Saturday, May 23, 2009

दाया हाथ मालिश, बाया बूट पॉलिश करने लगा!

बोलो भाई
बोलते क्यों नहीं बात-बात में
कि हाथ हमारे साथ में
लिये कटोरा हाथ में.....
लाइन से खड़े भिखमंगे
जोर-जोर से चीखने-चिल्लाने लगे-
हमे दे दो
हमे दे दो
हमे दे दो.

एक बूढ़ा भिखमंगा बोला-
मैं जिंदगी भर
देशभक्ति का आलाप लेता रह गया
दो पीढ़ियों से
घर बेरोजगार पड़ा है
गांव के हर दरवाजे पर
कोई-न-कोई यूकलिप्टस
हर बूढ़ी नीम के सिरहाने
तन कर खड़ा है,
इमलियां कोंतड़ हो चुकी हैं,
कोटरों में उल्लू पल रहे हैं
हमारे गांवों के लोकतंत्र को छल रहे हैं

एक जवान भिखमंगा बोला-
बुड्ढा सठिया गया है,
अनाथों-का-नाथ है हाथ,
पूरा देश है हमारे साथ,
और इस बुड्ढे को अपनी पड़ी है,
उसे नहीं मालूम
कि प्रत्येक यूकलिप्टस की छांव में
हर बूढ़ी नीम
कितनी सुरक्षित खड़ी है,
जहां तक पीढ़ियों का सवाल है,
देश का हर नागरिक
भला एक नेहरू परिवार में कैसे पैदा हो सकता है,
जब यह संभव नहीं
तो देश का हर जवान
प्रधानमंत्री बनने का सपना कैसे देख सकता है?

यह सब सुनकर
हजारों दाएं हाथ हवा में मुस्कराए
हजारों बाएं हाथ जोर से थरथराए
दाएं हाथ
गांधी की मालिश करने लगे,
बाएं हाथ
बूट पॉलिश करने लगे,
दाएं हाथ गाने लगे-
रघुपति राघव राजा राम,
बाएं हाथ लहराने लगे-
कर्ज की पर्चियां तमाम,
दाएं हाथ बोले-
लो, तुम्हारे कर्ज माफ किया
दुख-दरिद्दर साफ किया,
बाएं हाथ बोले-
हमारी आदत खराब मत करो,
हमे सूद-मूल में फंसाकर
अपने-अपने घर मत भरो,
हमे पता है
कि कर्ज माफी चुनाव का मजमा है
स्विस बैंकों में तुम्हारा अरबों का माल जमा है

यह सब सुनकर
दाएं हाथ की ओर से
गोरी हथेलियों वाली बुढ़िया ने आंख तरेरी
राजकुमार बोला-
सब मेरी, धत्त तेरी जनता की.........

और एक बार फिर वही शोर-
किबोलोभाई
बोलते क्यों नहीं बात-बात में
कि हाथ हमारे साथ में
लिये कटोरा हाथ में.....
लाइन से खड़े भिखमंगे
जोर-जोर से चीखने-चिल्लाने लगे-
हमे दे दो
हमे दे दो
हमे दे दो ......
(...मंत्री की कुर्सी,
वरना लोकतंत्र अनाथ हो जाएगा,
हर बाजू-बिजूका
बाएं हाथ के साथ हो जाएगा )......
जय्य्य्य होह्ह्ह्ह्होोोोो

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