Saturday, March 20, 2010

राजगढ़ के कांग्रेस सांसद को जमानत



(सांसदजी डॉट कॉम)

मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ के न्यायिक दंडाधिकारी (प्रथम) मोहम्मद अजहर ने चक्का जाम मामले में क्षेत्रीय सांसद नारायण सिंह आमलावे और उनके साथ एक अन्य व्यक्ति की जमानत मंजूर कर ली है। अभियोजन के अनुसार विद्युत कटौती के विरोध में 26 अप्रैल 2008 को कांग्रेस की जिला इकाई ने नरसिंहगढ़ के समीप बोड़ा मार्ग पर चक्का जाम किया था। विद्युत कटौती के मुद्दे पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष के पद पर रहते हुए सांसद नारायण सिंह आमलावे ने इस चक्का जाम का नेतृत्व किया था। इसके बाद पुलिस थाने में आमवाले सहित कांग्रेस के 29 लोगों पर मामला दर्ज हुआ था। मामले में सांसद ने नरसिंहगढ़ के न्यायिक दंडाधिकारी (प्रथम) के न्यायालय में पेश होकर जमानत कराई। उनके साथ एक अन्य व्यक्ति लखन जाटव को भी जमानत मिल गई। दोनों की जमानत के लिए पांच-पांच हजार रुपए का जमानती मुचलका पेश किया गया था। आमलावे के न्यायालय के समक्ष उपस्थित नहीं होने पर न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी मोहम्मद अजहर ने आमलावे और के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था।

सांसद सतीश मिश्रा से जुड़े 150 अधिवक्ता हटे



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बसपा के राज्यसभा सदस्य सतीश मिश्र को लेकर पार्टी चाहे जितनी बचाने-सहेजने की बात करे, अंदरूनी सच्चाई ये पता चली है कि उन्हें लगातार परिदृश्य से ओझल किए जाने का सिलसिला जारी है। ताजा सूचना ये है कि उनसे जुड़े यानी उनकी इच्छा से उत्तर प्रदेश में नियुक्त 150 सरकारी अधिवक्ताओं को रातोरात प्रदेश शासन ने हटा दिया है। उनको हटाए जाने का कारण बताया गया है- कार्य दक्षता संतोषजनक न होना। यद्यपि सूत्रों के अनुसार इनकी असली वजह राजनीतिक है। हटाये गये सरकारी अधिवक्ताओं के कार्यो के किये गये मूल्यांकन में इन अधिवक्ताओं का प्रदर्शन ठीक न पाये जाने के कारण प्रदेश सरकार ने इन्हें हटाये जाने का निर्णय किया है। ऐसा भी है कि समय-समय पर राज्य सरकार सरकारी अधिवक्ताओं का कार्य मूल्यांकन करती रहती है। इससे पहले भी सरकारी अधिवक्ताओं का प्रदर्शन ठीक न होने के चलते कुछ अधिवक्ताओं को हटा दिया गया था।

कांग्रेस सांसद को ममता से परहेज



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पश्चिमी बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के बीच दूरियां और बढ़ने के संकेत

पश्चिमी बंगाल में कांग्रसे और तृणमूल कांग्रेस की दूरियां लगातार बढ़ती जार रही हैं। इसका ताजा संकेत है, कांग्रेस के दिवंगत नेता गनी खान चौधरी के भाई सांसद और पार्टी के जिला अध्यक्ष अबु हसन खान चौधरी का कथन। अबु हसन ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के दौरे को लेकर कहा है कि हम नही चाहते, कार्यक्रम में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी आयें। हम प्रधानमंत्री के साथ माल्दा के प्रस्तावित दौरे में ममता बनर्जी के आने के खिलाफ हैं, क्योंकि उनके मंत्रालय ने रेल बजट में माल्दा की जानबूझकर अनदेखी की है। लगता है, इसी बढ़ती अनबन को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री का माल्दा दौरा स्थगित कर दिया है। दौरा स्थगित होने का कोई कारण भी आयोजकों को नहीं बताया गया है। बस, आयोजकों को सिर्फ इतना बताया गया है कि प्रधानमंत्री का 26 मार्च को होने वाला पश्चिम बंगाल के माल्दा का प्रस्तावित दौरा टल गया है। माल्दा में उन्हें केंद्रीय अभियांत्रिकी संस्थान की आधारशिला कार्यक्रम में शामिल होना था। माल्दा के जिला मजिस्ट्रेट श्रीधर कुमार घोष को कल रात स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) के निदेशक का फैक्स मिला, जिसमें बताया गया प्रधानमंत्री का 26 मार्च को पश्चिम बंगाल के माल्दा का प्रस्तावित दौरा टल गया है। उन्हें दौरा टलने का कोई कारण नहीं बताया गया।


क्षेत्र के मसले नहीं उठाते यूपी के सांसद


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यह उत्तर प्रदेश के आठ माननीयों का संसदीय डॉटा है।.........कि वे कितने समय संसद में उपस्थित रहे, कितनीचर्चाओं में भाग लिया, कितने सवाल उठाए और कितने मामले अपने क्षेत्र के संबंध में सदन पटल पर रखे।बिजनौर के राष्ट्रीय लोकदल सांसद संजय सिंह चौहान, धामपुर के सपा सांसद इंजीनियर यशवीर सिंह, लालगंजसु.) के बसपा सांसद डॉ. बलराम, बुलंदशहर के सपासांसद कमलेश वाल्मीकि, अम्बेडकर नगर के बसपा सांसद राकेश पांडेय, बस्ती के बसपा सांसद अरविंद चौधरी, उन्नाव की कांग्रेस सांसद अन्नू टंडन और सीवान के निर्दल सांसद ओमप्रकाश यादव। इनमें एक सिर्फ सीवान केसांसद ओमप्रकाश यादव ने अपने क्षेत्र से चार मसलों से संसद को अवगत कराया, लेकिन वह ज्यादातर सदन सेअनुपस्थित रहे और सिर्फ दो बहसों में भाग लिया। शेष सात पार्टी सांसदों का इस मामले में परफार्मेंस शून्य रहा।किसी ने भी अपने क्षेत्र के लिए कोई मसला नहीं उठाया। इसकी तकनीकी वजहें चाहे जो भी रही हों। इसी तरहसदन में सबसे ज्यादा उपस्थिति बस्ती के सांसद अरविंद चौधरी की रही लेकिन सदन की किसी बहस में भाग लेने, कोई सवाल सदन में उठाने आदि में उनका डॉटा जीरो रहा। सदन में सवाल उठाने के मामले में संजय चौहान नेयशवीर ने 5, डॉ. बलराम ने 44, राकेश पांडेय ने 2, अन्नू टंडन ने चार और ओमप्रकाश यादव ने 44 मामलेरखे। डॉ. बलिराम की उपस्थिति 80 प्रतिशत, अन्नू टंडन की 95 प्रतिशत, कमलेश वाल्मीकि की 69 प्रतिशत रही।वाल्मीकि के संबंध में ये बात उल्लेखनीय रही कि उन्होंने किसी भी बहस में हिस्सा नहीं लिया। सांसद राकेश पांडेयकी मौजूदगी तो 80 प्रतिशत रही लेकिन कुल तीन बहसों में उन्होंने शिरकत की। कांग्रेस की सांसद अन्नू टंडन नेज्यादातर मौजूदगी के बावजूद सिर्फ 8 बहसों में भाग लिया। ...... ( 113,

राहुल भी करेंगे यूपी में 'पर्दाफाश'

