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(sansadji.com)
सर्वदलीय बैठक में महिला आरक्षण बिल पर कोई आम सहमति न बन पाने से असंतुष्ट अनेक महिला संगठनों ने गंभीर चिंता जताई है। साथ ही केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि अब लोकसभा में इस विधेयक को पारित कराने में कत्तई विलंब न किया जाए। पूर्व सांसद एवं एडवा की अध्यक्ष सुहासिनी अली का कहना है कि सर्वदलीय बैठक का जो नतीजा रहा, उसके बारे में सबको पहले से पता था क्योंकि इस विधेयक का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों ने कभी भी ऐसा संकेत नहीं दिया था कि उन्होंने इस पर अपने रूख में बदलाव कर लिया है। पिछले 14 वर्षों से इस विधेयक को लेकर इसी तरह की राजनीति हो रही है। सरकार जनता के साथ किये वायदे को पूरा करते हुये इस विधेयक को जल्द से जल्द लोकसभा में रखे।उनका कहना है कि सर्वदलीय बैठक में कोई समाधान न निकल पाना विधेयक के पारित किये जाने की प्रक्रिया में विलंब करने का एक बहाना है। अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति..एडवा..नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन वुमेन, ज्वाइंट वुमेन प्रोग्राम, यंग वीमेंस क्रिश्चियन एसोसिएशन, महिला विकास अध्ययन केन्द्र, आल इंडिया वीमेंस कांफ्रेंस सहित अनेक संगठनों ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि सरकार सर्वसम्मति कायम नहीं होने का बहाना बनाकर लोकसभा में इस विधेयक को लाने एवं इसे पारित किये जाने में बिलंब कर सकती है। संप्रग सरकार को इस विधेयक को लोकसभा में रखने में विलंब नहीं करना चाहिये और उसे इस पर सर्वसम्मति नहीं होने का बहाना नहीं बनाना चाहिये क्योंकि पिछले 14 साल से सर्वसम्मति का बहाना बना कर इस विधेयक को लेकर टालमटोल जारी है। इस विधेयक से जुडे अन्य मसलों का समाधान अलग से किया जाना चाहिये। देश की महिलायें इस विधेयक को पारित किये जाने में और किसी भी विलंब को बर्दाश्त नहीं कर सकती हैं।
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