Saturday, March 13, 2010

नरेश अग्रवाल ने राज्यसभा का पर्चा भरा



जनेश्वर मिश्र के निधन से खाली हुई थी सीट।
लखनऊ राजनीतिक फिंजा में ताजा सर्गर्मी।
बसपा में अखिलेश की वैश्य-सियासत पर ग्रहण।

(sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम से साभार)

समाजवादी नेता जनेश्वर मिश्र के निधन से खाली हुई राज्यसभा की एक सीट पर आज बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव नरेश अग्रवाल ने लखनऊ स्थित विधानसभा के सेन्ट्रल हाल में बसपा राज्यसभा प्रत्याशी के रूप में अपना पर्चा दाखिल कर दिया। इस मौके पर विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर, बसपा प्रदेश अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य, कैबिनेट मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के अलावा मंत्रिमंडल के कई और सदस्य उपस्थित रहे। नरेश अग्रवाल लखनऊ के पड़ोसी जिले हरदोई के रहने वाले हैं। उन्होंने हरदोई विधानसभा से कई प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव जीते हैं। इसके अलावा हरदोई और लखनऊ की राजनीति और वैश्य समाज में काफी प्रभाव रखते हैं। नरेश अग्रवाल की भी शुरू से इच्छा रही है कि मौका मिले तो लखनऊ लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ें। बसपा से राजनीतिक जोड़तोड़ में देर कर जाने के कारण नरेश अग्रवाल को लखनऊ लोकसभा से चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिल सका। लखनऊ से बसपा प्रत्याशी के रूप में एक अवसर उनके हाथ आया था जिस पर अखिलेश दास ने मौका मार दिया। नरेश अग्रवाल हरदोई और लखनऊ छोड़कर किसी अन्य जगह में कोई दिलचस्पी नहीं रखते हैं। लखनऊ में वह रहते हैं और यहां पर उनके व्यवसाय से लेकर सामाजिक संबंधों का व्यापक क्षेत्र है। ज्यादातर नरेश अग्रवाल की गिनती सीधे चुनकर आने वाले नेताओं में रही है। नरेश अग्रवाल के पुत्र भी राजनीति में सक्रिय हैं। श्री अग्रवाल के पर्चा दाखिल करने से पार्टी में उनके वैश्य प्रतिद्वंद्वी माने जाने वाले राज्यसभा सांसद अखिलेश दास के लिए बेचैनी की खबर मानी जा रही है।
अखिलेश दास और नरेश अग्रवाल उत्तर प्रदेश की वैश्य राजनीति के ऐसे मोहरे हैं जिन्होंने आगे बढ़ने के लिए सर्वाधिक जोड़तोड़ का सहारा लिया। बसपा में ये दोनों नेता यूं ही नहीं आ गए हैं। इन दोनों नेताओं ने वैश्य समाज को बसपा से जोड़ने की राजनीति शुरू की थी। इसके साथ इन दोनों नेताओं में एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता भी सर उठाती रही, जिसमें इन दोनों के सामने अपने-अपने चुनाव क्षेत्रों में सफल होने की बड़ी चुनौतियां आती रहीं। अटकालबाज अब तो ऐसे भी सवाल उठाने लगे हैं कि आगे देखिए, नरेश अग्रवाल बसपा की राजनीति में अखिलेश दास को गुरु मानते हैं या उन्हें बाहर करके पार्टी के एकछत्र वैश्यनेता बन बैठते हैं।

मेनका गांधी की तरह सांसद हेमा मालिनी भी पशुओं पर मेहरबान



(खबर sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम से)

पहले भालुओं के संरक्षण के लिए सांसद निधि से लाखोंरुपये के
चेक दिए थे, अब गोशाला की सड़क के लिए 16 लाख की मददः भाजपा सांसद तथा मशहूर फिल्मअभिनेत्री हेमामालिनी पहले आगरा के भालुओं परमेहरबान हुई थीं, अब मथुरा-वृंदावन की गायों की सुधि लीहै। पूर्व में भालुओं के संरक्षण के लिए उन्होंने दो लाख रुपयेदिए थे, इस बार उन्होंने वृंदावन के अक्रूर गाँव में स्थित गोधाम गौशाला की ओर जाने वाली सड़क के निर्माण केलिए 16 लाख रुपए अपनी सांसद निधि से दिए हैं। गोधाम गौशाला की ओर जाने वाली इस 600 मीटर लम्बी एवंमीटर चौड़ी सीसी रोड का निर्माण किया जायेगा। हिस्से का निर्माण कांक्रीट से कराया जाएगा। पिछले दिनोंगोशाला के ट्रस्टियों द्वारा इस सड़क का शिलान्यास आचार्य मृदुलकांत शास्त्री के आचार्यत्व में वैदिक मंत्रोच्चारणके मध्य किया गया। गौशाला के ट्रस्टी विपिन मुकुटवाला के अनुसार 6 माह पूर्व हेमामालिनी ने अपने वृन्दावनप्रवास के दौरान गोविंद गौशाला का अवलोकन किया था एवं यहां ट्रस्ट द्वारा गौवंश की उत्कृष्ट सेवा किये जाने सेप्रभावित होकर सेवा करने की आकांक्षा व्यक्त की थी। इससे पूर्व में भी सांसद हेमा मालिनी आगरा मंडल परमेहरबान हो चुकी हैं। पाकिस्तान में भारत से भेजे गए भालुओं पर हो रहे अत्याचार की खबरों के बाद इस सांसदका दिल पसीज गया। उन्होंने आगरा के कीठम में रखे गए भालुओं की दशा सुधारने के लिए दो लाख रुपये देकरवन्य जीव संरक्षण के लिए आवाज बुलंद करने वाली सांसद मेनका गाँधी की राह पर चलने के संकेत दिए थे।कीठम मथुरा से सटा हुआ है। उन्होंने यहाँ कीठम स्थित संरक्षण गृह में रखे गए भालुओं को स्वच्छंद जीवन जीनेका माहौल देने के लिए विकास अधिकारी, आगरा को अपनी सांसद निधि से दो लाख रुपए का चेक दिया था। हेमाने ये पैसे तब दिए थे, जब एक निजी टीवी चैनल ने पाकिस्तान में भारत से भेजे जाने वाले भालुओं को रईसों द्वारामनोरंजन' के लिए खूँखार कुत्तों के हवाले किए जाने की तस्वीरें और खबर प्रसारित की थी, जिसके खिलाफ भारतमें तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गाँधी ने पाकिस्तान में भालुओं पर हो रहे अत्याचार को गंभीरतासे लेते हुए इसे रोकने के लिए केंद्र सरकार से ठोस कदम उठाने की माँग की थी। मेनका गाँधी ने केंद्रीय पर्यावरणतथा वन मंत्री के रूप में कीठम स्थित भालू संरक्षण गृह का अवलोकन किया था और संबंधित अधिकारियों कोभालुओं की देखरेख में कोई कोताही नहीं बरतने के सख्त निर्देश दिए थे।