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उत्तर प्रदेश में जैसे-जैसे चुनाव-वर्ष नजदीक आ रहा है, सियासी पैंतरे तेज होने लगे हैं। महारैली में करोड़ों की माला पर उंगली उठने के बाद बसपा ने जवाब में 25 मार्च से पर्दाफाश अभियान छेड़ने की घोषणा कर रखी है। अब कांग्रेस भी 14 अप्रैल से पर्दाफाश प्रोग्राम शुरू करने जा रही है। राहुल गांधी कांग्रेस की इस पर्दाफाश रैली को 14 अप्रैल को हरी झंडी दिखाएंगे।
कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश मामलों के प्रभारी दिग्विजय सिंह के अनुसार अमेठी के सांसद एवं कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में 14 अप्रैल को पार्टी द्वारा मायावती सरकार की दलित विरोधी नीतियों का पर्दाफाश करने और केन्द्र की संप्रग सरकार की उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाने के लिए आयोजित यात्रा को हरी झंडी दिखायेंगे। पार्टी ने उत्तर प्रदेश के प्रत्येक विधानसभा खंड में दस यात्रायें आयोजित करने की योजना बनाई है। राज्य में वर्ष 2012 की शुरूआत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राहुल गांधी 14 अप्रैल को अंबेडकर नगर में यात्रा को झंडी दिखायेंगे जबकि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी 19 नवम्बर को इलाहाबाद में इन यात्राओं का समापन करेंगी। उन्होंने बताया कि यात्राओं का पहला चरण 14 अप्रैल से शुरू होगा और 31 मई तक चलेगा जबकि दूसरा चरण 15 सितम्बर से प्रारंभ होगा और 10 नवम्बर तक चलेगा। इन यात्राओं का मुख्य विषय कांग्रेस की 125वीं वषर्गाठ और संप्रग सरकार की उपलब्धियों होंगी । इन यात्राओं के जरिये राज्य की जनता को यह भी बताने का प्रयास किया जायेगा कि राज्य की मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती दलित की बेटी नहीं दौलत की बेटी बन गयी हैं।

'समान अवसर आयोग' पर मुखर हुए मुस्लिम सांसद




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मुस्लिम सांसदों का मानना है कि अब देश के मुसलमानों का ही नहीं, हर वर्ग के लोगों का पिछड़ापन सामूहिक तौर पर दूर करने का एक ही उपाय नजर आ रहा है, देश में 'समान अवसर आयोग' का गठन। केंद्रीय मंत्री एवं फर्रूखाबाद से कांग्रेस सांसद सलमान खुर्शीद तो खुलकर इस तरह की व्यवस्था के पक्ष में मुखर हो चले हैं। देश में मुस्लिम समाज की माली हालत, आरक्षण आदि पर इन दिनों रोजाना न्यूज चैनलों पर सत्तापक्ष और विपक्ष के सांसदों के बहस-मुबाहसे चल रहे हैं। कभी रालोद सांसद महमूद ए. मदनी, कांग्रेस सांसद जफर अली नकवी आपसी बहस में उलझे सुनाई पड़ते हैं तो कल भाजपा प्रवक्ता एवं पूर्व सांसद मुख्तार अब्बास नकवी, अल्पसंख्यक मंत्री सलमान खुर्शीद, तारिक अनवर आदि तर्क-वितर्क में व्यस्त दिखे। इन तीनों लोंगों की बहस मुख्यतः रंगनाथ मिश्र कमेटी, सच्चर कमेटी की रिपोर्टों के बहाने 'समान अवसर आयोग' के गठन अथवा जरूरतों तथा धर्म के आधार पर आरक्षण पर केंद्रित रही। नकवी का आरोप था कि मैरिड में होने के बावजूद मुस्लिम बेरोजगारों को नौकरी नहीं मिल रही है। रेलवे समेत कई सरकारी विभागों में ऐसा हो रहा है। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट कोई संविधान नहीं, न इससे मुसलमानों का कोई स्थायी फायदा होने वाला है। जहां तक मुस्लिमों को आरक्षण देने की बात है, फर्रूखाबाद (यूपी) के सांसद एवं अल्पसंख्यक मंत्री सलमान खुर्शीद का कहना था कि धर्म के आधार पर आरक्षण क्यों नहीं दिया जा सकता क्योंकि कानून कहता है कि धर्म के साथ पिछड़ापन है तो उसी आधार पर होगा, जैसा कि सच्चर कमेटी ने भी कहा है। पिछड़ों के 27 फीसद आरक्षण में से एक हिस्सा मुस्लिमों को दिया जा सकता है। इसकी व्यवस्था राज्यों के स्तर पर है। क्या केंद्र स्तर पर कर सकते हैं, ये देख रहे हैं। रंगनाथ मिश्र की रिपोर्ट और उसमें कुछ अंतर होगा। नकवी सिद्धांत की बात करेंगे तो इनमें हमारे में अंतर है। रणनीति की बात कर रहे हैं तो उस पर विचार किया जा सकता है। तारिक अनवर का कहना था कि सिर्फ धर्म बुनियाद नहीं हो सकती, ये बात सही है। छानबीन के बाद जो तस्वीर सामने आई है, उसका निष्कर्ष है कि जब तक मुस्लिमो को विशेष सहयोग नहीं दिया जाएगा, मुस्लिम पिछड़े रह जाएंगे। सलमान का कहना था कि समान अवसर आयोग के गठन पर सरकार गंभीरता से सोच-विचार कर रही है। अभी जो कमीशन काम कर रहे हैं, उनका भी महत्व है। हम किसी का अस्तित्व समाप्त या कमजोर करने नहीं जा रहे हैं। इस पर हम आपस में बात कर रहे हैं। सवाल उठ रहा है कि हम केवल मुसलमानों पर कंसंट्रेशन क्यों नहीं करते हैं? लेकिन हमे तो माइनॉरिटी, मेजॉरिटी दोनों का ध्यान रखना होगा। नकवी का कहना था कि समान अवसर का आधार आर्थिक, सामाजिक शैक्षिक पिछड़ापन है, तो हम साथ हैं, राजनीतिक कारण है तो बात ठीक नहीं। नीतियां पिछड़ों-वंचितों के हिसाब से बननी चाहिए। तारिक अनवर ने कहा कि समान अवसर आयोग हमारे यहां बनना चाहिए। हम चाहेंगे कि कोई किसी भी धर्म का हो, सबको समान अवसर मिलना चाहिए। तब तक देश को मजबूत करने का मकसद पूरा नहीं होगा। बहस में ये सवाल भी उभरा कि केंद्र को राज्य अल्पसंख्यक आयोग के काम-काज में हस्तक्षेप करना चाहिए या नहीं। नकवी का कहना था कि यदि अल्पसंख्य कल्याण की योजना-राशि केंद्र दे रहा है तो उस पर ध्यान राज्य रखे, केंद्र क्यों रखेगा? ये सोच बाधा डालती है। जैसे इंदिरा आवास योजना व अन्य योजनाएं देखी जा रही हैं, उसी तरह इस आयोग के राज्यस्तरीय काम-काज का भी तरीका होना चाहिए। केंद्र से हस्तक्षेप उचित नहीं होगा। इस पर सलमान खुर्शीद का कहना था कि स्टेट को ये नहीं लगना चाहिए कि हम उन्हें आदेश दे रहे हैं। जब हम धनराशि उन्हें देते हैं तो इतना अधिकार बनता है कि उन्हें हिदायत दें कि इसका इस्तेमाल इस तरह होना चाहिए। बहस में तीनों ही राजनेता समान अवसर आयोग के गठन के पक्ष में दिखे।

भाजपा में उल्टी हवा, अब ठाकुर कोपभवन में




(खबर sansadji.com, सांसदजी.डॉट कॉम से)


देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी भाजपा इन दिनों घर के घमासान में फंस गई है। शत्रुघ्न सिह्ना, शाहनवाज हुसैन के बाद अब सीपी ठाकुर कोपभवन में चले गए हैं। भाजपा की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी को लेकर अंदरूनी ना-नुकर तो राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भी कायम है, लेकिन हैरतअंगेज तरीके से बिहार का आंतरिक असंतोष खुलकर मुखर हो रहा है। जबकि बिहार में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव है। पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी के टीम गठन को लेकर उल्टी हवा उसी दिन बहनी शुरू हो गई थी, जब गडकरी ने विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज से बिना कोई राय-विमर्श किए नाम घोषित कर दिए थे। राजस्थान भाजपा में लंबे समय से दो गुट सक्रिय हैं। एक वसुंधरा राजे समर्थक, दूसरा विरोधी। टीम में वसुंधरा को बड़ा ओहदा देने से विरोधी खेमा भीतर-ही-भीतर हाथ-पैर पटकने लगा है। यद्यपि वहां विधानसभा के ऊधम के चलते पार्टी अभी उसी मोरचे पर व्यस्त होने से कोई विद्रोही नाम मुखर होकर नहीं उभरा है। हां, निर्दल सांसद किरोड़ी ने जरूर संकेत किया है कि भाजपा कार्यकारिणी में राजस्थान से किसी मीणा को तरजीह न देना इस सूबे में पार्टी को भारी पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश में पीलीभीत के सांसद एवं मेनका गांधी के पुत्र वरुण गांधी को बड़ा पद दिए जाने और विनय कटियार को लगभग हाशिये जैसी स्थिति में डाल दिए जाने को लेकर सुगबुगाहट है। उत्तर प्रदेश भाजपा में भी पार्टी के भीतर सालों से कई तरह की गुटबंदियां फुनकार रही हैं। सांसद राजनाथ सिंह के अलग समर्थक, सांसद लालजी टंडन के अलग और सांसद कलराज मिश्र के अलग। एटा के सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह पहले से ही पार्टी के बाहर-भीतर होते रहते हैं। उनकी आवाज ने भी भाजपा की अंदरूनी एका को डांवाडोल कर रखा है। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। यहां जबसे सत्ता की पटरी से भाजपा की गाड़ी उतरी है, गच्चा ही खाती जा रही है। फिलहाल इस प्रदेश से भी कोई विरोधी नाम मुखर नहीं हुआ है, लेकिन बिहार की चिंगारी ने पूरी पार्टी को चौंका दिया है। वैसे पहले से ही इसकी उम्मीद थी। भागलपुर के भाजपा सांसद शाहनवाज हुसैन के बारे में कहा जाता है कि संघ प्रमुख के इशारे पर महासचिव की बजाय उन्हें पार्टी प्रवक्ता बना दिया गया। सूत्रों के अनुसार शाहनवाज इस सूचना से भी काफी तिलमिलाए हुए हैं क्योंकि मुस्लिम नेता होते हुए भी उन्होंने अपनी पहचान के अस्तित्व को दांव पर लगाकर भाजपा का दामन थामा और अब उसी पार्टी में उनके साथ इस तरह का संघी रवैया अख्तियार किया जाए तो सुनकर कोई भी हैरान हो सकता है। शाहनवाज इतने दुखी चल रहे हैं कि वह सुषमा स्वराज के यहां बुलाई गई भाजपा प्रवक्ताओं की मीटिंग में भाग लेने भी नहीं पहुंचे। सूत्रों के अनुसार उनका अस्वस्थ होना तो एक बहाना भर था। वैसे पता चला है कि उन्होंने अपनी नाराजगी से वरिष्ठ नेताओं को अवगत भी करा दिया है। टीम गडकरी में फूट रही इन लपटों की एक वजह ये भी बताई जाती है कि राजनाथ सिंह इसलिए चुप हैं, कुच बड़े ओहदेदारों के नाते उन्हें पार्टी के भीतर पहले कम दुश्वारियां नहीं झेलनी पड़ी हैं। जब तक वह अध्यक्ष रहे, रोजाना रूठने-मनाने का सिलसिला ही चलता रहा। किसी तरह उन्होंने अपना कार्यकाल काटा। सूत्रों के अनुसार इसीलिए वह मौजूदा हालात पर जुबान बंद रखे हुए हैं। यद्यपि उनके बेटे पंकज सिंह और वरुण गांधी की दोस्ती को लेकर अब भी उनकी ओर इशारे करने वाले चूक नहीं रहे। सुषमा स्वराज इसलिए हालात में हस्तक्षेप से किनारा किए हुए हैं कि गडकरी ने खुद टीम बनाई है तो वही झेलें। उन्हें क्या पड़ी है झमेले में मुंह खोलने की। गडगरी भले निजी चैनल पर इस बात का खुलासा कर चुके हों कि जिसे कोई शिकायत हो, उनसे मिल कर गिले-शिकवे दूर कर सकता है लेकिन नाराज लॉबी ने उनके इस कथन को कोई तरजीह नहीं दी है। वह ये भी कहते हैं कि वैसे सभी को संतुष्ट कर पाना संभव नहीं है। गडकरी रात में ही दिल्ली लौटे हैं। अभी उन्हें दो दिन के लिए जम्मू और पंजाब जाना है। लौटने के बाद ही मौजूदा असंतोष पर कोई रणनीति बना सकते हैं। बिहार के सांसद एवं पार्टी प्रवक्ता राजीव प्रताप रूड़ी इतना भर कह कर चुप हो लेते हैं कि गडकरी जी को सब कुछ मालूम है। जिन्हें शिकायत है, वे खुद क्यों नहीं उनसे मिल लेते। शत्रुघ्न सिह्ना सिर्फ यशवंत सिह्ना की कथित उपेक्षा को लेकर ही नाराज नहीं, उन्हें खुद भी बिहार भाजपा में अपनी उपेक्षा को लेकर गहरा मलाल है। शत्रुघ्न कहते हैं कि पटना का सांसद होने के बावजूद उन्हें पटना में ही पार्टी के समारोह से किनारे रखा गया। उनकी ही नहीं अन्य कई प्रमुख नेताओं की भी नई टीम में उपेक्षा हुई है। सिन्हा ने इस बारे में सीपी ठाकुर, बीसी खंडूरी, उदय सिंह व अपना खुद का भी नाम लिया। उन्होंने आग्रह किया कि उनके इस बयानों को बगावत के रूप में न लिया जाए, बल्कि यह पार्टी के हित में हैं। उन्होंने बिहार में पार्टी द्वारा अपनी उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाया और कहा कि गुरुवार की रैली की सूचना उन्हें मात्र एक दिन पहले मिली थी, जबकि इसकी तैयारी काफी पहले हो चुकी थी। शत्रुघ्न सिन्हा के बाद अब पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद सीपी ठाकुर ने भी मोर्चा खोल दिया है। टीम में अपनी उपेक्षा से नाराज ठाकुर दिल्ली पहुंचते ही फूट पड़े। बोले कि उनका योगदान भी पार्टी में किसी से कम नहीं है। इसलिए दावा तो उनका भी बनता है। आखिर उन्होंने भी बिहार में पार्टी के लिए बहुत लड़ाई लड़ी है। बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं, फिर भी टीम में उन्हें उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है, जबकि महाराष्ट्र को ज्यादा तरजीह दी गई है। इसमें अभी सुधार की गुंजाइश है। पता चला है कि फिलहाल विदेश यात्रा पर जा रहे ठाकुर वहां से लौटकर पार्टी में अन्य असंतुष्ट नेताओं से बात करेंगे। बताया जाता है कि सुषमा स्वराज और अरुण जेटली की कल की अनौपचारिक बैठक में संगठन महासचिव रामलाल, सांसद महासचिव अनंत कुमार, सांसद प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद, राजीव प्रताप रूड़ी, निर्मला सीतारमन, तरुण विजय, रामनाथ कोविंद उपस्थित हुए, लेकिन शाहनवाज हुसैन और प्रकाश जावडेकर गैरहाजिर रहे। जावडेकर के बारे में बताया गया कि वह अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के चलते नहीं मीटिंग में नहीं गए।

एमपी के सांसद वीर सिंह करेंगे बुलंदशहर में पर्दाफाश


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गत दिवस बसपा के वरिष्ठ नेताओं ने अलीगढ़ के आईटीआई रोड स्थित एक लॉज में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पर्दाफाश अभियान की रणनीति बनाई, जिसमें बुलंदशहर में पर्दाफाश करने की जिम्मेदारी मध्य प्रदेश से बसपा सांसद वीर सिंह को सौंपी गई है। बसपा का पर्दाफाश अभियान विरोधियों को जवाब देने के लिए 25 मार्च से शुरू किया जा रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दस जिलों से चुने गए सांसद, विधायक व पार्टी पदाधिकारियों ने अलीगढ़ में रणनीति फाइनल कर ली है। बसपा का मानना है कि 25 मार्च को जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन में जोरदार भीड़ जुट गई तो नोट की माला को तूल देने वाले विरोधियों को जवाब खुद मिल जाएगा। पार्टी ने हर विधानसभा क्षेत्र से पांच हजार कार्यकर्ताओं को लाने का लक्ष्य रखा है। जोनल कोआर्डिनेटर व सांसद वीर सिंह, एमएलसी प्रताप सिंह बघेल, सतीश जाटव, ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय, उद्यान मंत्री नरायन सिंह, पूर्व मंत्री व विधायक चौ. महेंद्र सिंह, आगरा के विधायक सूरजपाल, दादरी विधायक सत्यवीर गूजर, एमएलसी गोटियारी लाल, एमएलसी मलूक नागर, एमएलसी लेखराज सिंह, पूर्व विधायक छोटेलाल वर्मा ने दस जिलों के जिलाध्यक्षों, लोकसभा कमेटियों व भाईचारा कमेटियों के साथ विचार विमर्श किया। बैठक में अलीगढ़, फीरोजाबाद, मैनपुरी, मथुरा, एटा, कांशीराम नगर, हाथरस, बुलंदशहर, गौतमबुद्ध नगर और आगरा के पदाधिकारी शामिल हुए। निर्देश दिया गया कि सांसद, मंत्री-विधायक प्रदर्शन के दौरान अपने जिले में रहेंगे। ठा. जयवीर सिंह अलीगढ़ में, ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय हाथरस में, सतीश जाटव बुलंदशहर में, एटा में अवधपाल सिंह यादव, मैनपुरी में ठा. जयवीर सिंह, फीरोजबाद में प्रताप सिंह, मथुरा में चौ. लक्ष्मी नारायण सिंह, सांसद वीर सिंह बुलंदशहर में पर्दाफाश करेंगे।

