Wednesday, March 31, 2010

सोनिया को नागवार लगा 'मनरेगा' कहना


(sansadji.com)

संप्रग एवं एनएसी अध्यक्ष सोनिया गांधी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण योजना को कितनी गंभीरता से लेती हैं, इसकी एक झलक आज रायबरेली में उस समय देखने-सुनने को मिली, जब यहां केन्द्र की विकास योजना की समीक्षा के लिए सतर्कता और अनुश्रवण समिति की बैठक में सदस्य मनरेगा-मनरेगा कह कर अपने विचार व्यक्त करने लगे। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम को (मनरेगा) कहने पर नाराज हुईं। उन्होंने तपाक से प्रतिप्रश्न किया कि ये मनरेगा क्या है? उनका कहना था कि मनरेगा योजना नहीं, कानून है। साथ ही, उन्होंने ये भी पूछ लिया कि इसमें महात्मा गांधी का नाम कहां है? इसका पूरा नाम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम है। इसे आमतौर पर लोग योजना के नाम से पुकारते हैं, जबकि यह कानून है। उन्होंने कहा कि इसे मनरेगा नहीं, बल्कि पूरे नाम से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम कहा जाना चाहिए।
सोनिया आज पूर्वाह्न रायबरेली पहुंचीं। सोनिया गांधी भले रायबरेली में रहीं, लेकिन उनको राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने की चर्चाएं आज भी उन्हीं प्रश्नों के साथ सुर्खियां बनाए रहीं। उल्लेखनीय है कि लाभ के पद को लेकर उठे विवाद के बाद सोनिया ने चार साल पहले इस पद से इस्तीफा दे दिया था। इस परिषद में सोनिया का दर्जा कैबिनेट मंत्री का होगा और उनकी नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू हो चुकी है। उनका कार्यकाल राष्ट्रीय सलाहकार परिषद से जुड़ा होगा। वही परिषद के अन्य सदस्यों को मनोनीत करेंगी। उन सदस्यों का कार्यकाल उनकी नियुक्ति के दिन से एक साल का होगा और इस कार्यकाल का विस्तार किया जा सकता है। विशेष प्रावधानों के तहत परिषद के सदस्य के रूप में नियुक्त किये जाने वाले सांसद परिषद से कोई वेतन भत्ता आदि नहीं ले सकते। यह परिषद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ही परिकल्पना थी।

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