Saturday, April 10, 2010
भविष्य के गांधी के रूप में राहुल की बुकिंगः गडकरी
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भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने आज तमिलनाडु में तमिल भाषा में भाषण देते हुए कांग्रेस महासचिव एवं सांसद राहुल गांधी के बारे में कहा कि भविष्य के लिए भी एक गांधी की बुकिंग हो गई है। 1947 के बाद से कांग्रेस के नेता जवाहर लाल नेहरू, उनकी सु़पुत्री इंदिरा गांधी, उनके बेटे राजीव गांधी और अब सोनिया गांधी हैं।
उन्होंने कांग्रेस पर तुष्टीकरण की नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इसके कारण बांग्लादेशी लोग आसानी से असम जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में मतदाताओं की सूची में जगह पा लेते हैं। भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद अपने पहले तमिलनाडु दौरे पर नितिन गडकरी ने कहा कि नक्सलियों तथा राष्ट्रीय सुरक्षा की शत्रु शक्तियों खिलाफ मजबूती से लड़ने का सही समय है। यहां एक परंपरागत दक्षिण भारतीय तरीके से आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए गडकरी ने तमिल में अपना भाषण शुरू किया और कहा कि उग्रवादियों की नेपाल में पशुपतिनाथ से आंध्र प्रदेश के तिरुपति तक ‘रेड कार्पेट’ फैलाने की साजिश है। उन्होंने कहा, ‘‘माओवादी जिस तरह से काम कर रहे हैं और जवानों को मार रहे हैं, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। राष्ट्रीय अखंडता के हित में आतंकवादियों और नक्सलियों से संघर्ष किया जाए। हम एक राष्ट्रीय पार्टी हैं और हम राष्ट्रीय एकता के लिए लड़ेंगे।’’
नीतीश ने कहा-कम बोलें, चिदंबरम खूब बोले
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ऐसा कैसे हो सकता है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद तो खूब बोलें और उनके मुफ्त के सुझाव पर गृहमंत्री पी. चिदंबरम अपना मुंह बंद कर लें। नीतीश ने आज कहा कि चिदंबरम कम बोलें। असर उल्टा दिखा। चिदंबरम आज खूब बोले। पुडुचेरी में उन्होंने अपनी पीड़ा बयान करते हुए कहा कि दंतेवाड़ा में हमले से उनका गृहमंत्री का कार्यकाल दागदार हो गया।
उन्होंने बताया कि दंतेवाड़ा की घटना के बाद उन्होंने इस्तीफे की पेशकश इसलिए की थी, क्योंकि इसमें उनके मातहत आने वाले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान मारे गए थे, लेकिन अब यह अध्याय समाप्त हो चुका है। उनके इस्तीफे संबंधी सवाल उन्होंने कहा कि मैंने वास्तव में इस्तीफे की पेशकश की थी, लेकिन प्रधानमंत्री ने इसे ठुकरा दिया। यह अध्याय अब समाप्त हो चुका है। गृह मंत्रालय में आपका कार्यकाल बेदाग रहा है, क्या दंतेवाड़ा की घटना ने इसको दागदार नहीं कर दिया? इस सवाल के जवाब में गृहमंत्री ने कहा कि कोई भी हमला एक धब्बा है।
चिदंबरम ने कहा कि नक्सल समस्या से निपटने में हरेक राज्य सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण है। केन्द्र सरकार का मुख्य दायित्व नक्सल विरोधी गतिविधियों को संचालित करने के लिए राज्यों को अर्धसैनिक बल मुहैया कराना, नक्सलियों के कब्जे वाले इलाकों को मुक्त कराना और वहां पर प्रशासनिक ढांचे की पुनर्स्थापना करने तक सीमित है। इसके बाद कानून, व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की ही है। दंतेवाडा हमले को भयावह बताते हुए कहा, चूंकि सीआरपीएफ मेरे ही नियंत्रण में है और मेरे ही कार्यकाल में यह घटना हुई है इसलिए इसकी जिम्मेदारी तो मुझ पर ही आती है। छत्तीसगढ में हुआ हमला कुछ खामियों की वजह से ही अंजाम दिया जा सका। राज्य के पुलिस महानिरीक्षक पुलिस उप महानिरीक्षक और सीआरपीएफ के उपमहानिरीक्षक ने नक्सलियों के खिलाफ अभियान की योजना बनाई थी, जिसमें हुई किसी बडी चूक के कारण कई अनमोल जानें नाहक चली गईं।दंतेवाडा हमले की जांच का आदेश दिया जा चुका है और रिपोर्ट मिलने पर कार्रवाई की जाएगी। पुड्डचेरी में प्रस्तावित विशेष आर्थिक क्षेत्र 'सेज' के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने इसे खारिज कर, राज्य सरकार से जमीन वापस करने को कहा है। पुड्डचेरी सरकार द्वारा लिए गए कर्ज को माफ किए जाने की मांग पर कहा कि 2356 करोड रुपये की कर्ज माफी आसान काम नहीं है। हालांकि इसके कारण इस केंद्र शासित प्रदेश का सामान्य कामकाज प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली में आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि वह कम और संयत बोलें। नक्सलियों के खिलाफ बिहार सरकार को नरम बताने वाले केंद्रीय गृह सचिव के बयान पर भी उन्होंने आपत्ति जताई। कहा कि वह राजनीतिज्ञ की तरह न बोलें। सभी जानते थे कि इस्तीफे का क्या होगा। सरकार को काम के जरिए अपनी बात कहनी चाहिए, ज्यादा बोलना उचित नहीं होता है। वह उनकी बातों का कोई जवाब देना नहीं चाहते और न ही बिहार के किसी अधिकारी को इसका जवाब देने की जरूरत है। पिल्लई को भी राजनीतिज्ञ की तरह नहीं बोलना चाहिए और भारत के संघीय ढांचे को समझते हुए एक-दूसरे को आदर देने की आदत डालनी चाहिए।
अमिताभ बच्चन के घर नहीं रूके अमर
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सपा से निष्कासित नेता अमर सिंह ने बालीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन से अपने ताजा रिश्तों का संकेत देते हुए लिखा है कि वह अपनी ताजा मुंबई यात्रा में अभिनेता के घर में नहीं रूक पाये हालांकि वह जया बच्चन से मिले और उन्हें जन्मदिन पर बधाई दी। अमर सिंह ने अपने ब्लाग में आज लिखा, ‘‘आज मन बहुत हल्का है। पहली बार बच्चनजी के घर नहीं रूका। अमूमन भीड़ के कारण होटल का कमरा तो कई बार लिया था लेकिन सोने अमितजी के घर ही जाता था। ’’ पार्टी से निकाले जाने के बाद साथ नहीं देने के कारण जया बच्चन के बारे में अपनी कसक को सार्वजनिक रूप से व्यक्त कर चुके अमर सिंह ने ब्लाग में लिखा, ‘‘जया जी काफी बीमार हैं। कल उनका जन्मदिन भी था। घर जाकर उन्हें बधाई दी। उनका हालचाल पूछा और चल दिया। कुछ भी अजीब नहीं लगा।’’ इससे पूर्व अमर सिंह नई दिल्ली में हुई क्षत्रिय महारैली में यह कह चुके थे कि जया बच्चन यदि उनका साथ देती तो अच्छा था। उनकी इस टिप्पणी के बाद यह अटकलें तेज हो गयी थी कि अपने को अमिताभ का छोटा भाई बताने वाले अमर सिंह और बच्चन परिवार के बीच दूरियां आ गयी हैं। इस टिप्पणी के कुछ ही दिनों बाद बच्चन और अमर सिंह एक कार्यक्रम में एकसाथ दिखायी दिये। कार्यक्रम में अमर ने सिने अभिनेता की जमकर तारीफ की थी।
जर्मन संसदीय टीम पर भाजपा की तीखी प्रतिक्रिया
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भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने आज गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की उस मांग का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने जर्मन प्रतिनिधिमंडल को उनसे माफी मांगने को कहा था। जर्मन प्रतिनिधिमंडल ने कथित तौर पर मोदी की आलोचना की थी। साथ ही पार्टी ने जोर दिया कि सरकार इस मुद्दे पर जर्मन राजदूत से स्पष्टीकरण मांगे। निर्मला सीतारमन ने कहा कि भाजपा मांग करती है कि प्रधानमंत्री को मोदी द्वारा लिखे गए पत्र को गंभीरता से लेना चाहिए और जर्मन राजदूत से इसपर स्पष्टीकरण मांगना चाहिए और मुख्यमंत्री के खिलाफ प्रतिनिधिमंडल द्वारा की गई टिप्पणी के लिए उनसे माफी मांगने को कहना चाहिए। मोदी ने कल प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा था और मांग की थी कि जर्मनी से आए संसदीय प्रतिनिधिमंडल को लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित मुख्यमंत्री की कथित तौर पर छवि को धूमिल करने के लिए माफी मांगनी चाहिए।
सुषमा बोलीं: कार्यकर्ता दिलाते हैं लालबत्ती
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जयपुर में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सांसद सुषमा स्वराज ने वरिष्ठ नेताओं को कार्यकर्ताओं से दूरी नहीं बनाने की नसीहत दी है। स्वराज ने यहां पार्टी कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि कार्यकर्ताओं के बिना लालबत्ती संभव नहीं है। कार्यकर्ताओं के मान-सम्मान को ठेस नहीं पंहुचे, इसका विशेष ख्याल रखना होगा। नेता प्रतिपक्ष ने छतीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सली हमले की चर्चा करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार को नक्सलवाद से कड़ाई से निपटना होगा। गृहमंत्री के पद छोड़ने से इस समस्या का समाधान नहीं होगा बल्कि नक्सलवाद पर अंकुश लगाने के लिए कड़ाई से पेश आना होगा। सुषमा स्वराज ने प्रदेश के धार्मिक स्थल खाटू श्याम जी और सालासर में हनुमान जी के मन्दिर पंहुचकर पूजा अर्चना की। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी भी उनके साथ थे।
जाम में फंस गए लालू, सुबोध, टाइटलर
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बिहार के सारण जिला मुख्यालय छपरा में आम लोगों द्वारा बिजली की नियमित आपूर्ति की मांग को लेकर आज किए गए सडक जाम के कारण केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री सुबोधकांत सहाय, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस के बिहार प्रभारी जगदीश टाइटलर आदि फंस गए। इससे उनकी सीवान जिले की यात्रा प्रभावित हुई।
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री सुबोधकांत सहाय, कांग्रेस के बिहार प्रभारी जगदीश टाइटलर और पार्टी के बिहार विधान परिषद सदस्य महाचंद्र प्रसाद का काफिला सीवान जिले के नौतन में आयोजित कांग्रेस की परिवर्तन रथ यात्रा में शामिल होने जा रहा था पर बिजली की नियमित आपूर्ति की मांग कर रहे लोगों ने छपरा के रेलवे स्टेशन चौक के समीप छपरा-सीवान मार्ग को बंद कर रखा था, जिससे ये लोग करीब दो घंटे तक सड़क जाम में फंसे रहे। बाद में ये लोग छपरा-सीवान मुख्यमार्ग को छोडकर दूसरे मार्ग से सीवान के लिए रवाना हुए। उधर, छपरा में आज आयोजित जिला अनुश्रवण समिति की बैठक में भाग लेने पहुंचे राजद सुप्रीमो और पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद को बैठक के बाद सीवान के मैरवा में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने जाना था पर सड़क जाम के कारण वह भी काफी देर तक रवाना नहीं हो सके। जिला प्रशासन द्वारा लोगों को समझाकर जाम को समाप्त कराने का प्रयास किया जाता रहा।
सीएम की सीखः चिदम्बरम जरा कम बोलें
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ज्यादा बोलने की कोई जरूरत नहीं, काम के हिसाब से बोलना चाहिए। हमारा सुझाव है कि काम के हिसाब से बोलना चाहिए। बहुत बोलने से बहुत लाभ नहीं होता। हम चिदम्बरम की इज्जत करते हैं। उन्हें अपने तेवर पर थोड़ा नियंत्रण रखना चाहिए। इतना बोलना कोई जरूरी नहीं। ये कहना है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का।
