Sunday, June 1, 2008

पहाड़ पर पांच प्रेतात्माएं

बात सच्ची-सच्ची। सचमुच की। आंखो देखी। पहाड़ पर कानोकान सुनी। दावे किए जाते हैं कि इस वैज्ञानिक युग में प्रेतात्माओं की बात करना बेवकूफी है। अंधविश्वास है। कूपमंडूकता है। जो वाकये यहां दुहराये जा रहे हैं, उनमें एक भी ऐसा नहीं, जिसे कोई झुठला सके या पढ़ने-जानने के बाद कहे पर यकीन न कर सके।

प्रेतात्मा-एक

कोई विश्वास कर सकता है कि प्रेतात्माएं भी पैसे की भूखी होती हैं! लेकिन नहीं, ऐसा ही हुआ उस दिन। एक प्रेतात्मा अपने बिरादरों के साथ पर्वत-बहुल प्रदेश की एक मशहूर घाटी में मीटिंग करते देखी गई। उनमें आपसी चर्चा का विषय था कि चाहे जैसे भी, दो का चार, चार का आठ और आठ का सोलह किया जाये। सरकार और प्रशासन उनकी बात मानें न मानें। उन्हें किसी भी तरह अपने लक्ष्य तक पहुंचना है। और अगले दिन समस्त शेयर बाजार पहाड़ से लुढ़कते-पुढ़कते एक राजनीतिक दल के प्रदेश मुख्यालय में जा गिरे। नेताओं में हड़कंप मच गया। क्या हुआ, क्या हुआ? चारो तरफ शोर-शराबा। अगले दिन प्रेतात्माओं के प्रतिनिधि मंडल को राज्य के मुख्यमंत्री का बुलावा आया कि समाधान कर लिया गया है। मुलाकात तो बस औपचारिक रही। प्रेतात्माओं के नेतृत्व में अगले दिन से जंगल सफाई अभियान शुरू हुआ और प्रेतात्माएं मालामाल हो गईं।


प्रेतात्मा-दो

एक प्रेतात्मा ने फिल्म निदेशकों को खत लिखा कि देश के सिनेमाहालों में ताले लगने जा रहे हैं क्यों कि नयी फिल्मों में अभिनेत्रियां लिबास में दिखने लगी हैं। जितना जल्दी हो सके, प्यार-मोहब्बत के नाम पर उन्हें पर्दे पर पूर्णतः निर्वस्त्र परोसा जाए। फिल्मों में ज्यादातर दृश्य स्नानागार या समुद्र तटीय स्थलों गोवा आदि के होने चाहिए। बॉक्स आफिस पर मुर्दानगी छायी हुई है। यदि देसी अभिनेत्रियां इसके लिए सहमत नहीं होती हैं तो विदेशी देह-कलाकारों को उपलब्ध कराने में हमारी प्रेत-मंडली पूरा-पूरी सहयोग करेगी। अगले साल से देश के सारे मॉल टाकीज, सिनेमाल फुल चलने लगे। उसकी अपार सास्कृतिक सफलता पर प्रेतात्माओं ने राहत की सांस ली।

प्रेतात्मा-तीन

प्रेतात्माओं के कुल लगभग ग्यारह प्रतिनिधि मंडल तीन महीने से अफगानिस्तान, इराक और म्यांमार के दौरे पर हैं। इन देशों से मानव-खोपड़ियां जुटाने के बाद वे अमेरिका और ब्रिटेन के दौरे पर निकलेंगी।


प्रेतात्मा-चार

देश भर में प्रेतात्माओं के एनजीओ इन दिनों जोर-शोर से विकास और स्वास्थ्य मिशन में जुटे हुए हैं। उन्हें व्यापक सफलता और सम्मान मिल रहा है। साथ ही लाखों-करोड़ों का बजट भी। देश में क्रांतिकारी बदलाव लाना उनका एक मात्र उद्देश्य है।


प्रेतात्मा-पांच

देश में अनेक प्रेतात्मा संप्रदाय राजनीति के क्षेत्र में भी अपनी किस्मत आजमाने में जुटे हुए हैं। उन्हें भी मालूम है कि चुनाव सिर पर है। कौन जाने, कल को उनके संप्रदायों का गठबंधन केंद्र में सरकार बनाने में कामयाब हो जाये। तब खुलकर श्मशान-नृत्य समारोह आयोजित हो सकेंगे...गुजरात से नंदीग्राम तक।


1 comment:

Udan Tashtari said...

और ब्लॉग जगत वाली ६वीं प्रेतात्मा.?? उसका क्या?

:)