Thursday, March 25, 2010

संसद के भीतर-बाहर की तैयारी में माकपा, कांग्रेस और भाजपा




माकपा पोलित ब्यूरो बना रहा गैरभाजपा-गैरकांग्रेस विपक्ष को एकजुट करने की रणीति

(सांसदजी डॉट कॉम से sansadji.com)


आने वाले दिनों के लिए सभी पार्टियां इन दिनों अपनी-अपनी संसदीय तैयारियों में व्यस्त हैं। ये तैयारियां 15 अप्रैल से शुरू होने वाले शेष बजट सत्र को ध्यान में रखते हुए बनाई जा रही हैं। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस को इस बात के संकेत पहले से हैं कि विपक्ष उसे किस-किस मसले पर घेरने वाला है। उधर, माकपा की दो दिवसीय बैठक में संसद के बाहर-भीतर की रणनीति पर चर्चा प्रारंभ हो चुकी है। परमाणु दायित्व, महिला आरक्षण, शिक्षा क्षेत्र के विधेयक, देश के राजनीतिक घटनाक्रम पर मा‌कपा नेता चर्चा कर रहे हैं। पार्टी पोलित ब्यूरो की दो दिवसीय बैठक सुबह शुरू हुई। पिछले तीन महीने के राजनीतिक घटनाक्रम पर प्रमुखता से चर्चा हो रही है। पता चला है कि इस बैठक में महंगाई और माओवादी हिंसा पर चर्चा के साथ ही महिला आरक्षण विधेयक, परमाणु दायित्व विधेयक और शिक्षा क्षेत्र के कुछ विधेयकों पर भी प्रमुखता से बातचीत होनी है। पार्टी का मानना है कि महंगाई से आम आदमी त्रस्त है और संप्रग सरकार ने जनता को इस संकट से निजात दिलाने के लिए कोई उपाय नहीं किया है। अमेरिकी दबाव में और वहां की कंपनियों को फायदा पहुंचाने की नीयत से यह सरकार परमाणु दायित्व विधेयक पारित कराना चाहती है, जिसका पूरी तरह विरोध करने की इस बैठक में रणनीति बनाई जा रही है। माकपा का मानना है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कैबिनेट के कुछ मंत्री माओवादियों को संरक्षण दे रहे हैं और तृणमूल कार्यकर्ता तथा माओवादी मिलकर माकपा कार्यकर्ताओंकी हत्या कर रहे हैं। इस बैठक में साल के अंत में होने जा रहे बिहार के विधानसभा चुनाव पर भी बातचीत होने की उम्मीद है। पोलित ब्यूरो अपनी इस बैठक में संसद के भीतर और बाहर कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन को दरकिनार करने के लिए गैर भाजपाई दलों को एकजुट करने की रणनीति को भी अंतिम रूप देने वाला है, साथ ही पार्टी संगठन में सुधार को लेकर छेडे़ गए अभियान की प्रगति की भी समीक्षा की होनी है। उधर, राज्यसभा में विपक्ष के नेता सांसद अरुण जेटली पांच अप्रैल को कानपुर में महंगाई का अर्थशास्त्र बताएंगे। भाजपा नेता मर्चेट्स चेंबर सभागार में वह व्यापारियों, अधिवक्ताओं, शिक्षकों व अन्य बुद्धिजीवियों को बतायेंगे कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में किस प्रबंधन के तहत महंगाई काबू में थी। गैस सिलेंडर, केरोसीन आदि आम आदमी के इस्तेमाल की जरूरतों की चीजें आसानी से मिल रही थीं। पता चला है कि इससे ज्यादा वृहद स्तर पर कांग्रेस तैयारी में जुटी हुई है। भाजपा के आला रणनीतिकार भी संसद में अपने मुकाबले की योजनाएं बनाने में व्यस्त हैं। इस बीच सूत्रों से ये भी पता चला है कि लगभग सभी प्रमुख पार्टियां, जिन्हें संसद में अपनी-अपनी जवाबदेही की चिंता परेशान किए हुए हैं, तथ्य संकलन में सामाजिक क्षेत्रों से जुड़े एनजीओ से भी मदद ले रहे हैं।

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