जावेद समेत 10 राज्यसभा सांसद बने



(सांसदजी.कॉम sansadji.com)
दस लोगों में से पांच गीतकार जावेद अख्तर, राजनेता मणिशंकर अय्यर, भालचंद्र मुंगेकर, बी जयश्री, रामदयाल मुंडा को राष्ट्रपति मनोनीत किया है, जबकि अन्य पांच सुखदेव सिंह ढींडसा, नरेश गुजराल, मनोहर सिंह गिल, अश्विनी कुमार, अविनाश राय खन्ना पंजाब कोटे से निर्वाचित हुए हैं। जावेद अख्तर ने कहा है कि वे राजनीति को समझने की कोशिश करेंगे। यह उनके लिए बेहद गौरव की बात है कि वे देश के काम आ सके। भाजपा ने मणिशंकर के मनोनयन का विरोध किया है। पंजाब से पांच राज्यसभा सदस्य चुने गए हैं। इनमें सुखदेव सिंह ढींडसा व नरेश गुजराल शिरोमणि अकाली दल से, मनोहर सिंह गिल व अश्विनी कुमार कांग्रेस से और अविनाश राय खन्ना भाजपा से संबंधित हैं। इनका चयन बिना वोटिंग के हुआ। शुक्रवार को नामंकन वापसी की अंतिम तारीख पर ही पंजाब विधानसभा के सचिव वेद प्रकाश ने इनकी राज्यसभा सदस्यता घोषित कर दी। इस अवसर पर प्रदेश की मुख्य चुनाव अधिकारी कुसुमजीत सिद्धू, कैबिनेट मंत्री परमिंदर सिंह ढींडसा, डा. दलजीत सिंह चीमा एवं एसजीपीसी के पूर्व अध्यक्ष कृपाल सिंह बडूंगर भी उपस्थित थे। चुने गए सदस्यों में पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी कुमार लगातार तीसरी बार, वर्तमान केंद्रीय खेल मंत्री मनोहर सिंह गिल दूसरी बार और नरेश गुजराल भी दूसरी बार राज्यसभा पहुंचे हैं। नरेश गुजराल पूर्व प्रधानमंत्री इंदर कुमार गुजराल के पुत्र हैं। दो सीटें कांग्रेस के धर्मपाल सभ्रवाल और अकाली दल के वरिंदर सिंह बाजवा से रिक्त हो रही हैं। इनकी जगहअकाली दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींडसा और पंजाब भाजपा के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद अविनाश राय खन्ना ने ली है। ढींडसा संगरूर से युवा कांग्रेसी सांसद विजय इंदर सिंगला से लोकसभा चुनाव हार गए थे और वह भी दूसरी बार राज्यसभा में प्रवेश करेंगे। इससे पहले शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष व चर्चित अकाली नेता सिमरनजीत सिंह मान से चुनाव हार जाने के बाद अकाली दल ने ढींडसा को राज्यसभा में भेजा था, जबकि अविनाश राय खन्ना का लोकसभा क्षेत्र होशियारपुर परिसीमन के कारण आरक्षित हो गया था, जिसके चलते वह चुनाव नहीं लड़ सके थे। आगामी जुलाई में पंजाब से दो अन्य राज्यसभा सदस्यों की टर्म पूरी होने जा रही है, जिनमें कांग्रेस की वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री अंबिका सोनी और अकाली नेता राज मोहिंदर सिंह मजीठा हैं।

Friday, March 19, 2010

अमिताभ बच्चन को केरल की एंबेसडरी नहीं!



(सांसदजी.कॉम)

गुजरात और केरल, ये एक साथ नहीं चलेगा। मेगा स्टॉर अमिताभ बच्चन के बारे में ऐसा सोचना है माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य सीताराम येचुरी का। उल्लेखनीय है कि अमिताभ बच्चन ने हाल ही में केरल के पर्यटन को प्रमोट करने की इच्छा जाहिर की थी। केरल के पर्यटन मंत्री कोडियेरि बालाकृष्णन ने उन्हें इस मुद्दे पर आगे बातचीत करने के लिए पत्र लिखा था। अमिताभ पहले से गुजरात के ब्रांड एंबेसडर हैं। इसकी पूरे देश में खूब चर्चाएं रही हैं। अब केरल सरकार ने भी उन्हें अपने राज्य का एंबेसडर बनाने की सोची थी लेकिन पार्टी के पोलित ब्यूरो ने अपनी ही सरकार के इस प्रस्ताव को सिरे से नकार दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी का कहना है कि वैसे तो प्रदेश सरकार ही इस मामले में अंतिम फैसला करेगी, लेकिन अब संभावना जताई जाती है कि वह ऐसा नहीं करेगी। जिस अभिनेता का इस्तेमाल गुजरात की नरेन्द्र मोदी सरकार कर रही है, उसे हम भला कैसे अपनी सरकार में एंबेसडर बनाना चाहेंगे।

आई अब सांसद शाहनवाज की बारी!



(sansadji.com)

टीम गडकरी से नाखुशः भागलपुर (बिहार) से भाजपा सांसद शाहनवाज़ बैठक में नहीं जाएंगेः
स्वास्थ्य खराब होने का बहाना, सुषमा स्वराज आज ले रही हैं नए पार्टी प्रवक्ताओं की बैठकः

नितिन गडकरी की कार्यकारिणी को लेकर भारतीय जनता पार्टी में खलबली दिनोदिन तेज होती जा रही है। पहले यूपी से वरुण गांधी के नाम पर दबी जुबान विरोध की सुगबुगाहट मिली, फिर राजस्थान से वसुंधरा राजे के नाम पर और कल यशवंत सिह्ना को महत्व न दिए जाने से शत्रुघ्न सिह्ना का चुनौतीपूर्ण बयान आया। आज पता चला है कि सांसद शाहनवाज भी! सूचना मिली है कि नए पार्टी महासचिवों की सूची से अपना नाम गायब होने से कथित रूप से नाराज़ शाहनवाज़ हुसैन विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज द्वारा आज बुलाई गई भाजपा प्रवक्ताओं की बैठक में संभवत: न पहुंचें। पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने तीन दिन पहले अपने पदाधिकारियों की जो टीम घोषित की है, उसमें शाहनवाज़ को महासचिव नहीं बना कर सात प्रवक्ताओं में शामिल किया गया है। सुषमा ने इन सात प्रवक्ताओं के कार्यक्षेत्र का बंटवारा करने के लिए इनकी आज बैठक बुलाई है। भाजपा के सूत्रों ने बताया कि गडकरी द्वारा नियुक्त मुख्य प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद के कहने पर यह बैठक बुलाई गई है। शाहनवाज के नज़दीकियों का दावा है कि वह बैठक में नहीं जाएंगे। बहाना लिया जाएगा स्वास्थ्य खराब होने का। रविशंकर के नेतृत्व में भाजपा के प्रवक्ताओं की फौज में हुसैन के अलावा राजीव प्रताप रूडी, प्रकाश जावडेकर, रामनाथ कोविंद, तरूण विजय और निर्मला सीतारमण शामिल हैं।

अब दिल्ली की संसद होगी ग्रीन-ग्रीन



लोकसभा अध्यक्ष की प्राथमिकताओं में एक है संसद भवनको प्रदूषण की मार से बचाना।
स्पीकर के सुझावों से पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश भीसहमत।
संसद परिसर में बैटरी चालित वाहनों को ही प्रवेश देने कीसंभावनाओं पर मंत्रणा।

