Sunday, June 1, 2008

रिश्ते-नाते पालतू के......हजार सवाल फालतू के

एक तो अपनी घरेलू मेढक कुदान, ऊपर से मिस कॉल वालों की कोंच। जान आफत में डाल रखा है। एक और मुफ्त की फजीहत मोबाइल कंपनियों की। दे मैसेज, मैसेज। फालतू के। उनका तो जब भी मैसेज आए, दिमाग भन्ना जाता है।
तो पहले मिस काल मारने वालों का हाल सुनें।
कोई मामा लड़का गांव में बेरोजगार पड़ा है, पड़ोसी शर्मा जी के मोबाइल से सुबह होते ही मिस काल मारने लगता है। नौकरी चाहिए। उससे पहले उसके काल का भुगतान भी हमे ही करना है।
मौसी की छोटी बेटी शादी लायक हो गयी है। कोई ढंग का लड़का नहीं मिल रहा है। हमे ही जिम्मा सौंप रखा है कि कोई दिखे तो बताना। यह जिम्मा रोजाना हमारे मोबाइल पर तीन-चार मिस काल मार कर सौंपा जाता है। लगता है, साल-दो-साल यूं ही चला तो आधा दहेज बाया मिस काल ही चुकता हो जाएगा।
फूफा जी के बड़े बेटे का बीए में दाखिला होना है। पहले उसके रिजल्ट को लेकर मिस काल आते थे। अब दाखिले के लिए मदद चाहिए, वो भी बाया मिस काल।
ये तो रही नाते-रिश्ते के एक-दो लोगों की बातें। अब सुनिए उनकी, जो हर महीने कुछ न कुछ कमा-धमा लेते हैं। बाकी काम अपने पैसे से लेकिन मोबाइल सेवा फ्री चाहिए। इन बेशर्मों ने तो ऐसा तंग कर रखा है कि बार-बार मना करने के बावजूद नहीं मार रहे। वे ब्लाग-स्लाग तो पढ़ने-से रहे। तंग आकर मैं अपनी खीझ जरूर यहां इस पोस्ट के बहाने मिटा ले रहा हूं।
ये बेशर्म अगर गलती से फोन पर अटेंड हो गए तो पहले फर्जी निकटता जताते हुए बालबच्चों का हाल पूछेंगे, मेरा काम-धाम कैसे चल रहा है, पूछने को और कुछ नहीं तो ...इसी तरह के कुछ अन्य सवालों से काम चला लेते हैं
मसलन....
भाई साब और क्या हो रहा है
भाई साब आजकल रोज मौसम बदल रहा है
महंगाई बढ़ती जा रही है
आजकल बच्चे बड़े बेकाबू होते जा रहे हैं
भाई साब और कोई दिक्कत हो तो बताइएगा
आजकल आपकी ड्यूटी का टाइम क्या वही पुराना वाला है
भाई साब सुबह कितने बजे तक उठ जाते हैं
शाम को तो टीवी सीवी देखकर ही सोते होंगे

....रिश्ते-नाते पालतू के......हजार सवाल फालतू फालतू के
सोचता हूं, क्यों न अपना मोबाइल सेट तोड़ताड़ कर चूल्हे में झोंक दूं। चूल्हा भी गैस वाला। तो अब क्या करूं?

4 comments:

बालकिशन said...

जो सोचा है तुरंत कर डालिए.
नेक काम मे देरी काहे?

डा. अमर कुमार said...

ऎ भाई हमको कूरियर से भेज दीजिये !

मुंहफट said...

बाल किशन को...
डा.अमर कुमार को...
नेकी कर दरिया में डाल।
धन्यवाद...वंदे मातरम्...जयहिंद..सलाम-सलाम-सलाम....जी

Udan Tashtari said...

हमारे घर के पास भट्टी है, उसमें फेंक देंगे. यहाँ भेज दिजिये.

अपने टेम्पलेट का रंग बदलने की कोशिश करें, पढ़ने में दिक्कत होती है. सुझाव मात्र है, अन्यथा न लें.