आज दिल्ली में हैं नीतीश कुमार। उन्होंने यहां इंडियन वुमेन प्रेस कोर में पत्रकारों से विस्तार से बातचीत की। दंतेवाड़ा घटना के संदर्भ में नक्सली समस्या से निपटने के बारे में उन्होंने कहा कि माओवाद की समस्या को सिर्फ पुलिस अभियान से नियंत्रित नहीं किया जा सकता। हमें इस समस्या से दोनों तरह से निपटना होगा, जहां पुलिस अभियान की जरूरत है वहां इसे किया जाये। इसके साथ ही हमें जमीनी स्तर पर विकास के मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। हम हिंसा के पूरी तरह से खिलाफ हैं लेकिन बुनियादी बात यह है कि आखिर यह इतना क्यों फैल गई है। हमें यह देखना पड़ेगा। नक्सलियों के खिलाफ अकेले आपरेशन समस्या का हल नहीं। सरकार के डिलिवरी तंत्र को दुरूस्त करना होगा, क्योंकि डिलिवरी बहुत ही लचर है। साथ ही डिलिवरी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार को भी दूर करना होगा।
'राहुल बेचैन, पदाधिकारी व्याकुल'
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अमेठी से कांग्रेस सांसद एवं पार्टी महासचिव राहुल गांधी बेचैन हैं और पार्टी के पदाधिकारी व्याकुल। आपस की दूरियां मिटाकर सभी कांग्रेसियों को राहुल गांधी के संकल्प पूरे करने की कसम खानी पड़ेगी। तभी बात बनेगी। तभी यूपी में सरकार बनेगी। तभी विपक्ष और लोकतंत्र में आस्था न रखने वालों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकेगा। ऐसा कहना है कांग्रेस सांसदों का।
कानपुर के पार्टी सांसद एवं कोयला राज्य मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल और अकबरपुर से कांग्रेस सांसद राजाराम पाल कहते हैं कि हमारा उद्देश्य किसी को सत्ता से हटाना नहीं है। हम तो उत्तर प्रदेश में रुकी हुई विकास की गाड़ी को आगे बढ़ाना चाहते हैं। आज हमारा प्रदेश दूसरे प्रदेशों के विकास को देखकर शर्मिन्दा होता है। कांग्रेस प्रशिक्षण शिविर में यह बात ने कही। उत्तर प्रदेश की जनता पिछले 25 वर्षों से विकास आस लगाए बैठी है। जिसे पूरा करने करने के राहुल गांधी ने हम सब को मिशन 2012 का नारा दिया है। राहुल गांधी के आवह्नान में हम सभी बदले-बदले नजर आते हैं। हमें अपने को 21वी सदी के अनुसार ढालना पड़ेगा। इन 25 वर्षो में यूपी सिकुड़ती गई है। परपंची दल मजबूत होते गए, हम पिछड़ते गए हैं। उन्होंने कहा कि यूपी में कांग्रेस की सरकार हो इसके लिए जरूरी है कि हमारा संगठनात्मक ढ़ाचा पूरी तरह से मजबूत हो। तभी हम उनका मुकाबला कर सकेंगे जिनकी लोकतंत्र में आस्था नहीं है। मिशन 2012 तभी पूरा होगा जब हमारा हर कार्यकर्ता पार्टी के लिए पूरी तरह से समर्पित होगा। इसी बात को लेकर राहुल गांधी बेचैन है और पार्टी के पदाधिकारी व्याकुल है। इस प्रशिक्षण के द्वारा आपस की दूरियां कम करके हमें राहुल गांधी के संकल्प को पूरा करने की कसम खानी है। ने कहा कि कांग्रेस आम आदमी को भूल गई थी। कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ यह सिर्फ नारा था, लेकिन अब इस नारे को हकीकत में बदल कर ही हम राहुल गांधी के मिशन 2012 को पूरा कर सकेंगे।
नीतीश ने माना शरद यादव से मतभेद
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बिहार के मुख्यमंत्री एंव जनता दल यूनाइटेड के नेता नीतीश कुमार ने आज महिला आरक्षण विधेयक के मुद्दे पर पार्टी अध्यक्ष शरद यादव के साथ मतभेदों को स्वीकार करते हुए कहा कि इस मामले में सिर्फ एप्रोच का अंतर है। इसके अलावा किसी और मुद्दे पर उनसे कोई मतभेद नहीं है ।
दिल्ली में नीतीश ने कहा कि सिर्फ एप्रोच का मामला है। एक हल्का ईमानदार मतभेद है और लोकतंत्र में ऐसा होता है। हम एक दूसरे की स्थिति को अच्छी तरह समझते हैं। सिर्फ एप्रोच का अंतर है। एप्रोच के सिवाए उनके शरद के साथ कोई मतभेद नहीं हैं। महिला आरक्षण के वह भी पक्षधर हैं, हम भी पक्षधर हैं। हम भी कहते हैं कि कोटा के अंदर कोटा हो, वह भी कहते हैं कि कोटा के अंदर कोटा हो। शरद कहते हैं कि कोटा के अंदर कोटा की बात को अभी ही विधेयक में शामिल कर लिया जाये। हमारा कहना है कि इस विधेयक को मौजूदा स्वरूप में ही पारित कर दिया जाये। कोटा के अंदर कोटा के लिए हम बाद में बातचीत करेंगे। इसके चलते विधेयक को रोकना उचित नहीं होगा। बिहार में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए जो आरक्षण का प्रावधान किया गया है, उसके अच्छे नतीजे आये हैं और महिलाओं में जागृति आयी है। इसे देखकर लगता है कि महिलाओं को आरक्षण मिलना चाहिए और मौजूदा विधेयक को पारित होने देना चाहिए बाकी चीजों को बाद में देखा जाना चाहिए। हमने अपनी राय पार्टी के साथियों को बता दी है।
सांसद लालू भारत बंद की तैयारी भी, ऐलान किया
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बिहार में सांसद लालू प्रसाद यादव, सासाराम की सांसद एवं लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, सांसद डा. भोला सिंह सुर्खियां बने तो मध्य प्रदेश में भाजपा सांसद राकेश सिंह के नेतृत्व में तोड़फोड़ पर हाईकोर्ट ने जवाब तलब कर लिया है। राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान के खिलाफ मंत्री बाबूलाल गौर ने उमा की पैरोकारी में भाजपा संसदीय बोर्ड से गुहार लगा दी है।
साथ ही, उत्तर प्रदेश में रालोद सांसद चौधरी अजित सिंह महिला आरक्षण बिल के सवाल पर चुप्पी साध ली है तो पंजाब में आईपीएल मैच को लेकर भाजपा सांसद नवजोत सिंह सिद्धू सुर्खियों में हैं। सबसे पहले बिहार। पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद लालू कहते हैं कि महंगाई की मार गरीबों से और नहीं सही जायेगी। तिसीऔता में महारूद्र यज्ञ में उन्होंने बिहार के गरीबों को जगाते हुए कहा कि गरीबों की सरकार सत्ता से बाहर है। जब तक वे सत्ता में रहे दाम नहीं बढ़े। तब से अब तक 800 लोग भूख से मर चुके हैं।गरीबी से तंग गरीब हथियार उठा रहे है। अब समय आ गया है जोर-जुल्म के खिलाफ उठ खड़े होने का। जेल जाना भी पड़ सकता है किंतु पांव पीछे खींचना नहीं है। महंगाई के विरोध में वे सबको साथ लेकर भारत बंद करेगे। सासाराम में लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने समाहरणालय में जिला निगरानी एवं अनुश्रवण समिति की बैठक में कहा कि योजनाओं के लिए धन की कमी नहीं होने दी जाएगी। लोगों को उसका अधिक से अधिक लाभ मिले, इसके लिए अधिकारियों को भी अपने तौर-तरीके बदलने होंगे। उन्होंने नरेगा, इंदिरा आवास, आईडब्लूडीपी, डीपीएपी, सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान आदि योजनाओं की समीक्षा की। उन्होंने केन्द्र द्वारा दी जा रही राशि का सही तरीके से इस्तेमाल करने का निर्देश भी दिया। उधर, नवादा में भाजपा सांसद डा. भोला सिंह की माता तनुक देवी का निधन बेगुसराय में हो जाने से उनके आवास पर शोक का माहौल रहा। लोगों ने दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी। मध्य प्रदेश में भी संसदीय गतिविधियां भिन्न सूचनाओं के साथ जारी रहीं। एक तरफ जबलपुर के भाजपा सांसद राकेश सिंह के नेतृत्व में रेलवे स्टेशन पर किए गए प्रदर्शन और तोड़फोड़ को लेकर हाईकोर्ट ने सांसद सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब कर लिया, दूसरी तरफ उमा मामले पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राष्ट्रीय महासचिव नरेन्द्र सिंह तोमर की मुलाकात के बाद राज्य नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर ने दिल्ली में उनकी पार्टी में वापसी के मसले पर भाजपा संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी और राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी से मुलाकात की। इसके अलावा वे एम. वेंकैया नायडू, शरद यादव आदि से भी मिले। उत्तर प्रदेश के मंडी धनौरा (जेपीनगर) में राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष एवं बागपत से सांसद चौधरी अजित सिंह का पार्टी कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों ने जहां जोरदार स्वागत किया, वही आरक्षण बिल पर मीडिया क सवालों पर वह चुप्पी साध गए। उन्होंने सिर्फ इतना भर कहा कि पार्टी किसान हक की लड़ाई लड़ रही है। पंजाब में भाजपा सांसद सिद्धू की सुर्खियां तारी हैं। अमृतसर में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में अपने एक्सपर्ट कमेंट्स से टीवी चैनलों की 'टीआरपी' बढ़ाने वाले सिद्धू पर उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल भारी पड़ रहे हैं। गुरु नानक स्टेडियम में तीन मैचों में से एक का उद्घाटन सिद्धू को करना था, लेकिन उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने मैच का उद्घाटन कर दिया। उन्होंने कहा कि आईपीएल से ज्यादा हैं आईकेएल के दर्शक। दिल्ली में फर्रूखाबाद के सांसद एवं केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने समाजिक तथा पर्यावरण कार्यक्रमों में कारपोरेट जगत की भागीदारी पर जोर देते हुए कहा है कि हम सामाजिक दायित्व निभाने के लिए कंपनियों को प्रोत्साहित करने का एक मॉडल बनाना चाहते हैं। हमने इसके लिए उद्योगों तथा अन्य भागीदारों से सुझाव मांगे हैं।
अमर सिंह ने जीवन के कई राज खोले
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सांसद अमर सिंह का शायद ये अब तक सबसे तीखा प्रहार है। अपने जीवन के कई राज खोले। आजकल मन हल्का है। जन्म दिन पर सांसद जया के घर गए बधाई देने। हाल-चाल पूछा, चल दिए, उन्हें कुछ भी अजीब न लगा। मुलायम से संबंधों की नई व्याख्या करते हुए अमर की ताजा ताजा टिप्पणी तिलमिला देने वाली। बेबाकी से और भी कई राज। सपा-कांग्रेस के बारे में।
सांसद अमर सिंह कहते हैं कि समाजवादी पार्टी से निष्कासन मेरे जीवन की सबसे बड़ी मुक्ति और मोह से निर्वाण है। लगता है, वह राजनीतिक जीवन से कुछ थकान महसूस कर रहे हैं, और कुछ उत्साह और नई ऊर्जा भी। उन्होंने अपने ब्लॉग पर आज जो कुछ लिखा है, है, लीजिए, पढ़ लीजिए। उनका पूरा कथन यथावत प्रस्तुत है साभार अमर सिंह के ब्लॉग से..........
"आजकल मन बहुत हल्का है. पहली बार मुंबई में बच्चन जी के घर नहीं रुका. अमूमन भीड़ के कारण होटल का कमरा तो कई बार लिया था लेकिन सोने अमित जी के घर ही जाता था. जया जी काफी बीमार है, कल उनका जन्मदिन भी था. घर जा कर उन्हें बधाई दी, बीमारी का हाल-चाल पूछा और चल दिया. कुछ भी अजीब नहीं लगा.
बैठे ठाले मिल रहे लम्बे चौड़े जन समर्थन के बारे में सोचा तो दिखा कि मेरे साथ गिने चुने एकाध लोगो के अलावा सभी वह लोग खड़े है जिनके लिए मैने कभी कुछ भी नहीं किया. विख्यात दार्शनिक ईश्वर चन्द्र विद्यासागर से किसी ने शिकायत करते हुए किसी व्यक्ति विशेष पर टिपण्णी की तो श्री विद्यासागर जी ने कहा की इस व्यक्ति द्वारा मेरी आलोचना इसलिए असम्भव है कि मैने कभी इसका कोई भला नहीं किया है. श्री मुलायम सिंह का कहना है कि उन्होंने और अखिलेश ने कभी भी मेरे विर्रुध कुछ भी नहीं कहा है. वल्लाह क्या बात और अंदाज है. आपकी पार्टी के मुख्यालय में आपका निर्मित प्रवक्ता, आपके भाई रामगोपाल और बेटे अखिलेश की उपस्थिति में मेरी लानत मलामत करता है और आप फरमाते है कि आप और आपका बेटा चुप है. क्या चुप्पी है, चप्पुओं से चिपकवाने के बाद की चुप्पी.
