Friday, August 20, 2010

सांसदों का वेतन तीन गुना बढ़ाकर 50,000 रुपए


केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को सांसदों के वेतन मौजूदा 16,000 रुपए प्रतिमाह से तीन गुना बढ़ाकर 50,000 रुपए करने को मंजूरी दे दी लेकिन इसे अपर्याप्त बताते हुए विभिन्न पार्टियों के सांसदों ने हंगामा करके लोकसभा की कार्यवाही में बाधा पैदा की।
समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जनता दल (युनाइटेड) तथा अन्य दलों के सांसदों ने कम वेतन वृद्धि का विरोध किया और मंत्रिमंडल द्वारा प्रस्तावित वेतन वृद्धि को वापस लेने की मांग की।
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने विरोध की शुरुआत की। उन्होंने सांसदों को सचिव के वेतन से एक रुपए अधिक 80,001 रुपए प्रतिमाह वेतन देने की मांग की।
सांसद 'हमारा वेतन वापस लो, वापस लो, वापस लो' के नारे लगाते हुए लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के आसन के समीप खड़े हो गए। लालू प्रसाद ने आरोप लगाया कि कम वेतन बढ़ाकर सरकार ने सांसदों का अपमान किया है।
मीरा कुमार ने जब लालू प्रसाद से अपनी सीट पर बैठने और प्रश्नकाल को ठीक ढंग से चलने देने को कहा तो प्रसाद ने जवाब दियाकि संसदीय समिति ने वेतन 80,001 रुपए करने की सिफारिश की थी। यह अपमान है। हम इस पर शांत कैसे बैठ सकते हैं।
अध्यक्ष ने बार-बार आग्रह किया कि इस मुद्दे को शून्यकाल के दौरान उठाया जाए लेकिन हंगामा करने वालों ने उसे अनसुना कर दिया। इसके बाद मीरा कुमार ने सदन की कार्रवाई स्थगित कर दी।
सांसदों का वेतन इस समय 16,000 रुपए प्रतिमाह है। संसदीय समिति ने उनका वेतन 80,001 रुपए प्रतिमाह करने की सिफारिश की थी। इसके विपरीत संसदीय कार्य मंत्रालय ने सांसदों का वेतन 50,000 रुपए प्रतिमाह करने का सुझाव दिया।
संसदीय समिति का कहना था कि सांसदों को सचिव के वेतन से कम से कम एक रुपए अधिक वेतन मिलना चाहिए। वेतन के अलावा सांसदों को संसद या संसदीय कार्यवाहियों में हिस्सा लेने पर हर रोज 1,000 रुपए दैनिक भत्ता मिलता है। सांसदों को प्रतिमाह 20,000 रुपए संसदीय क्षेत्र भत्ता और 20,000 रुपए कार्यालय भत्ता भी मिलता है।

Thursday, August 19, 2010

ममता बनर्जी के बयान पर राज्यसभा में हंगामा


नक्सली नेता चेरुकुरी राजकुमार उर्फ आजाद के एक मुठभेड़ में मारे जाने से जुड़े रेल मंत्री ममता बनर्जी के बयान पर गुरुवार को राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ। सदन में शून्य काल के दौरान वाम दलों के सदस्यों ने यह मसला उठाया। मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी ने इस मामले पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा। येचुरी ने कहा, प्रश्न काल के दौरान प्रधानमंत्री सदन में मौजूद थे और उनसे हमने शून्य काल तक सदन में रुकने के लिए कहा था लेकिन वह चले गए। उन्हें इस समय सदन में मौजूद होना चाहिए थे। प्रधानमंत्री खुद कह चुके हैं कि नक्सली देश की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। अब उनके मंत्रिमंडल की एक सदस्य नक्सलियों को संरक्षण दे रही हैं। इस पर संसदीय कार्य राज्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, सारी बातें मीडिया में कही जा रही हैं। जमीनी स्तर पर ऐसा कुछ नहीं है। इसलिए हम मीडिया रिपोर्टो के आधार कोई कदम नहीं उठा सकते। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि उन्होंने ममता को टेलीविजन पर बोलते हुए देखा है। इस पर तृणमूल कांग्रेस के मुकुल रॉय और दिनेश त्रिवेदी ने आपत्ति जताई। बाद में इन दोनों से कहा गया कि वे लोकसभा के सदस्य और मंत्री भी हैं लिहाजा यहां टोकाटाकी नहीं कर सकते। आजाद के संदर्भ में दिए अपने बयान पर बुधवार को ममता ने अडिग रहने की बात कही। बीते नौ अगस्त को लालगढ़ में एक सभा में उन्होंने कहा था कि आजाद की एक सुनियोजित मुठभेड़ में हत्या की गई है।

