Friday, September 3, 2010

दुनिया को बनाने वाला कोई भगवान नहीं...... स्टीफन हॉकिंग


स्टीफन हॉकिंग


लंदन........ दुनिया के सबसे बड़े वैज्ञानिकों में गिने जाने वाले स्टीफन हॉकिंग ने कहा है कि इस दुनिया को बनाने वाला कोई भगवान नहीं है। यह दुनिया भौतिकी के नियमों के मुताबिक अस्तित्व में आई। उनके मुताबिक बिंग बैंग गुरुत्वाकर्षण के नियमों का ही नतीजा था। स्टीफन हॉकिंग ने अपनी नई किताब में ये बातें कही हैं। गौरतलब है कि स्टीफन हॉकिंग ने 1988 में छपी अपनी बहुचर्चित किताब 'ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम' में कहा था कि ईश्वर का अस्तित्व अनिवार्य तौर पर विज्ञान का विरोधी नहीं है। दुनिया के बनने में ईश्वर की भूमिका को परोक्ष रूप से स्वीकार करते हुए उन्होंने उस पुस्तक में कहा था, 'अगर हम संपूर्ण थियरी खोज सकें तो वह मानवीय तर्क की सबसे बड़ी जीत होगी। तभी हम ईश्वर का दिमाग समझ पाएंगे।', अपनी नई किताब 'द ग्रैंड डिजाइन' में उन्होंने ईश्वर की किसी भी भूमिका की संभावना खारिज करते हुए कहा कि ब्रह्मांड का निर्माण शून्य से भी हो सकता है। हॉकिंग की इस नई किताब धारावाहिक रूप में लंदन के 'द टाइम्स' में छप रही है। स्टीफन हॉकिंग मौजूदा दौर के सबसे बड़े वैज्ञानिकों में माने जाते हैं। एक बीमारी से पीड़ित होने की वजह से हॉकिंग खुद चल-फिर या बोल-सुन भी नहीं सकते। फिर भी, अपनी इच्छाशक्ति और संकल्प की बदौलत उन्होंने न केवल अपनी पढ़ाई और रिसर्च जारी रखी बल्कि विज्ञान की सीमाओं को भी विस्तारित किया। इस नई किताब में अपनी पुरानी धारणा से आगे बढ़ते हुए हॉकिंग ने न्यूटन के इस सिद्धांत को गलत बताया है कि बेतरतीब अव्यवस्था से ब्रह्मांड का निर्माण नहीं हो सकता। अपने इस मत की पुष्टि के लिए हॉकिंस ने 1992 में हुई उस खोज का हवाला दिया है, जिसमें हमारे सौरमंडल से बाहर एक तारे के चारों ओर घूमते ग्रह के बारे में पता चला था। हॉकिंग ने इस खोज को ब्रह्मांड की समझ में बदलाव लाने वाला क्रांतिकारी मोड़ बताया है।

Thursday, August 26, 2010

जन्तर मन्तर पर 10 हजार किसान... दिल्ली में यातायात प्रभावित



उत्तर प्रदेश में यमुना एक्सप्रेस के लिए जमीन अधिग्रहण के एवज में ज्यादा मुआवजे की मांग को लेकर किसानों ने गुरुवार सुबह जन्तर मन्तर पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। किसान सुबह से ही धरनास्थल पर इकट्ठे होने लगे और दोपहर 12 बजे तक भारी संख्या में जुट चुके थे। किसानों का यह आंदोलन राजनीतिक दल राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के जुड़ जाने से और व्यापक हो गया है। किसानों की मांग है कि यमुना एक्सप्रेस वे के लिए उनकी जमीन अधिग्रहित की जा रही है लेकिन इस एवज में उन्हें समुचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। सभा को भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली, रालोद के अध्यक्ष अजित सिंह, बीजू जनता दल के अर्जुन चरण सेठी, तेलुगूदेशम पार्टी के नागेश्वर राव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के एबी वर्धन, जनता दल (यू) के शरद यादव, लोकजनशक्ति पार्टी के रामविलास पासवान और अकाली दल के रत्न सिंह अजनाला संबोधित कर रह है। अपनी जमीन के बदले कम मुआवजे का विरोध कर रहे करीब 10 हजार किसान दिल्‍ली में जुटे हैं। आंदोलन को अजित सिंह का पूरा समर्थन है।