समाजवादी पार्टी से निष्कासन मेरे जीवन की सबसे बड़ी मुक्ति और मोह से निर्वाण है. दुःख है तो इस बात का कि अपनी पत्नी, परिवार और बच्चो से ज्यादा जिसको मान दिया वह सब कही न कही मेरी मेहनत और प्रतिबद्धता से प्राप्त भौतिक उपलब्धियों के स्थाईत्व की चिंता में रम गए. मेरे स्नेह, अनुराग और समर्पण की भावना से अधिक भौतिकता की प्रासंगिकता और जीवन में प्रारब्ध से प्राप्त भौतिक उपलब्धियां मेरे व्यक्तित्व से बड़ी हो गई और मै बौना हो गया. वो छोटे-छोटे कार्यकर्ता जिन्हें मुझसे कुछ भी नहीं मिला जो संतरी है खड़े हो गए और जिन्हें मैने मंत्री पद से नवाजा, उन्होंने मुह फेर लिया. एकाएक आज मुझे इंदिरा जी की बहुत याद आ रही है. सत्तर के दशक में श्री सिद्धार्थ शंकर राय, श्री डी. के. बरुआ, श्री चंद्रजीत यादव, श्री रजनी पटेल, डॉ कर्ण सिंह और श्री आर.के. मिश्र कांग्रेस के प्रगतिशील खेमे के मजबूत स्तंभों में से थे. इलाहबाद हाईकोर्ट में जस्टिस जगमोहनलाल सिन्हा का निर्णय जब श्री राजनरायण की याचिका पर इंदिरा जी विरुद्ध आया तो संविधान संसोधन कर लोकसभा का कार्यकाल ५ से ६ वर्ष तक करना, आपात स्थिति की घोषणा एवं मिडिया पर सेंसरशिप इत्यादि सभी सुझावों को देने वाले श्री सिद्धार्थ शंकर राय सबसे पहले इंदिरा जी की हार से बदले और उनके खिलाफ गवाही दी. पूरे आपात स्थिति में श्री संजय गाँधी के परिवार नियोजन कार्यक्रम के स्वस्थ मंत्री रहे डॉ कर्ण सिंह भी इंदिरा जी की पराजय के बाद बदल ही नहीं गए बल्कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए इंदिरा जी के खिलाफ संगठन का चुनाव भी लड़े. “इंदिरा इज इंडिया” और “इंडिया इज इंदिरा” कहने वाले श्री डी. के. बरुआ, श्री चंद्रजीत यादव और श्री रजनी पटेल की तिकड़ी भी इंदिरा जी की हार के बाद बिल्कुल बदल गई. इसी तिकड़ी के श्री चंद्रजीत यादव की करीबी श्रीमती अम्बिका सोनी जिन्हें दासमुंशी को अपदस्थ कर संजय गाँधी आगे लाये, वह भी बदल गई. इसके पूर्व भी प्रिवी पर्स की समाप्ति और बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद हुए राष्ट्रपति के चुनाव में जो श्री नीलम संजीव रेड्डी और वी.वी. गिरी के बीच हुआ. भौतिक रूप से जमाए पुरोद्धा जैसे कि कामराज नाडर जी, निजलिंगप्पा जी, अतुल्य घोष जी सभी इंदिरा जी के विरोधी और चंद्रशेखर, रामधन, कृष्णकांत, मोहन धारिया, कुमार मंगलम और दिनेश सिंह जैसे तबके छोटे कद के लोग इंदिरा जी के साथ आए. “कहा राजा भोज कहाँ गंगू तेली”, जब इंदिरा जी की कृपा से बड़े बने लोगों ने कई बार उन्ही की पीठ में खंजर भोंका और उन्हें सीढ़ी बना कर आगे बढ़के चलते बने तो मै कौन हूँ? यह जगबीता इतिहास है और छोटे स्तर पर आपबीत मुझ पर हो रहा है.
जब मेरी मदद से दवा-दारू कराने वाले, मुझसे वित्तीय मदद ले कर चुनाव लड़ने वाले मोहन सिंह प्रवक्ता बनते ही पार्टी के “डान” के इशारे पर मुझे बेशर्म कहे, कूड़ा कहे, मेरे अपने परिवार के लोग मुझे अपमान सहकर कैरिअर बनाने की सलाह दे, आज भी मेरी मदद से प्राप्त मकान में मेरे प्रेम से रह रहे पार्टी अध्यक्ष राज्य सभा सचिवालय को लिखित पत्र मेरे विर्रुध दे और जन्मदिन की मौखिक बधाई देते हुए पूंछे जाने पर मुझे कहें कि आप राज्यसभा या संसदीय समिति की अध्यक्षता क्यूँ छोड़े.क्या कथनी और करनी में कोई भेद न रखने के लिए जाने जाने वाले यह वही मुलायम सिंह जी है या यह कोई और है? इंदिरा जी की याद और उनके द्वारा बनाए लोगो के धोखे ने श्री गोपाल दास नीरज की कविता की यह पंक्ति याद दिला दी, ” और आदमी माल जिसका खाता है, प्यार जिससे पाता है उसके ही सीने में भोंकता कटार है”. अंत में यही संकल्प लेते हुए लेखनी बंद करता हूँ कि,
“खुद अपनी निगरानी कर, मत साँसे बेमानी कर,
खुदगर्जों के खातिर अब मत कोई कुर्बानी कर.” .............."
राहुल की रैली का तापमान और चढ़ा, बसपा ने भी ताकत झोंकी
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कांग्रेस पार्टी की 125 वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस सांसद एवं पार्टी महासचिव राहुल गांधी तथा बसपा की 14 अप्रैल को होने वाली आमने-सामने की रैलियों को लेकर यूपी के जिला अंबेडकर नगर का ही नहीं, पूरे प्रदेश का सियासी तापमान खौलने लगा है। दोनों तरफ से माहौल कुछ इस तरह तप्त हो रहा है कि रैली के दिन पूरे मीडिया की निगाहें इसी जिले पर होंगी।
अंबेडकरनगर में पिछले दिनों राहुल की रैली के शहर में चस्पा पोस्टरों में डा.भीमराव अम्बेडकर की तस्वीर न होने को लेकर बसपा ने तीखे प्रहार किए तो गांधी, नेहरू, पटेल, शास्त्री, कलाम के साथ डा. अम्बेडकर व जगजीवनराम के चित्रों वाले नए पोस्टर लगा दिए गए। नए पोस्टर में सबसे ऊपर महात्मा गांधी, फिर डा. भीमराव अम्बेडकर, जवाहरलाल नेहरू, सरदार बल्लभभाई पटेल, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, सुभाषचन्द्र बोस, लालबहादुर शास्त्री, इन्दिरा गांधी, राजीव गांधी, सरोजनी नायडू व पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवनराम के चित्र हैं। इसमें सबसे बड़ा चित्र राहुल गांधी का है। पोस्टर के मध्य में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह दिख रहे है, साथ में दिग्विजय सिंह, रीता बहुगुणा जोशी, परवेज हाशिमी व प्रमोद तिवारी के चेहरे भी हैं। रैली के संयोजक हैं फैजाबाद के सांसद निर्मल खत्री। रैली का जोरदार प्रचार जारी है। कांग्रेस नेता प्रो. नन्दलाल चौधरी ने पोस्टर पर उठे बवंडर को बचकानी सियासत करार दिया है। सांसद खत्री कहते हैं कि रैली को लेकर हर वर्ग में उत्साह है। खत्री ने अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र की तैयारी बैठक में अपनी पार्टी रणनीति का खुलासा किया। उन्होंने प्रमुख पदाधिकारियों को रैली व रथयात्रा की जिम्मेदारियां सौंपीं। कांग्रेस जिलाध्यक्ष रामकुमार पाल कहते हैं कि पोस्टर बैनर की राजनीति खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे जैसी है।
उधर, सूबे में सत्तासीन बसपा रैली को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना चुकी है। पोस्टर मुद्दा उसकी रणनीति का पहला तीर रहा। अब आगे की तैयारियां जोरदारी से चल रही हैं। रैली की दोतरफा तैयारियों से यहां दलित प्रेम खूब उफान मार रहा है। बसपा गांव-गांव भ्रमण कर भारी भीड़ जुटाने में व्यस्त है।बसपाई अपने को इक्कीस साबित करने का लक्ष्य बनाकर चल रहे हैं। बसपा के लोकसभा अध्यक्ष जगदीश राजभर के नेतृत्व में कार्यकर्ता गांव-गांव दौरा कर रहे हैं। गांव कटुई की सभा में प्रदेश के परिवहन मंत्री राजअचल राजभर कहते हैं कि कांग्रेस सिर्फ दलित शोषित एवं मजलूमों को गुमराह करने का प्रयास कर रही है। डा. अम्बेडकर के मिशन को बसपा पूरा कर रही है। पार्टी के जोनल कोआर्डिनेटर व विधान परिषद सदस्य जुगुल किशोर कहते हैं कि डा. अम्बेडकर की जयंती 14 अप्रैल को बसपा का जन्म हुआ था, तब से बहुजन समाज पार्टी बाबा साहब की जयंती मनाती आयी है। बसपा ने दलितों, पिछड़ों व गरीबों को जागरूक किया और लोकतंत्र में बड़ी ताकत बनकर उभरा है। कांग्रेस के अम्बेडकर प्रेम के पीछे सिर्फ संगठित दलित वोट है। संसद में डा. भीमराव अम्बेडकर महिला आरक्षण को हिन्दू कोड बिल के माध्यम से लाना चाहते थे, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस पर बहस ही नहीं होने दिया। यहां तक कि उनकी जयंती पर छुट्टी तक घोषित नहीं किया।
पुलिस की नजर में फरार पूर्व सांसद ने खुलेआम माया सरकार को ललकारा!