एड्स विधेयक संसद में पेश करने की मांग उठी



मांग उठाने वाले संगठनों ने चिंता जताई
सालों से विधेयक के चक्कर काट रहा

(खबर sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम से)

एचआईवी एड्स पर प्रस्तावित विधेयक संसद में पेश किएजाने पर हो रही देरी पर चिंता जताते हुए नगालैंड में इस क्षेत्रमें काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों ने विधेयक को संसद केमौजूदा सत्र में प्रस्तुत करने की मांग की है। सॉलीसिटर जनरल ने इस विधेयक को तैयार किया है। गैर सरकारीसंगठन ने मांग की है कि इसे बिना किसी बदलाव के संसद में जल्द पेश किया जाना चाहिए। केंद्रीय विधि मंत्रीवीरप्पा मोइली को लिखे संयुक्त पत्र में गैर सरकारी संगठन ने उल्लेख किया है कि विधि मंत्रालय को वर्ष 2007 मेंयह विधेयक सौंप दिया गया था लेकिन इसे अब तक सदन में पेश नहीं किया जा सका है। पत्र में कहा गया है किविधि मंत्रालय बीते तीन वर्ष से असंवेदनशीलता दिखा रहा है जो अस्वीकार्य है। एचआईवी पीडितों का उपचार, संरक्षण और समुचित देखभाल सुनिश्चित करने वाला विधेयक पिछले दो वर्षो से केन्द्र सरकार के विभिन्नमंत्रालयों के चक्कर लगा रहा है। ऎसी आशंका है आम सहमति नहीं बन पाने से उसे संसद में पेश नहीं किया जासका है। देशभर में बच्चों एवं महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर सक्रिय गैर सरकारी संगठन प्लान इण्डिया नेविधेयक के सम्बंध में मांग की है कि इसे पुराने रूप में ही पेश किया जाए। ऎसा नहीं हुआ तो इन बीमारियों सेग्रसित मरीजों एवं उनके परिजनों को समुचित सहायता नहीं उपलब्ध कराई जा सकेगी। पिछले दिनों दिल्ली मेंएक समारोह में इस विधेयक के अविलम्ब संसद में पेश किए जाने की मांग को लेकर अभियान में जुटे बच्चों एवंमहिलाओं को पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस नेता ऑस्कर फर्नाडीस, ग्रामीण विकास राज्यमंत्री अगाथा संगमा, क्रिकेटवीरेन्द्र सहवाग, फिल्म निर्देशक नागेश कुकनूर ने अपनी ओर से समर्थन दिया। प्लान इण्डिया की कार्यकारीनिदेशक भाग्यश्री डेंग्ले ने बताया कि राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के मुताबिक देश में 18 वर्ष से कम उम्र के एकलाख किशोर एचआईवी संक्रमित हैं। हर साल 70 हजार बच्चे इसकी चपेट में आते हैं। पिछले साल अक्तूबर केतीसरे सप्ताह में केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा था कि वह एचआईवी/एड्स विधेयक के नएमसौदे पर स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ विचार विमर्श करेंगे। मरीजों और सामाजिक संगठन प्रस्तावित विधेयक मेंकुछ अहम प्रावधान होने का विरोध कर रहे हैं। एचआईवी पॉजिटिव छह सदस्यों के दल के साथ मोइली सेमुलाकात करने वाले 'लायर्स कलेक्टिव' के रमन चावला ने उस समय बताया था कि मंत्री ने उन्हें जल्द से जल्दमतभेद दूर करने का आश्वासन दिया है। कानून मंत्रालय ने 38 मुख्य प्रावधान हटाने के बाद एचआईवी/एड्सविधेयक का तीसरा मसौदा तैयार किया है। पॉजीटिव पीपुल नेटवर्क मुख्य प्रावधानों को विधेयक में शामिल करनेकी मांग करता रहा है। इसलिए हमने मोइली को बताया कि विधेयक में इन प्रावधानों को शामिल करने के बाद इसेसंसद द्वारा पारित किया जाना चाहिए। चेन्नई नेटवर्क ऑफ पॉजीटिव पीपुल के डायसी डेविड ने विधेयक केमसौदेके बारे में कहा यह विधेयक का पहला मसौदा है जिसे हम संसद द्वारा पारित कराना चाहते हैं। डेविड मोइली केसाथ मुलाकात करने वाले प्रतिनिधि मंडल के साथ शामिल थे। दिल्ली नेटवर्क ऑफ पॉजीटिव पीपुल के सदस्यप्रदीप दत्ता ने कहा कि विधेयक के मसौदे से जो सबसे अहम प्रावधान हटाया गया है वह एचआईवी रोगी को आपातचिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के बारे में था। दत्ता ने कहा था कई बार आपात स्थिति होने के बावजूद अस्पतालोंमें एड्स रोगी को इलाज नहीे मुहैया कराया जाता है। इसलिए हम एक ऐसे स्वास्थ्य अधिकारी की नियुक्ति चाहतेहैं जो ऐसी स्थिति आने पर 24 घंटे के अंदर इलाज मुहैया कराने का आदेश दे सके। कई बार हम देखते हैं कि ऐसेबच्चे जिनके एड्स रोगी अभिभावकों की मुत्यु हो जाती है, को पारिवारिक संपत्ति के अधिकार से वंचित रखा जाताहै। इसलिए एड्स रोगी के बच्चों का संपत्ति का अधिकार सुरक्षित रखने से संबंधित प्रावधान विधेयक में होनाचाहिए।

