Sunday, June 15, 2008

अगर बिके.......तो ब्लॉग बेंच दो

देखो-देखो काग-भुसंडी!
खुला-खुला बाजार खड़ा है
बेंचो-बेंचो काग-भुसंडी!

अपने मन की आग बेंच दो,
धुले-धुलाए दाग बेंच दो,
गिटपिट राग-विराग बेंच दो,
फूहड़-फिल्मी फाग बेंच दो,
बुझते हुए चिराग बेंच दो
और दुधमुंहे नाग बेंच दो,
अगर बिके तो ब्लॉग बेंच दो....बेंचो-बेंचो काग-भुसंडी!

फर्जी साधु-फकीर बेंच दो,
अपने संगम-तीर बेंच दो,
गंगा-यमुनी नीर बेंच दो,
जान परायी पीर बेंच दो,
बापू की तकरीर बेंच दो,
नेहरू की तस्वीर बेंच दो,
दिल्ली की तकदीर बेंच दो....बेंचो-बेंचो काग-भुसंडी!


तालपचीसी तान बेंच दो,
अपने बहरे कान बेंच दो,
जज हो, तो ईमान बेंच दो,
सैंतालिस की शान बेंच दो
बिके तो संविधान बेंच दो,
राष्ट्र बेंच दो, गान बेंच दो,
सारा हिंदुस्तान बेंच दो, ....बेंचो-बेंचो काग-भुसंडी!

1 comment:

राजीव तनेजा said...

सधे शब्द...तीखे कटाक्ष...

लगे रहो...जमे रहो