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उत्तर प्रदेश के आला पुलिस अफसर सपा के पूर्व सांसद एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रशीद मसूद की गिरफ्तारी के लिए छापे मारने का चाहे जितना ढोंग बयान करें, पूर्व सांसद का माया सरकार विरोधी अभियान थमा नहीं है। एक ओर पुलिस उन्हें पकड़ने के लिए छापे की बात करती है, दूसरी तरफ पूर्व सांसद का सरेआम सभाओं में माया सरकार पर प्रहार जारी है। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों सहारनपुर में सैनी समाज की रैली में मुलायम सिंह के मंच से रशीद मसूद ने जो माया सरकार पर प्रहार किए थे, उसकी सीडी देखने के बाद पुलिस ने उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर गिरफ्तारी के लिए दबिश डालने की बात कही थी।
कल भी मुरादाबाद में कोठी नंबर चार स्थित सपा कार्यालय पर रशीद मसूद ने बसपा सरकार पर जमकर प्रहार किए। सहारनपुर में अपने और बेटे के खिलाफ मुकदमे से बेफिक्र पूर्व सांसद ने कहा कि सरकारी जुल्म को उजागर करने वालों पर सरकारी लाठियां बरसती हैं। झूठे मुकदमों में जेल भेजा जाता है। आजकल सूबे के हालात बिल्कुल आपातकाल जैसे हैं। विकास के नाम पर सिर्फ मूर्तियों का कारोबार चल रहा है और डा. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमाओं को भी जमीन कब्जाने का जरिया बना लिया गया है। उनके परिवार के खिलाफ 37 मुकदमे लिखे जा चुके हैं। अभी तक वह खुद ही बचे थे तो उनके खिलाफ हाल ही में रिपोर्ट दर्ज कर ली गई। इस सरकार में शिक्षक, सरकारी कर्मचारी, वकील, सभी राजनैतिक और सामाजिक संगठनों को लोकतांत्रिक आवाज उठाने की कीमत पुलिस की लाठी खाकर चुकानी पड़ रही है। प्रदेश में आपातकाल जैसे हालात हैं। सपा सरकारी लाठियों से डरने वाली नहीं। न्यायपालिका पर सपा को पूरा भरोसा है। उन्होंने विकास के नाम पर प्रदेश में मूर्तियां लगाए जाने को जमीनों पर कब्जे की साजिश बताते हुए कहा कि डा.भीमराव अंबेडकर की प्रतिमाओं का इस्तेमाल आजकल इसी काम के लिए किया जा रहा है। मुसलमानों के ठेकेदार बनने वाले नेता कल्याण के साथ सरकार में शामिल रहे, लेकिन अब मुखालफत करने लगे। बेईमानी मुसलमानों के अलम्बरदार बनने वालों ने की और आरोप मुलायम पर मढ़ते रहे।
पीएम ने कहाः मेरे रिश्तेदार के खिलाफ जांच जारी रहेगी
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अपने नजदीकी रिश्तेदार जसबीर सिंह के चावल कंटेनर संबंधी निर्यात-जांच मामले में मीडिया से पता चलने पर प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने साफ कर दिया है कि जांच जारी है, जारी रहेगी। चाहे कोई भी हो, कानून अपना काम करेगा। मीडिया में मामला नहीं उछलता तो शायद प्रधानमंत्री को जानकारी भी नहीं हो पाती कि ऐसा कुछ उनके रिश्तेदार के साथ हो रहा है।
मीडिया में मामला उछलने पर प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से स्पष्टीकरण दिया गया है कि प्रधानमंत्री को प्रेस रिपोर्ट से इसकी जानकारी मिली है कि उनके किसी रिश्तेदार के निर्यात सामान की राजस्व सतर्कता निदेशालय द्वारा जांच पड़ताल की जा रही है। प्रधानमंत्री अथवा उनके कार्यालय, किसी को भी रिपोर्ट की तरफ उनका ध्यान आकृष्ट किए जाने से पहले इसकी जानकारी नहीं थी। प्रधानमंत्री ने साफ-साफ कहा है कि इस मामले में जांच कानून के अनुसार बिना किसी रुकावट के जारी है, जारी रहेगी। अपने रिश्तेदार के राजस्व सतर्कता निदेशालय के जांच दायरे में आने संबंधी रिपोर्ट पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिहं का कहना है कि मामले की जांच कानून के अनुसार बिना किसी रुकावट और टालमटोल के जारी है, जारी रहेगी। प्रधानमंत्री के नजदीकी रिश्तेदार जसबीर सिंह अमृतसर स्थित चावल मिल में पार्टनर हैं। इस मिल पर पिछले सप्ताह ही राजस्व सतर्कता निदेशालय ने छापा मारा था। मिल के चावल के 55 कंटेनर लुधियाना स्थित शुष्क बंदरगाह पर जब्त किए गए थे। ये कंटेनर कनाडा और सीरिया भेजे जाने थे। कुछ कंटेनर बासमती चावल के बताए गए थे लेकिन वास्तव में उनमें सामान्य चावल रखा था, केवल ऊपरी सतह में ही बासमती था। उसी की जांच चल रही है।
सांसद सुबोध बोलेः मंडी परिषद चोरों के अड्डे
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सांसद एवं केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री सुबोध कांत सहाय ने उत्तर प्रदेश में मंडी परिषद को चोरों का अड्डा बताते हुए कहा कि राज्य सरकार अपनी उद्योग नीति में जब तक संशोधन नहीं करती तब तक खाद्य प्रसंस्करण में कोई भी निवेश नहीं किया जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार अपनी उद्योग नीति के अनुसार खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में निजी क्षेत्रों को नहीं आने दे रही है। इसीलिए राज्य की मंडी परिषद चोरों का अड्डा बन गई है। पिछले छह साल में उत्तर प्रदेश की ओर से खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय को निवेश के कोई भी प्रस्ताव नहीं मिले हैं। गोरखपुर में फूड पार्क बनाने का सपना अभी तक पूरा नहीं हुआ है जबकि केन्द्र सरकार इसके लिए 50 करोड़ रूपया देने को तैयार है। उत्तर प्रदेश में ठेके पर की जाने वाली खेती (कांट्रेक्ट फार्मिंग) को बढावा दिए जाने की जरूरत है, ताकि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग लगाए जा सकें।
वेस्ट यूपी के किसानों को फिर गोलबंद कर रहे रालोद सांसद चौधरी अजित सिंह
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बागपत के पार्टी सांसद एवं राष्ट्रीय लोकदल सुप्रीमो चौधरी अजित सिंह ने बिजनौर में जनसभाओं को संबोधित करते हुए कहा कि इस इलाके के किसान गन्ना आंदोलन की महापंचायत से देश की राजधानी दिल्ली को दिखा चुके हैं कि हम में कितना दम है। यूपीए सरकार हिल गई थी। एक बार फिर सर्किल रेट के लिए कमर कस लें। माया सरकार को समझाना है।
उन्होंने माया सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती किसान विरोधी हैं। प्रदेश सरकार सर्किल रेट पर 'गंगा एक्सप्रेस वे' के नाम पर मथुरा, आगरा, हाथरस समेत छह जिलों में दो हजार किसानों की 20 लाख हेक्टेयर जमीन मनमाना तरीके से एक्वायर करना चाहती है। सरकार एवं बिजनेसमैन उद्योगों के नाम पर किसानों की भूमि सर्किल रेट में अधिग्रहण कर बाद में बाजार के भाव में बेच देंगे। मुख्यमंत्री मायावती को पहनाई गई 51 करोड़ की माला काले धन से बनी थी। वह लोगों के खून-पसीने की कमाई से बनी थी। अब किसान सर्किल रेट सही कराने के लिए एक बार फिर रपार की लड़ाई को तैयार हो जाएं। यदि आवश्यकता पड़ी तो उन्हें दिल्ली में एक बार फिर लाठी उठानी पड़ सकती है। चौ.अजित ने पीलीचौकी, चंदक, हल्दौर का चौराहा, मटौरा मान एवं चांदपुर क्षेत्र के बागड़पुर में किसान सभाओं को संबोधित करते हुए गन्ना मूल्य को लेकर मेरठ और दिल्ली में हुई महापंचायतों का जिक्र किय़ा और कहा कि आजादी के बाद पहली बार दिल्ली में कोई वैसी महापंचायत हुई थी। किसानों की महापंचायत से दिल्ली में चक्का जाम होने से गन्ने को लेकर जारी नये अध्यादेश पर केंद्र सरकार को झुकना पड़ा था। चंदक के आदर्श इंटर कालेज में आयोजित धन्यवाद सभा में पहुंचने पर रालोद प्रमुख-सांसद का बिजनौर के पार्टी सांसद संजय सिंह चौहान आदि ने माल्यार्पण कर स्वागत किया।
रशीद मसूद की गिरफ्तारी को छापे
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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रशीद मसूद और उनके बेटे को सहारनपुर में किसी भी समय गिरफ्तार किए जाने का अंदेशा है। विगत छह अप्रैल को मसूद ने कथित तौर पर मायावती के विरुद्ध एक जनसभा में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उसके बाद पुलिस ने उनके ऊपर संगीन धाराओं के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया। उनके बेटे शादान पर पहले से मामले दर्ज हैं।
सहारनपुर में जब सपा अध्यक्ष एवं सांसद मुलायम सिंह यादव सैनी समाज के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे, इसी मंच से मसूद ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। अब पुलिस उनकी गिरफ्तारी के लिए लगातार छापे मार रही है। पुलिस उप महानिरीक्षक पी.के श्रीवास्तव ने कहा है कि कोई भी व्यक्ति कानून से बड़ा नहीं है और कानून के साथ खिलवाड़ करने वाला व्यक्ति चाहे कितना भी ताकतवर क्यों न हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस कानून की रक्षा के लिए है। मसूद और उनके बेटे शादान मसूद के ठिकानों पर पुलिस रोज दबिश डाल रही है लेकिन वे अभी पुलिस के हाथ नहीं लग पा रहे हैं।
मुलायम ने कहाः कांग्रेस-भाजपा में मिलीभगत
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पार्टी के लखनऊ स्थित प्रदेश कार्यालय में पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद मुलायम सिंह यादव ने कांग्रेस-भाजपा को निशाने पर लेते हुए कहा कि दोनों पार्टियों में मिलीभगत है। दोनों पार्टियां मिल कर संसद से पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को वंचित रखने की साजिश रच रही हैं। दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की साजिश के तहत ही संसद में महिला आरक्षण बिल लाया गया है। अगर कांग्रेस वास्तव में आधी आबादी की हित चिंतक है तो उसे शिक्षा, सरकारी व गैर सरकारी नौकरियों में पचास प्रतिशत आरक्षण और राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव में महिलाओं को बीस प्रतिशत टिकट देने की बात मान लेनी चाहिए। भाजपा और कांग्रेस की योजना जनता की इस सबसे बड़ी पंचायत को निष्क्रिय बना देने की है। ये दोनों पार्टियां लोकतंत्र की हत्या करना चाहती हैं। सपा इन साजिशों को बेनकाब करने के लिए सड़क से संसद तक लड़ाई जारी रखेगी। कांग्रेस ने पचास वर्षो से ज्यादा देश व प्रदेश पर राज किया किन्तु उसके शासनकाल में पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को कुछ नहीं मिला। दिल्ली, हिमांचल, उड़ीसा, राजस्थान, हरियाणा सहित एक दर्जन राज्यों में एक भी मुसलमान सांसद नहीं है। कांग्रेस ने ही सच्चर कमेटी बनाई, रंगनाथ मिश्र आयोग बिठाया। सच्चर कमेटी ने कहा कि देश में दलितों से बदतर हालत मुसलमानों की है। रंगनाथ मिश्र ने मुसलमानों को 15 प्रतिशत आरक्षण देने की सिफारिश की है। अब इनकी सिफारिश लागू करने से केन्द्र सरकार ही कतरा रही है। देश की स्थिति गंभीर है। नवजवानों को शिक्षा और रोजगार के अवसर मिलने चाहिए। सपा सरकार ने प्रदेश में जिन नवजवानों को रोजगार नहीं मिल पाया था, उन्हें बेरोजगारी भत्ता देना शुरू किया था ताकि उनके कदम अराजकता की तरफ न जाएं।
Friday, April 9, 2010
बैतूल से न्यूयार्क तक घिरते कमलनाथ
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सांसद-मंत्री कमलनाथ के खिलाफ उधर न्यूयार्क में सैकड़ों सिखों ने विरोध प्रदर्शन किया, इधर, बैतूल (म.प्र.) में पिछले साल अप्रैल में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान कमलनाथ के खिलाफ दर्ज आदर्श चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के प्रकरण में निर्वाचन आयोग की मंजूरी के बिना पुलिस द्वारा खात्मा भेज देने पर शिकायतकर्ता ने आयोग से कार्रवाई की माँग की है।
कुछ ही दिन पहले अमेरिका की एक अदालत ने उनके खिलाफ समन जारी किया था क्योंकि इस समुदाय की ओर से एक मानवाधिकार संगठन ने उनके खिलाफ एक याचिका दायर की थी। प्रदर्शन के एक आयोजक जीएस पन्नून ने बताया कि हम यहाँ अमेरिकी लोगों को यह बात बताने के लिए एकत्र हुए हैं कि भारत में 1984 में सिखों के कत्लेआम में शामिल रहे मंत्री कमलनाथ सहित कई अपराधियों को कभी भी न्याय के दायरे में नहीं लाया गया। मैनहटन में गुरुवार को मैकग्रॉ भवन के बाहर प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी की और वे तख्तियाँ लेकर खड़े थे। इन तख्तियों पर ‘न्याय के लिए खड़े हैं’ लिखा हुआ था। दरअसल, कमलनाथ इस भवन के भीतर निमार्ण कार्य से जुड़े एक सम्मेलन में भाग ले रहे थे। सिखों ने कमलनाथ की न्यूयॉर्क में मौजूदगी का भी विरोध किया। उनकी तुलना गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी से की, जिन्हें अमेरिका में प्रवेश की मनाही है। प्रदर्शनकारियों ने कमलनाथ के लिए भी ऐसे ही सलूक की माँग की। इधर, मध्य प्रदेश के बैतूल थाने में आचार संहिता को लेकर शिकायत दर्ज कराने वाले समाजवादी जन परिषद एवं श्रमिक आदिवासी संगठन के नेता अनुराग मोदी का कहना है कि निर्वाचन आयोग के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद पुलिस ने कमलनाथ के खिलाफ आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की रिपोर्ट पर उससे मंजूरी लिए बिना 22 जुलाई 2009 को खात्मा भेज दिया, जो गैर कानूनी है। इसके लिए संगठन ने निर्वाचन आयोग से शिकायत कर पुलिस थाने और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की माँग की है, क्योंकि चुनाव संबंधी प्रकरणों को लेकर उसके निर्देश हैं कि उन्हें उसकी मंजूरी के बिना खत्म नहीं किया जाए।
भारी मतों से सांसद बने सनत जयसूर्या
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क्रिकेट के मैदान पर अपनी आतिशी पारियों से गेंदबाजों को दहलाने वाले श्रीलंकाई ऑलराउंडर सनथ जयसूर्या ने शुक्रवार को दक्षिण के मतारा जिले के संसदीय क्षेत्र में भारी मतों से जीत दर्ज करने के साथ ही पहली बार सांसद बनने का गौरव हासिल किया। जिस समय यह चुनाव परिणाम आया, उस वक्त वे भारत में इंडियन प्रीमियर लीग में मुंबई इंडियंस का मैच खेलने की तैयारियों में जुटे हुए थे। जयसूर्या को उनकी अनुपस्थिति में विजेता घोषित किया गया। उन्हें कुल 74,352 मत मिले। इस क्रिकेटर ने राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे की सत्तारूढ़ यूनाईटेड पीपुल्स फ्रीडम पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता है। वह मतगणना के समय उपस्थित नहीं थे क्योंकि वह अभी आईपीएल में मुंबई इंडियन्स की तरफ से खेल रहे हैं। जयसूर्या को आईपीएल में मुंबई इंडियन्स की टीम से जुड़ना था और इसलिए उन्हें एक दिन पहले मतदान करने की अनुमति दे दी गई थी। इस 40 वर्षीय बल्लेबाज की यह राजनीतिक पारी की शुरुआत होगी क्योंकि यह किसी भी तरह के चुनावों में उनका पहला प्रयास था। उनके साथी और पूर्व कप्तान अर्जुन रणतुंगा भी चुनाव मैदान में हैं लेकिन उनके संसदीय क्षेत्र का अभी तक परिणाम नहीं आया है। रिपोर्ट के अनुसार रणतुंगा को काँटे की टक्कर मिल रही है। वह पूर्व सेनाप्रमुख सरथ फोंसेका की अगुआई वाली पार्टी डेमोक्रेटिक नेशनल अलायंस के टिकट पर चुनाव लड़े थे। उनकी सीट पर अभी मतगणना जारी है। जयसूर्या ने 2007 में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया था लेकिन उन्हें वेस्टइंडीज में 30 अप्रैल से होने वाले ट्वेंटी-20 टूर्नामेंट के लिये राष्ट्रीय टीम में शामिल किया गया है।
सूचना के अधिकार पर फिर सोनिया और मनमोहन में मतभेद!