अब शरद पवार ने मांगा 50 फीसद आरक्षण


(sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम)

अभी
तो लोकसभा तक 33 प्रतिशत वाले महिला आरक्षणबिल ने अपना सफर पूरा भी नहीं किया है कि महामहंगाईके नायक केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने एक नया तरानाछेड़कर राजनीतिक हल्कों में हलचल पैदा कर दी है।रांकापा सुप्रीमो पवार ने मांग की है कि स्थानीय निकायों मेंमहिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए। वहचाहते हैं कि बिहार की तरह महाराष्ट्र में भी महिलाओं कोस्थानीय निकाय चुनावों में 50 फीसदी आरक्षण दियाजाए। पवार दूर कौड़ी लाते हैं और खूब खेलते हैं। इसलिए उनके इस शोशे को भी हल्के में नहीं लिया जा सकता। अपनी और पार्टी की पहचान राष्ट्रीय मंच पर जगमगाए रखने के लिए यह उनके किसी नए अभियान का संकेत भी हो सकता है। उल्लेखनीय है कि अभी तक महंगाई को लेकर कांग्रेस पवार के सिर भी खूब ठीकरा फोड़ती रही है। बीच में पवार ने आईपीएल के बहाने बाल ठाकरे से मिल कर उस ठीकरे का आहिस्ता से जवाब भी दे दिया था। इधर लोकसभा में महिला आरक्षण बिल के हंगामों के दौरान वे सुर्खियों से गायब-से रहे हैं। उनका ये नया बयान और किसी को परेशान करे, न करे, कांग्रेस के लिए जरूर गुत्थीदार अंदेशा खड़ा कर सकता है!

फिलहाल तो महिला आरक्षण बिल गया ठंडे बस्ते में



राज्यसभा से पारित महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में कब लाया जाएगा, कोई निश्चित नहीं। केंद्र सरकार कड़े विरोध के कारण असमंजस में है। फिलहाल तो दिख रहा है कि उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। 15-16 मार्च तक भी शायद ही उसे

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सदन में रखा। इसके बाद 12 अप्रैल से सदन शुरू होगा। कहा जा रहा है कि 'तब की तब' देखी जाएगी। लोकसभा के महासचिव पी. डी. टी. अचारी ने इस बारे में राज्यसभा से प्राप्त संदेश के बारे में सदन को सूचित कर दिया है। लोकसभा में कार्यमंत्रणा समिति की बैठक होनी थी, उसे भी स्थगित कर दिया गया।
शरद यादव, लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाले दलों द्वारा विधेयक का कड़ा विरोध करने और भाजपा में इसके विरुद्ध बगावती तेवर उभरने के बाद इसे फिलहाल कुछ दिनों के लिए टालने में ही भलाई समझी जा रही है। भाजपा के कुछ सांसदों ने खुली चेतावनी दी है कि अगर लोकसभा में इस विधेयक को लाया गया तो वे पार्टी व्हिप का उल्लंघन करेंगे। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी कह रहे हैं कि विधेयक को निचले सदन में लाने से पहले सरकार सभी संबद्ध पक्षों से सलाह मशविरे करेगी। बिल को लेकर समर्थक दलों के साथ खड़े होने की बजाय ममता बनर्जी लालू यादव की तरफ पहुंच गई हैं। तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी तीनों यादवों को साथ लेकर चल रही हैं। कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों की बड़ी संख्या इस विधेयक के वर्तमान स्वरूप के खिलाफ है। इसी के चलते लालकृष्ण आडवाणी के घर बिल विरोधी भाजपा सांसदों को समझनाने बुझाने का सिलसिला चला। मान-मनव्वल के लिए ही सोनिया गांधी ने अपने सांसदों और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों से बात की, साथ 10 जनपथ पर सभी सांसदों को सपरिवार रात्रिभोज दिया कि हालात नरम हो जाएं। फिलहाल तो हालात जस के तस बने हुए हैं। साफ अंदेशा है कि बिल का रास्ता आसान नहीं। अभी लंबा समय लगेगा। लोकसभा में पारित होगा भी या नहीं, कुछ कहना मुश्किल लगने लगा है।

Friday, March 12, 2010

सपा सांसदों ने माफी मांगी ? राजद सांसद अड़े!

सूत्रों के अनुसार समाजवादी पार्टी के चार निलंबित सांसदोंने सभापति से कथित रूप से माफी मांग ली है, लेकिनराजद के तीन सांसद अभी भी अपनी बात पर अड़े हुए हैं।महिला आरक्षण विधेयक पर उच्च सदन राज्यसभा में हंगामा करने पर निलंबित हुए समाजवादी पार्टी और राजदके सात सांसदों में से चार ने शुक्रवार को कथित रूप सेसभापति हामिद अंसारी से माफी मांग ली। ये सांसद हैंसपा के कमाल अख्तर, नंद किशोर यादव, वीरपाल सिंह यादव आमिर आलम खान। यद्यपि इन सांसदों ने ऐसीकिसी बात से इनकार किया है। उनका कहना था कि सभापति के बुलावे पर वे उनसे मिलने भर गए थे। यह भीबताया गया है कि इस मुलाकात के बाद अब उनके निलंबन वापसी का रास्ता साफ हो गया है। तीन अन्य निलंबितसांसदों एजाज अली (स्वतंत्र), साबिर अली (लोजपा) सुभाष यादव (राजद) ने अब तक माफी नहीं मांगी है।

.....शेष खबरें विस्तार से सांसदजी डॉट कॉम sansadji.com पर


....हिमाचल से राज्यसभा प्रत्याशी चयन को जुटेंगे भाजपाई
....मृत पूर्व सांसद भाटी के परिजनों को मिलेंगे 32 लाख रुपये


