Wednesday, March 31, 2010

पहले ही हफ्ते फिर महिला आरक्षण बिल पर मोरचेबंदी


(sansadji.com)

महिला आरक्षण विधेयक को लोकसभा में लाने को लेकर सरकार के दृढसंकल्प रहने के साथ ही यहां दिल्ली में पांच अप्रैल को लोकसभा में राजनीतिक दलों के नेताओं की बैठक बुलाई गयी है। उल्लेखनीय है कि लोकसभा का सत्र 15 अप्रैल से शुरू होगा, लेकिन एक बार उससे पहले ही पार्टी प्रमुख सांसदों की सरकार ने बैठक बुला ली है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने महिला आरक्षण विधेयक पर मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद और शरद यादव के कड़े विरोध की पृष्ठभूमि में यह बैठक बुलाई है। मुखर्जी लोकसभा में सदन के नेता भी हैं। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक को राज्य सभा की मंजूरी मिल चुकी है। मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी भी इस विधेयक के मौजूदा स्वरूप का विरोध कर रही है। कानून मंत्री एम वीरप्पा मोइली कह चुके हैं कि सरकार संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में महिला आरक्षण विधेयक को उसके वर्तमान स्वरूप में ही पारित कराने के लिए लोकसभा में पेश करने जा रही है। राजद, सपा और बसपा आदि का कहना है कि इसमें अन्य पिछड़े वर्गो और अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए कोटा तय होना चाहिए। निचले सदन में विधेयक रखने की तारीख के बारे में कानून मंत्री कहते हैं कि यह तय करना कार्यमंत्रणा समिति का काम है। उल्लेखनीय है कि सपा नेता मुलायम सिंह विधेयक के विरोध में कुछ विवादास्पद टिप्पणियां कह चुके हैं कि इस विधेयक के पारित होने के 10 साल बाद एक भी पुरूष लोकसभा के लिए चुना नहीं जा सकेगा और सदन में ऐसी महिलाएं आएंगी, जिन्हें देख कर लोग सीटी बजाया करेंगे। मायावती के नेतृत्व वाली बसपा और लालू प्रसाद की राजद भी विधेयक के वर्तमान स्वरूप में परिवर्तन चाहते हैं। शरद यादव के नेतृत्व वाले जदयू का एक वर्ग भी ऐसा ही चाहता है। यही नहीं केंद्रीय मंत्री ममता बनर्जी भी इस बारे में उक्त तीनों यादवों के साथ खड़ी नजर आ रही हैं। उनका कहना है कि महिला विधेयक पर सभी को, खासतौर पर संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे सपा और राजद को साथ लेकर चला जाए। राज्यसभा में भाजपा ने विधेयक का समर्थन किया था, लेकिन उसका भी एक वर्ग इसके वर्तमान स्वरूप में बदलाव चाहता है। उधर, भाजपा और वामदलों के लिए ये विधेयक विपक्षी एकजुटता की राह में सबसे बड़ा रोड़ा लग रहा है। अभी तक दोनों को इसका कोई समाधान नहीं सूझ रही है। इसी स्थिति को लेकर कांग्रेस खासतौर से आशान्वित दिख रही है।

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