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कांग्रेस अध्यक्ष एवं रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बीच सूचना के अधिकार अधिनियम में बदलाव को लेकर एक बार फिर अलग-अलग रुख सामने आने से इसका पूरे देश में गलत संदेश जा रहा है। पिछले महीने के पहले सप्ताह भी ये मामला मीडिया की सुर्खियां बना था, एक बार फिर वही सुगबुगाहट चर्चाओं में है।
प्रधानमंत्री का कहना है कि कानून में संशोधन किये बिना कुछ मुद्दों को नहीं सुलझाया जा सकता है, जबकि सोनिया गांधी इसमें बदलाव के पक्ष में नहीं हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को 10 नवंबर 2009 को लिखे पत्र में सोनिया गांधी ने कहा है कि मेरे विचार से इसमें किसी संशोधन की जरूरत नहीं है। इसमें केवल एक अपवाद राष्ट्रीय सुरक्षा के संबंध में हो सकता है, जिस पर कानून में ध्यान रखा गया है। कानून केवल चार वर्ष पुराना है और सरकारी ढांचे में वृहद पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में गति पकड़ने में अभी समय लगेगा, लेकिन प्रक्रिया शुरू हो गई है और इसे मजबूत बनाये जाने की जरूरत है। दोनों शीर्ष राजनेताओं के बीत इसी तरह की मतभेद पिछले महीने भी उभर कर चर्चाओं में आए थे, जब प्रधानमंत्री ने सोनिया गांधी की बात ठुकरा दी थी। उस समय जब सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को यह साफ-साफ जतला दिया था कि वे इस अधिनियम में कोई संशोधन नहीं चाहतीं। इसके बाद प्रधानमंत्री ने कांग्रेस अध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा था कि सूचना अधिकार अधिनियम में संशोधन करने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री द्वारा प्रस्तावित सुधार के अंतर्गत इस अधिनियम के दायरे में भारत के मुख्य न्यायाधीश नहीं आएंगे। साथ ही नीति संबंधी फैसलों पर बहस को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।
आइए एक नजर डालते हैं पिछले दो दशक के अतीत पर, जब इस विधेयक की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि बनी और यह अमल में आया था, साथ ही बार-बार इसे राज्य की आंतरिक ऊहापोह से भी गुजरते रहना पड़ा था। सर्वप्रथम 1993 में उपभोक्ता शिक्षा और अनुसंधान परिषद, अहमदाबाद ने सूचना का अधिकार कानून का एक प्रारूप प्रस्तावित किया। 1996 में जस्टिस पी बी सावंत की अगुवाई में भारतीय प्रेस परिषद ने सूचना का अधिकार कानून का एक प्रारूप तैयार कर भारत सरकार को दिया. सी प्रारूप को बाद में संर्वधित कर एक नया नाम पीसीआई-एनआईआरडी सूचना की स्वतंत्रता विधेयक 1997 नाम दिया गया। दुर्भाग्यवश सरकार ने इस कानून के किसी भी प्रारूप पर ध्यान नहीं दिया। इस बीच, मजदूर किसान शक्ति संगठन की पहल पर सूचना के जनाधिकार के राष्ट्रीय अभियान (एनसीपीआरआई) का उदय हुआ, जिसका गठन राष्ट्रीय स्तर पर सूचना का अधिकार की मांग को बल देने के लिए किया गया था। दिल्ली में 1996 में शुरू हुए इस अभियान का उद्देश्य था, सूचना के अधिकार के लिए जमीनी स्तर पर चल रहे अभियानों को समर्थन देना साथ ही ऐसा दबाव समूह तैयार करना जो सूचना कानून को प्रभावी ढ़ंग से लागू करवाने के लिए सरकार पर दबाव डाल सकें। 1997 में राज्य और केंद्र दोनो स्तर पर सूचना का अधिकार कानून बनाने के प्रयासों में तेजी आई। केंद्र सरकार ने एच.डी. शौरी (शौरी कमेटी ) की अध्यक्षता में एक कार्यकारी समूह की स्थापना की। इस समिति को सूचना के स्वतंत्रता पर कानून का प्रारूप तैयार करने का काम सौंपा गया। शौरी समिति की रिपोर्ट और कानून का प्रारूप 1997 में प्रकाशित किया गया। उल्लेखनीय है कि इसमें सूचना प्रदान करने को लेकर समुचित की कमी के चलते इस प्रारूप की काफी आलोचना भी हुई थी। शौरी कमेटी की यह रिपोर्ट लगातार दो सरकारों के समक्ष आई लेकिन किसी ने भी इसे संसद में पेश नहीं किया। इसी बीच 1997 में तत्कालीन शहरी विकास मंत्री राम जेठमलानी ने एक प्रशासनिक आदेश जारी लोगों को अपने मंत्रालय की फाईलों के निरीक्षण तथा छायाप्रति प्राप्त करने का अधिकार देने की पहल की लेकिन कैबिनेट सचिव ने इस आदेश को प्रभावी नहीं होने दिया।
आखिरकार शौरी समिति द्वारा तैयार प्रारूप को ही संशोधित कर सूचना की स्वतंत्रता विधेयक 2002 बनाया गया लेकिन इस विधेयक के प्रावधान शौरी समिति के प्रावधानों से भी कमज़ोर थे। इस विधेयक को गृह मामलों की स्थायी संसदीय समिति के पास भेजा गया जिसने 2001 में अपनी रिपोर्ट सौंपने से पहले सामाजिक संगठनों के साथ इस पर सलाह-मशविरा किया। संसदीय समिति ने अपनी सिफारिश में सरकार से विधेयक के प्रारूप सामाजिक संगठन द्वारा उठाए गए मुद्दों का समाधान करने को कहा, लेकिन दुर्भाग्यवश सरकार ने इस विधेयक को अंतिम रूप देते वक्त इन सुझावों पर अमल नहीं किया।
राष्ट्रीय स्तर पर सूचना का अधिकार कानून लागू करने के लिए सूचना की स्वंतत्रता विधेयक 2002 नाम से एक विधेयक संसद वर्ष 2002 में पेश किया गया। दिसंम्बर, 2002 में संसद में पास होने के बाद जनवरी 2003 में इसे राष्ट्रपति की मंज़ूरी मिली और यह सूचना की स्वतंत्रता विधेयक 2002 कघ् नाम से जाना गया, लेकिन दुर्भाग्यवश इस अधिनियम को अधिसूचित करने की तारीख कभी घोषित नहीं हुई जिसके चलते यह कभी प्रभावी ही नहीं हो सका। मई, 2004 में केंद्र में नए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार बनी। सरकार बनते वक्त सूचना के अधिकार के जन अभियान को उस वक्त और बल मिला जब नई सरकार ने अपने न्यूनतम साझा कार्यक्रम में वादा किया सूचना का अधिकार कानून को और प्रगतिशील, सहभागी और अर्थपूर्ण बनाया जाएगा। सरकार के न्यूनतम साझा कार्यक्रम के क्रियान्वयन की निगरानी करने के लिए राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की स्थापना की गई। शुरूआत से ही परिषद ने सूचना के अधिकार में दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी थी। 17 जुलाई 2004 को पहली ही बैठक के दौरान सदस्यों ने परिषद के समक्ष सूचना के अधिकार के राष्ट्रीय अभियान की ओर से एक बयान पेश किया जिसमें परिषद से सूचना के अधिकार पर सक्रियता की मांग रखी गई थी। इस विचार विर्मश को आगे बढ़ाते हुए सीएचआरआई ने परिषद और सभी मंत्रिमंडल सदस्यों के समक्ष अपने सुझाव और सूचना का स्वतंत्रता अधिनियम का विश्लेषण प्रस्तुत किया।
राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की पहली बैठक के बाद अरूणा राय सरकार के प्रमुख घटकों से मिलीं, जिन्होंने सुझाव दिया कि सामाजिक संगठन सूचना के स्वतंत्रता अधिनियम में संशोधनों पर एक पत्र तैयार कर सरकार को प्रस्तुत करे। सूचना की स्वतंत्रता अधिनियम 2002 में कुछ सुधारों और पुन:संशोधनों के एनसीपीआरआई के प्रस्ताव को 31 जुलाई, 2004 को परिषद की दूसरी बैठक में प्रस्तुत किया गया। परिषद ने इस संशोधनों और सुझावों को पारित कर दिया। राष्ट्रीय सलाहकार की परिषद की सदस्य अरूणा राय और ज्यां द्रेज ने पहले दो बैठकों में परिषद को इस मुद्दे पर अद्यतन जानकारी मुहैया कराते रहे।
इसी बीच एनसीपीआरआई और सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लेटिगेशन की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाल रखी थी जो 2002 में दाखिल हुई थी। इस याचिका से भी केंद्र सरकार पर सूचना की स्वतंत्रता अधिनियम 2002 को प्रभावी रूप से लागू कराने की दिशा में दवाब बन रहा था। 20 जुलाई 2004 को इस मामले की सुनवाई में अदालत ने सरकार से कहा कि वह 15 सितंबर 2004 तक यह स्पष्ट करे कि सूचना की स्वतंत्रता अधिनियम की अधीसूचना कब जारी की जाएगी अधवा इसके लिए अंतरिम प्रशासनिक आदेश कब जारी किए जाएंगे।
12 अगस्त 2004 को भारत सरकार के लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से सूचना की स्वतंत्रता अधिनियम 2002 के बारे में नियमावली का मसौदा जारी किया गया। सीएचआरआर ने 14 अगस्त को इस नियमावली की समीक्षा करते हुए एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की। इस बीच 14 अगस्त, 2005 को राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की तीसरी बैठक हुई। इसमें सी एच आर आई ने परिषद के समक्ष इस अधिनियम के मसौदे के संबंध में अपने सुझाव रखे। परिषद ने इन सुझावों को अपने अंतिम सुझावो में सम्मिलित किया। परिषद से मंज़ूरी मिलने के बाद परिषद की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय को भेज दिया। 18 सितंबर, 2004 को जारी एक सरकारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सुझावों के आधार पर सूचना के अधिकार अधिनियम में संशोधन करने के लिए एक विधेयक लाएगी।
इसके बाद शीतकालीन सत्र में सरकार सूचना का अधिकार विधेयक 2004 लेकर आई जिसे लोकसभा में 23 दिसंबर पेश किया गया। सूचना का अधिकार विधेयक 2004 मुख्यत: राष्ट्रीय सलाहकार परिषद द्वारा सरकार को दिए गए सुझावों पर आधरित था। (जो प्रमुखत: एनसीपीआरआई के मूल ड्राफ्ट विधेयक पर आधारित थे, एनसीपीआरआई ने सूचना का अधिकार विधेयक 2004 तथा और सूचना की स्वतंत्रता अधिनियम 2002 तथा एनसीपीआरआई के मूल सुझावों का एक तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत किया था, सीएचआरआई द्वारा तैयार विधेयक की समीक्षा भी प्रस्तुत की गई थी) सूचना का अधिकार विधेयक 2004 को संसद में कार्मिक एवं जनशिकायत और कानून तथा न्याय विभाग की स्थायी समिति को विचारार्थ भेज दिया। सीएचआरआई ने भी 14 व 15 फरवरी 2005 कघ् संसद की स्थाई समिति के समक्ष अपना पक्ष रखने से पहले अपने सुझाव स्थायी समिति को भेज दिए। विभिन्न नागरिकों तथा समाजिक संगठनों ने अपने साक्ष्य और सुझाव समिति को प्रस्तुत किए। सीएचआरआई ने 21 फरवरी को पुन: समिति को इस विधेयक पर अपने पूरक अनुरोध से अगवत कराया।
21 मार्च, 2005 को समिति की रिपोर्ट (सूचना का अधिकार विधेयक में प्रस्तावित संसोधन संस्करण सहित) लोकसभा में रखी गई। समिति द्वारा सूचना का अधिकार 2004 विधेयक में प्रस्तावित परिवर्तन सीएचआरआई द्वारा रिपोर्ट की सारणीबद्व और विषयों के गहन विवरण में रेखांकित किए गए। सीएचआरआई ने समिति की रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए अपने सुझाव केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष भी प्रस्तुत किए। 10 मई, 2005 को सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक 2005 लोकसभा में प्रस्तुत किया गया (इसमें संसद की स्थाई समिति के बहुत सारे सुझावो को शामिल किया गया था)। शीघ्र ही विधेयक पास हो गया, इसे 11 मई, 2005 को लोकसभा तथा 12 मई को राज्यसभा से मंज़ूरी मिली तथा 15 जुन, 2005 को राष्ट्रपति कलाम ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 पर अपनी सहमति दे दी। राष्ट्रपति की सहमति के बाद केंद्र और राज्य सरकारों को इस विधेयक के प्रावधानों का अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर 120 दिनो के अंदर क्रियान्वित करना था। अधिनियम औपचारिक तौर पर 12 अक्टूबर, 2005 को प्रभाव में आ सका।