सोनिया गांधी के घर पर सांसदों का महाभोज



बात संसद से डिनर डिप्लॉमेसी तक।
पति-पत्नियों के साथ जुटे माननीय।
10 जनपथ पर देर तक चहल-पहल।
पीएम, राहुल सहित कई बड़े शामिल।

(sansadji.com सांसदजी ड़ॉट कॉम से साभार)

महिला आरक्षण बिल की बात डिनर डिप्लॉमेसी तक जा पहुंची है। रात के डिनर के बाद आज सुबह लोकसभा में कांग्रेस के ज्यादातर सांसद नदारद रहे। खैर, सदन चल रहा है, देश भर के सांसद दिल्ली में जमे हुए हैं तो घर आने-जाने भोजन-पानी में हर्ज किस बात का......लेकिन महंगाई और महामहंगाई वाले बजट को सा्मने रखकर ऐसे समारोहों के कई अर्थ निकाले जाए तो उसमें भी क्या हर्ज हो सकता है!

बहरहाल, 10 जनपथ पर बीती शाम कांग्रेस सुप्रीमो गांधी के ठिकाने पर कुछ विशेष किस्म की चहल-पहल रही। मौका था अनायास के रात्रिभोज का, जिसमें सांसद अपनी पत्नियों अथवा पतियों के साथ शामिल हुए। और इनके बीच थे प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी, वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी, गृह मंत्री पी. चिदंबरम, विदेश मंत्री एस.एम.कृष्णा और कानून मंत्री वीरप्पा मोइली आदि।
वैसे तो राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के दो दिन बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने आवास पर पार्टी के सांसदों और मंत्रियों को सपत्नीक ये रात्रि भोज आयोजित किया था, लेकिन कहा जाता है कि कार्यक्रम के पीछे खास मकसद महिला बिल को लेकर खफा सांसदों के रोष पर छींटे मारना रहा। कांग्रेस अध्यक्ष के आधिकारिक आवास 10, जनपथ पर आयोजित रात्रिभोज में राहुल के साथ-साथ पार्टी के अनेक पदाधिकारी भी मौजूद रहे। तकरीबन एक घंटे तक चले इस भोज के दौरान नेताओं ने शाकाहारी और मांसाहारी भोजन का आनंद लिया। रात्रिभोज के संबंध में पार्टी नेताओं का कहना था कि यह सांसदों के परिवारों से एक औपचारिक मुलाकात का बहाना था। आरक्षण बिल कैसे-कैसे हालात ला रहा है। कल शाम इसी तरह लालकृष्ण आडवाणी के घर पर सांसदों का जुटान हुआ। पूछने भाजपा सांसद गोपीनाथ मुंडे का कहना था कि आडवाणी जी के यहां तो शाम को अक्सर पार्टी सांसद जाते रहते हैं। और लोकसभा में मुलायम सिंह यादव ने कहा कि आडवाणी जी तो रिटायर हो रहे हैं। इससे पहले याद करिए कि डॉ.मनमोहन सिंह ने सपा-राजद-जदयू अध्यक्षों को अपने घर पर बुला लिया था।

लोकसभा में महंगाई पर बरसे सांसद

सपा, राजद, बसपा और वाम दलों का लोकसभा से वॉक आउटः
सोनिया की चेतावनियों के बावजूद सत्तापक्ष के सांसद गायबः
महंगाई के विरोध में वामदलों ने किया संसद पर बड़ा प्रदर्शनः
शाम चार बजे प्रणब मुखर्जी विपक्ष के सवालों का जवाब देंगेः

(sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम से)

महंगाई पर एक ओर संसद के बाहर वामदल प्रदर्शन कर अपना विरोध जता रहे थे, दूसरी तरफ संसद के भीतर महंगाई पर श्वेतपत्र लाने की मांग करने के साथ वाम दलों, बसपा, सपा और राजद सदस्यों ने कीमतें नियंत्रित करने में कोई ठोस कार्रवाई नहीं करने का सरकार पर आरोप लगाते हुए आज सदन से वाकआउट कर दिया। आवश्यक वस्तुओं, खासकर खाद्य वस्तुओं की कीमतों में पिछले कुछ महीनों से हुई बेतहाशा वृद्धि के विरोध में दिल्ली में वाम दलों की शुक्रवार को हुई रैली का शून्यकाल में जिक्र करते हुए भाकपा के गुरूदास दासगुप्ता ने श्वेत पत्र लाने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस श्वेतपत्र में सरकार यह बताए कि महंगाई क्यों बढ़ी और उसे नियंत्रित करने के लिए उसने अब तक क्या कदम उठाए हैं। माकपा के रामचंद्र डोम ने कहा कि बेकाबू होती महंगाई को नियंत्रित करने के उपाय करने की बजाय सरकार ने पेट्रोल, डीज़ल और यूरिया के दाम बढ़ा कर आम आदमी के 'जख्मों पर नमक छिड़का' है। कई दलों के सदस्यों ने महंगाई को काबू करने के बारे में सरकार से जवाब देने की मांग की और ऐसा नहीं होने के विरोध में वाम दलो, बसपा, सपा और राजद के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया। भाजपा और बीजद के कुछ सदस्यों ने इस मुद्दे से अपने को संबद्ध किया, लेकिन वाकआउट में हिस्सा नहीं लिया। उधर, पूर्व चेतावनी के अनुसार राजधानी दिल्ली में आज वामदल संसद तक अपनी महंगाई विरोधी आवाज बुलंद करने के लिए हजारों समर्थकों के साथ रैली निकाल रहे हैं। रैली के दौरान बड़ी संख्या में ये वाम प्रदर्शनकारी केंद्र सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते चल रहे थे। सरकार विरोधी नारे लगाते प्रदर्शनकारी जरूरी खाद्य पदार्थों के दामों में तत्काल कमी लाने के लिए सरकार से कदम उठाने और पेट्रोलियम उत्पादों के बढ़े दाम वापस लेने की मांग करते चल रहे थे। इस प्रदर्शन में वाम दलों के शीर्ष नेता-सांसद भी शिरकत कर रहे हैं। बजट पर बहस के दौरान सदन से सत्ता पक्ष के सांसदों के गायब रहने पर आज विपक्षी सांसदों ने जमकर नाराजगी जताई। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस सांसदों के सदन से अनुपस्थित रहने पर पार्टी सुप्रीमो सोनिया गांधी हाल में कई बार चेतावनी दे चुकी हैं। फिर भी आदत है कि छूट नहीं रही है। निचले सदन में आज बजट पर बहस के दौरान सत्तापक्ष का वरिष्ठ सांसदों सहित कोई कैबिनेट मंत्री भी मौजूद नहीं था। इस पर सुषमा स्वराज ने कहा कि इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार महंगाई को लेकर कितनी चिंतित है। महंगाई से निपटने के लिए बड़े-बड़े वादे करने वाली सरकार विपक्ष के सवाल सुनने से बच रही है। इसी बीच एक अन्य सांसद ने कहा कि यहां तो जैसे अंधों की बस्ती में आईने बेचने की कोशिश हो रही है। सत्तापक्ष के इस रवैये से खासतौर पर वाम दलों ने ज्यादा रोष जताया। वामदलों ने लोकसभा से वॉकआउट करने के बाद संसद भवन के बाहर सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। शाम चार बजे वित्त मंत्री प्रवण मुखर्जी विपक्ष के सवालों का जवाब देंगे। लालू प्रसाद यादव हमेशा की तरह आज भी लोकसभा में पूरे तेवर में दिखे और प्रश्नकाल के दौरान खाद्य पदार्थों में मिलावट का मुद्दा उठाते हुए कहा कि उन्हें इस खबर से काफी चिंता हुई है कि बुके-पिसे मसालों में घोड़े की लीद’ मिलाई जा रही है। उन्होंने टेलीविजन पर सुना कि पैकेट बंद पिसे मसालों में ये लीद मिलाई जाती है और विज्ञापनों में ऐसे ही मसालों का उपयोग करने के लिए प्रचार किया रहा है। सरकार बताए कि ऐसे में लोढा-सिल से पिसे मसालों के प्रयोग के प्रचार के लिए वह क्या कर सकती है। सील-बट्टे से पिसे मसाले ज्यादा लिज्जतदार होते हैं।

