्थगित कर दी गयी है। फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज ए.के. सिंह ने सांसद राना सहित आरोपियों के विरूद्ध आरोप तय करने के लिए 29 मार्च की तिथि तय की है। सन 2004 में जिलाधिकारी निवास के बाहर प्रत्याशी की गिरफ्तारी के विरूद्ध बसपा कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन के दौरान सरकारी संपत्ति को हानि पहुंचाने और पुलिस चौकी में आग लगाने का मामाला दर्ज किया गया था।

जया की राह खोज रहे अमिताभ



(खबर सांसदजी डॉट कॉम sansadji.com से)

कुछ-कुछ इस बात से पर्दा हटने लगा है कि सदी के नायक अमिताभ बच्चन इन दिनों क्यों कुछ ज्यादा सियासी हवा खोरी के तलबगार हो चले हैं। सूत्रों की बात पर यकीन करें और पिछले महीने स्वयं सांसद जया बच्चन द्वारा कही इन बातों निहितार्थ टटोलने की कोशिश करें तो आभास मिल जाता है कि बिग बी की एक बड़ी जरूरत है जया बच्चन का सियासत में बने रहना, ताकि 'भूत-पिशाच निकट नहिं आवैं।' जयाजी ने फरवरी के प्रथम सप्ताह में उस समय अपनी ये मंशा प्रकट की थी, जब वह सपा निष्कासित अमर सिंह का खुल कर साथ देती हुई मंचों पर नमूदार होने लगी थीं और सपा की ओर कार्रवाई के अंदेशे जताए जाने लगे थे। तब मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए जया बच्चन ने कहा था कि 'पार्टी छोड़ने की उनकी कोई योजना नहीं है और वह राज्यसभा का अपना कार्यकाल सम्मानजनक तरीके से पूरा करना चाहती हैं। अपने करीबी मित्र अमर सिंह को पार्टी से निकाले जाने के एक दिन बाद जया बच्चन ने बताया था कि मैंने अपने परिवार से इस मुद्दे पर बातचीत की है और मैं राज्यसभा में बने रहना चाहूंगी। छह महीने का कार्यकाल बचा है और उसे मैं सम्मानजनक तरीके से पूरा करना चाहती हूं। मैं पार्टी नहीं छोड़ सकती, क्योंकि मैं अपना कार्यकाल पूरा करना चाहती हूं। यदि सपा अध्यक्ष मेरा इस्तीफा चाहते हैं, तो मैं उसी सूरत में इस्तीफा दूंगी जब मुलायम सिंह जी सामने आकर मुझ से इस्तीफा मांगे। राजनीति मेरे बूते का काम नहीं है। मैं बहुत स्पष्ट बात करने वाली हूं। मैं एक अच्छे राजनीतिज्ञ के बदले एक अच्छा इंसान हो सकती हूं। राजनीति में यदि आपके पास कोई विचार भी है तो उसे छुपाने के लिए आपके पास कौशल होना चाहिए। मैं ऐसा नहीं कर सकती क्योंकि मैं बहुत मुखर हूं।' ये तो रहीं