Tuesday, March 23, 2010

सांसद प्रभा ठाकुर ने शीला दीक्षित को टोका, शीला ने किया पलटवार













(खबर सांसदजी डॉट कॉम sansadji.comसे)


दिल्ली में महंगाई पर सत्ताधारी दल के बीच एक नए तरह का वाक् युद्ध शुरू हो गया है। राजस्थान से कांग्रेस की राज्यसभा सांसद एवं मशहूर कवियत्री प्रभा ठाकुर ने दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को सुझाव देकर बैठे ठाले आफत मोल ले ली है। ये नौबत आई है दि्ल्ली में रसोई गैस का दाम 40 रुपये बढ़ जाने को लेकर। दिल्ली सरकार ने रसोई गैस पर सब्सिडी छूट वापस लेने की बात कही है, जिससे उपभोक्ताओं की जेब तो कांप गई ही, सत्ता दल के भीतर ही इस पर दो राय बन जाने से वाक् युद्ध जैसी बातें सामने आ रही हैं। सांसद प्रभा ठाकुर ने आज कहा कि मुख्यमंत्री को सब्सिडी वापस लेने पर पुनर्विचार करना चाहिए क्योंकि वह भी एक महिला हैं और घर-परिवार चला रही गृहिणियों की मुश्किल से वह अच्छी तरह वाकिफ हो सकती हैं। महंगाई पहले से ही लोगों को परेशान किए हुए है। गैस का दाम बढ़ जाने से और ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ेगा। सांसद के इस सुझाव पर मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने नहले पर दहला मार दिया है। उन्होंने कहा है कि प्रभा ठाकुर राजस्थान सरकार को इस तरह के सुझाव दे सकती हैं। सूत्रों के अनुसार ये सारी बातें संप्रग सुप्रीमो सोनिया गांधी तक पहुंच चुकी हैं। सरकार बजट के मामले में पहले से ही संसद में विपक्ष से जूझ रही है, इसी बीच ये नया प्रपंच शुरू हो जाने से उसके सामने इसके सिवाय और कोई जवाब नहीं हो सकता है कि सांसद और मुख्यमंत्री के बीच उत्पन्न हुए ताजा हालात का घर में ही कोई समाधान ढूंढ लिया जाए। एक बात ये भी सामने आ रही है कि ये सब जाना-समझा सियासी खेल है। सिलेंडर महंगे होने पर दिल्ली विधानसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी भाजपा के विधायक जब तक कोई विरोधी रणनीति बनाएं, उससे पहले ही पार्टी के भीतर दो पक्ष बनाकर फिर कदम थोड़े पीछे खींचते हुए सब्सिडी में मामूली रियायत बख्श दी जाए। इससे जनसहानुभूति भी मिल जाएगी और बात भी बन जाएगी। बहरहाल, सच्चाई चाहे जो हो, सांसद प्रभा ठाकुर की टिप्पणी से इतना संदेश तो लोगों को मिल चुका है कि मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का रास्ता पार्टी के भीतर भी निर्द्वंद्व नहीं। इस रोक-टोक के पीछे पार्टी की कोई बड़ी अंदरूनी रणनीति भी हो सकती है। यदि प्रभा ठाकुर ने मीडिया के सामने शीला दीक्षित की अनिच्छा से मुंह खोला है तो उन्हें इतना मालूम है कि बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी और इस अंदेशे से पार्टी के अन्य आला ओहदेदार भी अच्छी तरह वाकिफ होंगे। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्री माकन भी कांग्रेस में शीला दीक्षित के विरोधी धड़े के पैरोकार माने जाते हैं। पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में दिल्ली वाले इस बात को अच्छी तरह जान चुके हैं। माकन भी सांसद, प्रभा ठाकुर भी सांसद। दिल्ली संसद की ओर से दिल्ली विधानसभा की ओर उछाली गई इस आकस्मिक आकाशवाणी के कई तरह के मतलब निकाले जा रहे हैं।

3 comments:

दुलाराम सहारण said...

प्रभा ठाकुर की बात सही एवं खरी है। यह एक सुझाव माना जाना चाहिए। निर्णय शीला जी को करना है। प्रभाजी ने तो लोक की बात कही है और वे कह सकती हैं क्‍योंकि वे सांसद हैं। राज्‍यसभा। राजस्‍थान के विषय में ही क्‍यों, वे पूरे देश के विषय में बोल सकती हैं।

Udan Tashtari said...

देखें कितनी दूर तक जाती है यह बात!

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हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!

लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.

अनेक शुभकामनाएँ.

संजय भास्‍कर said...

प्रभा ठाकुर की बात सही एवं खरी है। यह एक सुझाव माना जाना चाहिए। निर्णय शीला जी को करना है