अभी-अभी महंगाई के विरोध में दिल्ली की सड़कों पर उतरे वामदलों के प्रदर्शनकारी


(sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम से विस्तृत खबर कुछ देर बाद)

पूर्व चेतावनी के अनुसार राजधानी दिल्ली में आज वामदल संसद तक अपनी महंगाई विरोधी आवाज बुलंद करने के लिए हजारों समर्थकों के साथ रैली निकाल रहे हैं। रैली के दौरान बड़ी संख्या में ये वाम प्रदर्शनकारी केंद्र सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते चल रहे थे। सरकार विरोधी नारे लगाते प्रदर्शनकारी जरूरी खाद्य पदार्थों के दामों में तत्काल कमी लाने के लिए सरकार से कदम उठाने और पेट्रोलियम उत्पादों के बढ़े दाम वापस लेने की मांग करते चल रहे थे। इस प्रदर्शन में वाम दलों के शीर्ष नेता-सांसद भी शिरकत कर रहे हैं।

देश की सबसे धनी महिला सांसद हैं राजकुमारी रत्ना सिंह


नेशनल इलेक्शन वाच नामक एनजीओ की रिपोर्ट मुताबिक देश की सबसे धनी महिला सांसद प्रतापगढ़ की राजकुमारी रत्ना सिंह हैं, जिनकी कुल संपत्ति 67 करोड़ 82 लाख रुपये है।

6.67 हजार रुपये की कर्जदार भाजपा सांसद (दुर्ग-छत्तीसगढ़) सरोज पांडेय की कुल संपत्ति 3 लाख 79 हजार रुपये की।



इस समय लोकसभा में 40 महिलाएं करोड़पति।

निचले सदन में 68 फीसदी महिलाएं करोड़पति।

करोड़पति पुरुष सांसदों का अनुपात 57 फीसदी।

लोकसभा में 484 पुरुष सांसदों में 275 करोड़पति।

महिला सांसदों में एक डॉक्टरेट, 16 स्नातकोत्तर, 25 स्नातक, 9 बारहवीं पास, 4 दसवीं पास और दो 8वीं तथा पांचवीं पास।

59 में 41 महिला सांसद स्नातक या इससे ज्यादा शिक्षित। 152 पुरुष सांसदों, 74 पुरुष सांसदों के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले और 10 महिला सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले।

मौजूदा सदन में कांग्रेस की 24, भाजपा की 13, सपा की 3, बसपा की 4, जेडीयू की 2, माकपा की 1 और अन्य दलों की 12 महिला सांसद।

संसद में सत्ते-पे-सत्ता, नहले-पे-दहला

कुटिल कानाफूसियों का दौर..........
फिर से नजदीकियों के लिए भाजपा बेचैन.............
सांसद निलंबन मसले पर राजद-सपा की हां-में-हां मिला रहे जेटली, मुंडे और सुषमा स्वराज.............
बिल-विरोधी कांग्रेसी सांसद चुपके-चुपके मिल रहे भाजपा असंतुष्टों से..............
तीनों पार्टी अध्यक्ष-यादवों की एकजुटता से पीएम से मुलाकात के बहाने रची गई कांग्रेस की रणनीति बिखर गई...........

(sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम से साभार)

कहावत है कि कहीं पर निगाहें, कहीं पर निशाना। संसद में पार्टियां इन दिनों कुछ इन्हीं अर्थों में अपने-अपने मंसूबों को आकार देने में हैं। मसलन, भाजपा की मंशा है कि चाहे जैसे भी एक बार पूरा विपक्ष फिर उसी तरह उसके साथ आ जाए, जैसे संसद में आम बजट पेश किए जाने के दिन महंगाई के मुद्दे पर आ जुटा था। अल्पसंख्यकों, पिछड़ों, दलितों की राजनीति करने वाले कांग्रेस के कुछ बड़े नेता महिला आरक्षण विधेयक से असंतुष्ट भाजपा सांसदों से इसलिए संपर्क साध रहे हैं कि बिल पारित न हो। उधर, पहली बार महिला आरक्षण विधेयक को लेकर राष्ट्रीय लोकदल सुप्रीमो चौधरी अजित मुखर हुए हैं। कहते हैं कि अपनी सीट महिलाओं की झोली में जाने की आशंका रखने वाले सांसद तो अपने क्षेत्र के विकास कार्यों से ही मुंह मोड़ लेंगे। सूत्र बताते हैं कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली पहले जैसी विपक्षी एकजुटता की तलब के चलते ही सरकार से मांग कर रहे हैं कि उच्च सदन से निलंबित सात सदस्यों को मार्शलों के जरिए सदन से बाहर निकालवाने के लिए वह माफी मांगे। उल्लेखनीय है कि मंहगाई के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ बनी एकता महिला आरक्षण विधेयक पर बिखर चुकी है। महिला आरक्षण विधेयक पर सत्ता पक्ष और भाजपा तथा वाम दल एक हो गए जबकि सपा, राजद और बसपा उसके विरोध में हो गए। इसी पटने-पटाने के क्रम में लोकसभा में भाजपा के उप नेता गोपीनाथ मुंडे भी कहते हैं कि हम चाहते हैं, सरकार सदन (राज्यसभा) में मार्शल बुलाने के लिए माफी मांगे। निम्न सदन में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज कहती हैं कि किसी विधेयक को पारित कराने के लिए भाजपा लोकसभा में मॉर्शल का इस्तेमाल किए जाने की कत्तई मुखालफत करती है। उधर, महिला आरक्षण विधेयक रोज-ब-रोज नए-नए गुल खिलाता रहा है। बिल के प्रारूप से डरे और नाखुश कुछ कांग्रेस सांसद अनुशासन के भय से खुल कर तो नहीं बोल पा रहे, लेकिन अंदरूनी तौर पर विरोधी सुर में सुर मिलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। विरोध करने वालों को शाबासी दिए जा रहे हैं कि किसी भी सूरत में वह इस विधेयक को पारित न होने दें। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के ऐसे कई असंतुष्ट नेताओं ने भाजपा के बिल-विरोधी नेताओं से संपर्क साधे हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता की बातों पर यकीन करें तो उनसे कांग्रेस के दो बड़े सांसद मिलने पहुंचे थे। उनका कहना था कि वे तो अपनी पार्टी में बंधुआ मजदूर की तरह हैं, इसलिए महिला आरक्षण विधेयक का विरोध नहीं कर सकते। हो सके तो आप लोग इस विधेयक को रुकवा लीजिए। इसे लोकसभा से पारित मत होने दीजिए। उधर, बिहार से कांग्रेस सांसद मोहम्मद असरारुल हक खुलकर बिल का विरोध करने ही लगे हैं। उधर, राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजित सिंह पहली बार महिला आरक्षण बिल पर मुखर हुए हैं। वह कहते हैं कि बिल में एक सीट पर यदि पुरुष सांसद है और अगली बार उस सीट को महिला के लिए रिजर्व हो जाना है तो भला वो सांसद काम क्यों करेगा क्योंकि उसे पता है, अगली बार वो उस सीट से नहीं जीतकर आने वाला। मान लीजिए कोई सीट महिला के लिए रिजर्व है और महिला सांसद उस क्षेत्र में अच्छा काम करती है तो अगली बार उस सीट के जनरल होने पर भी वो चुनाव लड़ सकती है और जीत सकती है। ऐसे में तो संसद में पुरुषों की संख्या कम हो जाएगी। इससे बिल पारित कराने में जुटी कांग्रेस फंस गई है। अगर वो यादव नेताओं की कोटे के अंदर कोटे के बात मानती है तो इसका पूरा श्रेय यादव तिकड़ी के हाथ चले जाने का डर है वहीं अगर वह बिना बहस के किसी तरह बिल को पारित करने पर अड़ती है को बीजेपी के विरोध का डर। ऐसे में अब पार्टी के रणनीतिकार सर्वदलीय बैठक बुलाने पर विचार कर रहे हैं। एक बात ये भी पता चली है कि राजद-सपा और जदयू अध्यक्षत्रयी से मिलने की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की रणनीति कुछ और थी, जो कामयाब नहीं हुई। प्रधानमंत्री चाहते थे कि तीनों पार्टी अध्यक्ष उनसे अलग-अलग मिलें। लेकिन आमंत्रण के इस तरीके पर तीनों नेताओं के कान खड़े हो गए और उन्होंने एक साथ मुलाकात की रणनीति बना ली। मुलाकात वाली सुबह कई-एक मुस्लिम संगठनों के नेता लालू यादव के निवास पर इकट्ठे हुए थे। फिर मुलायम सिंह भी लालू यादव के घर पहुंच गए, फिर दोनों पार्टी अध्यक्ष शरद यादव को साथ लेकर पीएम से मिले, इससे कांग्रेस की रणनीति बिखर गई।



Thursday, March 11, 2010

बिल के बखेड़े ने बिगाड़ा सबका जायका

अचानक घर में भभकते चिरागों से भाजपा भौचक्का।
सबसे सबल समर्थक की दशा पर कांग्रेस पसीने-पसीने।
बिल विरोधी अपने साझा एजेंडे की कामयाबी की ओर।
दलित-मुस्लिम-पिछड़ों की सियासत में पड़ी नई जान।


(sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम से साभार)

