Wednesday, March 31, 2010

दिल्ली में मुस्लिमों को मरहम, सलमान-चिदंबरम ने किया आश्वस्त




(sansadji.com)


दिल्ली में एक ओर आज राज्यों के अल्पसंख्यक आयोगों का वार्षिक सम्मेलन हो रहा है, दूसरी तरफ पहले से महिला आरक्षण बिल को लेकर गर्मायी सियासत पांच अप्रैल से फिर पुरजोर होने जा रही है। इस बीच लालू, मुलायम व मुस्लिम संगठनों के उलाहने थम नहीं रहे। इधर, दिल्ली में आज सलमान खुर्शीद और पी. चिदंबरम ने मुस्लिमों को जमकर आश्वस्त करने की कोशिश की।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री सलमान खुर्शीद ने आज कहा कि वह पिछड़े मुस्लिमों को आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है, जैसा कि सच्चर समिति की रिपोर्ट में सिफारिश की गई है। हम पिछड़े वर्गो की आरक्षण सूची में पिछड़े मुसलमानों को उनका हिस्सा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ऐसी ही सिफारिश सच्चर समिति की रिपोर्ट में गई है और हमारे (कांग्रेस) चुनाव घोषणा पत्र में भी यह वायदा किया गया है। सच्चर समिति की सिफारिश और कर्नाटक, केरल तथा तामिलनाडु में पिछडे वर्गों की सूची में अल्पसंख्यकों के पिछड़े वर्गों को अलग और विशेष प्रतिनिधित्व देने के सफल प्रयोगों के आलोक में अपने चुनाव घोषणा पत्र में हमने यह संकल्प किया था। इन राज्यों में जिस आधार पर यह व्यवस्था की गई, उसी बुनियाद पर हम आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने इस संदर्भ में बिहार का उदाहरण दिया, जहां ऐसे कदम पहले ही उठाए जा चुके हैं। इससे पहले खुर्शीद ने राज्यों के अल्पसंख्यक आयोगों के वाषिर्क सम्मेलन में कहा कि आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय मुस्लिमों के पिछडे वर्गों को आरक्षण देने की राज्य सरकार की पहल को दो बार अस्वीकार कर चुकने के बाद पिछडे वर्गों के 27 प्रतिशत के सामान्य आरक्षण में उनको भी आरक्षण देने की अवधारणा को नामंजूर नहीं कर सका। उनका मंत्रालय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इस बात के लिए राजी करने की कोशिश कर रहा है कि अगली पंचवर्षीय योजना में अल्पसंख्यक बहुल जिले घोषित करने के लिए संबंधित जिलें में अल्पसंख्यक आबादी को वर्तमान 25 प्रतिशत की शर्त को घटा कर 15 प्रतिशत कर दिया जाए। उधर, बरेली और हैदराबाद में हुए साम्प्रदायिक दंगों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यकों को आश्वासन दिया है कि वह उनके हितों की सुरक्षा के लिए दृढ संकल्प है और साम्प्रदायिक हिंसा से निपटने के लिए इस साल के अंत तक एक नया कानून आ जायेगा। गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने आज यहां राज्यों के अल्पसंख्यक आयोगों के वाषिर्क सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए यह आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न भागों में छोटी छोटी बातों को लेकर सांप्रदायिक दंगे भडके हैं। उनमें से कुछ के पीछे तो पूर्व में हुआ कोई छोटा मोटा झगड़ा भी रहा है और जिसका परिणाम यह हुआ कि अल्पसंख्यक समुदाय में भय और असुरक्षा का वातावरण बना है तथा लोगों की आपस की दूरी बढी है। गृहमंत्री ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय में किसी भी प्रकार के दंगे की आशंका को तत्काल दूर करने की आवश्यकता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को बनाये रखने और सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों को समान अवसर प्रदान करने को प्रतिबद्ध है। चिदम्बरम ने कहा कि केन्द्र सरकार दिसंबर 2005 से ऐसा कानून बनाने के लिये काम कर रही है जिसके तहत सांप्रदायिक हिंसा को रोका जा सके, नियंत्रित किया जा सके और दंगा पीड़ितों का पुनर्वास सुनिश्चित किया जा सके। इस आशय का एक विधेयक 2005 में संसद की स्थायी समिति को सौंपा गया था। उनको इस बात की पूरी उम्मीद है कि इस साल के अंत तक साम्प्रदायिक हिंसा को रोकने व नियंत्रित करने तथा पीड़ितों के पुनर्वास के लिए कानून अवश्य बन जायेगा।

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