Thursday, August 27, 2009

नागार्जुन, मुक्तिबोध और शमशेर

इस लेखे संसद-फंसद सब फिजूल हैं/ नागार्जुन

इसके लेखे संसद=फंसद सब फ़िजूल है
इसके लेखे संविधान काग़ज़ी फूल है
इसके लेखे
सत्य-अंहिसा-क्षमा-शांति-करुणा-मानवता
बूढ़ों की बकवास मात्र है
इसके लेखे गांधी-नेहरू-तिलक आदि परिहास-पात्र हैं
इसके लेखे दंडनीति ही परम सत्य है, ठोस हकीक़त
इसके लेखे बन्दूकें ही चरम सत्य है, ठोस हकीक़त
जय हो, जय हो, हिटलर की नानी की जय हो!
जय हो, जय हो, बाघों की रानी की जय हो!
जय हो, जय हो, हिटलर की नानी की जय हो!

तीनों बन्दर बापू के

बापू के भी ताऊ निकले
तीनों बन्दर बापू के !
सरल सूत्र उलझाऊ निकले
तीनों बन्दर बापू के !
सचमुच जीवनदानी निकले
तीनों बन्दर बापू के !
ग्यानी निकले, ध्यानी निकले
तीनों बन्दर बापू के !
जल-थल-गगन-बिहारी निकले
तीनों बन्दर बापू के !
लीला के गिरधारी निकले
तीनों बन्दर बापू के !
सर्वोदय के नटवरलाल
दुनिया भर में जाल
जियेंगे ये सौ साल
घर घोडे की चाल
पूछो तुम इनका हाल
के नटवरलाल


पूंजीवादी समाज के प्रति / मुक्तिबोध
इतने प्राण, इतने हाथ, इनती बुद्धि
इतना ज्ञान, संस्कृति और अंतःशुद्धि
इतना दिव्य, इतना भव्य, इतनी शक्ति
यह सौंदर्य, वह वैचित्र्य, ईश्वर-भक्ति
इतना काव्य, इतने शब्द, इतने छंद –
जितना ढोंग, जितना भोग है निर्बंध
इतना गूढ़, इतना गाढ़, सुंदर-जाल –
केवल एक जलता सत्य देने टाल।
छोड़ो हाय, केवल घृणा औ' दुर्गंध
तेरी रेशमी वह शब्द-संस्कृति अंध
देती क्रोध मुझको, खूब जलता क्रोध
तेरे रक्त में भी सत्य का अवरोध
तेरे रक्त से भी घृणा आती तीव्र
तुझको देख मितली उमड़ आती शीघ्र
तेरे ह्रास में भी रोग-कृमि हैं उग्र
तेरा नाश तुझ पर क्रुद्ध, तुझ पर व्यग्र।
मेरी ज्वाल, जन की ज्वाल होकर एक
अपनी उष्णता में धो चलें अविवेक
तू है मरण, तू है रिक्त, तू है व्यर्थ
तेरा ध्वंस केवल एक तेरा अर्थ।

वाम वाम वाम दिशा/ शमशेर बहादुर सिंह
वाम वाम वाम दिशा,
समय साम्यवादी।
पृष्ठभूमि का विरोध अन्धकार-लीन। व्यक्ति ...
कुहास्पष्ट ह्रदय - भार, आज हीन।
हीनभाव, हीनभाव
मध्यवर्ग का समाज, दीन।

किन्तु उधर
पथ-प्रदर्शिका मशाल
कमकर की मुट्ठी में - किन्तु उधर:
आगे आगे जलती चलती है
लाल-लाल
वज्र- कठिन कमकर की मुट्ठी में
पथ-प्रदर्शिका मशाल।

भारत का
भूत-वर्तमान औ भविष्य का वितान लिए
काल- मान- विज्ञ मार्क्स-मान में तुला हुआ
वाम वाम वाम दिशा,
समय : साम्यवादी।

अंग - अंग एकनिष्ठ
ध्येय - धीर
सेनानी
वीर युवक
अति बलिष्ठ
वामपन्थगामी वह ...
समय: साम्यवादी।

लोकतंत्र-पूत वह
दूत, मौन, कर्मनिष्ठ
जनता का:
एकता-समन्वय वह ...
मुक्ति का धनंजय वह
चिरविजयी वय में वह
ध्येय-धीर
सेनानी
अविराम
वाम-पक्षवादी है ...
समय : साम्यवादी।

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