Wednesday, August 18, 2010

कांग्रेस, बीजेपी और बीएसपी की एक साल की कमाई 8 अरब रुपये

लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस, विपक्षी पार्टी बीजेपी और उत्तर प्रदेश में शासन कर रही बीएसपी की एक साल की कमाई के आगे भारत पर वर्षों राज करने वाली ब्रिटेन की तीन प्रमुख पार्टियां कहीं भी नहीं टिकती हैं। भले ही ब्रिटेन का जीडीपी (सकल घरेलू उत्‍पाद) भारत से दोगुना है, वहां का हर नागरिक औसतन एक भारतीय से 30 गुना ज़्यादा कमाता है, लेकिन भारत की तीन प्रमुख सियासी पार्टियों की आमदनी ब्रिटेन की तीन प्रमुख पार्टियों की तुलना में 150 गुना से भी ज़्यादा है। वित्त वर्ष 2008-09 में कांग्रेस, बीजेपी और बीएसपी की साझा आमदनी करीब 786.62 करोड़ रुपये (करीब 8 अरब रुपये) रही, जबकि ब्रिटेन की तीन प्रमुख राजनीतिक पार्टियों- लेबर, कंजर्वेटिव और लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी - ने वित्त वर्ष 2009-10 में महज करीब साढ़े पांच करोड़ रुपये (पाउंड स्टर्लिंग की आज की दर के आधार पर) जुटाए। भारत के राजनीतिक दलों की माली हैसियत सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत डाली गई एक अर्जी के जरिए सामने आई है, जबकि ब्रिटिश राजनीतिक पार्टियों की कमाई का ठोस अनुमान वहां के चुनाव आयोग ने लगाया है। भारत में 702 राजनीतिक पार्टियां रजिस्टर्ड हैं। इनमें छह पार्टियां राष्ट्रीय हैं। वहीं, ब्रिटेन में 341 राजनीतिक पार्टियां रजिस्टर्ड हैं। ब्रिटेन में चुनाव कराने वाली संस्था 'द इलेक्टोरल कमिशन' की साइट पर मौजूद सूचना के मुताबिक लेबर पार्टी, कंजर्वेटिव पार्टी और लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी ने पिछले साल आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया है। लेकिन कमिशन के अंदाज के मुताबिक ये तीनों पार्टियां करीब पौने दो करोड़ रुपये सालाना की आमदनी से ज़्यादा का रिटर्न दाखिल करेंगी। अगर वास्‍तविक आंकड़ा थोड़ा ज़्यादा भी हो, तो भी उनकी आमदनी भारत की तीन सबसे अमीर पार्टियों की सालाना आमदनी के आगे कहीं भी नहीं टिकने वाली होगी है। गौरतलब है कि ब्रिटेन दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जबकि भारत को दुनिया की 11 वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था माना जाता है। दोनों देशों में प्रति व्यक्ति आय और जीडीपी के आंकड़े में बड़ा अंतर है। भारत में लोग बेहद गरीब हैं, लेकिन यहां की राजनीतिक पार्टियों के पास अगाध पैसा है।

Tuesday, August 17, 2010

सांसदों के वेतन और भत्तों में वृद्धि नहीं होने से लालू नाराज


मंगलवार को लोकसभा में लालू यादव और समाजवादी पार्टी नेता मुलायम सिंह ने शून्यकाल में सांसदों के वेतन और भत्तों का मामला उठाया। सांसद लालू प्रसाद यादव वेतन वृद्धि नहीं होने से खासे नाराज हैं। उन्‍होंने सांसदों की तनख्‍वाह 300 फीसदी बढ़ाने वाले प्रस्‍ताव का विरोध करने वाले कैबिनेट मंत्रियों को आड़े हाथों लिया। बीजेपी के अलावा सभी दलों के सांसदों ने उनका साथ दिया। हंगामे के बाद सदन की कार्रवाई स्थगित करना पड़ी। सोमवार को इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए कैबिनेट की बैठक हुई, लेकिन सभी मंत्री इस पर सहमत नहीं हुए। इसके बाद निर्णय को फिलहाल टाल दिय़ा गया। राष्‍ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू ने इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि जो मंत्री इसका विरोध कर रहे हैं वे करोड़पति और अरबपति हैं और आम सांसदों का दर्द नहीं समझते। कैबिनेट के जो सदस्य इस प्रस्तावित बढ़ोतरी से सहमत नहीं हैं, उनमें गृह मंत्री पी चिदंबरम और सुरक्षा मंत्री एके एंटनी, सूचना-प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी, प्रवासी मामलों के मंत्री वायलार रवि शामिल हैं, जबकि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल इसके पक्ष में हैं। जिन मंत्रियों ने प्रस्ताव का विरोध किया उनका मानना है कि वेतन बढ़ोतरी के लिए यह सही समय नहीं है। अभी सभी ओर कॉमनवेल्थ खेलों में हुए भ्रष्टाचार की चर्चा है और आम जनता तेल के दामों में बढ़ोतरी से भी खुश नहीं हैं। इसके अलावा महंगाई से भी जनता परेशान है और अभी वेतन बढ़ाने का संदेश अच्छा नहीं जाएगा। प्रस्‍तावित वेतन वृद्धि से सरकारी खजाने पर 142 करोड़ रुपए का अतिरिक्‍त बोझ पड़ेगा। सांसदों को 16,000 रुपए मूल मासिक वेतन मिलता है। इसे 50,000 रुपए करना प्रस्तावित है। सांसदों को इसके अलावा संसद के सत्र के दौरान हर दिन 1,000 रुपए का विशेष भत्ता मिलता है। इसके अलावा उन्हें 20,000 रुपए संसदीय क्षेत्र भत्ता के रूप में भी दिए जाते हैं। दिल्‍ली में निवास, हवाई व रेल यात्रा, बिजली, फोन आदि की सुविधा भी दी जाती है।वित्त मंत्री ने कहा प्रस्ताव विचाराधीनवित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने राज्यसभा में बताया कि सरकार को सांसदों का वेतन बढ़ाने संबंधी समिति की रिपोर्ट मिल गई है। इस पर विचार के बाद इसे पंद्रहवीं लोकसभा के गठन के दिन से लागू किया जाएगा।