Friday, September 4, 2009

शशि शेखर, मीडिया और चापलूसियाना चटोरपन


हिंदुस्तान में जिसको नौकरी चाहिए..... लिख रहा है-
मृणाल पांडेय में तमाम कमियां थीं. शोभना भरतिया और उनका कैबिनेट बड़ा बेसऊर है. शशि शेखर महान हैं. पत्रकारिता के दैदिप्यमान नक्षत्र हैं.

बड़े-बड़े नसीहतबाज जी जान से जुटे हुए हैं.

जैसे-
उष्ट्राणाम् विवाहेषु गीतम् गायंति गर्दभाः
परस्परम् प्रशंसति, अहो रूपम्, अहो ध्वनिः।

इस गर्दभ गान में कई तरह की रेंकनी बज रही है. ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी संपादक ने अखबार की नौकरी बदली और ऐसा चापलूसियाना और बेमतलब का तूफान मचाया गया हो.

धारावाहिक यह बेमिसाल टुच्चई पढ़ने-सुनने वाले दांतों तले अंगुलियां दबा रहे हैं. अंग्रेजी अखबारों के संपादक इसे छिछोड़ापन कह रहे हैं. हिंदी न्यूज पेपर्स के सुलझे पत्रकार इस पर खूब मजा ले रहे हैं.