Friday, April 2, 2010

पाक और अमेरिकी संसदों में हलचल



(sansadji.com)

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने आज संसद में संवैधानिक सुधार पैकेज पेश कर दिया। चार्टर ऑफ डेमोक्रेसी के मद्देनजर सांसदों की एक संवैधानिक सुधार समिति की सिफारिशों के आधार पर 18वां संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश हुआ है। चार्टर ऑफ डेमोक्रेसी पर सत्तारूढ़ पीपीपी और विपक्षी पीएमएल-एन के बीच 2006 में दस्तखत किए गए थे। गिलानी ने 18वें संशोधन विधेयक का जिक्र करते हुए कहा कि हमने राष्ट्र से वादा किया था कि हम पूर्ववर्ती सैन्य शासनों द्वारा संविधान में किए गए बदलावों को हटा देंगे और अब हम इसे पूरा कर रहे हैं। इसमें राष्ट्रपति के अधिकारों को समाप्त करने के लिहाज से व्यापक संशोधन शामिल हैं। इन अधिकारों में तीनों रक्षा सेवा प्रमुखों की नियुक्ति और संसद को भंग करने के अधिकार भी हैं। सीनेट और नेशनल असेंबली में पैकेज पेश करते हुए राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। पैकेज में संविधान के चौथाई अनुच्छेदों में संशोधन कर दिया गया है। पैकेज का मसौदा तैयार करने वाली संसदीय समिति ने संविधान के 70 अनुच्छेदों में 100 से अधिक संशोधन का सुझाव दिया है। संसदीय समिति में सभी बड़े दलों के सदस्य हैं और इसका गठन पिछले साल किया गया था, जबकि पीपीपी और पीएमएल-एन ने जिया उल हक और परवेज मुशर्रफ के सैन्य शासन में संविधान में किए गए बदलावों को हटाने की बात कही थी। उधर, व्यापक परमाणु परीक्षण संधि [सीटीबीटी] की पुष्टि कराने को ओबामा प्रशासन अमेरिकी संसद की शरण में जाने के लिए कमर कस रहा है। यह राष्ट्रपति ओबामा द्वारा किए गए वादे के तहत एक महत्वपूर्ण कदम होगा। राष्ट्रपति बराक ओबामा ने वादा किया था कि वह इस संधि की जल्द से जल्द पुष्टि कराने का प्रयास करेंगे। वर्ष 1999 में अमेरिकी सीनेट ने सीटीबीटी की पुष्टि करने से इनकार कर दिया था लेकिन अपने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान बराक ओबामा ने राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर सीटीबीटी को सीनेट से जल्द से जल्द हरी झंडी दिलाने का वादा किया था।

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