Friday, March 26, 2010

..ताकि मधुमक्खियां राहुल को न काट लें!


(sansadji.com)

उड़ती खबर है कि हमलावर मधु मक्खियां बड़ी बेमुरव्वतहो चली हैं। जहां-जहां राजनेता जा रहे हैं, वहां पहले सेमधुमक्खियों की मीडिंग चल रही होती है। अबमधुमक्खियां क्या करें, कहां जाएं, हर जगह नेता लोग हैं।जहां जनता, वहां नेता। माया की जनता ने देखा कि किसतरह मधुमक्खियां महारैली में भिनभिनाने लगी थीं।अमेठी (सुल्तानपुर) में मधुमक्खियों की चर्चा एक बार फिर इसलिए गूंज गई है कि वहां आज राहुल गांधी मीटिंगले रहे हैं। सो, दोबारा लखनऊ जैसा कोई वाकया वहां हो जाए, पहले से खूब ध्यान देकर बेहतर साफ-सफाई करादी गई है। 15 मार्च को लखनऊ की महारैली में उड़ीं मधुमक्खियों के मामले की तो माया सरकार जांच तक करा रहीहै। यह माना जा रहा है कि वह सब विपक्ष के साजिशन हुआ था। मधुमक्खियों की ये जुर्रत कि महारैली में उड़ानभरें! कत्तई नहीं, जरूर किसी की शरारत रही होगी। अब पुलिस पता लगा रही है कि वह शरारती था कौन जिसनेबहन जी की सभा में मधुमक्खियों को हांक दिया? ऐसी ही एक और मजेदार जानकारी मिली है। पेड़ों पर तो अक्सरमधुमक्खियों के छत्ते लटके रहते हैं, लेकिन गाड़ी पर मधुमक्खियों द्वारा छत्ता बनाना आश्चर्य की बात है। हरियाणामें एक गाड़ी पर मधुमक्खियों ने एक सप्ताह तक पड़ाव डाले रखा। गाड़ी जहां-जहां जाती, छत्तेदार मधुमक्खियां भीसाथ-साथ सैर करतीं। देखकर लोग हैरान। गाड़ी भी किसी नेता जी की थी। मधुमक्खियों ने गाड़ी के कैबिन के पीछेछत्ता लगा रखा था। एक तो गर्मी, ऊपर से मधुमक्खियां और उसके ऊपर से सभा-मीटिंग। अभी इसी महीनेवैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि 'हीटर' या गर्मी पैदा करने वाली मधुमक्खियां छत्ते को गर्म करने का काम करतीहैं और अपनी कॉलोनी की जटिल सामाजिक संरचना को काबू में रखती हैं। गर्मी पैदा करने वाली यह मधुमक्खियांअपने छत्ते के तापमान को काबू में करने के लिए सक्रिय रेडिएटर का काम करती हैं। वह केवल यह तय करती हैंकि यह काम करने के लिए उनका उत्तराधिकारी कौन होगा बल्कि यह भी निर्धारित करती हैं कि वयस्क होने परकौन मधुमक्खी क्या काम करेगी। गर्मी पैदा करने वाली मधुमक्खियां अपने छत्ते के बीचों-बीच गर्मी पैदा करने केलिए अपने बदन का इस्तेमाल करती हैं। इन मधुमक्खियों के बदन का तापमान कॉलोनी की दूसरी मधुमक्खियोंसे ज्यादा होता है। ये मधुमक्खियां अपने छत्ते के भीतर की उस जगह का तापमान भी नियंत्रित करने के लिएजिम्मेदार होती हैं जहां वे अंडे देती हैं। इस जगह पर मधुमक्खियों के 'अंडे' उस वक्त तक मोम की कोशिकाओं मेंलिपटे होते हैं जब तक बडे हो जाएं। ये मधुमक्खियां बडे हो रह अंडे के आसपास के तापमान को एक डिग्री तकबदल देती हैं और यह छोटा सा बदलाव ही यह तय करता है कि इससे कौन सी मधुमक्खी बनेगी और भविष्य मेंवह क्या भूमिका अदा करेगी।
दुख की बात ये है कि मधुमक्खियों के मोबाइल फोनों के टावर जानलेवा बन रहे हैं। ऐसा होता तो सबसे बड़ीमुसीबत माकपा की सभाओं के लिए थी, क्योंकि केरल में सबसे ज्यादा मधुमक्खियां पाई जाती हैं। मोबाइल टावरोंऔर सेल फोन से निकलने वाले वैद्युत चुंबकीय विकिरण में श्रमिक मधुमक्खियों का जीवन समाप्त करने कीक्षमता होती है। कोल्लम जिले में पुनालुर के एस एन कालेज में अध्यापन करने वाले पत्ताजे बताते हैं किमधुमक्खियों की बस्तियों में जीवन निर्वाह में श्रमिक मधुमक्खियां महत्वपूर्ण योगदान करती हैं। उन्हें क्या मालूमकि श्रमिकों के भरोसे ही केरल में माकपा की राजनीति फलफूल रही है।

1 comment:

L.R.Gandhi said...

अब तो मधु मक्खिया चीनी खा कर ही शहद उकेर देती हैं। चीनी और नोटों का माया और राहुल से क्या सम्बन्ध है यह तो पवारजी से पूछना पड़ेगा। ...... क्वीन बी का दंश है आपके व्यंग में।