चिट्ठों जगत में खलबली मचाए हुए ज्यादातर लोगों के भीतर देश-समाज के हालात अथवा आदमी-से-आदमी की बढ़ती दूरियों को लेकर अथाह बेचैनियां होती हैं, जो कमोबेश रोजाना ही इस रचना संसार के हजारों-लाखों पाठकों द्वारा पढ़ी-पढ़ायी और सराही जाती हैं।
इस रचना-संसार के लिए कितने अच्छे संकेत हैं कि इधर कुछ महीनों से हिंदी प्रिंट मीडिया भी चिटठाकारों को अपने पन्नों पर अपेक्षित स्थान देने लगा है। फिर इतने-से काम कहां चल पा रहा है। श्रमसाध्य और सुपठनीय ढेरो सामग्री हिंदी पाठकों तक पहुंचने से रह जाती है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लाखों पाठकों तक पहुंच रहा नवप्रकाशित समाचार साप्ताहिक जागता शहर भी चाहता है कि अपने हर अंक में चिट्ठाकारों की दुनिया से अपने सुधी पाठकों को परिचित कराता रहे। अन्य समाचार पत्रों की अपेक्षा फर्क सिर्फ इतना होगा कि हम पूरे सप्ताह की चुनिंदा पांच चिट्ठाकारियां ससम्मान लोगों तक पहुंचा सकेंगे।
साथ ही, उसे इस ब्लॉग chitthanama.blogspot.com पर भी प्रस्तुत किया करेंगे। इसी क्रम में आगे विचारणीय है कि चिट्ठाकारों के लिए साल में एक बार कोई भव्य मुलाकाती आयोजन किया जाए।
चिट्ठाकारों से एक छोटी सी गुजारिश है कि वह जागता शहर के इस प्रयास को अपने रचना-संसार की एक साझेदारी के रूप में लें ताकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के उसके लाखों पाठक भी, जो इंटरनेट की दुनिया से बहुत दूर हैं, पढ़ने-पढ़ाने से अछूते न रहें।
Monday, September 29, 2008
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