Tuesday, February 23, 2010

संसद शुरू होते ही महंगाई पर हंगामा, सदन स्थगित


लोकसभा में मंगलवार को सदन शुरू होते ही वह घड़ी आ ही गई, जिसके सरगर्म होने के अंदेशे थे। लोकसभा अध्यक्षा मीरा कुमार के लाख नेकदिल अनुमानों और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मौखिक आश्वासनों के बावजूद प्रश्नकाल स्थगित कर महंगाई के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग को लेकर राजग, राजद, सपा और वामपंथी सदस्यों के हंगामे के कारण लोकसभा व राज्यसभा की बैठक स्थगित करनी पड़ी। विपक्षी गठबंधन के साथ वामपंथी व सरकार को बाहर से समर्थन दे रही सपा व राजद ने भी महंगाई के मुद्दे पर सरकार से बहस कराने की मांग की। मामला इस तरह गर्माने लगा कि आखिरकार लोकसभा की कार्यवाही को करीब 35 मिनट के लिए दोपहर 12 बजे तक स्थगित करना पड़ा। बजट सत्र के पहले कामकाजी दिन सदन की बैठक शुरू होने पर कुछ औपचारिक कार्यवाही के तुरंत बाद विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने महंगाई का मुद्दा उठाते हुए इस पर कार्य स्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा कराए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि महंगाई पर पहले भी विभिन्न नियमों के तहत चर्चा हो चुकी है लेकिन सरकार ने विषय को गंभीरता से नहीं लिया। इसलिए अब विपक्ष कार्य स्थगन प्रस्ताव के तहत इस पर चर्चा चाहता है। समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह ने भी उनकी बात का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। इस पर संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि विपक्ष की नेता खुद कह चुकी हैं कि पिछले छह साल से यह मुद्दा उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह कोई नया विषय नहीं है इसलिए इस पर कार्य स्थगन के तहत चर्चा नहीं करायी जा सकती। उनके इतना कहते ही सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे दलों सहित समूचा विपक्ष आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने लगा। स्थिति शांत न होते देख अध्यक्ष मीरा कुमार ने बैठक करीब 35 मिनट के लिए 12 बजे तक स्थगित कर दी। महंगाई के मुद्दे पर चर्चा कराये जाने की विपक्ष की मांग के बीच इस विषय पर लोकसभा में मंगलवार को चर्चा होने के दौरान आज सरकार और विपक्ष के बीच पहले से ही रस्साकसी के अंदेशे थे। कल संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने भी कहा था कि हम इसके लिए हमेशा तैयार हैं, किसी भी विषय पर ठोस चर्चा के लिए। इस आशय का निर्णय कल लोकसभा की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में किया जायेगा। उल्लेखनीय है कि तीन महीने लंबा चलने वाला संसद का बजट सत्र शुरू होने के साथ ही राष्ट्रपति के अभिभाषण और दिवंगत राजनेताओं को श्रद्धांजलित अर्पित कर सोमवार को सदन मंगलवार की सुबह तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। भाजपा समेत कई विपक्षी दलों ने मंगलवार को महंगाई के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की थी। भाजपा ने इस विषय पर चर्चा नहीं कराये जाने की स्थिति में कार्य स्थगन प्रस्ताव पेश किये जाने की धमकी भी दी थी। सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद विपक्ष ने जिस तरह की निराशा जताई थी, वह मंगलवार को तीखी प्रतिक्रियाओं में व्यक्त होनी थी। ऐसा अंदेशा सांसदजी डॉट कॉम ने कल ही जता दिया था। कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद महंगाई को जिस तरह पंख लगे हैं, कृषि मंत्री शरद पवार के मुंह खोलते ही जिस तरह दूध और चीनी के दाम उछल पड़े हैं, उसने विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा थमा दिया है।


रेल बजट पर दादा से दीदी की खिचखिच क्यों?
मसले ममता और वसुंधरा के। ममता यानी वेस्ट बंगाल की दीदी और वसुंधरा यानी राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री। दोनों के दर्द जुदा-जुदा हैं लेकिन उसके स्वाद सियासी हैं। रेल बजट के मामले पर दीदी की दादा से खिंच गई। दादा अड़ गए। क्यों? होगी कोई पुरानी बात। खुन्नस। वसुंधरा जी ने लदे-फदे मन से इस्तीफा तो दे दिया है लेकिन वह मंजूर नहीं हुआ है। क्यों? इस बारे में क्या कहती हैं वसुधरा राजे...........सविस्तार दोनों खबरें सांसदजी डॉट कॉम sansadji.com पर


अमर संग्रामः निगाहें हरित प्रदेश-बुंदेलखंड-पूर्वांचल पर
सांसद अमर सिंह ने सपा में कत्तई न लौटने की ठीन ली है तो इसकी कई ठोस वजहें मानी जा रही हैं। उनकी राजनीतिक और राजकोषीय क्षमता पर किसी को शक नहीं। इतना जरूर है कि सपा के लिए सीमा से आगे जाकर अतीत में वे जिस तरह मुखर होते रहे हैं, उसी की उन्हें राजनीतिक कीमत चुकानी पड़ रही है। उनके कई बयानों से कई बड़े राजनेता खुन्नस खा चुके हैं। लेकिन अमर सिंह किन्हीं भी परिस्थितियों से हार मानने वाले भी नहीं। वहां लगातार नए और प्रभावी राजनीतिक क्षितिज की संभावना में जुटे हुए हैं। एक ओर जहां उन्होंने गैरसपा दलों के खिलाफ किसी भी तरह की अप्रिय टिप्पणियों से पूरी तरह से परहेज कर लिया है, वही यूपी और दिल्ली की सत्ता से भी कोई विरोध मोल लेने के मूड में नहीं। साथ ही अपनी नई ताकत स्थापित करने के प्रयासों के तहत वह उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल सु्प्रीमो चौधरी अजित सिंह के साथ आगे की रणनीति बना रहे हैं। मुद्दा है छोटे राज्यों का गठन। इस मुद्दे पर वह एक तीर से कई निशाने साधना चाहते हैं। छोटे राज्यों की संभावनाएं पूर्वांचल के रूप में पूर्वी उत्तर प्रदेश और दूसरे सिरे पर बुंदेलखंड से जुड़ी हैं, जो निकट भविष्य में नए राजनीतिक आंदोलनों का सबब बनने वाली हैं। सविस्तार दोनों खबरें सांसदजी डॉट कॉम sansadji.com पर

चिदंबरम से मिलने से कतरा रहे हैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
दिल्ली में नक्सली समस्या पर विचार के लिए तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों की केन्द्रीय गृह मंत्री के साथ होने वाली बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जाने को लेकर संशय बना हुआ है। मुख्यमंत्री का कहना है कि चिदम्बरम नक्सल समस्या को लेकर जितने चिंतित हैं उससे कम चिंतित वह नहीं है। उन्होंने इससे पहले नौ फरवरी को कोलकाता में नक्सल समस्या पर हुई बैठक में हिस्सा नहीं लिया था और राज्य के पुलिस महानिदेशक को भेज दिया था। कोलकाता बैठक के बाद केन्द्र नक्सल समस्या पर काबू पाने के लिए अनुमानित निष्कर्ष पर पहुंचा है और उसी पर बिहार पश्चिम बंगाल और झारखंड के मुख्यमंत्रियों का विचार जानने के लिए चिदम्बरम ने उन्हें दिल्ली आमंत्रित किया है। सविस्तार दोनों खबरें सांसदजी डॉट कॉम sansadji.com पर




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