Sunday, November 29, 2009

दलितों की नई राह नैक्डोर, बसपा बेचैन



पांच दिसंबर 2009 दिल्ली में देश भर के दलितों, वंचितों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों, गरीबों का बड़ी संख्या में जमावड़ा हो रहा है। देश के दलित बाबा साहेब अम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस की पूर्व संध्या पर इस दिन दिल्ली में दलित सम्मान दिवस मना रहे हैं। हजारों की संख्या में जुट रहे ये लोग इस दिन दिल्ली के अंबेडकर भवन से संसद तक सम्मान मार्च करेंगे। इन लोगों की अगुवाई कर रहा है नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित ऑर्गेनाइजेशन(नैक्डोर), दिल्ली, जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं अशोक भारती।
दरअसल नैक्डोर की राह बहुजन समाज पार्टी के विकल्प के रूप में सामने रही है। दलितों को मालूम हो चुका है कि बसपा की आड़ में, मायावती के नेतृत्व में किस तरह उत्तर प्रदेश में सरकारी खजाने की लूटपाट मची हुई है। मुख्यमंत्री मायावती पर भ्रष्टाचार के साथ ही अपराधी किस्म के नेताओं को शरण देने जैसे गंभीर आरोप भी लगने लगे हैं। ऐसे में धरातल पर दलितों का बसपा से मोहभंग होता जा रहा है। उनका मानना है कि बसपा का गठन मायावती का घर भरने, जन्मदिन पर थैली और गहने दिखाने के लिए नहीं, बल्कि दलितों की सामाजिक और आर्थिक गैरबराबरी की लड़ाई को उसके अंजाम तक ले जाने के लिए हुआ था। सामाजिक और आर्थिक गैरबराबरी की लड़ाई सत्ता के भ्रष्टाचार के दलदल में फंस कर सिमटती जा रही है और बसपा के गुर्गों का घर भरता जा रहा है। बाबा साहेब अम्बेडकर के दलित एजेंडे को किनारे फेंक कर भ्रष्टाचारी हाथी की चाल चल रहे हैं। दलितों को संदेह ही नहीं, पक्का यकीन हो चुका है कि मायावती कांशीराम के सपनों को मार चुकी हैं।
नैक्डोर अब देश में नई संभावना के तौर पर लगातार अपनी ताकत बढ़ाता जा रहा है। इससे बसपा के भीतर काफी घबराहट भी मची हुई है। भ्रष्टाचार में डूबे बसपाई सत्ता के मद में नैक्डोर की गतिविधियों को नजरंदाज किए हुए हैं लेकिन इस पार्टी के तमाम कद्दावर नेता भीतर ही भीतर नैक्डोर नेतृत्व के संपर्कों में बने हुए हैं। नैक्डोर बाबा साहब अम्बेडकर और दलित फोरम के एजेडों को रफ्ता-रफ्ता आकार देने लगा है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, कश्मीर, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पंजाब, उड़ीसा आदि राज्यों में नैक्डोर नेटवर्क दलितों-आदिवासियों के लिए पूरी ईमानदारी से जुटा हुआ है। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि दलित रचनाकार, संस्कृतकर्मी, कलाकार और पत्रकार भी नैक्डोर की गतिविधियों को गंभीरता से लेने लगे हैं।
दिल्ली में 25 नवंबर को नैक्डोर के बैनर तले कंस्टीट्यूशन क्लब में निजी क्षेत्र में आरक्षण के मसले पर देर रात तक सम्मेलन हुआ, जिसमें कई सांसदों के अलावा वामपंथी सांसद डी.राजा, योजना आयोग के सदस्य नरेंद्र जाधव, महाराष्ट्र से तीन बार सांसद रह चुके दलित नेता रामदास अठावले आदि ने भाग लिया और नैक्डोर के नेतृत्व के प्रति विश्वास जताया। अब अगले महीने पांच दिसंबर को दिल्ली में हो रही रैली में विभिन्न पार्टियों के सांसदों, विधायकों, दलित अफसरशाहों के भाग लेने की उम्मीद है। देश की राजधानी के स्तर पर हो रही व्यापक दलित एकजुटता निश्चित भविष्य में बहुत बड़ा राजनीतिक भूचाल लाने जा रहे है। नैक्डोर की सबसे बड़ी ताकत बनती दिख रही है उसकी इकहरी दलित-निष्ठा, जो खासतौर से बसपा के गले की हड्डी बनता जा रहा है।