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पर्यावरण की मार से कोई अछूता नहीं, फिर देश का आलीशान संसद भवन अप्रभावित कैसे रह सकता है। तो जानलीजिए कि अब इस भवन का आवरण हरित-वर्णी होने जा रहा है। ऐसा इमारत को पर्यावरण प्रदूषण के बढ़तेखतरे से बचाने के लिए किया जाएगा। पिछले दिनो जलवायु परिवर्तन पर संसदीय फोरम की बैठक में लोकसभाअध्यक्ष मीरा कुमार ने यह मसला रखा था कि संसद परिसर में लगातार वाहनों की आवाजाही बढ़ती जा रही है।इससे संसद की इमारत प्रदूषण प्रभावित हो रही है। आगे इमारत के वास्तुशिल्प पर भी इस प्रदूषण का प्रभाव पड़सकता है। बताया जाता है कि संसद भवन को प्रदूषण से बचाने के लिए निकट भविष्य में संसद परिसर में बैटरीचालित बाहन ही प्रवेश कर पाएंगे, ताकि इसकी खूबसूरती बनती रहे। अभी इस संबंध में कोई अंतिम निर्णय नहींलिया जा सका है। बताया गया है कि केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश भी मीरा कुमार के सुझावों से सहमतहैं। पता चला है कि सदन परिसर में बिजली का इस्तेमाल घटाने के उद्देश्य से लोकसभा अध्यक्ष ने रोशनी के लिएसिर्फ सौर ऊर्जा के इस्तेमाल की ऊर्जा मंत्री फारूक अब्दुल्ला से जरूरत जताई है। संसद भवन को इन दिनों ग्रीनक्षेत्र बनाने पर अधिक जोर दिया जा रहा है और इसी के तहत परिसर में ग्रीन कवर को घना करने, पुराने वृक्षों कीविशेष देखभाल करने तथा जलाशयों और फव्वारों को पानी से भरा रखने को खास तव्वजो दी जा रही है।

यूपी के नरेश अग्रवाल बसपा सांसद बने



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उत्तर प्रदेश की वैश्य राजनीति में गहरी पकड़ रखने वाले तथा मुलायमसरकार में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री रहे (अब बसपा में) नरेश अग्रवालबहुजन समाज के राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हो गए हैं। यह खबरसुनते ही प्रदेश के कोने-कोने में फैले उनके समर्थक वैश्य समाज केलोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। उनको राज्यसभा के लिए निर्विरोधनिर्वाचित घोषित कर दिया गया है। सपा के वरिष्ठ नेता जनेश्वर मिश्रके निधन से राज्यसभा में खाली हुई सीट पर बसपा ने अपने प्रत्याशीके रुप में नरेश अग्रवाल का पर्चा दाखिल कराया था। इस सीट पर अन्यकिसी दल ने अपना उम्मीदवार खड़ा नही किया था। नाम वापसी कीअंतिम तिथि बीत जाने के बाद चुनाव अधिकारी नरेन्द्र कुमार सिन्हाने नरेश अग्रवाल को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया है।

अमर का नया तीरः मुलायम ने अनिल अंबानी से जहाज मांगा



सांसदजी के तेवर और तीखेः समाजवादी हैं तो साइकिल पर चलें सपा अध्यक्ष
समाजवादी पार्टी में दोबारा लौटने से बेहतर होगा, आत्महत्या कर जान दे दूं
समय आने पर मोहन सिंह के एक-एक अपशब्द का जवाब दूंगा, भूला नहीं हूं


(खबर सांसदजी डॉट कॉम sansadji.com से)


सांसद एवं पूर्व सपा महासचिव अमर सिंह ने कहा है कि गठजोड़ को लेकर उनकी विभिन्न दलों से बातचीत चल रही है। फिलहाल वह इस बातचीत के बारे में मीडिया को कोई भी जानकारी नहीं देंगे। उन्होंने 14 मार्च को मिर्जापुर में सिर्फ यह कहा था कि वह 28 मार्च को पहले बातचीत करेंगे, इसके बाद कोई निर्णय लेंगे। 28 मार्च को वह अपने शुभचिंतकों से राजनैतिक दल बनाने को लेकर बातचीत करेंगे। बलिया (उ.प्र.) में आयोजित एक समारोह अमर सिंह ने कहा कि सपा में किए गए अपमान को भूल जाने के लिए उनसे कहा जा रहा है, पर अब सपा में उनकी वापसी का सवाल ही नहीं है। सपा में जाने के बजाय वह राजनीति छोड़कर घर बैठना, आत्महत्या कर लेना, मृत्यु का वरण कर लेना और गंगा में डूब जाना स्वीकार कर लेंगे। 2012 के चुनाव में सपा को मटियामेट करने तक हरेक दिन मैदान में रह कर विरोध करेंगे। सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह जहाज में चलने का मोह छोड़कर समाजवादी बनें और साइकिल पर चलें। उन्हें (अमर) उद्योगपतियों का दलाल होने का आरोप लगाकर सपा से निकाला गया, लेकिन अब मुलायम सिंह स्वयं अनिल अंबानी की कंपनी के एक कर्मचारी को फोन कर जहाज ले रहे हैं और अंबानी ने उनकी पुत्री दृष्टि दिशा सिंह के नाम का ही जहाज मुलायम को दिया था। अमर ने सपा महासचिव मोहन सिंह को उनके गृह क्षेत्र देवरिया में सबक सिखाने की चुनौती देते हुए कहा कि वह मोहन सिंह के एक-एक अपशब्द का जवाब देंगे। सत्ता में रहते हुए मुलायम को सिर्फ परिवार और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिले के स्वजातीय ही नजर आए और आज उन्हें राजनीति के लिए अति पिछड़ों व मुस्लिमों की चिंता सता रही है।

Thursday, March 18, 2010

अब पर्यावरण के मोर्चे पर जुटेंगे देश के सांसद



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लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार की अध्यक्षता में हुई संसदीयफोरम की बैठक के बाद सांसदों को निर्देश दिए गए हैं कि वेअपने निर्वाचन क्षेत्रों में ग्लोबल वार्मिंग के बारे में जनता कोजागरूक बनाएंगे। थिम्पू में अगले महीने जलवायु परिवर्तनपर होने वाली दक्षेस बैठक से पूर्व ग्लोबल वार्मिंग पर बहस कोआगे बढ़ाते हुए सांसदों को यह निर्देश दिया गया है। पर्यावरणमंत्री जयराम रमेश ने फोरम के सांसदों को नई जिम्मेदारी सौंपते हुए कहा है कि उन्हें अपने अपने निर्वाचन क्षेत्रोंमें जनता को ग्लोबल वार्मिंग के बारे में जागरूक करना है ताकि मुद्दे की गंभीरता को आम आदमी को समझाया जासके। ग्लोबल वार्मिंग एवं जलवायु परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहन विचार विमर्श हो रहा है लेकिन दक्षिणएशिया चूँकि विश्व में एक नई उभरती ताकत है, ऐसे में इस क्षेत्र को केन्द्र में रखते हुए ग्लोबल वार्मिंग पर अलग सेबात करने की जरूरत है। बैठक में मौजूद वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता डी. राजा ने कहा कि इस फोरम को संसद में बहसका सशक्त जरिया बनाया जाए ताकि सरकार की नीतियों पर प्रभाव डाला जा सके और सरकार को अधिकजवाबदेही वाली भूमिका में खड़ा किया जा सके। जयराम रमेश ने बताया कि यह फोरम बाहर के देशों के फोरमों केसाथ मिलकर ग्लोबल वार्मिंग के मुद्दे को आगे बढ़ाएगा। भविष्य में फोरम के सांसदों को जलवायु परिवर्तन परहोने वाली अंतरराष्ट्रीय बैठकों में आधिकारिक प्रतिनिधिमंडलों का हिस्सा भी बनाया जाएगा। बैठक में राज्यसभासांसद . संपत ने बिजली बचाने पर जोर देते हुए कहा कि अधिक से अधिक संख्या में लोग गर्मी के मौसम मेंएयर कंडीशनरों पर निर्भर होते जा रहे हैं जिसे कम किए जाने की जरूरत है। बैठक में पूर्वोत्तर के सांसदों ने क्षेत्र मेंघटते हिमपात को लेकर चिंता जतायी। राज्यसभा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने इस बात पर जोर दिया कि फोरमके जरिए होने वाली बातचीत को महज जबानी जमा खर्च तक सीमित नहीं रखा जाए बल्कि इसे परिवर्तन काहथियार बनाया जाए। उन्होंने पूर्व सांसदों को भी इस फोरम में शामिल किए जाने का सुझाव दिया। वरिष्ठलोकसभा सदस्य भृतुहरि मेहताब ने इस बात पर जोर दिया कि फोरम को सरकार के साथ मिलकर नीति निर्धारणमें भूमिका अदा करनी चाहिए। बैठक का मकसद कुल मिलाकर सांसदों को ग्लोबल वार्मिंग पर चल रही बहस मेंप्रभावशाली ढंग से शामिल करने पर ध्यान केन्द्रित करना था।

