Sunday, March 28, 2010

सांसद अमर सिंह के ब्लॉग पर 'कांग्रेस'!!



(sansadji.com)

सांसद ठाकुर अमर सिंह की लेखनी और जुबान दोनों से कांग्रेसी सुर-ताल दिनोंदिन और-और ज्यादा सुमधुर होते जा रहे हैं। वह लिखते हैं....
मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस से हुई।....
कांग्रेस पर वंशवाद का आरोप लगा......
इस शून्यता में राहुल जी का अभ्युदय युवा मानस को प्रभावित कर गया ..........
बताइए, अब हम उनके खिलाफ क्यों बोलें? जया बच्चन के कांग्रेस में ना जाने की टिप्पणी को मुझसे जोड़ा जा रहा है....

और ये अमर सिंह का सबसे ठोस संकेत...........
जैसे जया बच्चन कांग्रेस में, उसी तरह मैं समाजवादी पार्टी में नहीं जा सकता।
(सपा में नहीं जा सकते यानी क्या कांग्रेस में?)

और क्या लिखा है सांसद अमर सिंह ने, अविकल यहां प्रस्तुत हैः-

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राष्ट्रीय दल और क्षेत्रीय दल
भारतीय राजनीति का संक्रमण राष्ट्रीय दलों का कमजोर होना और केन्द्रीय सरकार के गठन में क्षेत्रीय दलों पर निर्भरता के कारण धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है. अतीत में गैर कांग्रेसवाद के प्रवर्तक राजनेताओं ने कांग्रेस के वर्चस्व को चुनौती देने के लिए गैर कांग्रेसी ताकतों को कई बार कभी लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में एवं कई बार वामपंथी मित्रों के सहयोग से एकत्रित करने का उपक्रम किया. मूल रूप से मेरे राजनैतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस से हुई लेकिन कांग्रेसी महासागर के राजनैतिक मंथन में मै खप नहीं पाया और बार-बार खंडित और विखंडित होती गैर कांग्रेसी राजनीति की धुरी में काफी घुल-मिल गया. सत्ता की चासनी और सिद्धांतों के आभाव में गैर कांग्रेसी राजनीति की एकजुटता प्रभावित होती रही. कांग्रेस पर वंशवाद का आरोप मढ़ने वाले सियासी क्षेत्रीय दल चाहे वह बिहार में लालू जी-राबडी का राजद हो या फिर उत्तर प्रदेश के एक परिवार की पार्टी – समाजवादी पार्टी, उनका कांग्रेस पर लगाया वंशवाद का आरोप उन पर ही सर चढ़ कर बोलने लगा. श्री राहुल गाँधी का इस शून्यता में राजनैतिक पटल पर अभ्युदय युवा मानस को उनकी बेबाक सच्चाई से प्रभावित कर गया. लोगों के इल्जाम लगाने से पहले ही उन्होंने मान लिया कि उन्हें नेहरू गांधी परिवार से सम्बन्ध का स्वभाविक राजनैतिक लाभ एक सामान्य राजनैतिक नवजवान की तुलना में कहीं अधिक है. बताइये अब हम उनके खिलाफ क्या बोलें?
कल श्रीमती जया बच्चन जी की कांग्रेस में ना जाने की टिप्पणी को मुझसे जोड़ कर देखा जा रहा है. जया बच्चन जी ने ही बरखा दत्त को दिए एक टीवी साक्षात्कार में मेरे कांग्रेस में जाने के प्रश्न पर बेबाकी से हिमायत करते हुए कहा था कि उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं होगी. समाजवादी पार्टी ने उन्हें चुनावी नुमाईश का सामान बताया है और बड़े भाई अमिताभ बच्चन जी को उनके संभावित राज्यसभा की सदस्यता का अन्वेषक बताते हुए उनके गुजरात के संबंधों पर बखेड़ा खड़ा करने का प्रयास किया है. फिर भी न तो मेरी पुरानी पार्टी ने जया प्रदा की तरह उनका उनका निष्काशन किया और ना ही जया बच्चन जी समाजवादी पार्टी को त्यागा है. हालाँकि वह कह रही है कि अमर सिंह की राजनीति ही समाजवादी दल में उनके होने की वजह है और दल ने मेरे साथ जो किया है वह गलत किया है.
मै बिना साथियों की सहमति के भविष्य का कोई सियासी निर्णय नहीं लूँगा. अभी तक कांग्रेस से मेरी कोई औपचारिक या अनौपचारिक वार्ता नहीं हुई है लेकिन सुनने में आया है कि मेरे पुराने दल के कुछ लोग जया बच्चन जी को माध्यम बनाकर पुनः मुझे समाजवादी पार्टी से जोड़ना चाहते है. सच तो यह है कि जैसे जया बच्चन जी कांग्रेस में नहीं जा सकती वैसे ही अब मै समाजवादी पार्टी में नहीं लौट सकता. दूसरा बड़ा सच है कि चाहे शरद पवार का राकपा हो, या ममता जी की त्रिनामुल कांग्रेस, या नितीश कुमार जी की जदयू, या फिर करुणानिधि जी का द्रमुक दल, उनसे सम्बन्ध राजनैतिक दलों से क्षेत्रीय स्तर पर चाहे जैसे भी हो उन्हें कांग्रेस या भाजपा जैसे राष्ट्रीय दलों के इंजन की बोगी बनाना ही पड़ता है. दुविधा में पड़े अपने कई पुराने साथियो को मै यह ही कहूँगा,
“वक्त ने किया क्या हसीन सितम, हम रहे ना हम तुम रहे ना तुम”
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