सांसद सिंधिया के घर धरना देंगे गृहमंत्री
(sansadji.com)
मामला गृह विभाग से जुड़ा है, क्योंकि गृहमंत्री की परेशानी का सबब बन रहा है। जो गृहमंत्री हो और अपने भाई की मौत का तेरहवां दिन गिन रहा हो, इससे बड़ी बिडंबना भारतीय लोकतंत्र में और क्या हो सकती है। लेकिन इस दुखद वाकये में रोचक मोड़ उस समय जुड़ गया, जब गृहमंत्री ने कह दिया कि वह केंद्रीय मंत्री एवं गुना से सांसद ज्योतिरादित्य के घर पर धरना देंगे।
मध्यप्रदेश के गृह राज्यमंत्री हैं नारायण सिंह कुशवाह। वह अपने चाहने वालों से कह रहे हैं कि धरना देने पर उनका मंत्री पद जाता है तो भी न कोई डर, न किसी बात की परवाह। अब वह 11 अप्रैल को धमाका करने की धमाकेदार धमकी भी दे रहे हैं। बताया जाता है कि आर्थिक सहायता के चेक बांटने के कार्यक्रम पर मंत्री के निजी निवास पर राज्यसभा सदस्य माया सिंह, पार्टी के वरिष्ठ नेता माधव शंकर इंदापुरकर समेत कई नेता गुरूवार को शाम के समय पहुंचे। नारायण सिंह कुशवाह की माया सिंह व इंदापुरकर से वर्तमान राजनीति पर गुप्त मंत्रणा हुई। यहां तक कि वरिष्ठ नेताओं ने कुशवाह को एक बार मुख्यमंत्री और नरेन्द्र सिंह तोमर के साथ बैठकर चर्चा करने की भी सलाह दी। इस मौके पर एकत्रित भाजपा के नेता व कार्यकर्ताओं ने कुशवाह को तन-मन से उनका साथ देने का वचन दिया।सूत्र यह भी कहते हैं कि कुशवाह तो यह तक कह चुके हैं कि वे विभाग बदलने की पेशकश तक कर चुके हैं। उन्होंने तो सामाजिक न्याय जैसे विभाग को लेने की इच्छा जताई थी। डेढ़ वर्ष हो गया, इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। वे कहते रहे हैं कि कुछ आईएएस-आईपीएस अफसर अपनी मनमानी कर रहे हैं। जब उनसे कुछ काम को कहा जाता है तो वे उसे करने में ना-नुकुर करते हैं। इसमें वे कैबिनेट मंत्री का दबाव होने की बात कहकर उस काम को टाल देते हैं। इन अफसरों ने क्या-क्या किया इसका खुलासा 11 अप्रेल के बाद करेंगे। नाराजगी कई दिग्गजों की मध्यस्थता के बावजूद दूर नहीं हो पा रही है। कुशवाह स्वयं ही मंत्री पद छोड़ने का ऎलान कर ज्योतिरादित्य सिंधिया के निवास के सामने धरने पर बैठ सकते हैं। गृह राज्यमंत्री अपने भाई के निधन के 13 दिन पूरे होने का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद वे अपने राजनीतिक जीवन का अहम फैसला लेने की बातें निकटस्थ लोगों को कह रहे हैं। जरूरी नहीं कि मंत्री बनकर ही जनसेवा करें। विधायक रहकर भी कर सकते हैं।
मामला गृह विभाग से जुड़ा है, क्योंकि गृहमंत्री की परेशानी का सबब बन रहा है। जो गृहमंत्री हो और अपने भाई की मौत का तेरहवां दिन गिन रहा हो, इससे बड़ी बिडंबना भारतीय लोकतंत्र में और क्या हो सकती है। लेकिन इस दुखद वाकये में रोचक मोड़ उस समय जुड़ गया, जब गृहमंत्री ने कह दिया कि वह केंद्रीय मंत्री एवं गुना से सांसद ज्योतिरादित्य के घर पर धरना देंगे।
मध्यप्रदेश के गृह राज्यमंत्री हैं नारायण सिंह कुशवाह। वह अपने चाहने वालों से कह रहे हैं कि धरना देने पर उनका मंत्री पद जाता है तो भी न कोई डर, न किसी बात की परवाह। अब वह 11 अप्रैल को धमाका करने की धमाकेदार धमकी भी दे रहे हैं। बताया जाता है कि आर्थिक सहायता के चेक बांटने के कार्यक्रम पर मंत्री के निजी निवास पर राज्यसभा सदस्य माया सिंह, पार्टी के वरिष्ठ नेता माधव शंकर इंदापुरकर समेत कई नेता गुरूवार को शाम के समय पहुंचे। नारायण सिंह कुशवाह की माया सिंह व इंदापुरकर से वर्तमान राजनीति पर गुप्त मंत्रणा हुई। यहां तक कि वरिष्ठ नेताओं ने कुशवाह को एक बार मुख्यमंत्री और नरेन्द्र सिंह तोमर के साथ बैठकर चर्चा करने की भी सलाह दी। इस मौके पर एकत्रित भाजपा के नेता व कार्यकर्ताओं ने कुशवाह को तन-मन से उनका साथ देने का वचन दिया।सूत्र यह भी कहते हैं कि कुशवाह तो यह तक कह चुके हैं कि वे विभाग बदलने की पेशकश तक कर चुके हैं। उन्होंने तो सामाजिक न्याय जैसे विभाग को लेने की इच्छा जताई थी। डेढ़ वर्ष हो गया, इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। वे कहते रहे हैं कि कुछ आईएएस-आईपीएस अफसर अपनी मनमानी कर रहे हैं। जब उनसे कुछ काम को कहा जाता है तो वे उसे करने में ना-नुकुर करते हैं। इसमें वे कैबिनेट मंत्री का दबाव होने की बात कहकर उस काम को टाल देते हैं। इन अफसरों ने क्या-क्या किया इसका खुलासा 11 अप्रेल के बाद करेंगे। नाराजगी कई दिग्गजों की मध्यस्थता के बावजूद दूर नहीं हो पा रही है। कुशवाह स्वयं ही मंत्री पद छोड़ने का ऎलान कर ज्योतिरादित्य सिंधिया के निवास के सामने धरने पर बैठ सकते हैं। गृह राज्यमंत्री अपने भाई के निधन के 13 दिन पूरे होने का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद वे अपने राजनीतिक जीवन का अहम फैसला लेने की बातें निकटस्थ लोगों को कह रहे हैं। जरूरी नहीं कि मंत्री बनकर ही जनसेवा करें। विधायक रहकर भी कर सकते हैं।
सानिया की शादी में आएंगे पाक सांसद
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शोएब-सानिया की शादी में पाकिस्तान संसदीय प्रतिनिधिमंडल भारत आएगा। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी ने शोएब मलिक और सानिया मिर्जा की बहुचर्चित शादी में भाग लेने के लिये संसदीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया है। ये सांसद सानिया और शोएब के लिये गिलानी की ओर से खास तोहफा लेकर आयेंगे। पाकिस्तान के परिवार कल्याण मंत्री फिरदौस आशिक अवान ने ‘ द न्यूज’ से कहा है कि प्रधानमंत्री इस शादी को लेकर खुश ही नहीं है बल्कि वह इस दंपत्ति को अपनी शुभकामना तोहफे के जरिये भेजेंगे। खेलमंत्री एजाज जखरानी भी इस शादी में भाग ले सकते हैं। अवान ने कहा है कि प्रधानमंत्री ने इस बात पर रजामंदी जताई है कि कुछ और सदस्य भी शादी में भाग लेंगे। वह शोएब और सानिया के सम्मान में सियालकोट में अन्य सांसदों के साथ रिसेप्शन आयोजित करने के बारे में भी सोच रही हैं। उन्होंने कहा है कि हम सियालकोट में रिसेप्शन देना चाहते हैं लेकिन यह लाहौर में भी हो सकता है।
चिदंबरम का इस्तीफा मनमोहन ने ठुकराया
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गृहमंत्री पी चिदंबरम ने नक्सली हमलों की पूरी जिम्मेदारी लेते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय को इस्तीफे की पेशकश की थी। जबकि प्रधानमंत्री ने उनका इस्तीफा नामंजूर कर दिया था। प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता के अनुसार चिदंबरम ने भले ही हमले में नाकामी की बात आज स्वीकारी हो, लेकिन उन्होंने गुरुवार को ही पीएमओ को अपना इस्तीफा भेज दिया था। शुक्रवार सुबह राष्ट्रपति भवन में सीआरपीएफ के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चिदंबरम ने इस पूरे हमले में चूक के लिए जिम्मेदारी ली है। बीच में कुछ इस तरह की खबरें भी आईं थी कि चिदंबरम के प्रधानमंत्री को लिए गए पत्र में इस्तीफे का जिक्र नहीं है। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सली हमले में बड़ी संख्या में सीआरपीएफ जवानों के मारे जाने की घटना की ‘‘पूर्ण जिम्मेदारी’’ स्वीकार करते हुए गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा था कि हां हमारी गलती है। मैं इसकी पूरी जिम्मेदारी वह अपने ऊपर लेता हूं।
सांसद जया बच्चन हुईं 62 वर्ष की
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वरिष्ठ बॉलीवुड अभिनेत्री और समाजवादी पार्टी की राज्यसभा सदस्य जया बच्चन आज 62 वर्ष की हो गयीं। उनके पति अमिताभ बच्चन, पुत्र अभिषेक बच्चन और पुत्रवधू ऐश्वर्या राय बच्चन ने ‘अभिमान’ फिल्म की अभिनेत्री को जन्मदिन की मुबारकबाद देने के लिये इंटरनेट का सहारा लिया। गोवा में फिल्म ‘दम मारो दम’ की शूटिंग कर रहे अभिषेक बच्चन ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘आज मातृशक्ति का जन्मदिन है। हैप्पी बर्थडे मां। तुम्हें प्यार।’’ फिल्म ‘गुड्डी’ की अभिनेत्री के साथ ही एक और वरिष्ठ अदाकारा शर्मिला टैगोर का भी आज जन्मदिन है। बिग बी ने अपने ब्लॉग के जरिये दोनों को ही बधाई दी है। बिग बी लिखते हैं कि जन्मदिन मुबारक जया। जन्मदिन की बधाई शर्मिला। किसने जन्मदिन का जश्न मनाने, केक बनाने और उसे काटने और जन्मदिन के गीत गाने की परंपरा शुरू की? .न तो हमने और न ही विस्तारित परिवार के किसी सदस्य ने। लेकिन वर्षों से यह चलन बरकरार है और आगे बढ़ रहा है। वहीं, ऐश्वर्या ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘मां की तरफ से बड़ा सा हैलो। मैं उन्हें ट्विटर पर आने के लिये कह रही हूं।’’
सांसद वृंदा ने कहाः ममता दोहरे चरित्र वाली और अवसरवादी
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माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य एवं सांसद वृंदा करात ने कहा है कि तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और रेलमंत्री ममता बनर्जी महत्वपूर्ण विषयों पर दोहरे चरित्र वाली और अवसरवादी हैं। हमें बताया गया कि कैबिनेट में जब नवरत्न कंपनियों के विनिवेश पर चर्चा हो रही थी तब ममता ने खामोश रहना बेहतर समझा था। हमें यह भी पता चला है कि केन्द्रीय कैबिनेट में महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा के दौरान ममता उठ खड़ी हुई थीं। इन सबसे यह साबित होता है कि ममता सेल के विनिवेश जैसे मुद्दों पर दोहरा व्यवहार करती हैं और राजनीति में वह अवसरवादी हैं। राज्य सभा में महिला आरक्षण विधेयक पेश होने के वक्त तृणमूल सदस्यों की अनुपस्थिति की चर्चा करते हुए वृंदा ने कहा है कि ममता का महिला आरक्षण और विनिवेश जैसे मुद्दों पर अख्तियार किया गया रवैया उनके दोहरे मापदण्डों को दर्शाता है। यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस ही महिला आरक्षण विधेयक को लोकसभा में पेश नहीं करना चाहती, वृंदा ने कहा कि मैं सिर्फ इतना कह सकती हूं कि कांग्रेस में विधेयक को पेश करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं है।
राष्ट्रपति से प्रधानंत्री की घंटे भर गुफ्तगू!