सड़क से संसद तक बगावत के बगूले




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पिछले एक सप्ताह पर ही नजर दौड़ा लें, अच्छी-खासी फेहरिस्त मिल जाएगी ऐसे नामों की, मीडिया की सुर्खियां बने, पार्टियों की किरकिरी बने, देश की मुश्किल बने, और जाने क्या-क्या! बात शत्रुघ्न सिह्ना के बहाने शुरू होती है और पश्चिम बंगाल के तृणमूल कांग्रेस सांसद कबीर से लगायत बिहार के सांसद एजाज अली, यूपी के आमिर आलम तक पहुंच जाती है। बेचारे एजाज अली की तो रुपये की माला ही लुट गई। पहले संसद में बगूले रेल बजट, आम बजट के बर्तनी पर मुखर होते हैं, फिर महिला आरक्षण बिल पर, सांसदों के निलंबन पर, कांग्रेस-भाजपा-माकपा की एका बनाम राजग-सपा-जदयू की अजीबोगरीब जुगलबंदियों पर। संसद चलती रहती है, बगूले फूटते-फैलते रहते हैं, देश सब टुकर-टुकर बर्दाश्त करता चलता है। इसी बीच अचानक उत्तर प्रदेश से बसपा सांसदों को मुख्यमंत्री मायावती का बुलावा आता है। बीते बुधवार की सुबह मीटिंग होती है और बहनजी फिर नोटों की माला ओढ़े मीडिया से रू-ब-रू होती हैं। खुदा खैर करे कि इस बीच संसद नहीं चल रही होती है। तो बसपा सांसदों को कहा जाता है कि जाइए, आप लोग जिले-जिले पर्दाफाश करिए, विपक्ष माला को हौवा बना रहा है, मीडिया हमें हांकना चाहता है, 'अपनी जनता' को समझाइए कि ये ठीक नहीं हो रहा है। मैनपुरी के सांसद और सपा सुप्रीमो, पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यह सब सुनकर तिलमिला जाते हैं। लेकिन करें क्या! वैसे भी बहुत सारे लोग तिलमिला रहे हैं। दिग्विजय सिंह वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी से कानाफूसी कर आए, कोई बात नहीं बनी। कौन जांच करे माला वाले नोटों की। संसद में ढेरों फच्चर फंसे पड़े हैं, पहले कांग्रेस इसे देखे कि यूपी की आंय-बांय में जान घुसेड़े। मुलायम कहते हैं 12 अप्रैल से पहले जांच करा लीजिए, नहीं तो संसद में मेरे सवालों का जवाब देना पड़ेगा। कांग्रेस जानती है कि तोहमत लगाने वालों से भी तो कई सवाल जुड़े हैं, जो उसकी 'खलत्ती' में ठंडे पड़े हैं। वैसे भी सपा-बसपा के बगूले उत्तर प्रदेश में दशकों से फूट रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की छाती थोड़ी ठंडी पड़ी है। अमेठी के सांसद राहुल बाबा कुछ नहीं बोल रहे हैं। बस्स, अपने काम-से-काम। नहीं फोड़ने फालतू के बगूले-फगूले। वैसे ही घर में आफत कम है क्या? सांसद सत्यव्रतजी सुस्त पड़े हैं। पवार साहब रह-रहकर कभी दिल्ली, कभी मुंबई में बाल ठाकरे के घर तक कुछ-न-कुछ बोल आ रहे हैं। ममता दीदी अलग बगूले फोड़ रही हैं। बहन दासमुंशी (प.बंगाल की कांग्रेस सांसद) को जगाना पड़ा है। समर्थन करते-करते बिहार के सांसद लालूजी ऐसा गरजने-तरजने लगे हैं कि पार्टी की कुछ समझ में नहीं आ रहा, उनको आखिर हो क्या गया है। पहले तो इतना नहीं कूदते थे। किसी ने बता दिया है, अरे बिहार में चुनाव आ रहे हैं न। सो, मुंहजुबानी धुलाई-पोंछाई चल रही है। पिछले चुनाव में सिर्फ चार सांसद लेकर आए हैं। विधानसभा उप चुनावों में थोड़ा सा दम बंधा है, तभी से होकड़ने लगे हैं। वैसे भी जातीय जुगलबंदी आज के राजनीतिक जमाने में बहुत बड़ी चीज होती है। जहां चार यार मिल जाएं, वहीं.........शरद यादव, मुलायम यादव, लालू यादव। पूरी संसद हिलाए पड़े हैं। नीतीश जी भौचक्के हैं। अरे, ये क्या हो रहा है भाई!! बिहार के जदयू सांसद ललन ने शरद भैया को चिट्ठी लिखी है। संभालिए, नहीं तो सब डूब जाएगा। तहस-नहस हो जाएगा।इन्हें यूपी के सांसद अमर सिंह से कम मत समझिए। फिर मत कहिएगा कि बताया नहीं। नीतीश जी का हवा-बतास बड़ी तेजी पर है। ऐसे ही दिल्ली में मौनी बाबा बने बैठे रहे तो इधर ई बिहार में विधानसभा चुनाव तक सब सफाचट हो लेगा। बिहार में और भी कई तरह के बगूले फूट रहे हैं। उसी में आज गड़गड़ाकर शत्रुघ्न का गोला गिरा है भाजपा के माथे पर। गोले से यशवंत रागिनी छिटकी है। तो मामला ये है। यहां भी सिह्नावाद चल रहा है। उधर से दो ही सिह्ना सांसद, दोनों जुदा-जुदा कैसे रह सकते हैं। राजस्थान में टीम गडकरी की चांदनी जबसे छिटकी है, ज्यादातर भाजपा सांसद बाएं-दाएं देख-जान कर आपस में ही बगूले फोड ले रहे हैं। यूपी की बात पर गाजियाबाद के सांसद राजनाथजी चुप हैं। मीडिया ने पुत्र पंकज सिंह की बात बो दी है। कह दिया है कि वो तो वरुण गांधी के दोस्त हैं। यूपी में फहरना है तो कोई तो जुगलबंदी बनानी पड़ेगी अभी से फूंक-फूंक कर। सोनी जी नाराज होते हैं तो हों। ये सांसद विनय कटियार के बारे बात करने का टाइम नहीं है। चुप रहिए। बगूले फोड़ना है तो जाकर संसद में फोड़िए। सुषमा जी से मिल लीजिए। सुषमा जी वैसे ही नाराज हैं कि गडकरी जी ने बिना उनसे कुछ पूछे-जांचे पताका फहरा दी। बगूले तो मेरे सिर फूटेंगे। खैर, जो चले नहीं, वो बहस कैसी। तो बाहर बहस चल रही है कि ये संसद में क्या हो रहा है। भीतर बहस हो रही है कि लखनऊ में, बिहार में, पश्चिमी बंगाल के जंगलों में क्या हो रहा है। छिः। महंगाई पर बात करने की फुर्सत नहीं। लेकिन है। भाकपा सांसद डी. राजा कल बड़ी फुर्सत और तसल्ली से महंगाई पर बोले। सरकार की नीति, नीयत दोनों ठीक नहीं हैं। अब नहीं है तो नहीं है, सब पचास साल पहले से जानते हैं। करना क्या है, ये तो बताइए। चिरौरी-विनती तो बहुत हो चुकी। आप ही आह्वान करिए न कि जनता मुनाफाखोरों, जमाखोरों के खिलाफ सड़क पर उतरे। महंगाई के खिलाफ जाने कितने बगूले रोज फुस्स हो रहे हैं। कांग्रेस को सब पता है। बात करिए 12 अप्रैल की। प्रधानमंत्री जी फोन कर-करके थक गए। भाजपा सुन ही नहीं रही। आने तो दीजिए परमाणु क्षतिपूर्ति विधेयक। महिला आरक्षण विधेयक पर हमारा कुनबा बिखर गया था, अब फिर जुटाना है। सांसद एवं विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने आगाह कर दिया है। असली बगूले तो 12 अप्रैल से फूटने हैं। अमेरिका के हिसाब से सोचने पर हमे क्या फायदा होना है,.... ऐं!!

