Thursday, April 1, 2010

रामदेव को लालू बोले- बाबा तो 'बौरा' गए!


(sansadji.com)


क्या योगगुरू बाबा रामदेव सचमुच 'बौरा' गए हैं। आरजेडी प्रमुख एवं सारन के सांसद लालू प्रसाद यादव तो उनके बारे में ऐसा ही कहते हैं। मुख्यमंत्री मायावती कह ही चुकी हैं कि गांव के लोगों को कसरत के लिये किसी बाबा की जरूरत नहीं। भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी कहते हैं कि बाबा नई पार्टी न बनाएं। उलेमा कहते हैं कि मुसलिम उनके शिविर में न जाएं। फिलहाल लालू का ताजा बयान ऐसे समय में आया है, जबकि तीन वर्ष के भीतर एक नया राजनीतिक दल खड़ा करने की घोषणा करने वाले योगगुरू नेपाल में भी एक योग केंद्र शुरू कर चुके हैं। उन्हें वहां के राष्ट्रपति रामबरन यादव का समर्थन प्राप्त है। लालू यादव कहते हैं कि ‘यह ठीक नहीं है कि रामदेव अपने को सही साबित करने के लिए प्रत्येक नेता की आलोचना करें। हकीकत यह है कि रामदेव बौरा गए हैं। हमने योग गुरु से कहा था कि वे कोई राजनीतिक दल खड़ा नहीं करें।’लालू रामदेव के कैंसर को ठीक करने संबंधी दावे की भी आलोचना करते हुए कहते हैं कि ‘रिसर्च के इस युग में ऐसा करना न केवल धोखाधड़ी बल्कि लोगों को बेवकूफ बनाना है।’ सियासत की इस साधु-साधु सरगर्मी में आइए एक बार फिर जान लेते हैं कि मायावती ने क्या कहा था और जवाब में बाबा क्या बोले थे। मुख्यमंत्री मायावती कहती हैं कि ‘एक बाबा है, कसरत सिखाता है और देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के नाम पर राजनीतिक पार्टी बनाकर देश पर राज्य करना चाहता है। भारत की 80 प्रतिशत जनता गांवों में रहती है और सुबह से शाम तक काम करने से उनकी कसरत अपने आप हो जाती है। गांव के लोगों को कसरत के लिये किसी बाबा की जरूरत नहीं है। बाबा शहर के लोगों को ही अपने जाल में फंसा सकता है। इस रामदेव मुख्यमंत्री को ‘मायावी’ बताते हुए कहते हैं कि बसपा प्रमुख उनसे इसलिए नाराज हैं क्योंकि वे और उनके अनुयायी गरीबों और दलितों का जीवन बेहतर बनाने के लिए काम कर रहे हैं। समय ही बताएगा कि दोनों में असली मायावी कौन है, जिस दिन मायावती सत्ता से हट जाएँगी वह स्वयं यह महसूस करेंगी कि सत्ता कितनी दिखावटी होती है। उल्लेखनीय है कि योग गुरू ने हाल ही में राजनीति के मैदान में उतरने की घोषणा की है। उनकी पार्टी देश के राजनीतिक तंत्र को साफ़ करने के लिए अगले लोकसभा चुनाव में भारत स्वाभिमान के बैनर तले सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। इसके लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू कर दिया गया है। उनके संगठन ने अगले दो वर्षो में देश के प्रत्येक जिले में सात से 10 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है। बाबा का ये ऐलान सुर्खियां बनते ही भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने बाबा रामदेव से नई पार्टी न बनाने की गुजारिश कर डाली थी। उन्होंने कहा था कि हम बाबा रामदेव से निवेदन करते हैं कि वह नई पार्टी न बनाएं। इससे बीजेपी के वोट कटेंगे और फायदा कांग्रेस को होगा। बाबा रामदेव की राजनीति से जो उम्मीदें हैं, उन्हें हम पूरा करेंगे, वह बीजेपी की मदद करें। इसके जवाब में बाबा ने कहा था कि मैं किसी विवाद को जन्म नहीं देना चाहता। मेरा मकसद सत्ता हासिल करना नहीं है। मैं बस यही चाहता हूं कि राजनीतिक सिस्टम में स्वच्छता आए। अच्छे लोग सभी पार्टियों में हैं, कांग्रेस में भी और बीजेपी में भी। यह भी जान लीजिए कि पिछले साल जब देवबंद (उ.प्र.) में मुस्लिम उलेमाओं की बैठक में योग गुरु बाबा रामदेव ने प्राणायम करके दिखाया था. और तो और एक हिंदू पुजारी ने इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चार भी किया था तो चार दिन बाद दारूल उलूम ने फ़तवा जारी कर मुसलमानों से कहा था कि वे बाबा के शिविर में जाने से बचें, क्योंकि शिविर वंदे मातरम के गायन से शुरू होता है। बहरहाल, रामदेव चाहे जो कहें-सुनें, हकीकत तो ये ही लगती है कि उनके राजनीतिक दल खड़ा करने की घोषणा को लेकर कोई खास उत्साह नहीं है। देश में पहले भी कई बाबाओं ने इस तरह के प्रयास किए थे, जिसका हश्र लोगों को पता है। इसलिए लालू यादव की टिप्पणी शायद सच के ज्यादा करीब लगती है।

1 comment:

Jandunia said...

अच्छे लोगों पर इसी तरह के कमेंट्स होते हैं...कोई बात नहीं...बाबा आप राजनीति में सफाई अभियान शुरू करें। इसकी भारतीय राजनीति को बहुत जरूरत है। बस ख्याल यही रखना होगा कि सफाई के चक्कर में कहीं हमें ही सफाई की जरूरत न पड़ जाए। अन्यथा उस वक्त इस तरह के कमेंट्स बहुत कड़वे और भारी लगेंगे।