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गृहमंत्री पी.चिदंबरम के इस्तीफे की चर्चाओं के बीच आज प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह राष्ट्रपति प्रतिभादेवी सिंह पाटिल से मिले, लेकिन बाताया जा रहा है कि यह मुलाकात प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं और 15 अप्रैल से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र के संबंध में थी। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह कल से दो देशों की यात्रा पर रवाना हो रहे हैं।
इसस पहले उन्होंने आज राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से मुलाकात की और आतंरिक सुरक्षा, भारत-पाक संबंधों सहित अनेक विषयों पर चर्चा की। राष्ट्रपति भवन के प्रवक्ता के अनुसार प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के बीच लगभग एक घंटे चर्चा हुई। दोनों के बीच 15 अप्रैल से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण और प्रधानमंत्री की आगामी वाशिंगटन तथा ब्राजील यात्रा के संबंध में चर्चा हुई। प्रधानमंत्री परमाणु सुरक्षा शिखर बैठक में भाग लेने के लिए वाशिंगटन और आईबीएसऐ (भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका) तथा बीआरआईसी (ब्राजील-रूस-भारत-चीन) शिखर बैठक में भाग लेने ब्राजील जा रहे हैं।
गृहमंत्री चिदंबरम ने दिया इस्तीफा?
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क्या गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने इस्तीफा दे दिया है? देश के न्यूज चैनलों पर तो इस समय यही खबर गूंज रही है। बताया जा रहा है कि चिदंबरम ने संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह दोनों ही को इस्तीफा-पत्र प्रेषित कर दिया है! फिलहाल सूचना अपुष्ट तौर पर है लेकिन ऐसी किसी सच्चाई से इनकार भी नहीं किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि सीआईपीएफ के शौर्य दिवस के मौके पर गृहमंत्री ने दंतेवाड़ा में हुई घटना की पूर्ण जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली थी। विपक्ष, खासकर भाजपा और उसके आनुषांगिक संगठन संग की ओर से भी गृहमंत्री पर पिछले कुछ दिनों हमला तेज कर दिया गया है। इसी बीच दंतेवाड़ा में अर्द्धसैन्य बल पर हुए हमले ने सरकार को झकझोर कर रख दिया है। गृहमंत्री ने इस घटना में अपनी जान गंवाने वाले शहीद जवानों को सलाम करते हुए कहा है कि पूरा देश उनकी बहादुरी को सलाम करता है। उनका मंत्रालय सुनिश्चित करेगा कि शहीद जवानों के परिवारों को इस महीने के अंत तक मुआवजा मिल जाए और परिवारों के एक-एक सदस्य को नौकरी मिले। यह उल्लेख करते हुए कि सरकार हमेशा सुरक्षाबलों के साथ है, गृहमंत्री ने कहा कि वे इसलिए ड्यूटी करते हैं ताकि लोग आजादी और खुशहाली से रह सकें। चिदंबरम ने प्रधानमंत्री और संप्रग अध्यक्ष को प्रेषित पत्र में घटना की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हुए इस्तीफे की पेशकश की है। सूत्रों के अनुसार इस्तीफा मंजूर हो, न हो, इस पूरे घटनाक्रम से साफतौर पर देश के लोगों में दो तरह के संदेश गए हैं। हमले ने सरकार की सुरक्षा नाकामियों को जिम्मेदार ठहरा दिया है और इस्तीफे की पेशकश से सरकार या गृहमंत्री के प्रति विपक्ष के हमलावर रुख में कुछ नरमी आ सकती है। लेकिन सामने 15 अप्रैल का संसद सत्र आ रहा है। विपक्ष इस मामले को लेकर भी तैयारिया कर रहा है ताकि सरकार को कठघरे में खड़ा कर सके।
लालू ने की चिड़ियाघर में पूजा, अब जांच होगी
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सारन (बिहार) के सांसद एवं पूर्व रेलमंत्री तो पूजा करने गए थे, पड़ गए जांच के फेरे में। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव द्वारा हथियारों से लैस सुरक्षाकर्मियों के साथ पटना चिड़ियाघर की यात्रा करने से एक नया विवाद खड़ा हो गया है और प्रशासन ने फॉरेस्ट रेंजर को इस पूरे मामले की जांच का आदेश दिया है।
चिड़ियाघर के निदेशक अभय कुमार के अनुसार फारेस्ट रेंजर शशिभूषण प्रसाद ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और एक सप्ताह के अंदर वह अपनी रिपोर्ट सौंप देंगे। इससे पहले लालू प्रसाद ने अत्याधुनिक हथियारों से लैस सुरक्षाकर्मियों के साथ बुधवार को चिड़ियाघर में स्थित मंदिर में पूजा अर्चना की थी। चिड़िया घर के सुरक्षाकर्मियों से भी स्पष्टीकरण मांगा जायेगा कि क्यों उन्होंने लालू प्रसाद के अंगरक्षकों को हथियारों के साथ प्रवेश करने की अनुमति दी। उल्लेखनीय है कि चिड़िया घर में हथियार ले जाने पर पाबंदी है।
हैप्पी बर्थडे सांसद शर्मिलीजी!!
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सपा की सांसद जया बच्चन बीमार थीं। अब नहीं हैं। स्वस्थ हो रही हैं। अभी कमजोरी महसूस कर रही हैं। इस बीच उनका जन्मदिन आ गया। देश भर से उन्हें शुभकामनाएं मिलने लगीं। एक शुभकामना ऐसी मिली, जिसे जया शायद पढ़ते-पढ़ते कभी न थकें। सेलिब्रेटिंग बर्थडे जयाजी! हैप्पी बर्थडे शर्मिलीजी!! जयाजी तो ठीक, शर्मिला जी? कुछ पल्ले नहीं पड़ा। सिनेमा देखने शौकीन एक जनाब से पूछा कि हैप्पी बर्थडे पर जयाजी को शर्मिली क्यों कहा जा रहा है? सामने वाले जनाब गला फाड़कर हंस पड़े। अरे यार! किस दुनिया में रहते हो, तुम्हें इतना भी नहीं पता! थत्तेरे की। जनाब का दांत टूटा हुआ है, सो 'ध' को 'थ' उचारते हैं बेलौस। मसलन, जयाजी धीरे-धीरे स्वस्थ हो रही हैं, जनाब ने कहा- थीरे-थीरे। उफ्। तो उन्होने बताया कि जयाजी शर्मिली तो बनी थीं उस फिल्म में, क्या नाम-से की...... तो बात जयाजी के हैप्पी बर्थडे की। प्रतीशा से वह शुभकामना प्रसारित की गई। पढ़ लीजिए कि अपनी सांसद-अभिनेत्री अर्धांगिनी को सदी के महानायक ने क्या लिखा, कैसे लिखा................
Prateeksha, Mumbai
Happy Birthday Jaya !!
Happy Birthday Sharmila !!
And to all that would wish the wife, in advance, many many thanks …
Who started this ritual of celebrating births, making and cutting cakes, singing birthday ditties, presenting gifts ..? I didn’t and neither did any of the FmXt, I am certain. But, for years, the practice remains and flourishes … so be it !!
Jaya is better. Fever has gone and the movements have resumed, though there is still some weakness in sitting up for too long. Thank you all again for your concern and love.
And dear me … the number of scripts that came up today could keep me busy for the next 20 years ! They all seem excited and enthusiastic as they narrate and entice their prospective clients. Some through the gift of their tongue, some others through presentations on lap top, some through books magazines and constructed story boards – savy, modern and very connected.
And to think that for many years, when the computer became an important part of our lives, I believed that this rather complicated instrument was actually a more sophisticated modem for playing video games !! Ha ha … I really did !!
Scripts … yes, most of them dynamic and modern and almost all centered around the shooting of it, well most of it, in Europe or the USA. Fascinating ! And you never have the heart to refuse them. You wish to work in all of them, no matter how impractical it may seem. I see many EF wringing their hands in anticipation of visiting my shoots. Welcome dearest ones. And realize soon enough the hard world of the studio and the facing of the camera and the making of film. It is not as comfortable and easy as it may seem.
Bachchan Bol, the audio vog is attended to, every morning and soon we hope it shall be available to those outside Indian shores. But it is indeed a fascinating concept and shall become an important tool as time goes by. Many old timers and industry of yester year shall lament that, the practice of today in rapid communication has become the bane of their existence. The mystique and aura and exclusivity of the star diminishes they say. Many argue to the converse. If there were to be no communication, there would be no celebrity, for, the band wagon of all profile that reaches the realm of adulation, shall remain an unknown factor in this rapid and most effective information syndrome that we all find ourselves in.
If you do not tell, you do not dwell !!
PR agencies and marketing executives have never had it so good. Their client base has increased to proportions which can only be stated as horrendously large. There is a strategy for everything, a game plan for all, and a price to pay, if needed.
Do I lose out on my presence if I avoid such institutions ? Would it at all be of any use to me as I slide down hill somewhat rapidly. Nothing has been known to resurrect the dead and gone. So how would they account for me !!
I have always shied away from such embellishments ! Primarily because I do believe that other than the creative input, there really is no need to do any else. But I find in today’s times, equal if not more, efforts being made to endorse such feelings. And to my horror, finding out that they indeed did good. That sales and profile went up. That there was much talk on the presence than the content. This is sad and there must be a change, for greater talent and idea to come forth !
What does this do for those that believe that their work will do the talking. That no amount of publicity and selling shall have any influence on the final outcome. If the content and talent is good, good will happen !! If not, no amount of cajoling and prompting shall ever be registered.
In closing then there is a complimentary understanding for the offer of accepting the post of Professor Emeritus at the Symbiosis Institute. To share with them from time to time my own experiences and codes in the field of entertainment and other related, un related, curriculum. I shall accept. But do you think I should ?
The eyes begin to blur, the head dips dangerously off the chair, eyes and limbs are shutting off, but before they do, I must verify my status – do I possess any strengths at all. No .. none at all !! There has been an entire dependence on those that worked with me to take me through to the final path. They built it, I trod on it. Carefully albeit, but trod I did. And did I acquire anything prior or post. Hmm ..
And when they stopped, I stopped too. When they turned, I turned too. Not necessarily at the same speed or turn, but that is how, it has all happened. No drama, no complicated issues to solve, just a simple declaration of fact and then on ….
Good night dearest ones … you test my insomniac attributes !!