राहुल गांधी ने बीएसपी सुप्रीमो मायावती पर निशाना साधते हुए कहा है कि उन्होंने इस मुद्दे से पीएम मनमोहन सिंह को अवगत करा दिया है। किसानों की भूमि अधिग्रहण का यह मामला बेहद गंभीर है।

दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में किसान रैली के अलावा जगह जगह पानी भरने के चलते यातायात में बाधा पहुंची। दिल्ली यातायात पुलिस के अनुसार आईएसबीटी के निकट हनुमान सेतु को वाहन संचालन के लिए बंद कर देने के चलते वाहनों के रूख को शांतिवन-राजघाट उपमार्ग की ओर मोड़ दिया गया है। किसान रैली के चलते अजमेरी गेट, रामलीला मैदान से रणजीत सिंह फलाईओवर, बाराखंभा रोड, टॉलस्टाय रोड, केजी मार्ग, जनपथ और संसद मार्ग सहित विभिन्न रास्तों पर यातायात प्रभावित हुआ है।


Wednesday, August 25, 2010

सुर्वे रिपोर्ट दैनिकभास्कर... सांसदों के काम की तुलना में ज्‍यादा है वेतन बढ़ोतरी

बुधवार को लोकसभा में सांसदों की वेतन बढ़ोतरी का विधेयक पेश कर दिया गया। इस दौरान कोई हंगामा नहीं हुआ। विधेयक आसानी से पारित हो जाएगा और सांसदों का मूल वेतन 16 हजार रुपये प्रति महीने से बढ़ कर 50 हजार रुपये प्रति महीने हो जाएगा। उनके भत्‍ते में भी 10 हजार रुपये की बढ़ोतरी हो जाएगी। सांसद तो 80 हजार रुपये मासिक मूल वेतन की मांग पर अड़े थे, पर जनता 300 फीसदी बढ़ोतरी के भी खिलाफ लगती है। dainikbhaskar.com के एक सर्वे में शामिल 64 प्रतिशत पाठकों ने राय दी कि सांसदों के काम के अनुपात में प्रस्तावित वेतन बढ़ोतरी बिलकुल गलत है। सांसदों के वेतन बढ़ोतरी का फैसला होते ही विधायकों ने भी ऐसी ही मांग शुरू कर दी। दिल्‍ली से यह सिलसिला शुरू हो चुका है, जहां विधायकों का वेतन बढ़ाने पर सहमति भी हो गई है। महाराष्ट्र में भी इस संबंध में प्रस्ताव तैयार हो गया है। डर है कि दूसरे राज्‍यों में भी यह मांग जोर पकड़ेगी। और तो और, सर्वे में शामिल 27 फीसदी पाठकों ने तो यह अंदेशा भी जताया कि अब नौकरशाह भी वेतन बढ़ोतरी की मांग कर सकते हैं। छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद नौकरशाहों की तनख्‍वाह पहले से ही मोटी हो गई है। सांसदों का वेतन बढ़ाने का फायदा क्‍या होगा? क्‍या सांसद बेहतर काम करेंगे या फिर इससे भ्रष्‍टाचार में कमी आएगी? सर्वे में शामिल दैनिकभास्कर के पाठकों की राय को संकेत मानें तो ऐसा कुछ नहीं होने वाला है। केवल 3.4 प्रतिशत लोगों ने माना कि बढ़े हुए वेतन के साथ सांसद बेहतर काम करेंगे और जनता इनसे खुश रहेगी। इसी तरह 5.4 फीसदी पाठकों की राय थी कि सांसदों का वेतन बढ़ जाने से भ्रष्टाचार कम करने में मदद मिलेगी।

Sunday, August 22, 2010












पूर्व विदेश राज्यमंत्री और कांग्रेस सांसद शशि थरूर रविवार सुबह केरल में अपनी दोस्त सुनंदा पुष्कर के साथ विवाह बंधन में बंध गए।
दोनों की शादी थरूर के पुश्तैनी नगर पलक्कड़ में पूरे रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुई। थरूर और सुनंदा ने सुबह करीब ८.30 बजे एक दूजे के गले में जयमाल डाली। इससे पहले थरूर ने सुनंदा को मंगल-सूत्र पहनाया।




