Wednesday, January 20, 2010

उत्तर प्रदेश में धरतीपुत्र का चरखा दांव

इसे मायावती सरकार को मुलायम सिंह यादव की खुली चुनौती कहें या उत्तर प्रदेश में सन 2012 के विधानसभा चुनाव में अपने हिस्से की धरती की धरतीपुत्र की तलाश, जिसे पहले बसपा, फिर भाजपा, फिर कांग्रेस और अब अमर सिंह की जमात ने बंजर बनाने की कोशिश की है। जमीनी हकीकत ये है कि उत्तर प्रदेश की जनता मायाराज में भ्रष्टाचार को लेकर जितनी विचलित है, केंद्र सरकार द्वारा थोपी महंगाई को लेकर उससे ज्यादा बेचैन। मुलायम सिंह की लड़ाई इसी तरह जारी रही तो, निकट भविष्य में, यानी आगामी विधानसभा चुनाव तक सपा सत्ताधारी बसपा को राजनीतिक त्रिकोण में उलझा सकती है। त्रिकोण हो सकता है सपा, बसपा और कांग्रेस का। पार्टी को एक बार फिर मुंबइया आसमान से धरती पर उतारने में धरती पुत्र को पहले से ज्यादा रणनीतिक तरीके से चरखा दांव मारने होंगे क्यों कि पार्टी-पदों से दरकिनार होते ही स्वास्थ्य की दुहाई देने वाले अमर सिंह की सेहत में अचानक गुणात्मक उछाल आ गया है।
शेष......
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Monday, January 18, 2010

हैकिंगः मीडिया की खबरों को पीएमओ ऑफिस ने नकारा

नई दिल्ली! प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने उन खबरों को नकार दिया है, जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्र सरकार के विभागों के कंप्यूटर हैक कर लिए गए हैं। पीएमओ में एक अधिकारी ने कहा कि एक निजी समाचार चैनल पर प्रसारित खबर कि चीन से हैकरों ने पीएमओ के कंप्यूटर हैक किए, निराधार है। पीएमओ में मीडिया सलाहकार हरीश खरे का कहना है कि हैकर्स इस तरह की कोशिश करते रहते हैं, लेकिन हमारे सुरक्षा तंत्र मजबूत हैं। हमारे सुरक्षा तंत्र में कोई घुसपैठ नहीं हुई है और यह पूरी तरह सुरक्षित हैं। दूसरी तरफ महत्वपूर्ण सरकारी वेबसाइटों की हैकिंग की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने अनेक वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा ब्लैकबेरी के इस्तेमाल के प्रति सरकार को आगाह किया है। यह चेतावनी उन अधिकारियों को लेकर है, जो प्रधानमंत्री कार्यालय तथा अन्य महत्वपूर्ण मंत्रालयों में हैं और ईमेल आदि के लिए ब्लैकबेरी फोन का इस्तेमाल करते हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने सरकारी या आधिकारिक कंप्यूटरों तथा लैपटॉप को यूँ ही किसी इंटरनेट कनेक्शन से जोड़ देने की प्रवृत्ति को भी खतरनाक तथा सुरक्षा से समझौता करने वाला बताया है। मुख्यत: चीन के हैकरों की कंप्यूटर के सुरक्षित गढ़ में सेंधमारी की बढती घटनाओं को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने विशेषकर रक्षा, विदेश, गृह तथा प्रधानमंत्री कार्यालय जैसे सभी महत्वपूर्ण मंत्रालयों से कहा है कि वे अपने आधिकारिक कंप्यूटरों को उन कंप्यूटरों से अलग रखें जो इंटरनेट से जुड़े हैं। वैसे केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की इस सलाह पर गौर किया गया हो ऐसा नहीं लगता। एक अधिकारी ने कहा कि उनका सुझाव केवल सलाह है। राष्ट्रीय तकनीकी एवं अनुसंधान संगठन ने भी हैकरों की बढ़ती हलचल को ध्यान में रखते हुए परामर्श जारी किया है। एक फौरी जाँच में पाया गया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय के कुछ अधिकारी ब्लैकबेरी सेवा का इस्तेमाल कर रहे हैं और उन्होंने अपने आधिकारिक ई-मेल को हैंडसेट से जोड़ रखा है, जिसकी अनुमति नहीं दी जाती। वहीं प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारी का कहना है कि हैकर विभिन्न प्रणालियों को निशाना बनाता रहते हैं। इस तरह के हमलों से बचाव के लिए पीएमओ का अपनी प्रणाली है। साथ ही उन्होंने साफ किया कि सुरक्षा में किसी तरह की चूक नहीं हुई है। यहाँ उल्लेखनीय है कि भारत में ब्लैकबेरी सेवाओं की शुरुआती की अनुमति देने को लेकर काफी लंबी बहस चली थी। सुरक्षा एजेंसियों इस सेवा को अनुमति देने के खिलाफ थी। एजेंसियों ने सरकारी या आधिकारिक कंप्यूटरों और लैपटॉप को यूं ही किसी इंटरनेट कनेक्शन से जोड़ देने की प्रवृत्ति को भी खतरनाक तथा सुरक्षा से समझौता करने वाला बताया है। राष्ट्रीय तकनीकी एवं अनुसंधान संगठन (एनटीआरओ) ने भी हैकरों की बढ़ती हलचल को ध्यान में रखते हुए परामर्श जारी किया है। उधर अपने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में बंबई हाईकोर्ट ने सोशल नेटवर्किंग साइट पर प्रोफाइल संबंधी व्यक्तिगत सूचनाओं को सबूत के तौर पर मानने का आदेश दिया है। हालांकि निचली अदालत पहले ही इसे सबूत के तौर पर इस्तेमाल करने का आदेश दिया था। अगर आप किसी सोशल नेटवर्किंग साइट का इस्तेमाल करते हैं और अपने प्रोफाइल में ऐसी जानकारी देते हैं जो आपकी वास्तविक जानकारी से मेल नहीं खाती है तो सावधान हो जाइये. भारतीय अदालतों की नजर अब आप पर है और किसी नेटवर्किंग साइट पर आप जो जानकारी मुहैया कराते हैं अदालत उसे असली जानकारी मान सकती है.