Amitabh Bachchan
लालू ने की चिड़ियाघर में पूजा, अब जांच होगी
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सारन (बिहार) के सांसद एवं पूर्व रेलमंत्री तो पूजा करने गए थे, पड़ गए जांच के फेरे में। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव द्वारा हथियारों से लैस सुरक्षाकर्मियों के साथ पटना चिड़ियाघर की यात्रा करने से एक नया विवाद खड़ा हो गया है और प्रशासन ने फॉरेस्ट रेंजर को इस पूरे मामले की जांच का आदेश दिया है।
चिड़ियाघर के निदेशक अभय कुमार के अनुसार फारेस्ट रेंजर शशिभूषण प्रसाद ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और एक सप्ताह के अंदर वह अपनी रिपोर्ट सौंप देंगे। इससे पहले लालू प्रसाद ने अत्याधुनिक हथियारों से लैस सुरक्षाकर्मियों के साथ बुधवार को चिड़ियाघर में स्थित मंदिर में पूजा अर्चना की थी। चिड़िया घर के सुरक्षाकर्मियों से भी स्पष्टीकरण मांगा जायेगा कि क्यों उन्होंने लालू प्रसाद के अंगरक्षकों को हथियारों के साथ प्रवेश करने की अनुमति दी। उल्लेखनीय है कि चिड़िया घर में हथियार ले जाने पर पाबंदी है।
सांसद मोनाजिर ने नीतीश को सराहा
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बेगूसराय के सांसद डा. मोनाजिर हसन ने मुंगेर में कहा कि लोकसभा चुनाव की भांति ही विधानसभा चुनाव में एनडीए का परचम लहरायेगा। नीजी स्वार्थ में सरकार का विरोध करने वालों को जनता समझ रही है। घर की बात को शीघ्र ही सुलझा लिया जायेगा। नीतीश शासनकाल में बिहार का मान देश ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर बढ़ा है। जो लोग बिहार व बिहारियों को हेय दृष्टि से देखते थे अब उनके नजरिये में बदलाव आया है। जदयू में कोई खींचतान नहीं है। सभी लोग एकजुट हैं और वह नीतीश के साथ हैं। कुछ लोग निजी स्वार्थो के चलते पार्टी व सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं, लेकिन इसका कोई मतलब नहीं है। समय आने पर सभी एकजुट हो जायेंगे। पांच साल के कार्यकाल में नीतीश कुमार ने मानो चमत्कार सा कर दिया है। हर तरफ सुशासन की प्रसंशा हो रही है। अन्य राज्यों के लोग बिहार को नजीर मान काम करने लगे हैं। गरीबों के लिए चलायी जा रही कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन्हें मिल रहा है। सांसद ने कहा कि बिचौलिये व भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई से अब आम आवाम राहत की सांस ले रही है। इस सब का असर आगामी विधानसभा चुनाव में पड़ेगा।
नीतीश सरकार पर बरसे शत्रुघ्न
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बिहार के भाजपा सांसद एवं अभिनेता शत्रुघ्न सिह्न अब बिना किसी लाग-लपेट अथवा दब्बूपने के अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त करने लगे हैं, जो चिकनी-चुपड़ी सियासी बातें करने वालों को नागवार गुजर रही हैं। पटना में उन्होंने नीतीश सरकार को आहिस्ते से झटका और नसीहत दोनों एक साथ दी। उन्हें दुख है कि बिहार सरकार उन्हें प्रोग्राम में नहीं बुलाती।
सांसद शत्रुघ्न अपनी बात रखते समय ये मुनव्वत नहीं बरतते की सामने वाला अपना है या पराया। बस यही उनकी राजनीतिक खराबी-अच्छाई दोनों कही जा सकती है। उन्होंने कहा कि उन्हें किसी भी कार्यक्रम में नहीं बुलाने की बिहार सरकार ने कसम खा ली है। उन्होंने बिहार की शान में इजाफा नहीं किया तो कोई आंच भी नहीं आने दी। बिहार में पिछली सरकारों के कार्यकाल में विकास कार्य नहीं होने की बात छोड़कर नीतीश सरकार को बिहार को विकसित राज्य की श्रेणी में लाने का प्रयास करना चाहिए। बीआईए सभागार में अमर शहीद मंगल पाण्डेय के 153वें बलिदान दिवस पर उन्होंने कहा कि देश और बिहार का नेतृत्व मंगल पाण्डेय जैसे व्यक्ति के हाथों में होना चाहिए। चंडीगढ़ की प्रति व्यक्ति आय 43 हजार रुपये है तो बिहार में प्रति व्यक्ति आठ हजार है। चंडीगढ़ की बराबरी में बिहार को 30 वर्ष लग जायेगा और उस समय चंडीगढ़ कहां पहुंच जायेगा, इस सवाल को ध्यान में रखते हुए बिहार के विकास की कोशिशें होनी चाहिए।
सांसदों ने दी शहीदों को अंतिम सलामी
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सांसद जयंत बोलेः संसद में गूंजेगा नक्सलवाद। मुरादाबाद में सपा के युवा सांसद अखिलेश यादव और बागपत में राष्ट्रीय लोकदल के युवा सांसद जयंत चौधरी नक्सलवादी हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। बागपत के सिरसली गांव में शहीद राकेश तोमर को श्रद्धांजलि देने पहुंचे मथुरा सांसद जयंत ने कहा कि यह नक्सलवाद नहीं, आतंकवाद है। नक्सलवादियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। उन्होंने केंद्र पर सवाल दागा कि इनके पास जो हथियार हैं, वे कहां से आ रहे हैं? क्या कभी इसकी जांच करायी है। नक्सलवादियों के पास पैसा कहां से आ रहा है? हथियार कहां से आते हैं? इसकी जांच खुफिया एजेंसी नहीं कर पायी है। किसानों के बेटे देश की रक्षा के लिए सेना व पुलिस में भर्ती होते हैं, लेकिन बिना तैयारी के केन्द्र सरकार ने ग्रीन हंट आपरेशन चलाकर किसानों के बेटों को बलि पर चढ़ा दिया। ये नक्सली हमला सबसे बड़ा हमला है। केन्द्र सरकार पूरी तरह से इनको रोकने में विफल है। जिसका बेटा शहीद होता है, दर्द वही जानता है। एसी में रहने वाले नेताओं को इनका दर्द कहां दिखता है। उन्होंने कहा कि संसद सत्र के आरंभ में ही छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में 75 शहीदों का मामला उठाया जायेगा। इसमे सबसे बड़ी चूक केन्द्र सरकार की है। नक्सलवाद के चक्कर में गरीबों को सताया जा रहा है। असली नक्सलवादियों को तो सरकार पकड़ ही नहीं रही है, क्योंकि उन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है।
अब तो कदम-कदम पर ठन जा रही कांग्रेस-बसपा में
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यूपी में अब तो कदम-कदम पर कांग्रेस और बसपा में ठन जा रही है। ऐसी तल्खी कभी सपा-बसपा के बीच हुआ करती थी। जिला लखीमपुर खीरी के विकास भवन में सतर्कता एवं अनुश्रवण समिति की बैठक में केन्द्रीय मंत्री जितिन प्रसाद और सांसद जफर अली नकवी के कुछ विलम्ब से पहुंचने पर बसपा नेताओं ने बैठक ही स्थगित कराने की कोशिश की। इस हो-हल्ले के बीच बाकी लोग भी बसपाइयों के सुर में सुर मिलाने लगे। पत्रकार इस बात से नाराज थे कि नोकझोंक के दौरान उन्हें सभागार से बाहर कर दिया गया। बसपा नेताओं ने बैठक स्थगित करने की मांग की। हालांकि जितिन प्रसाद के पहुंचते ही बैठक शुरू हो गई, लेकिन बसपा नेता भला कहां चूकने वाले थे, शुरूआत से ही बैठक में नोकझोंक शुरू हो गई। जितिन प्रसाद ने अर्से से बैठक आहूत न किये जाने पर नाराजगी जताते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब-तलब किया। बैठक में सांसद नकवी के अलावा एमएलसी जुगुल किशोर, विधायक राजेश गौतम आदि भी मौजूद रहे। जितिन प्रसाद ने कहा विकास कार्यो का लाभ पात्रों तक पहुंचाना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। एमएलसी जुगुल किशोर व प्रमुख महेन्द्र सिंह ने कहा मनरेगा में जो विसंगतियां हैं उन्हें केन्द्र सरकार दूर करें। विधायक राजेश गौतम ने कहा इंदिरा आवास के लिए जो धनराशि वर्तमान में है वह नाकाफी है।
Thursday, April 8, 2010
पांच सांसद चले गांव की ओर!
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सांसद ज्योति मिर्धा,
सांसद नीरज शेखर,
सांसद मधु यास्की,
सांसद जय पांड्या
और सांसद एरिंग।
कांग्रेस, भाजपा आदि के ये सांसद सांसद पिछले दिनो आंगनबाडियों का जायजा लेने पहुंच गए राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में। इन्होंने केंद्र का निरीक्षण शुरू किया तो कहीं रोग कोई और, दवा किसी और मर्ज की थमा दी गई। कहीं पहले से कनात, बाजा-गाजा। अजब नजारे थे।
राजस्थान में बांसवाड़ा मध्यप्रदेश सीमा से सटा है। युवा सांसदों के दल ने यहां के संगेसरी और जसवंतपुरा आंगनबाड़ी केंद्रों का जायजा लिया। इस दौरान नागौर की सांसद ज्योति मिर्धा ने केंद्र में कार्यरत कार्मिक से पेट में कीड़ों से छुटकारे की दवा मांगी तो उन्हें कोई और दवा दे दी गई। इस पर मिर्धा ने उसको सही दवा के बारे में आगाह किया। साथ ही ये भी कहा कि आगे से ऎसा न करना। निरीक्षण कार्यक्रम पूरी तरह गोपनीय रखा गया था, लेकिन जहां भ्रष्टाचार की वैतरिणी बह रही हो, वहां कोई बात छुपने से रही। पहुंचने के पहले से इंतजामात चकाचक थे। दीवारों पर खूब रंग-रोगन हो चुका था। तंबू-कनात, गाजे-बाजे और अगवानी की भी भरपूर व्यवस्था पर सांसदों की भृकुटियां तन गईं। खैर, ढेर सारी दवाओं के ढेर सुस्ताते पाए गए। पूछा गया कि बांटी क्यों नहीं गईं तो कोई जवाब नहीं। सांसदों ने केंद्रों पर पोषाहार "इंडिया मिक्स" का जायका लिया, चखा। वितरित करने के तरीके के बारे में पूछा। सांसद जय पांड्या ने मीनू चार्ट में बच्चों को "उपमा" बांटने पर तलब कर लिया।
हेमा मालिनी भी गडकरी की बैठक में नहीं पहुंचीं
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भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की आज मैराथन बैठक में अंत न तो सांसद एवं उपाध्यक्ष विनय कटियार, न ही हेमा मालिनी आईं। बताया गया कि दोनों के न आने वजह व्यक्तिगत रही। अगली बैठक पटना में होगी। गडकरी ने विपक्ष की नेता सांसद सुषमा स्वराज, सांसद अरूण जेटली को संसदीय दायित्वों के प्रति आगाह किया।
पार्टी की नई टीम की पहली बैठक में संगठनात्मक विस्तार पर जोर देते हुए पार्टी जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों को महीने में कम से कम आठ दिन अपने क्षेत्र में रहने का निर्देश देते हुए गडकरी ने आने वाले दिनों का कार्यक्रम प्रस्तुत किया। भाजपा महासचिव एवं सांसद अनंत कुमार ने बताया कि इसमें हर प्रदेश में संगठनात्मक, राजनीतिक और चुनावी योजना तैयार कर उस पर अमल किया जाना जरूरी है। सभी जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों से महीने में कम से कम आठ दिन अपने क्षेत्र में बिताने और बूथ स्तर तक लोगों को पार्टी से जो़डने तथा संगठनात्मक विस्तार पर ध्यान देने को कहा गया। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में केंद्र स्तर, राज्य स्तर, जिला स्तर और तहसील स्तर पर प्रशिक्षण वर्ग आयोजित करने की रूपरेखा पेश की गई, जिसमें कार्यकर्ताओं एवं लोगों को पार्टी के विचारात्मक एवं विषयात्मक पहलुओं एवं नई संचार तकनीक से अवगत कराने पर जोर दिया जाएगा। बैठक में 60 में से 58 पदाधिकारी मौजूद थे। विनय कटियार और हेमा मालिनी कुछ आवश्यक निजी कारणों से इसमें शामिल नहीं हुए। गडकरी ने सुषमा और जेटली को परमाणु दायित्व विधेयक एवं विदेशी शिक्षा प्रदाता विधेयक पर सदन में अन्य दलों से समन्वय बनाते हुए राष्ट्रहित में उचित रणनीति और कदम उठाने को कहा। देश में बढती नक्सली हिंसा, खाद्य पदार्थो की कीमतों में वृदि्ध, कानून एवं व्यवस्था की स्थिति, महिला आरक्षण विधेयक, परमाणु दायित्व विधेयक, सरकार के आम बजट में कटौती प्रस्ताव, पाटह्वीü के संगठनात्मक ढांचा और भविष्य की रणनीति के बारे में चर्चा की। बैठक में उस प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया जिसमें छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों पर बर्बर अमानवीय और राष्ट्र विरोधी माओवादी हमले की घोर निंदा की गई थी। पटना बैठक की तिथि अभी तय नहीं की गई है, लेकिन यह मई के आखिरी या जून के पहले हफ्ते में होगी। पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी द्वारा आज यहां बुलाई गई पदाधिकारियो की नई टीम की बैठक में यह तय किया गया। बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसे देखते हुए पटना में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बिहार में इस समय जदयू के नीतीश कुमार के नेतृत्व में भाजपा के सहयोग से सरकार चल रही है। भाजपा के सुशील कुमार मोदी वहां के उप मुख्यमंत्री हैं।
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