Thursday, April 1, 2010
शिक्षा अधिकार कानून पर भाजपा ने टोका
(sansadji.com)
अनिवार्य शिक्षा अधिकार कानून लागू हो जाने के साथ ही कांग्रेस और भाजपा के जवाब सवाल भी मुखर होने लगे हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहते हैं कि हमारी सरकार राज्य सरकारों की भागीदारी के साथ यह सुनिश्चित करेगी कि इस कानून को लागू करने में आर्थिक बाधा न आए। वही भाजपा प्रवक्ता एवं सांसद रविशंकर कहते हैं कि इसके लिए पैसा आएगा कहां से? कानून का स्वागत करते हुए उन्होंने इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए राज्यों को दी जाने वाली धनराशि में बढ़ोत्तरी करने की मांग की। उन्होंने कहा कि छह से 14 साल के हर बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए एक लाख 71 हज़ार करोड़ रूपए का खर्च आएगा, लेकिन वित्त आयोग ने राज्यों को केवल 25 हजार करोड़ रूपए देने का प्रावधान किया। वित्त आयोग द्वारा 25 हजार करोड दिए जाने के अलावा केन्द्र राज्यों को 15 हजार करोड़ रूपए की अतिरिक्त राशि देगा, लेकिन इसके बावजूद इतने विशाल और महत्वाकांक्षी कार्य को देखते हुए मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा के लिए राज्यों को दी जाने वाली यह राशि बहुत तुच्छ है, जिसे बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। इस कानून को सफल बनाना है तो केन्द्र को खर्चे की अच्छी व्यवस्था करनी होगी। परमाणु दायित्व विधेयक के संदर्भ में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा कुछ नरम रूख अपनाने के संकेत के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा औपचारिक रूप से कोई प्रस्ताव लाए जाने पर पार्टी अपनी बात रखेगी। उधर, कानून के आज लागू हो जाने पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह राज्यों से कह रहे हैं कि इस राष्ट्रीय प्रयास में वे पूरी प्रतिबद्धता से शामिल हों जाएं। नए कानून के तहत राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों के लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक हो गया है कि इस आयु वर्ग के सभी बच्चों का स्कूल में दाखिला हो। इसे लागू करने से लगभग एक करोड़ ऐसे बच्चों को सीधा लाभ मिलेगा जो अभी स्कूल नहीं जा रहे हैं। इस ऐतिहासिक अवसर पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री कहते हैं कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि सभी बच्चों की, चाहे उनका लिंग और सामाजिक श्रेणी जो भी हो, शिक्षा तक पंहुच बने। हमारी सरकार राज्य सरकारों की भागीदारी के साथ यह सुनिश्चित करेगी कि शिक्षा के अधिकार कानून को लागू करने में वित्त पोषण बाधा नहीं बने। शिक्षा के महत्व को अपने जीवन के अनुभवों से जोड़ते हुए सिंह ने अपने बचपन को याद किया। उन्होंने कहा कि वह साधारण संसाधन वाले परिवार में जन्मे थे और स्कूल जाने के लिए उन्हें लंबी दूरी पैदल ही तय करनी पड़ती थी। उन्होंनें कहा कि मैं मिट्टी के तेल के दिए की हल्की रोशनी में पढ़ता था। मैं आज जो भी हूं, शिक्षा की वजह से हूं।
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1 comment:
सरकार की ओर से अधिकार तो मिल गए .. शिक्षकों की ओर से कर्तब्यों का पालन भी होना चाहिए !!
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