Monday, April 26, 2010

यातना निवारण विधेयक लोकसभा में पेश


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गृह राज्य मंत्री एम रामचंद्रन ने आज ‘यातना निवारण विधेयक 2010’लोकसभा में पेश किया। इसके अंतर्गत किसी व्यक्ति से सूचना हासिल करने या किसी अन्य मकसद से उसे यातना पहुंचाने के जिम्मेदार सरकारी कर्मचारियों को दस साल तक की सजा का प्रावधान है। ‘यातना निवारण विधेयक 2010’एकमात्र ऐसा विधेयक है जिसमें ‘‘यातना’’ की व्याख्या की गयी है और दोषियों को सजा का प्रावधान किया गया है। भारत ने यातना , अत्याचार , अमानवीय और निम्न व्यवहार उपचार या सजा संबंधी संयुक्त राष्ट्र समझौते पर 1997 में हस्ताक्षर किए थे जिसके तहत यातना की व्याख्या तथा सजा का प्रावधान करने संबंधी कानून बनाए जाने की जरूरत है। विधेयक के कारणों तथा उद्देश्य में कहा गया है कि इस विधेयक से संबंधित कुछ प्रावधान पहले ही भारतीय दंड संहिता में मौजूद हैं लेकिन ये न तो यातना की व्याख्या करते हैं और न ही इसके लिए सजा का प्रावधान। इसलिए यह महसूस किया गया कि घरेलू कानूनों को समझौते के अनुरूप बनाया जाए और ऐसा या तो मौजूदा कानूनों में संशोधन के जरिए किया जाए या पूरी तरह नया विधेयक लाकर। विधेयक में कहा गया है, इसलिए इस मुद्दे पर व्यापक विचार विमर्श के बाद यह फैसला किया गया कि इस पर अलग से विधेयक लाया जाए ताकि संयुक्त राष्ट्र समझौते की अनुमोदन किया जा सके। सांसद देवजी एम पटेल और सरोज पांडे के सवालों के लिखित जवाब में श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री हरीश रावत ने लोकसभा को बताया कि आजीविका की खोज में श्रमिकों और कामगारों का राज्यों से बाहर और राज्य के भीतर पलायन हो रहा है। सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों (बीपीएल), जिनमें प्रवासी कामगार शामिल हैं, हेतु स्वास्थ्य बीमा कवरेज की व्यवस्था करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना भी शुरू की है। सांसद गोरख प्रसाद जायसवाल और अंजन कुमार एम यादव के सवालों के लिखित जवाब में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री गुरूदास कामत ने लोकसभा को बताया कि देश में निजी कुरियर सेवाओं के कामकाज पर रोक लगाने के लिए सरकार का भारतीय डाकघर कानून 1898 में संशोधन का कोई प्रस्ताव नहीं है। सरकार का ध्यान निजी कुरियर सेवा प्रदाताओं द्वारा भारतीय डाकघर कानून के किसी उल्लंघन की ओर नहीं गया है। सांसद के.पी. धनपालन के सवाल के लिखित जवाब में श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री हरीश रावत ने लोकसभा को बताया कि फिलहाल ईपीएफ का पुनर्गठन करने का कोई विशिष्ट प्रस्ताव नहीं है। सदस्यों को लाभ और सेवाएं प्रदान करने की गुणवत्ता में सुधार के लिए समय समय पर उपाय किये जाते हैं।

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