जया की बातें। जया का राज्यसभा का कार्यकाल निकट है। बच्चन घराने को शुरू से ही राजनीति का चस्का रहा है, अभिषेक के दादा के जमाने से। अमर सिंह सपा से अलग हो चुके हैं। अभी वह नई पार्टी बनाने की जुगत में व्यस्त हैं। बीच-बीच में वह कांग्रेस के पक्ष में बयान भी दे दे रहे हैं। कभी सोनिया गांधी, कभी राहुल गांधी की प्रशंसा करके। लगता है पूरी पूर्व पीठिका तैयार की जा रही हो। अमर सिंह सोनिया-राहुल की गाजियाबाद में प्रशंसा करते हैं और अमिताभ बच्चन महाराष्ट्र में कांग्रेस सरकार के बुलावे पर उसके समारोह में यह जानते हुए पहुंच जाते हैं कि इसके राजनीतिक अर्थ निकाले जा सकते हैं। जैसा कि उन्होंने अपने ब्लॉग पर लिखा। सांसद अमर सिंह भी ब्लॉग लिखते हैं। सपा से जोड़ी टूटने के बाद अमिताभ बच्चन भाजपा और कांग्रेस दोनों में जया की संभावनाएं तलाश रहे हैं। गुजरात के एम्बेस्डर तो वह बन ही चुके हैं, जल्द ही वह भाजपा शासित दूसरे राज्य मध्य प्रदेश में अपने स्वर न्योछावर करने वाले हैं। नर्मदा नदी के घाटों पर उनकी आवाज में नर्मदा की कहानी गूंजती सुनाई देने वाली है। पिछले दिनो उनकी सांसद पत्नी जया बच्चन ने नदी के प्रति जागरूकता लाने के नर्मदा समग्र के अभियान में सहयोग के तौर पर यह पेशकश की है। जया बच्चन नर्मदा और तवा नदी के पवित्र संगम स्थल बांद्राभान के तट पर आयोजित दूसरे अंतरराष्ट्रीय नदी महोत्सव के समापन सत्र को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित कर चुकी हैं। वहां उन्होंने कहा था कि उनका भोपाल और मध्यप्रदेश से जुड़ाव है। नर्मदा के इस अभियान में अपने पहले सहयोग के तौर पर वे चाहती हैं कि अपने पति की आवाज में नर्मदा की कहानी रिकॉर्ड की जाए। इससे नई पीढ़ी को नर्मदा की कहानी पता चल सकेगी और लोग पर्यावरण को लेकर जागरूक हो सकेंगे। भोपाल की अपनी बचपन की यादों को ताजा करते हुए वह कहती हैं कि एक समय मध्य प्रदेश के पहाड़ों और तालाबों का अलग मजा था। आज वे वैसे दिखाई नहीं देते। हम धरती का पानी खत्म कर रहे हैं और चांद पर पानी की तलाश कर रहे हैं। इस प्रोग्राम में सांसद अरुण यादव, सांसद राव उदयप्रताप सिंह आदि भी मौजूद थे। नर्मदा गीत को स्वर देना तो एक बहाना है, असली जरूरत है सत्तासीन भाजपा से निकटता ताकि जया का एक बार और संसद का रास्ता प्रशस्त हो सके।