सांसद शत्रुघ्न भी 'टीम गडकरी' से नाखुश


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बिहार
की पटना साहिब लोकसभा सीट से भाजपा सांसद एवं अभिनेता शत्रुघन सिन्हा ने भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी की नयी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की आलोचना करते हुए कहा है कि कुछ काबिल लोगों को इसमें शामिल नहीं किया गया है। पदाधिकारियों की घोषणा होने के दो दिन बाद सिन्हा ने आज इस बात को खारिज कर दिया कि वह किसी पद के लिए दावेदार थे लेकिन उन्होंने कहा कि पार्टी के दिग्गज और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को टीम में शामिल किया जाना चाहिए था। शत्रुघ्न कहते हैं कि निकट भविष्य में बिहार विधानसभा के लिए होने वाले चुनाव पार्टी के लिए बहुत निर्णायक हैं, फिर भी यशवंत सिन्हा जैसी काबिलियत वाले नेता को टीम से बाहर रखा गया है। कुछ योग्य लोगों की जगह पर ऐसे लोगों को टीम में लिया गया है, जिन्हें छोड़ा जा सकता था। मेरी मित्र और विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज एवं कुछ अन्य शीर्ष नेताओं के परामर्श के बिना टीम का गठन किया गया। एक वरिष्ठ और परिपक्व नेता होने के नाते मैं कोई भी टिप्पणी करके पार्टी का अनुशासन नहीं तोड़ना चाहता लेकिन मैं कार्यकारिणी के गठन को लेकर चिंतित हूं और काफी हद तक नाखुश भी हूं। उधर इस बार भाजपा अध्यक्ष गडकरी ने अपनी टीम में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को ऊंचाइयां देकर अन्य के लिए थोड़ी दुश्वारी पैदा कर दी है, जिनमें राज्य के कई सांसदों के भी नाम लिए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में वरुण गांधी की ओहदेदारी से कई बड़े विदक रहे हैं। भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी में महासचिव बनने और वसुंधरा के राजनीतिक विपक्ष को महत्व नहीं मिलने से यह साफ हो चुका है कि भाजपा आलाकमान राजस्थान की राजनीति में फिलहाल उन्हें ही महत्व दिए जाने के पक्ष में है। वसुंधरा राजे जहां खुद महासचिव बनने के साथ ही अपनी निकटस्थ किरण माहेश्वरी को सचिव बनाने में सफल रही। वहीं कई सालों से राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पद पाते रहे पूर्व राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रामदास अग्रवाल,पूर्व महासचिव ओमप्रकाश माथुर, जसकौर मीणा, कैलाश मेघवाल को इस बार कोई पद नहीं मिला। इनमें से अग्रवाल और माथुर को केवल कार्यकारिणी सदस्य बनकर ही संतोष करना पड़ा। भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह की वजह से राज्य विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता पद से इस्तीफा देने वाली वसुंधरा राजे ने इस्तीफा देते समय यह शर्त रखी थी कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी में उनके समकक्ष अथवा उससे आगे कोई पद नहीं दिया जाएगा। इसी कारण राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा विरोधी सांसद और पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कैलाश मेघवाल, ललित किशोर चतुर्वेदी,जसकौर मीणा,घनश्याम तिवाड़ी को कोई पद नहीं मिला। तिवाड़ी को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किया गया है और वह भी राज्य विधानसभा में प्रतिपक्ष के उप नेता के तौर पर। अपने समकक्ष पद किसी दूसरे नेता को नहीं दिए जाने की वसुंधरा की जिद के कारण ही उनके निकटस्थ माने जाने वाले ओमप्रकाश माथुर और रामदास अग्रवाल को भी इस बार महासचिव एवं कोषाध्यक्ष पद से हाथ धोना पड़ा। अग्रवाल तो समीकरणों की राजनीति में माहिर माने जाते है इसी के चलते वे पिछले कई सालों से पद पाते रहे है। वहंीं माथुर भी दिल्ली की राजनीतिक सौदेबाजी में माहिर समझे जाते है। वसुंधरा के निकट होने के बावजूद उनकी जिद ने इन दोनों को पद पाने से रोका। कार्यकारिणी सदस्य के रूप में शामिल किए गए ओंकार सिंह लखावत एवं मानवेंद्र सिंह ही एकमात्र ऐसे नेता है जो आरएसएस अथवा वसुंधरा विरोधी खेमे के प्रतिनिधि के रूप में शामिल किए गए हैं। सरकारी नौकरी छोड़कर पहली बार सांसद बनने वाले अर्जुन मेघवाल, गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला सहित अपनी पसंद के तीन नेताओं को कार्यकारिणी सदस्य बनवाने में वसुंधरा राजे सफल रही। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में हुए पदों के वितरण से साफ नजर आता है कि भाजपा आलाकमान वसुंधरा राजे को ही प्रदेश की राजनीति में पकड़ वाला नेता मानता है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी के गठन में वसुंधरा की बात को महत्व मिलने से यह साफ नजर आ रहा है कि राज्य विधानसभा में खाली चल रहे प्रतिपक्ष के नेता पद पर भी उन्हीं की मर्जी के नेता की ताजपोशी होगी।

पवार बोलेः सत्यव्रत का मामला अब समाप्त!



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राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कांग्रेस नेता सत्यव्रतचतुर्वेदी द्वारा अपने खिलाफ की गई टिप्पणियों से उठेविवाद को आज दिल्ली में यह कह कर टालने की कोशिशकी कि यह मामला अब समाप्त हो चुका है। उन्होंने कहा किइस मामले में अब और कुछ बोलने की जरूरत नहीं है।मुझे लगता है कि इसे अधिक महत्व देने की आवश्यकतानहीं है। कृषि मंत्री कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी ने इस भावनाके साथ निर्णय किया है कि टिप्पणियां अच्छी नहीं थीं। मेरेलिये, यह मामला खत्म हो चुका है। तीन दिन पहले एक टीवी चैनल पर महंगाई के संदर्भ में पवार के खिलाफआपत्तिजनक टिप्पणियां करने की वजह से चतुर्वेदी को कांग्रेस ने प्रवक्ता के पद से हटा दिया है। चतुर्वेदी कांग्रेसकार्य समिति के स्थायी आमंत्रित सदस्य हैं और पार्टी के प्रशिक्षण प्रकोष्ठ के प्रभारी भी हैं। इन दायित्वों का वहनिर्वाह करते रहेंगे। सत्यव्रत चतुर्वेदी को जिस दिन पार्टी कार्यालय में अपने नए और बड़े कक्ष में प्रवेश करना था, उसी दिन उनसे पार्टी प्रवक्ता का पद छीन लिया गया। हालांकि, कांग्रेस के सभी प्रकोष्ठों के प्रभारी होने के नाते वेएआईसीसी के दफ्तर में अपने नए कमरे में ही बैठेंगे। सन 2000 से कांग्रेस के प्रवक्ता पद पर रहे चतुर्वेदी काओहदा महज कागजों पर ही बाकी रह गया था। तत्कालीन सपा नेता अमर सिंह पर तल्ख टिप्पणी के बाद पिछलेडेढ़ साल से उन्होंने कोई प्रेसवार्ता नहीं की थी। अब एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार पर कथित असभ्य टिप्पणी केलिए उनका कागजी पद भी जाता रहा। अपनी बेलौस और बेबाक टिप्पणियों के लिए मशहूर चतुर्वेदी को जिस तरहसे उनकी बातचीत पर प्रवक्ता पद से हटाया गया, वह टीस उनको कुरेद रही है। बहुत कुरेदने पर वह सिर्फ इतना भरकह पाते हैं कि पार्टी का आदेश शिरोधार्य है। दरअसल, चतुर्वेदी की पवार पर टिप्पणी के बाद राकांपा के नेताप्रफुल्ल पटेल ने इस मसले को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सामने उठा दिया था। अपने महत्वपूर्ण सहयोगीकी नाराजगी के मद्देनजर कांग्रेस ने चतुर्वेदी पर कार्रवाई करने में जरा भी देर नहीं लगाई। कांग्रेस में इस घटनाक्रमपर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। पार्टी महासचिव जनार्दन द्विवेदी तो इस मामले पर कोई बात ही नहीं करनाचाहते। पार्टी प्रवक्ता जयंती नटराजन कहती हैं कि मुझे इस बारे में कुछ पता नहीं।

राहुल गांधी ने बजाई खतरे घंटी!




