Friday, April 2, 2010

'बर्बरता का प्रतीक गाउन' जयराम रमेश ने उतार फेंका


(sansadji.com)

भोपाल में आज केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री जयराम रमेश ने भारतीय वन प्रबंधन संस्थान के दीक्षांत समारोह में यह कहते हुए अपने सफेद कुर्ते के ऊपर पहना पारंपरिक गाउन उतार फेंका कि यह बर्बर औपनिवेशिक अवशेष है। जयराम की इस प्रतिक्रिया पर छात्रों ने देर तक तालियां बजाईं। उन्होंने कहा कि आजादी के 60 साल बाद भी मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि अब तक ऐसे बर्बर औपनिवेशिक अवशेषों से हम क्यों बंधे हुए हैं। 60 साल बाद भी कनवोकेशन ड्रेस पहन रहे हैं यह काफी बोरिंग सी लगती है। ऐसे अवसरों पर हम अपने साधारण वस्त्र क्यों नहीं पहन सकते हैं? मध्ययुगीन सहायक पुजारी अथवा पोप की तरह सजकर आने के बजाए हम साधारण कपड़ों में ही दीक्षांत समारोह क्यों नहीं कर सकते हैं? जयराम आईआईएफएम के कैंपस में 2007 से लेकर 2010 तक के पासआउट छात्रों के सातवें दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने आए थे। छात्रों की तरफ संकेत कर जयराम बोले कि मैं जानता हूं कि लगातार भाषण और आभार प्रदर्शन से मुख्य अतिथि के सामने बैठे लोग कितने बोर हो जाते हैं। क्यूं हमें दीक्षांत समारोह में सादे कपड़ों में डिग्री लेना का मौका नहीं मिलता। यह बदलना चाहिए। युवाओं के बीच तैयार की गई स्पीच पढ़ना अच्छा नहीं लगता। ग्रीन मैनेजर्स के लिए शुक्रवार का दिन खास था। पर्यावरण की बागडोर थामे युवा चेहरे पीजीडीएफएम कोर्स पोस्ट मास्टर्स डिप्लोमा इन नैचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट का डिप्लोमा हासिल करने संस्थान के कैंपस में पहुंचे थे। उनका उत्साह बढ़ाने के लिए जयराम रमेश मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे थे। कार्यक्रम की शुरूआत काफी औपचारिक थी। सभी स्टूडेंट्स कंवोकेशन ड्रेस संभालते हुए अपनी जगहों पर बैठे थे और इसके बाद दीक्षांत समारोह शुरू होने की घोषणा की गई। लगभग 137 विद्यार्थियों को डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेस्ट डॉ.पीजे दिलीप कुमार ने डिप्लोमा दिए। इस बीच एक-दो मौके ऐसे भी आए जब मंच पर विद्यार्थियों को अपनी हैट संभालनी पड़ी।

3 comments:

Randhir Singh Suman said...

nice

Jairam Ramesh said...

आलेख के बीच बीच में जबरन अंग्रेजी शब्द घुसाड़ कर हिंगलिश बनाना क्या हमारी भाषा के साथ बर्बरता नहीं है?

अनुनाद सिंह said...

बहुत अच्छा। आशा है यह यहीं समाप्त नहीं होगा बल्कि देश के 'नकलची संस्कृत्' पर ज।द तक प्रहार करके उसे मूल से निकाल देगा।

कुछ और बचे हुए गुलामी के प्रतीक:

* वकीलों का काला कोट (अरे, भारत गरम देश है भाई!)

* नर्सों का यूनिफॉर्म (समय के साथ इसे बदलो)

* टाई (गला बांधने का औचित्य? एक तरफ गला कसकर अपने को गरम कर रहे हो; दूसरी तरफ अपने को ठण्डा रखने के लिये एसी चलाकर बिजली बर्बाद करते हो।)

*मूर्ख दिवस (अपने देश में वित्त-वर्ष और कैलेण्डर-वर्ष का अलग-अलग प्राविधान कब था?)

* वैलेन्टाइन दिवस (वसन्तोत्सव मनाओ, वेलेन्टाइन नहीं)