थरूर-सुनंदा के रिश्तों की बात इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) से जुड़े विवाद के दौरान सार्वजनिक हुई थी। इस विवाद की वजह से ही थरूर को मंत्री पद गवांना पड़ा था।

Friday, August 20, 2010

सांसदों का वेतन तीन गुना बढ़ाकर 50,000 रुपए


केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को सांसदों के वेतन मौजूदा 16,000 रुपए प्रतिमाह से तीन गुना बढ़ाकर 50,000 रुपए करने को मंजूरी दे दी लेकिन इसे अपर्याप्त बताते हुए विभिन्न पार्टियों के सांसदों ने हंगामा करके लोकसभा की कार्यवाही में बाधा पैदा की।
समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जनता दल (युनाइटेड) तथा अन्य दलों के सांसदों ने कम वेतन वृद्धि का विरोध किया और मंत्रिमंडल द्वारा प्रस्तावित वेतन वृद्धि को वापस लेने की मांग की।
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने विरोध की शुरुआत की। उन्होंने सांसदों को सचिव के वेतन से एक रुपए अधिक 80,001 रुपए प्रतिमाह वेतन देने की मांग की।
सांसद 'हमारा वेतन वापस लो, वापस लो, वापस लो' के नारे लगाते हुए लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के आसन के समीप खड़े हो गए। लालू प्रसाद ने आरोप लगाया कि कम वेतन बढ़ाकर सरकार ने सांसदों का अपमान किया है।
मीरा कुमार ने जब लालू प्रसाद से अपनी सीट पर बैठने और प्रश्नकाल को ठीक ढंग से चलने देने को कहा तो प्रसाद ने जवाब दियाकि संसदीय समिति ने वेतन 80,001 रुपए करने की सिफारिश की थी। यह अपमान है। हम इस पर शांत कैसे बैठ सकते हैं।
अध्यक्ष ने बार-बार आग्रह किया कि इस मुद्दे को शून्यकाल के दौरान उठाया जाए लेकिन हंगामा करने वालों ने उसे अनसुना कर दिया। इसके बाद मीरा कुमार ने सदन की कार्रवाई स्थगित कर दी।
सांसदों का वेतन इस समय 16,000 रुपए प्रतिमाह है। संसदीय समिति ने उनका वेतन 80,001 रुपए प्रतिमाह करने की सिफारिश की थी। इसके विपरीत संसदीय कार्य मंत्रालय ने सांसदों का वेतन 50,000 रुपए प्रतिमाह करने का सुझाव दिया।
संसदीय समिति का कहना था कि सांसदों को सचिव के वेतन से कम से कम एक रुपए अधिक वेतन मिलना चाहिए। वेतन के अलावा सांसदों को संसद या संसदीय कार्यवाहियों में हिस्सा लेने पर हर रोज 1,000 रुपए दैनिक भत्ता मिलता है। सांसदों को प्रतिमाह 20,000 रुपए संसदीय क्षेत्र भत्ता और 20,000 रुपए कार्यालय भत्ता भी मिलता है।

