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(sansadji.com)
कांग्रेस सांसद एवं केंद्रीय स्वास्थ्य-परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद को अपनी ही संप्रग सरकार के देश के लोगों के स्वास्थ्य से जुडे आंकड़ों पर विश्वास नहीं है। आजाद कहते हैं कि शहरी इलाकों में 91 प्रतिशत महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं मिलती है जबकि इसके मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में 72 प्रतिशत महिलाओं को मिलती है। उनको इस बात का संदेह है कि यह आंकड़ा 72 प्रतिशत हो सकता है। यह आंकडा राज्य सरकारों और जिला प्रशासन कार्यालयों के सहयोग से तैयार किया है, लेकिन इनमें जमीनी वास्तविकता कुछ और है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वह स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते यह कह सकते है कि ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति शहरी क्षेत्रों से बिलकुल अलग है। आज भी देश के अनेक गांव ऐसे है जहां पर चिकित्सा सुविधा के नाम पर डॉक्टर उपलब्ध नहीं है लेकिन अब संप्रग सरकार के पिछले 6 साल के शासन में इस स्थिति में बदलाव आया है। उनके पहले से तैयार भाषण में कहा गया है कि देश में 2020 तक 41 प्रतिशत लोग शहरी क्षेत्रों में होंगें, लेकिन वह इस आंकडे से सहमत नहीं है। उनके भाषण के ये आंकडे कुछ प्रमुख लोगों द्वारा तैयार किये गये हैं लेकिन वह व्यक्तिगत रूप से इनसे सहमत नहीं हैं। लोग गांवों से पलायन होकर शहरों की ओर केवल इस लिए नहीं आते हैं कि उनको रोजगार के अवसर मिले लेकिन इस लिए भी आते है कि उनके जीवनस्तर में सुधार हो। स्वास्थ्य मंत्री ऐसा महसूस करते हैं कि यदि सरकार गांवों में भी सभी प्रकार की अच्छी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करा दे, तो हो सकता है कि लोग शहरों से गांवों की ओर पलायन करने लगें।
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