हैकिंगः मीडिया की खबरों को पीएमओ ऑफिस ने नकारा

नई दिल्ली! प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने उन खबरों को नकार दिया है, जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्र सरकार के विभागों के कंप्यूटर हैक कर लिए गए हैं। पीएमओ में एक अधिकारी ने कहा कि एक निजी समाचार चैनल पर प्रसारित खबर कि चीन से हैकरों ने पीएमओ के कंप्यूटर हैक किए, निराधार है। पीएमओ में मीडिया सलाहकार हरीश खरे का कहना है कि हैकर्स इस तरह की कोशिश करते रहते हैं, लेकिन हमारे सुरक्षा तंत्र मजबूत हैं। हमारे सुरक्षा तंत्र में कोई घुसपैठ नहीं हुई है और यह पूरी तरह सुरक्षित हैं। दूसरी तरफ महत्वपूर्ण सरकारी वेबसाइटों की हैकिंग की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने अनेक वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा ब्लैकबेरी के इस्तेमाल के प्रति सरकार को आगाह किया है। यह चेतावनी उन अधिकारियों को लेकर है, जो प्रधानमंत्री कार्यालय तथा अन्य महत्वपूर्ण मंत्रालयों में हैं और ईमेल आदि के लिए ब्लैकबेरी फोन का इस्तेमाल करते हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने सरकारी या आधिकारिक कंप्यूटरों तथा लैपटॉप को यूँ ही किसी इंटरनेट कनेक्शन से जोड़ देने की प्रवृत्ति को भी खतरनाक तथा सुरक्षा से समझौता करने वाला बताया है। मुख्यत: चीन के हैकरों की कंप्यूटर के सुरक्षित गढ़ में सेंधमारी की बढती घटनाओं को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने विशेषकर रक्षा, विदेश, गृह तथा प्रधानमंत्री कार्यालय जैसे सभी महत्वपूर्ण मंत्रालयों से कहा है कि वे अपने आधिकारिक कंप्यूटरों को उन कंप्यूटरों से अलग रखें जो इंटरनेट से जुड़े हैं। वैसे केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की इस सलाह पर गौर किया गया हो ऐसा नहीं लगता। एक अधिकारी ने कहा कि उनका सुझाव केवल सलाह है। राष्ट्रीय तकनीकी एवं अनुसंधान संगठन ने भी हैकरों की बढ़ती हलचल को ध्यान में रखते हुए परामर्श जारी किया है। एक फौरी जाँच में पाया गया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय के कुछ अधिकारी ब्लैकबेरी सेवा का इस्तेमाल कर रहे हैं और उन्होंने अपने आधिकारिक ई-मेल को हैंडसेट से जोड़ रखा है, जिसकी अनुमति नहीं दी जाती। वहीं प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारी का कहना है कि हैकर विभिन्न प्रणालियों को निशाना बनाता रहते हैं। इस तरह के हमलों से बचाव के लिए पीएमओ का अपनी प्रणाली है। साथ ही उन्होंने साफ किया कि सुरक्षा में किसी तरह की चूक नहीं