महिला आरक्षण बिल पर एक-एक दिन भारी पड़ता जा रहा है। सोमवार से गुरुवार के बीच देश के सियासी माहौल में जमीन-आसमान का फर्क चुका है। लोकसभा में पिछले चार दिनों से चल रही महाभारत ने कमोबेश हर पार्टी का सियासी जायका खराब कर दिया है। बिल का प्रारुप बदले--बदले, रफ्ता-रफ्ता कामयाबी समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के एजेंडे का रुख लेती जा रही है। बिल के बहाने दोनों पार्टियां अपने-अपने हिस्से के निकट भविष्य की राजनीति जिस दिशा में हांकना चाह रही थीं, उसमें उन्हें फिलहाल तो सफलता मिलती दिख रही है। मसलन, वे देश के दलित, मुस्लिम, पिछड़े मतदाताओं और बुद्धिजीवियों तक ये संदेश पहुंचाने में सफल रही हैं कि बिल दूध का धुला नहीं। उसके माध्यम से पिछड़े, मुस्लिम, दलित समुदायों का राजनीतिक हक मारने का छल किया जा रहा है। मुस्लिम संगठन एकजुट होने लगे हैं। उनकी अंगड़ाई को ताजगी दी है राजद-सपा-जदयू अध्यक्षत्रयी के बिल विरोधी अभियान ने। उनकी सफलता का दूसरा पड़ाव गुरुवार को तब देखने-सुनने को मिला, जब भाजपा के अंदर से वैसी ही गूंज बाहर आने लगी। पार्टी की सुबह की मीटिंग में जितने सांसद बिल के मौजूदा प्रारूप पर ऐतराज जता रहे थे, शाम को आडवाणी के घर दोबारा हुई पार्टी की मीटिंग में एक नाम और जुड़ गया मेनका गांधी का। उधर, कांग्रेस के एक मुस्लिम सांसद ने भी अपनी पीड़ा सरेआम कर दी। भाजपा-कांग्रेस की इन चिंगारियों पर लोकसभा घी उड़ेल दिया राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने। लालू ने कहा कि कहा कि विधेयक का समर्थन कर रही सभी पार्टियों के अधिकांश सांसद इसके विरोध में हैं और व्हिप के भय से खुलकर कुछ नहीं बोल पा रहे हैं। उन्हें निजी बातचीत में कई सांसदों ने बताया है कि उन्होंने बिल नहीं, अपने 'डेथ सर्टिफिकेट' पर हस्ताक्षर किए हैं। लालू आज लोकसभा में पूरे तेवर में नजर आए। उन्होंने अपने खिलाफ श्वेतपत्र लाने वाली ममता बनर्जी को यह कर कर मुस्कराने के लिए मजबूर कर दिया कि वेस्ट बंगाल में उन्होंने (ममता) वामदलों से बढ़त ले ली है और भविष्य में उनसे सहयोग की उम्मीद है। इसके अलावा लालू ने राहुल गांधी के कामकाज की भी सराहना की। लालू ने माकपा नेता बासुदेव आचार्य द्वारा टोकाटाकी किए जाने पर उन्हें आड़े हाथ लेते हुए कहा कि यहां तीन यादवों की बात हो रही है, हम सब अपनी अपनी पार्टी के सुप्रीमो हैं। आपके यहां तो सब सुप्रीम खत्म हो गया है। आप तो पाकिस्तान में हैं और ही भारत में। ममता जी आपसे लीड ले गयी हैं। महिला विधेयक के विरोध में पिछले चार दिनों से बार बार आसन के समक्ष आने पर अध्यक्ष मीरा कुमार की नाराजगी पर भी उन्होंने कहा कि हम लोगों का फैशन नहीं है कि आपकी सीट तक जाएं लेकिन जब कोई नहीं सुनता है तो नजदीक जाना पड़ता है। इसको अन्यथा ना लें। लालू के सुर में सुर मिलाते हुए आज मुलायम सिंह और शरद यादव भी चुप नहीं बैठे। जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने सदन में दावा कर दिया कि अधिकतर सांसद इस विधेयक के विरोध में हैं और अगर पार्टियों के व्हिप के बिना मतदान कराया जाए तो 70 फीसदी इसके विरोध में मत देंगे और ऐसा नहीं हुआ तो मैं इस्तीफा दे दूंगा।समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने लालकृष्ण आडवाणी पर चुटकी लेते हुए कहा कि महिला आरक्षण होने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ना है, क्योंकि वह तो रिटायर हो रहे हैं।

इसे भी सपा और राजद की बिल विरोधी राजनीति की गुरुवार तक की बड़ी कामयाबी ही मानना होगा कि वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने लोकसभा में चर्चा के दौरान कह दिया, अब केन्द्र सरकार महिला आरक्षण विधेयक के सभी मुद्दों पर बहस के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने को तैयार है। सरकार चाहती है कि इस विधेयक पर सभी मतभेदों को सुलझाकर आम सहमति बना ली जाए। तभी विधेयक लोकसभा में पेश किया जाए। इस मसले पर प्रधानमंत्री भी विरोध करने वाले नेताओं से बात कर चुके हैं। कल राज्यसभा में ध्वनिमत, फिर 1 के मुकाबले 186 मतों की वोटिंग से बिल पारित हो जाने पर कांग्रेस जिस जश्न के माहौल में डूबने जा रही थी, आज उस पर बिल-समर्थक भाजपा के भीतर से उठी बिल-विरोधी चिंगारी ने मायूसी थोप दी। इस पूरे बिल-समर्थक-विरोधी अंधड़ में वामदल की आवाज कहीं दबी-दबी सी पड़ी है। तृममूल कांग्रेस बार-बार यू टर्न ले रही है, लेकिन भाजपा के भीतर के तूफान ने बिल समर्थकों की नींद हराम कर दी है। अब सवाल सिर्फ बिल के पास होने, होने तक नहीं रह गया है। दोनों दलों, खासकर कांग्रेस की निगाहें अपने निकट भविष्य के दलित-पिछड़े-मुस्लिम वोट बैंक को सहमी निगाहों से टोहने लगी हैं। पार्टी कर्णधारों को लगने लगा है कि दो-चार दिनों तक ऐसी ही फिंजा बनाने में राजद-सपा-जदयू अध्यक्षत्रयी कामयाब रही तो आगे ये पलीता बुझाए नहीं बुझने वाला हो सकता है। दरअसल, भाजपा के भीतर की ताजा दरार ने कांग्रेस को तत्काल लचीला रुख अख्तियार करने को विवश कर दिया है। वह इसलिए कि कहीं आधी छोड़ सारी पर धावै वाली कहावत चरितार्थ हो जाए। (आधी मिलै पूरी पावै)

