Saturday, March 27, 2010

सांसद अमर सिंह के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका



(sansadji.com)

राज्य सभा सांसद एवं समाजवादी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव अमर सिंह के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की विवेचना केंद्र के प्रवर्तन निदेशालय विभाग द्वारा जाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गयी है। कानपुर के शिवाकांत त्रिपाठी द्वारा दाखिल इस याचिका में यह भी मांग की गयी है कि आर्थिक अपराध अनुसंधान व प्रवर्तन विभाग की विवेचना की प्रगति रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की जाये। इस मामले में शासकीय अधिवक्ता कार्यालय को नोटिस मिल चुका है। सुनवाई मंगलवार को हो सकती है। उल्लेखनीय है कि अमर सिंह के विरुद्ध कानपुर जिले के बाबू पुरवा थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 471, 120बी व धारा 7,8,9,10,13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम व मनीलांड्रिंग एक्ट की धारा 3/4 के तहत रिपोर्ट दर्ज है। कानपुर के सामाजिक कार्यकर्ता शिवाकांत त्रिपाठी ने रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि उत्तर प्रदेश विकास परिषद के अध्यक्ष पद पर तैनाती के दौरान अमर सिंह ने कूट रचित दस्तावेजों को गलत तरीके से प्रयोग कर स्वयं के हित में करोड़ों रुपये का धनार्जन किया है। उल्लेखनीय है कि अमर सिंह की याचिका पर पूर्व में ही न्यायालय दो अप्रैल तक के लिए गिरफ्तारी पर रोक लगा चुका है। इस प्रकरण की विवेचना आर्थिक अपराध अनुसंधान द्वारा की जा रही है। एक ओर जहां सांसद अमर सिंह कानूनी तनावों से गुजर रहे हैं, दूसरी तरफ सपा के खिलाफ उनकी लामबंदी थमने का नाम नहीं ले रही है। अब तो उनका आत्मविश्वास यहां तक बढ़ चुका है कि वह कहने लगे हैं, सन 2012 के चुनावों तक वह सपा को मिटाकर ही सांस लेंगे। अभी कुछ-एक दिन पूर्व जौनपुर के गांव जमालपुर में पूर्वांचल स्वाभिमान सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि वह आगामी 2012 के चुनाव में सपा का मटियामेट करने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे। राष्ट्रीय पार्टी होने के बावजूद यह परिवार की ही पार्टी बनकर रह गई है। उन्होंने अपने ऊपर लगाए छह करोड़ रूपए के गबन के आरोपों के बारे में कहा कि सपा प्रमुख को वे सब बता देंगे। उन्होंने कभी भी एक पैसे का गबन नहीं किया है। चौदह वर्ष के दौरान उन्होंने सपा प्रमुख को साइकिल से हवाई जहाज की यात्राएं कराई हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल का जितना विकास होना चाहिए था, उतना नहीं हुआ। वे अलग पूर्वांचल राज्य बनाने के लिए अंतिम सांस तक लड़ते रहेंगे। उन्होंने बुंदेलखण्ड, हरितप्रदेश एवं तेलंगाना को अलग राज्य बनाने का समर्थन किया और कहा कि छोटे राज्यों के बनने से वहां का विकास तेजी से होता है।

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