हुई है। यहाँ उल्लेखनीय है कि भारत में ब्लैकबेरी सेवाओं की शुरुआती की अनुमति देने को लेकर काफी लंबी बहस चली थी। सुरक्षा एजेंसियों इस सेवा को अनुमति देने के खिलाफ थी। एजेंसियों ने सरकारी या आधिकारिक कंप्यूटरों और लैपटॉप को यूं ही किसी इंटरनेट कनेक्शन से जोड़ देने की प्रवृत्ति को भी खतरनाक तथा सुरक्षा से समझौता करने वाला बताया है। राष्ट्रीय तकनीकी एवं अनुसंधान संगठन (एनटीआरओ) ने भी हैकरों की बढ़ती हलचल को ध्यान में रखते हुए परामर्श जारी किया है। उधर अपने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में बंबई हाईकोर्ट ने सोशल नेटवर्किंग साइट पर प्रोफाइल संबंधी व्यक्तिगत सूचनाओं को सबूत के तौर पर मानने का आदेश दिया है। हालांकि निचली अदालत पहले ही इसे सबूत के तौर पर इस्तेमाल करने का आदेश दिया था। अगर आप किसी सोशल नेटवर्किंग साइट का इस्तेमाल करते हैं और अपने प्रोफाइल में ऐसी जानकारी देते हैं जो आपकी वास्तविक जानकारी से मेल नहीं खाती है तो सावधान हो जाइये. भारतीय अदालतों की नजर अब आप पर है और किसी नेटवर्किंग साइट पर आप जो जानकारी मुहैया कराते हैं अदालत उसे असली जानकारी मान सकती है.

क्या सचमुच दोस्त, दोस्त ना रहा?

ये अमर सिंह के सियासी जीवन का पहला अध्याय था या अंतिम चैप्टर। वह आगे किस तरह खुलेगा या क्लोज होगा, नेता जी ने तो कह दिया है कि मेले-ठेले में लोग आते-जाते रहते हैं। ये कोई नई बात नहीं। लेकिन मुलायम ने अंत तक अमर सिंह के बारे में और अमर सिंह ने भी अंत तक मुलायम सिंह के बारे में कोई ऐसी टिप्पणी करने से भरसक परहेज किया है, जिसका फायदा अन्य राजनीतिक दल या मीडिया वाले उठा सकें। और क्या-क्या कहा मुलायम ने....सविस्तार प्रस्तुत है...sansadji.com ...सांसदजी डॉट कॉम... पर

Sunday, January 17, 2010

कामरेड, को अंतिम सलाम




कोलकाता/नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के संस्थापक ज्योति बसु का 17 जनवरी को निधन हो गया। बसु का 17 दिनों से एएमआरआई अस्पताल में इलाज चल रहा था। 96 वर्षीय वयोवृद्ध नेता ने सुबह 11 बजकर 47 मिनट पर अंतिम सांस ली। उनके निधन से देश के एक जुझारू राजनीतिक अध्याय का अंत हो गया है। ज्योति बसु का जन्म 8 जुलाई 1914 को हुआ था। वो पांच बार पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे। किसी राज्य के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड भी बसु के नाम है। बसु के निधन के खबर से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।
बसु दा पर विशेष
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