..ताकि मधुमक्खियां राहुल को न काट लें!


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उड़ती खबर है कि हमलावर मधु मक्खियां बड़ी बेमुरव्वतहो चली हैं। जहां-जहां राजनेता जा रहे हैं, वहां पहले सेमधुमक्खियों की मीडिंग चल रही होती है। अबमधुमक्खियां क्या करें, कहां जाएं, हर जगह नेता लोग हैं।जहां जनता, वहां नेता। माया की जनता ने देखा कि किसतरह मधुमक्खियां महारैली में भिनभिनाने लगी थीं।अमेठी (सुल्तानपुर) में मधुमक्खियों की चर्चा एक बार फिर इसलिए गूंज गई है कि वहां आज राहुल गांधी मीटिंगले रहे हैं। सो, दोबारा लखनऊ जैसा कोई वाकया वहां हो जाए, पहले से खूब ध्यान देकर बेहतर साफ-सफाई करादी गई है। 15 मार्च को लखनऊ की महारैली में उड़ीं मधुमक्खियों के मामले की तो माया सरकार जांच तक करा रहीहै। यह माना जा रहा है कि वह सब विपक्ष के साजिशन हुआ था। मधुमक्खियों की ये जुर्रत कि महारैली में उड़ानभरें! कत्तई नहीं, जरूर किसी की शरारत रही होगी। अब पुलिस पता लगा रही है कि वह शरारती था कौन जिसनेबहन जी की सभा में मधुमक्खियों को हांक दिया? ऐसी ही एक और मजेदार जानकारी मिली है। पेड़ों पर तो अक्सरमधुमक्खियों के छत्ते लटके रहते हैं, लेकिन गाड़ी पर मधुमक्खियों द्वारा छत्ता बनाना आश्चर्य की बात है। हरियाणामें एक गाड़ी पर मधुमक्खियों ने एक सप्ताह तक पड़ाव डाले रखा। गाड़ी जहां-जहां जाती, छत्तेदार मधुमक्खियां भीसाथ-साथ सैर करतीं। देखकर लोग हैरान। गाड़ी भी किसी नेता जी की थी। मधुमक्खियों ने गाड़ी के कैबिन के पीछेछत्ता लगा रखा था। एक तो गर्मी, ऊपर से मधुमक्खियां और उसके ऊपर से सभा-मीटिंग। अभी इसी महीनेवैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि 'हीटर' या गर्मी पैदा करने वाली मधुमक्खियां छत्ते को गर्म करने का काम करतीहैं और अपनी कॉलोनी की जटिल सामाजिक संरचना को काबू में रखती हैं। गर्मी पैदा करने वाली यह मधुमक्खियांअपने छत्ते के तापमान को काबू में करने के लिए सक्रिय रेडिएटर का काम करती हैं। वह केवल यह तय करती हैंकि यह काम करने के लिए उनका उत्तराधिकारी कौन होगा बल्कि यह भी निर्धारित करती हैं कि वयस्क होने परकौन मधुमक्खी क्या काम करेगी। गर्मी पैदा करने वाली मधुमक्खियां अपने छत्ते के बीचों-बीच गर्मी पैदा करने केलिए अपने बदन का इस्तेमाल करती हैं। इन मधुमक्खियों के बदन का तापमान कॉलोनी की दूसरी मधुमक्खियोंसे ज्यादा होता है। ये मधुमक्खियां अपने छत्ते के भीतर की उस जगह का तापमान भी नियंत्रित करने के लिएजिम्मेदार होती हैं जहां वे अंडे देती हैं। इस जगह पर मधुमक्खियों के 'अंडे' उस वक्त तक मोम की कोशिकाओं मेंलिपटे होते हैं जब तक बडे हो जाएं। ये मधुमक्खियां बडे हो रह अंडे के आसपास के तापमान को एक डिग्री तकबदल देती हैं और यह छोटा सा बदलाव ही यह तय करता है कि इससे कौन सी मधुमक्खी बनेगी और भविष्य मेंवह क्या भूमिका अदा करेगी।
दुख की बात ये है कि मधुमक्खियों के मोबाइल फोनों के टावर जानलेवा बन रहे हैं। ऐसा होता तो सबसे बड़ीमुसीबत माकपा की सभाओं के लिए थी, क्योंकि केरल में सबसे ज्यादा मधुमक्खियां पाई जाती हैं। मोबाइल टावरोंऔर सेल फोन से निकलने वाले वैद्युत चुंबकीय विकिरण में श्रमिक मधुमक्खियों का जीवन समाप्त करने कीक्षमता होती है। कोल्लम जिले में पुनालुर के एस एन कालेज में अध्यापन करने वाले पत्ताजे बताते हैं किमधुमक्खियों की बस्तियों में जीवन निर्वाह में श्रमिक मधुमक्खियां महत्वपूर्ण योगदान करती हैं। उन्हें क्या मालूमकि श्रमिकों के भरोसे ही केरल में माकपा की राजनीति फलफूल रही है।

