Thursday, April 22, 2010

संसद बड़ी या आईपीएल, सवाल लाख टके का!


sansadji.com

आईपीएल बनाम भारतीय राजनीति की चढ़ी गर्मी में कुछ बड़े सवाल झुलसने लगे हैं। भूलकर भी याद नहीं आ रहे हैं। भाजपा की रैली न होती तो महंगाई भी भुला दी जाती। महिला आरक्षण बिल नदारद! सच्चर-रंगनाथ चर्चा नदारद! लालू-शरद-मुलायम की दोस्ती नदारद! दिग्विजय-चिदंबरम खुन्नस नदारद! माया-राहुल दलित-द्वंद्व फरार!
ऐसे ही ममता-प्रणब प्रकरण तिरोहित। कबीर-ममता विषमता लापता। उन सात निलंबित सांसदों में सपा के तो सदन लौट गए थे, राजग के सांसदों का क्या हुआ? लेकिन नहीं, कुछ गड़े मुर्दे फिर से उखड़ने वाले हैं और कुछ नाचते मुर्दों जैसी मुश्किलें दफनाने का तरीका नहीं सूझ रहा। मसलन, दिग्विजय विदेश से लौट आए हैं। सोनिया के यहां दस्तक दे रहे हैं। आईपीएल से बढ़ती खटास ने एनपीसी-कांग्रेस के बीच मुश्किलों की नई मुर्दानिगी बिखेर दी है। मुंबई से वयोवृद्ध मराठा ठाकरे साहब पवार-पटेल-सुले वृत्तांत के अक्षर-अक्षर पर नजर रखे हैं। लालू-मुलायम- शरद की महिला आरक्षण बिल के बहाने अच्छी-खासी बन आई थी, मुद्दा ही फिसला जा रहा है। फिसला क्या फुस्स हुआ जा रहा है। कैसे बने एका। फिलहाल 27 अप्रैल के महंगाई विरोधी प्रदर्शन पर है। भीतर ही भीतर कटौती प्रस्ताव की चिंगारी सुलग रही है। फिलहाल सुनिए कि कांग्रेस के अंगने में क्या हो रहा है? नक्सलवाद के बहाने कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह की गृहमंत्री चिदंबरम पर निशानेबाजी के बाद अब दिग्विजय ने सोनिया गांधी से मुलाकात का वक्त मांगा है। वे अपने लेख पर उठे तूफान का समन करना चाहते हैं। कांग्रेसी सूत्र तो बताते हैं कि खूब ठोक-ठठा कर लेख ठोका गया था। इस पर उन्हें पार्टी के ढेर सारे बड़ों की थपकियां मिली थीं। दिग्विजय समर्थक मानते हैं कि गृहमंत्री को अपना रुख थोड़ा लचका लेना चाहिए। अब देखिए सोनिया जी थरूर-पवार-पटेल, भाजपा की बीती रैली, बाकी विपक्षियों की आने वाली रैली के माहौल में इस पिद्दी मसले को कितनी गंभीरता से लेती हैं! इस बीच संसद से एक बड़ी मजेदार सूचना ये आई है कि पिछले चार वर्ष में सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के 2517 मामले दर्ज किए हैं जिनमें से 741 लोगों पर दोष सिद्ध हुआ है। इन दोषी लोगों में भारतीय सिविल सेवा के 78 अधिकारी शामिल हैं। केन्द्रीय कार्मिक एवं लोक शिकायत राज्य मंत्नी पृथ्वीराज चव्हाण ने आज लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2007 में सीबीआई ने सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के 688, 2008 में 744, 2009 में 795 तथा इस वर्ष मार्च तक 212 मामले दर्ज किए। उन्होंने बताया कि वर्ष 2007 में 238, 2008 में 216, 2009 में 230 तथा इस वर्ष मार्च तक 48 मामलों में सजा दी गयी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2007 में 20. वर्ष 2008 में 17 वर्ष 2009 में 32 तथा इस वर्ष मार्च तक 9 आई सी एस अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दर्ज किए गए। जबकि 19 को सजा दी गयी। बहरहाल, आईपीएल का जबसे हजारो-हजार करोड़ के भ्रष्टाचार का डांस शुरू हुआ है, सारे भ्रष्टाख्यान फीके पड़ते जा रहे हैं। फिलहाल तो देश के खेलमंत्री चाहते हैं कि बीसीसीआई को जवाबदेह बनाया जाए। खेल मंत्री एम एस गिल ने युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के कामकाज पर राज्यसभा में हुयी चर्चा के जवाब के दौरान कहा कि इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) लोगों की निगाहों में है और समय आ गया है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को देश के समक्ष जवाबदेह बनाया जाए। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि खेल मंत्रालय को क्रिकेट के मामले में उदासीनता का रूख त्यागना होगा। मंत्री ने स्पष्ट किया कि उनके मंत्रालय का आईपीएल से सीधा नाता नहीं है लेकिन बीसीसीआई से उसका लेनादेना है। उन्होंने कहा कि बीसीसीआई में हितों के टकराव हैं। बीसीसीआई स्वयं ही नियंत्रक है और वह खेल के कानून भी बनाती है। उन्होंने के श्रीकांत का नाम लिए बिना एक ऐसे व्यक्ति का जिक्र किया जो टीम का चयनकर्ता है, साथ ही वह टीम का ब्रांड एंबेस्डर भी है। आईपीएल को लेकर चल रहे विवाद के संबंध में उन्होंने कहा कि यह उनके मंत्रालय से जुड़ा मामला नहीं है। यह वित्त मंत्रालय से जुड़ा मामला है तथा वित्त मंत्री इस बारे में कई आश्वासन भी दे चुके हैं। हमें इस मामले में जांच रिपोर्ट की प्रतीक्षा करनी होगी। अब देखिए कब तक जांच रिपोर्ट आती है! भ्रष्टाचार खंगालने के ताजा सिलसिलों की बात करें तो फिलहाल लखनऊ में सहारा के आलीशान दफ्तर पर भी छापा पड़ा है। आईपीएल विवाद को लेकर देश के विभिन्न भागों में मारे जा रहे आयकर छापों के क्रम में आज आयकर विभाग के अधिकारियों के एक दल ने पुणे की टीम खरीदने वाली सहारा समूह की कंपनी पर छापा मारा। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि लखनऊ के अलीगंज क्षेत्र के सहारा टावर पर आयकर विभाग के लगभग एक दर्जन अधिकारियों ने दोपहर बाद अचानक छापा मारा और आईपीएल से जुड़े कागजात की छानबीन की जा रही है। इस बीच सहारा ग्रुप के सूत्रों ने बताया कि यह आयकर विभाग का छापा नहीं है, बल्कि आयकर विभाग आईपीएल से संबंधित कागजात का सर्वे कर रहा है। ये भी खूब रही। जब देश में इन दिनों ये सब धुंआधार सचिन के बल्ले से भी तेज गति से चल रहा है तो लाख टके सवाल नाजायज न होगा कि संसद बड़ी या आईपीएल? सरकार बड़ी या भ्रष्टाचार?? ललित मोदी 26 की बैठक में तो आने से रहे, उल्टे बड़ी अदालत की राह चल पड़े हैं!

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