Wednesday, August 25, 2010
सुर्वे रिपोर्ट दैनिकभास्कर... सांसदों के काम की तुलना में ज्यादा है वेतन बढ़ोतरी
बुधवार को लोकसभा में सांसदों की वेतन बढ़ोतरी का विधेयक पेश कर दिया गया। इस दौरान कोई हंगामा नहीं हुआ। विधेयक आसानी से पारित हो जाएगा और सांसदों का मूल वेतन 16 हजार रुपये प्रति महीने से बढ़ कर 50 हजार रुपये प्रति महीने हो जाएगा। उनके भत्ते में भी 10 हजार रुपये की बढ़ोतरी हो जाएगी। सांसद तो 80 हजार रुपये मासिक मूल वेतन की मांग पर अड़े थे, पर जनता 300 फीसदी बढ़ोतरी के भी खिलाफ लगती है। dainikbhaskar.com के एक सर्वे में शामिल 64 प्रतिशत पाठकों ने राय दी कि सांसदों के काम के अनुपात में प्रस्तावित वेतन बढ़ोतरी बिलकुल गलत है। सांसदों के वेतन बढ़ोतरी का फैसला होते ही विधायकों ने भी ऐसी ही मांग शुरू कर दी। दिल्ली से यह सिलसिला शुरू हो चुका है, जहां विधायकों का वेतन बढ़ाने पर सहमति भी हो गई है। महाराष्ट्र में भी इस संबंध में प्रस्ताव तैयार हो गया है। डर है कि दूसरे राज्यों में भी यह मांग जोर पकड़ेगी। और तो और, सर्वे में शामिल 27 फीसदी पाठकों ने तो यह अंदेशा भी जताया कि अब नौकरशाह भी वेतन बढ़ोतरी की मांग कर सकते हैं। छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद नौकरशाहों की तनख्वाह पहले से ही मोटी हो गई है। सांसदों का वेतन बढ़ाने का फायदा क्या होगा? क्या सांसद बेहतर काम करेंगे या फिर इससे भ्रष्टाचार में कमी आएगी? सर्वे में शामिल दैनिकभास्कर के पाठकों की राय को संकेत मानें तो ऐसा कुछ नहीं होने वाला है। केवल 3.4 प्रतिशत लोगों ने माना कि बढ़े हुए वेतन के साथ सांसद बेहतर काम करेंगे और जनता इनसे खुश रहेगी। इसी तरह 5.4 फीसदी पाठकों की राय थी कि सांसदों का वेतन बढ़ जाने से भ्रष्टाचार कम करने में मदद मिलेगी।
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