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भाजपा से निष्कासित नेता जसवंत सिंह ने आज स्वीकार किया कि उन्हें भाजपा की याद सताती रहती है और वह उससे उबर नहीं पाए हैं।सिंह ने सीएनएन आईबीएन को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘मैंने :भाजपा में: 32 साल गुजारे। कैसे मैं इसे अपने खून से निकालूं? लेकिन मैं :पार्टी: मंच को मिस करता हूं।’’ दार्जिलिंग से सांसद का यह बयान ऐसे समय आया है जब भाजपा संसदीय दल के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी से उनके रिश्तों में सुधार की खबरें हैं।पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत की अंत्येष्टि में शरीक होने जब वह जयपुर जा रहे थे, तो उसी विमान में आडवाणी भी थे।जसवंत की इस टिप्पणी से भाजपा में उनकी वापसी को लेकर कयास आराई का सिलसिला शुरू हो गया।बहरहाल, भाजपा प्रवक्ता राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा कि जसवंत की पार्टी में वापसी की कोई चर्चा नहीं है।रूडी ने कहा, ‘‘उनकी भारतीय जनता पार्टी में पारी बड़ी लंबी रही है। लेकिन अब तक मैं ऐसी किसी बातचीत से अवगत नहीं हूं।’’ सिंह को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के साथ भाजपा के सबसे कद्दावर नेताओं में से एक के तौर पर देखा जाता था। सिंह को गत वर्ष शिमला में पार्टी की चिंतन बैठक में आमंत्रित किये जाने के बाद निष्कासित कर दिया गया।सिंह इस बैठक में भाग लेने शिमला पहुंचे, तभी उन्हें सूचना मिली कि पार्टी के संसद बोर्ड ने उन्हें मोहम्मद अली जिन्ना पर लिखी उनकी पुस्तक के लिये निष्कासित करने का फैसला किया है।पुस्तक में सिंह ने पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना को एक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति करार दिया था।