Thursday, August 19, 2010

ममता बनर्जी के बयान पर राज्यसभा में हंगामा


नक्सली नेता चेरुकुरी राजकुमार उर्फ आजाद के एक मुठभेड़ में मारे जाने से जुड़े रेल मंत्री ममता बनर्जी के बयान पर गुरुवार को राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ। सदन में शून्य काल के दौरान वाम दलों के सदस्यों ने यह मसला उठाया। मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी ने इस मामले पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा। येचुरी ने कहा, प्रश्न काल के दौरान प्रधानमंत्री सदन में मौजूद थे और उनसे हमने शून्य काल तक सदन में रुकने के लिए कहा था लेकिन वह चले गए। उन्हें इस समय सदन में मौजूद होना चाहिए थे। प्रधानमंत्री खुद कह चुके हैं कि नक्सली देश की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। अब उनके मंत्रिमंडल की एक सदस्य नक्सलियों को संरक्षण दे रही हैं। इस पर संसदीय कार्य राज्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, सारी बातें मीडिया में कही जा रही हैं। जमीनी स्तर पर ऐसा कुछ नहीं है। इसलिए हम मीडिया रिपोर्टो के आधार कोई कदम नहीं उठा सकते। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि उन्होंने ममता को टेलीविजन पर बोलते हुए देखा है। इस पर तृणमूल कांग्रेस के मुकुल रॉय और दिनेश त्रिवेदी ने आपत्ति जताई। बाद में इन दोनों से कहा गया कि वे लोकसभा के सदस्य और मंत्री भी हैं लिहाजा यहां टोकाटाकी नहीं कर सकते। आजाद के संदर्भ में दिए अपने बयान पर बुधवार को ममता ने अडिग रहने की बात कही। बीते नौ अगस्त को लालगढ़ में एक सभा में उन्होंने कहा था कि आजाद की एक सुनियोजित मुठभेड़ में हत्या की गई है।

Wednesday, August 18, 2010

कांग्रेस, बीजेपी और बीएसपी की एक साल की कमाई 8 अरब रुपये

लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस, विपक्षी पार्टी बीजेपी और उत्तर प्रदेश में शासन कर रही बीएसपी की एक साल की कमाई के आगे भारत पर वर्षों राज करने वाली ब्रिटेन की तीन प्रमुख पार्टियां कहीं भी नहीं टिकती हैं। भले ही ब्रिटेन का जीडीपी (सकल घरेलू उत्‍पाद) भारत से दोगुना है, वहां का हर नागरिक औसतन एक भारतीय से 30 गुना ज़्यादा कमाता है, लेकिन भारत की तीन प्रमुख सियासी पार्टियों की आमदनी ब्रिटेन की तीन प्रमुख पार्टियों की तुलना में 150 गुना से भी ज़्यादा है। वित्त वर्ष 2008-09 में कांग्रेस, बीजेपी और बीएसपी की साझा आमदनी करीब 786.62 करोड़ रुपये (करीब 8 अरब रुपये) रही, जबकि ब्रिटेन की तीन प्रमुख राजनीतिक पार्टियों- लेबर, कंजर्वेटिव और लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी - ने वित्त वर्ष 2009-10 में महज करीब साढ़े पांच करोड़ रुपये (पाउंड स्टर्लिंग की आज की दर के आधार पर) जुटाए। भारत के राजनीतिक दलों की माली हैसियत सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत डाली गई एक अर्जी के जरिए सामने आई है, जबकि ब्रिटिश राजनीतिक पार्टियों की कमाई का ठोस अनुमान वहां के चुनाव आयोग ने लगाया है। भारत में 702 राजनीतिक पार्टियां रजिस्टर्ड हैं। इनमें छह पार्टियां राष्ट्रीय हैं। वहीं, ब्रिटेन में 341 राजनीतिक पार्टियां रजिस्टर्ड हैं। ब्रिटेन में चुनाव कराने वाली संस्था 'द इलेक्टोरल कमिशन' की साइट पर मौजूद सूचना के मुताबिक लेबर पार्टी, कंजर्वेटिव पार्टी और लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी ने पिछले साल आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया है। लेकिन कमिशन के अंदाज के मुताबिक ये तीनों पार्टियां करीब पौने दो करोड़ रुपये सालाना की आमदनी से ज़्यादा का रिटर्न दाखिल करेंगी। अगर वास्‍तविक आंकड़ा थोड़ा ज़्यादा भी हो, तो भी उनकी आमदनी भारत की तीन सबसे अमीर पार्टियों की सालाना आमदनी के आगे कहीं भी नहीं टिकने वाली होगी है। गौरतलब है कि ब्रिटेन दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जबकि भारत को दुनिया की 11 वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था माना जाता है। दोनों देशों में प्रति व्यक्ति आय और जीडीपी के आंकड़े में बड़ा अंतर है। भारत में लोग बेहद गरीब हैं, लेकिन यहां की राजनीतिक पार्टियों के पास अगाध पैसा है।

संसदनामा