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(sansadji.com)
कांग्रेस और भाजपा सांसद बाकी मुद्दों पर भले जुदा रुख रखते हों, गाउन प्रकरण ने एक प्लेटफार्म पर पहुंचा दिया है। डॉ।मुरली मनोहर जोशी ने साफ कह दिया है कि मैं जयराम के साथ हूं। कहावत सी हो चली है कि गाउन क्यों उतारा जी! उतारा तो क्या बुरा किया? ठीक किया उतार फेंका। केंद्रीय वन और पर्यावरण राज्यमंत्री जयराम रमेश की क्रिया पर वाराणसी के भाजपा सांसद एवं पूर्व पार्टी अध्यक्ष डॉ। मुरली मनोहर जोशी ने सापेक्ष प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बहस को दिशा दे दी है। इंदौर में डॉ.जोशी ने कहा है कि जयराम रमेश ने दीक्षांत समारोंह में चोगा उतार कर अच्छा किया। वे केंद्रीय वन और पर्यावरण राज्यमंत्री की इस सार्वजनिक विरोध का समर्थन करते हैं। उन्होंने एक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सार्वजनिक तौर पर कहा कि मैं रमेश के इस कदम का स्वागत करता हूँ। उन्होंने कहा वे स्वयं भी इस चोगे का विरोध कर चुके हैं क्योंकि ऐसा भारतीय संस्कृति में नहीं है। चर्च की संस्कृति के चलते हमारे यहाँ पर डीन और चोगे का आगमन हुआ है। उल्लेखनीय हैं कि कल भोपाल में भारतीय वन प्रबंधन संस्थान के दीक्षांत समारोह में जयराम रमेश ने अपना चोगा उतार दिया था और इस परम्परा को गलत ठहराया था। जयराम रमेश ने कहा था कि किसी प्राचीन परंपरा को ढोते रहने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि मध्ययुगीन पादरी या पोप की तरह इस तरह की पोशाक धारण करके दीक्षांत समारोह में आना उन्हें पसंद नहीं है। उन्होंने कहा कि मौसम भी इस पोशाक के अनुकूल नहीं है। पारंपरिक गाउन पर राजनीतिक बयानबाजी के बाद बहस सी छिड़ गई है कि क्या यह परंपरा अनुचित है। डॉ.जोशी और जयराम से पहले मध्यप्रदेश के उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय कह चुके हैं कि इसे पहन कर व्यक्ति नमूना लगता है। राज्य की एक अन्य मंत्री अर्चना चिटनीस भी कह चुकी हैं कि दीक्षांत समारोहों में पहना जाने वाला गाउन भारतीय परंपरा और रीति रिवाज का प्रतिनिधित्व नहीं करता है। बेहतर होगा कि इसके विकल्प की तलाश होनी चाहिए।
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