सुनिए जरा गौर से ये भविष्यवाणी।
सुनने में मामूली, गुनने में खतरे की घंटी जैसी।
खतरा उनके लिए जो कांग्रेसी और विपक्षी न खुद को, न पार्टी को बदलने के लिए तैयार दिखते हैं।

(खबर sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम से)

ये भविष्यवाणी दक्षिण से आई है। अमेठी के सांसद एवं कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने की है ये भविष्यवाणी। संप्रग सुप्रीमो सोनिया गांधी के निजी सचिव के घर एक समारोह में राहुल दक्षिणी भारत के तिरूचिरापल्ली पहुंचने के मौके पर ये भविष्यवाणी की। राहुल की सात महीने के भीतर तिरूचिरापल्ली की ये दूसरी यात्रा बताई जाती है। ये भी सच है कि राहुल की बातों को बहुत हल्के में लिया जा सकता है और शिद्दत से लेने पर इसके गहरे अर्थ भी समझ में आ जाएंगे। उनके कथन में कोई वैसी भविष्यवाणी जैसा तो कुछ नहीं, लेकिन है बड़े पते की। और इस भविष्यवाणी जैसी बात में कांग्रेस के मौजूदा कमजोर नेताओं ही नहीं, सभी राजनीतिक दलों के लिए 'खतरे की घंटी' जैसी एक मद्धिम-सी लेकिन झनझना देने वाली आहट सुनाई पड़ती है।
खासतौर से ये इस नजरिए से अहम कही जा सकती है कि पार्टी के जो मंत्री, सांसद, विधायक, बड़े पदाधिकारी इसे गंभीरता से लेंगे, उन्हें इससे साफ-साफ भविष्य की कांग्रेस और उसकी मंशा समझ में आ जाएगी। तिरुचिरापल्ली में किसी लड़की ने राहुल से तपाक से पूछ लिया कि 'युवा कांग्रेस की सदस्यता लेने से उसका खुद का क्या फायदा हो सकता है?' अब सुनिए राहुल गांधी का जवाब। बोले- 'जो भी तेज-तर्रार होगा, मेहनती होगा, उसका भविष्य बहुत उज्ज्वल होगा भविष्य की कांग्रेस में। भविष्य में ऐसे लोगों को ही पार्टी की प्रमुख जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी।' राहुल के इस कथन से जो ध्वनित हो रहा है, उस पर इतने विस्तार से प्रकाश डालने के पीछे मंशा राहुल का गुणगान या बखान करना नहीं, उन कांग्रेस नेताओं को समय से संकेत कर देना भर है कि वे नहीं सुधरे तो पार्टी उनसे मुक्ति पा सकती है। राहुल भविष्य के कांग्रेस की राजनीति जिस दिशा में ले जा रहे हैं, उससे साफ संकेत मिल रहे हैं कि अपवाद स्वरूप छोड़, पार्टी के भीतर से पूरी तरह ऐसी साफ-सफाई कर देना चाहते हैं, जो कांग्रेस को इतनी ऊर्जा से भर दे कि वह आगे सौ-दो-सौ साल तक अपने बूते, न कि चापलूसी, चारणगान, चिरौरी-मिनती, गठबंधनों, तीन-तिकड़मों के दम पर सत्ता साध सके। राहुल को पता है कि दादा के दौर की सियासत दम तोड़ चुकी है। भारतीय सियासत का ठोस 'भारतीय तथा वैश्वीकरण' तभी संभव है, जब पार्टी में तेज-तर्रार युवाओं की तादाद ज्यादा से ज्यादा बढ़ाते चलें। जिस दिन पार्टी में ऐसे लोगों का बहुमत हो जाएगा, कूड़ा-करकट खुद छंटकर बाहर चले जाएंगे। विश्वराजनीति पर नजर डालें तो ये राजनीति की विदेशी शैली है। जर्मनी जैसी। घुरहू-कतवारू के भरोसे अब भारत में आगे राजनीति करने के दिन लद चुके हैं। राहुल गांधी इस बात को अच्छी तरह तौल चुके हैं। इसलिए उनका हर अगला कदम किसी और ताजा अनुभव की भूख लिए आगे बढ़ रहा है। इससे गैरकांग्रेसी राजनीति को ये संदेश जाता है कि वह भी सबक ले। देश की राजनीति के लिए अब वह समय आने वाला है, जिसे तेज-तर्रार प्रोफेसनल्स की फौज अपने-अपने मोरचों पर बढ़ानी ही होगी। जो पार्टी समय-पूर्व ऐसा कर पाने में विफल होगी, बीच रास्ते मारी जाएगी। खोखले नारों, भेड़चाल सियासत का दम उखाड़ने के लिए भारत की राजनीति के समानांतर राहुल गांधी जिस तरह की राजनीति को ला खड़ा करना चाहते हैं, वही कुछ उनके दो वाक्यों के कथन में तिरुचिरापल्ली में उनके मुंह से निकला है। यद्यपि वह ये बात कई बार दुहरा चुके हैं और एक बड़े लीडर के लिए हौशलाआफजाई की ऐसी शब्दावलियां अपरिहार्य भी होती है, लेकिन लगता है, राहुल कह भर नहीं रहे, उसी रौ, उसी धुन और बेचैनी में जी भी रहे हैं। साथ-साथ ये संदेश देते चल रहे हैं कि वे जैसा सोच रहे हैं, कह रहे हैं, उस पर राजनीतिक अमल नहीं हुआ तो बर्बाद होना तय है। वह चाहे कांग्रेस हो या कोई और!! यही वजह है कि इन दिनों चल रही बड़ी से बड़ी सियासी हलचलों पर भी उनकी एक टिप्पणी मीडिया को सुनने को नहीं मिल रही है।

कांग्रेस के लिए संसद की डगर आगे और मुश्किल


पीएम के मनाने पर नहीं मान रहे हैं भाजपा सांसद और बड़े नेता

(sansadji.com) सरकार चलाना कितना मुश्किल होताहै, इसे प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह इस समय बखूबीमहसूस ही नहीं कर रहे, भोग भी रहे हैं। परमाणु क्षतिपूर्तिविधेयक उनके लिए बहुत बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।पूरी पार्टी का ध्यान, महंगाई, बजट, महिला आरक्षणविधेयक, मायावती की माला से हटकर इस विधेयक पर जा टिका है। नैया की खेवनहार भाजपा के दर पर नहीं, दर-दर पर पीए दस्तक दे रहे हैं, लेकिन भाजपा अपनी अलग रणनीति के चलते कान देने को तैयार नहीं हो रही है।इस दौरान पिछले दो-तीन दिनों में प्रधानमंत्री ने भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा से फोनपर बात की। इसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन को भाजपा नेताओं से मिलने भेजा। बाद मेंभाजपा ने प्रस्ताव ठुकरा दिए। पीएम ने सुषमा स्वराज से फोन पर सहयोग मांगा। बात नहीं बनी। यशवंत सिन्हासे फोन पर बात की कि आपत्तियों पर चर्चा के लिए वे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को उनके पास भेजना चाहते हैं।शिवशंकर मेनन ने अरुण जेटली को फोन किया। जेटली ने सुषमा स्वराज से बात की। यशवंत सिन्हा नेलालकृष्ण आडवाणी को सब बताया। सिन्हा-शौरी की राय में फर्क सामने आया। भाजपा ने तय किया सब एकसाथ संसद भवन परिसर में मेनन से मिलें। सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, एस.एस. अहलूवालिया, डा. मुरलीमनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा ने एक साथ वार्ता की। मेनन ने चाहते थे कि पहले विधेयक पेश हो जाए, फिर संसदकी स्थायी समिति की बैठक में भाजपा जो कहेगी उसे उसमें शामिल कर लिया जाए, लेकिन भाजपा ने ये प्रस्तावभी ठुकरा दिया है। अभी तक बात बनी नहीं है।