![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh0NgTFBZMmZm6yZBJLOfZTZRzDdSFNuXwPiRwbWwUdI-pTEIK0wBKLE0VP__WQRgB8a3kmlnpdrwEzXpYG4bBkgAjcaIdnY6iLKNzN93COCskrsDTlPoJorLipPn2sEaxBuaWmeQn-vq4/s320/_44240276_indianpalrimanetap203ind.jpg)
(sansadji.com)
देश की जनता सोच सकती है कि अब इधर जाऊं या उधर जाऊं। कांग्रेस के भीतर से ऐसी अलग आवाज आई है आरक्षण के मुद्दे पर। गृहमंत्री पी. चिदंबरम कहते हैं कि सकारात्मक कार्रवाई के लिए आरक्षण शायद सबसे कारगर औजार है, लेकिन मंत्रिमंडल में उन्हीं के सहयोगी सलमान खुर्शीद कहते हैं कि विकास की अलग मिसाल कायम करने की ओर बढ़ रहे देश को इससे आगे जाने की जरूरत है। गृहमंत्री राज्यों के अल्पसंख्यक आयोगों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहते हैं कि यदि कोई बेहतर औजार है तो निश्चित तौर पर हमें इस पर विचार करना चाहिए लेकिन मेरा मानना है कि आरक्षण शायद सकारात्मक कार्रवाई के लिए हमारे पास मौजूद औजारों में से सबसे कारगर है। उसी सम्मेलन में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय का कार्यभार संभाल रहे सलमान खुर्शीद के विचार गृह मंत्री से अलग हैं। खुर्शीद कहते हैं कि ऐसे में, जब भारत विकास की अलग मिसाल पेश करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, हमें आरक्षण से आगे जाने की जरूरत है।अब आइए कुछ इतर प्रसंगों पर। तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और केंद्रीय रेल मंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल की अपनी यात्रा से पहले आज गृहमंत्री पी चिदम्बरम से भेंट की। दोनों नेताओं के बीच करीब आधे घंटे तक यह भेंट चली। समझा जाता है कि बनर्जी ने इस भेंट के दौरान चिदम्बरम से वाममोर्चा शासित पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा की। बनर्जी पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और माओवादियों के बीच सांठगांठ का आरोप लगाती रही हैं लेकिन वह राज्य में माओवादियों के विरूद्ध केंद्रीय अर्धसैनिक बलों और पुलिस के संयुक्त अभियान को रोकने की मांग भी करती रही हैं। चिदम्बरम शनिवार को ही पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य से मिलने वाले हैं और अगले दिन वह पश्चिमी मिदनापुर जिले में लालगढ़ जाएंगे। इसे गृह मंत्रालय पटल की सूचना के रूप में देखें तो बात अलग है, लेकिन यह भी किन्हीं सरकारी नीतियों के आरक्षण को रेखांकित करता और इस्तीफा दे चुके तृणमूल कांग्रेस के सांसद कबीर सुमन के मंतव्य की प्रतिक्रिया हो सकता है। अब आइए, आज की राजनीति के इस चक्रव्यूह में उत्तराखंड की वो बात करते हैं, जिसमें उत्तराखंड की सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी की सुनते हैं। पार्टी राज्य के लिये विशेष औद्योगिक पैकेज की समय सीमा नहीं बढाये जाने पर कांग्रेस की कडी आलोचना करते हुए कहती है कि जब भी कांग्रेस सत्ता में आती है, पहाड के लोगों पर अत्याचार करती है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल कहते हैं कि जब अलग राज्य बनाने के लिये आंदोलन चल रहा था तब कांग्रेस ने इसका विरोध किया और राज्य के लोगों पर जुल्म किया, अब विशेष औद्योगिक पैकेज नहीं बढाकर भी ऐसा ही किया है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उत्तराखंड को वर्ष 2003 में दस वर्षों के लिये विशेष औद्योगिक पैकेज दिया था लेकिन कांग्रेस जैसे ही वर्ष 2004 में सत्ता में आई, उसने उस अवधि को घटाकर सात वर्ष कर दिया। इसके साथ ही चुफाल राज्य से लोकसभा के सभी पांचों सांसदों (कांग्रेस) की भी आलोचना करते हुए कहते हैं कि इस मसले पर वे सभी चुप्पी साधे हुए हैं। इस तरह के बहुप्रजातीय सियासी संयोग की अगली कड़ी जुड़ती है, जिसमें आध्यात्मिक गुरू और उत्तराखंड के ही कांग्रेस सांसद सतपाल महाराज केन्द्र सरकार से राज्य में औद्योगिक पैकेज की समय सीमा वर्ष 2013 तक बढाने की मांग करते हैं। वह सोनिया गांधी को पत्र भेजकर मांग करते हैं कि उत्तराखंड राज्य का गठन ही बेरोजगारी और पलायन रोकने के लिये हुआ है। राज्य में कांग्रेस के शासनकाल में उद्योगों की अच्छी शुरूआत हुई थी। साथ ही राज्य के आवास विकास परिषद के अध्यक्ष नरेश बंसल भी केन्द्र सरकार से मांग करते हैं कि औद्योगिक पैकेज की समय सीमा को यदि तुरंत नहीं बढाया गया तो राज्य को भारी नुकसान होगा। राज्य को मिले विशेष औद्योगिक पैकेज की समय सीमा आज ही समाप्त हो रही है। गौर करें कि ये भी कांग्रेस के भीतर से उठ रही आवाज है, जिसे भाजपा इंगित करने से नहीं चूक रही है। इसी बीच देश को पता चलता है कि परमाणु दायित्व विधेयक पर सीपीएम सख्त है। पार्टी बुधवार को बताती है कि परमाणु दायित्व विधेयक पर वह अपना पक्ष नहीं बदलेगी। यदि संसद में परमाणु दायित्व विधेयक बिल पास होता है तो नागरिकों की जिंदगी और स्वास्थ्य के साथ समझौता करना होगा। इस बीच देश को पता चलता है कि पार्टी ने इस बिल का पहेल भी विरोध किया था, लेकिन य़दि सरकार इसे वापस लाती है तो सीपीएम लोकसभा और राज्यसभा में इसका विरोध करेगी। सीपीएम साफ करती है की वह किसी भी स्थिति में नागरिकों के जीवन और स्वास्थ्य से समझौता नही करेगी, क्योंकि ये बिल अमेरिकी परमाणु कंपनियों के समर्थन में लाया जा रहा है। इन कंपनियों ने मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट को लेकर कोई जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया है। बिल लाया जाने पर यदि कोई परमाणु हादसा होता है तो यह भोपाल गैस त्रासदी से भी भयंकर होगा। साथ ही पार्टी करात के मुंह से कहती है कि उनकी पार्टी फू़ड सिक्यूरिटी बिल में कुछ बदलाव चाहती है लेकिन वह इसका समर्थन करती है। अब देखिए, सीपीएम यूपीए सरकार का एजूकेशन बिल पर समर्थन करने को तैयार है। साथ ही महंगाई के खिलाफ सरकार को चेतावनी दे डालती है।
No comments:
Post a Comment