विपक्ष की नेता नेता एवं भाजपा सांसद सुषमा स्वराज भले कहें कि उनकी पार्टी ने लोकसभा में भी इसका समर्थन करने का फैसला किया है और इसी संबंध में पार्टी मुख्यालय पर आज सुबह हुई बैठक में वरिष्ठ नेताओं ने ये निर्णय ले लिया है और अरूण जेटली, रमेश बैस, मुरली मनोहर जोशी, अनंत कुमार आदि की मौजूदगी में बिल के समर्थन के लिए जरूरत पड़ी तो व्हिप भी जारी किया जाएगा। लेकिन बिल के मौजूदा प्रारूप पर अचानक खुली जुबान से उंगली उठाने लगे नाराज भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ, सांसद यशवंत सिन्हा, शत्रुघ्न सिन्हा, हुकुमदेव नारायण आदि के साथ शाम की मीटिंग में मेनका गांधी भी शुमार हो गईं। उनके विरोध की आवाज तत्काल पूरे देश में गूंज गई। सांसद योगी भाजपा की सुबह की ही मीटिंग में ऐतराज जता चुके थे कि बिल के समर्थन के लिए व्हिप जारी करना ठीक नहीं होगा। सांसद हुकुमदेव नारायण कह चुके थे कि महिला आरक्षण बिल में दलित और पिछड़े वर्ग के लिए विशेष प्रावधान होना बहुत जरूरी है। मामला गंभीर होते देख दोबारा शाम को लालकृष्ण आडवाणी के ठिकाने पर हुई मीटिंग में मेनका गांधी ने बिल के मौजूदा प्रारूप की जोरदार मुखालफत कर दी। यद्यपि लोकसभा में भाजपा के उपनेता गोपीनाथ मुंडे ने भी अपने 70 फीसदी सांसदों के महिला आरक्षण विधेयक के खिलाफ होने की खबरों का खंडन करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर पार्टी में कोई मतभेद नहीं है। हां, इस मुद्दे पर पार्टी के कुछ सदस्यों की व्यक्तिगत राय भिन्न हो सकती है। जबकि सांसद योगी ने गुरूवार को भी दोहराया कि इस मुद्दे को लेकर पार्टी के भीतर आंतरिक लोकतंत्र का परिचय दिया जाना चाहिए। उन्होंने चेतावनी भी दे डाली कि अगर राज्यसभा की तरह लोकसभा में भी मार्शलों के साए में यह विधेयक पारित कराने की कोशिश की गई तो वह इस्तीफा दे देंगे।

महिला आरक्षण विधेयक के विरोध के पीछे पिछड़े एवं दलित-मुस्लिम राजनीति का चुनौतीपूर्ण एजेंडा काम कर रहा है। सपा को जहां अपने खोए मुस्लिम जनाधार की चिंता रही है, वही बिहार में लालू प्रसाद यादव आगामी विधानसभा चुनाव में पिछड़े एवं मुस्लिम फैक्टर पर नजर गड़ाते हुए बिल विरोध को हवा दे रहे हैं। कांग्रेस, भाजपा के दलित, मुस्लिम एवं पिछड़े समुदायों से आए सांसदों का अंदरूनी तौर पर मुखर होने की एक वजह यही है। विरोध के स्वर में वे सांसद भी स्वर मिलाए हुए हैं, जिन्हें डर है कि उनकी सीट महिला नेताओं के हवाले हो सकती है। फिलहाल सबसे बड़ी सूचना ये मिल रही है कि इस विधेयक के खिलाफ देश भर के मुस्लिम संगठन एकजुट होने जा रहे हैं। बिल पास कराने से कांग्रेस और भाजपा जिस वाहवाही की वारिस बनीं, अब वही उनके दलित-मुस्लिम वोट बैंक के गले का फांस बनने वाला है। कांग्रेस के दिग्विजय सिंह उत्तर प्रदेश में दलित-मुस्लिम वोट बैंक संभालने-सहेजने में जुटे हैं, उधर भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी हाल ही में पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में दलितों को गले लगाने का संदेश दे चुके हैं। अब महिला आरक्षण-बिल ने कांग्रेस-भाजपा दोनों के दलित-मुस्लिम समीकरण को डांवाडोल दिशा में मोड़ दिया है। उसी (बिहार और यूपी में मुस्लिम-यादव एका की संभावना) को हवा देने में जुटे हैं सपा, राजद और जदयू अध्यक्ष। बसपा सधे पांव इस हालात पर आगामी रणनीति तैयार करने में व्यस्त है। ताजा सूचना के अनुसार चार मुस्लिम एवं दलित संगठनों ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल, मूवमेंट फॉर इम्पावरमेंट ऑफ इंडियन मुस्लिम, सामाजिक न्याय मोर्चा और डॉक्टर भीमराव आंबेडकर सेवादल ने एक साझा बयान में कहा है कि महिला आरक्षण विधेयक वास्तव में मुसलमानों को राजनीतिक रूप से खत्म करने की साजिश है। इस विधेयक के कानून बन जाने के बाद महिलाओं के लिए भी सीटें आरक्षित हो जाएंगी। इस आरक्षण से पहले से ही राजनैतिक रूप से कमजोर मुसलमानों की सियासत में हिस्सेदारी घटेगी। सेक्युलर फ्रंट के अध्यक्ष और समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य जमशेद जैदी का कहना है कि महिला आरक्षण बिल के जरिए भाजपा अपने मुस्लिम विरोधी एजेंडे को लागू करना चाहती है। महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के अलावा पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय मुस्लिम संगठन जल्द एक साथ इस विधेयक का विरोध तेज करने जा रहे हैं। राजद, सपा, जदयू अध्यक्ष की असली चिंता दलित नहीं बताए जाते हैं। उनका मकसद पिछड़ों एवं मुस्लिमों को एक मंच पर लाना लग रहा है। दलित सांसद अलग मोरचेबंदी के जरूरतमंत बताए जाते हैं। इस तरह के मोरचे की तस्वीर भी जल्द सामने सकती है। ऐसी सुगबुगाहट पार्टियों के भीतर चल रही बताई जाती है।