बाबरी ध्वंस के लिए आडवाणी ने उकसाया



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लखनऊ में आज बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी की सुरक्षा अधिकारी रह चुकी आईपीएस अधिकारी अंजू गुप्ता ने स्पेशल कोर्ट के सामने गवाही देते हुए कहा कि मैं अपने पिछले बयान पर अडिग रहूंगी लेकिन जब आडवाणी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आडवाणी ने ही लोगों को उकसाया था। गुप्ता मस्जिद विध्वंस के दरमियान आडवाणी की भूमिका की गवाह हैं। उल्लेखनीय है कि सन 2005 में अंजू गुप्ता के बयान के बाद एल.के. आडवाणी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। अपने बयान पर अडिग रहने के कारण ही आडवाणी के खिलाफ सीबीआई का पक्ष और अधिक मजबूत हो गया है। यद्यपि श्री आडवाणी बाबरी मस्जिद गिराने के आरोप से मुक्त हो गए हैं लेकिन 2005 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इनके विरूद्ध लोगों को उकसाने का मामला दर्ज करने का आदेश दिया था जिसके बाद से यह मामला चल रहा है। अंजू गुप्ता ने गवाही देते हुए कहा कि आडवाणी के भाषण के बाद ही स्थिति और अधिक बिगड़ी थी। जब पहला, दूसरा और तीसरा गुंबद गिरा, उस समय उमा भारती और साध्वी ऋतंभरा एक-दूसरे के गले लगी थीं। इन लोगों ने आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और एस.सी.दीक्षित को भी गले लगाकर बधाई दी थी।

सांसद सुषमा के रात्रिभोज में राजनीति



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संसद में छुट्टी चल रही है, बाहर रात्रिभोजों का सिलसिला जारी है। अब भोपाल में सुषमा स्वराज का रात्रि भोज। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा महासचिव नरेन्द्र सिंह तोमर व भाजपा विधायकों के साथ-साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी व पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह भी रात्रिभोज में पहुंचे। साथ में कांग्रेस विधायक भी बड़ी संख्या। उधर, सुषमा की अगवानी के साथ ही भावी प्रदेश भाजपाध्यक्ष की चर्चाएं भी गर्म हैं।
अपने निवास पर सुषमा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राष्ट्रीय महासचिव नरेन्द्र सिंह तोमर (वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष) से अलग-अलग बात भी की। सुषमा ने रात्रि भोज पर मुख्यमंत्री समेत सभी विधायक व जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया। इस दौरान मुख्यमंत्री से उनकी बात हुई। इससे पहले शाम ढलते ही तोमर ने उनके निवास पर जाकर भेंट की। उधर पार्टी मुख्यालय में प्रदेश उपाध्यक्ष व सांसद अनिल माधव दवे ने तोमर से अकेले लंबी चर्चा की। इस चर्चा को भी वर्तमान में बन रहे नए समीकरणों से जोड़कर देखा जा रहा है। भाजपा प्रदेश पदाधिकारियों, जिलाध्यक्षों, जिला चुनाव अधिकारियों व पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक आज हो रही है। इसमें संगठन चुनावों के साथ-साथ महंगाई पर 21 अप्रेल के दिल्ली के प्रदर्शन की भी बात हो रही है। इसमें राष्ट्रीय महासचिव व प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर शामिल हो रहे हैं। आज ही पार्टी मुख्यालय में भाजपा अनुसूचित जाति की बैठक भी हो रही है। इसमें राष्ट्रीय महासचिव थावरचंद गहलोत की मौजूदगी उल्लेखनीय है। सहभोज के बाद संवाददाताओं के सवाल पर सांसद सुमित्रा महाजन के अलावा सुषमा ने भी प्रदेश में महिला मुखिया के लिए विकल्प खुला होने की बात कही। यद्यपि सुषमा ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष के संबंध में मुख्यमंत्री से अभी बात नहीं हुई है। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि पहली बार ऎसा हुआ है, जब जनहित के मुद्दों पर संसद में पूरा विपक्ष एकजुट हो रहा है। महंगाई का मामला हो या फिर न्यूक्लियर बिल का, सभी एकस्वर से इसका विरोध कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने संसद में "फ्लोर कम्यूनिकेशन" का रास्ता अपनाया है। लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक रखे जाने के प्रश्न पर सुषमा ने कहा कि सर्वदलीय बैठक के बाद जो भी बात बाहर निकल कर आएगी, उससे पार्टी के सांसदों को अवगत कराया जाएगा। इसके बाद पार्टी व्हिप जारी होगा। इस बिल को लेकर पार्टी में सभी एकमत रहेंगे।